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मेरा नाम सनी है.. हमारा गाँव छोटा सा है.. मेरे घर के सामने दीक्षा नाम की एक लड़की रहती है, वो बड़ी कमाल की चिड़िया है। वो लगभग 5 फीट ऊँचाई की होगी, उसकी थोड़ी सी चाल देख लो.. तो क्या मटकती है.. मतलब चलते समय उसके चूतड़ बहुत सेक्सी तरीके से ऊपर-नीचे होते हैं।
उसका सीना देखते ही मेरा तो लौड़ा खड़ा हो जाता है। यूं समझिये कि मैं तो हर समय उसका आँखों से चोदन करता रहता हूँ। उसको बिस्तर पर इस्तेमाल करने की बड़ी आस मन में हमेशा से थी.. है.. और रहेगी।
एक बार इन दिनों में क्या हुआ.. वो लिख रहा हूँ।
गाँव को तीन दिन में एक बार ही नल से पानी मिलता है.. तो पानी के लिए बहुत भीड़ हो जाती है। इसलिए बावड़ी से पानी लेने जाना पड़ता है। एक दिन उधर वो और मैं थे.. बावड़ी से पानी खींचते वक्त मेरा हाथ उसके सीने के नीचे वाले भाग को लग गया.. वो एकदम से गुस्सा हो गई।
कहने लगी- तूने जानबूझकर मुझे हाथ लगाया है। मैंने मन में कहा कि हाथ तो क्या.. मैं तो तुझे चोदना चाहता हूँ.. पर मन में कहने से क्या होता है भला.. चोद पाऊँ तो बात बने।
खैर.. आपको एक बात तो बताना भूल ही गया.. उसकी छोटी बहन निकिता जो अभी स्कूल में पढ़ती है.. वो तो और बड़ी आइटम है। साली फुलझड़ी सी है.. वो भी कमाल की बबाल है।
मैंने अभी तक किसी भी लड़की को चोदा नहीं है.. ना ही किस किया था।
दीक्षा अभी बारहवीं क्लास की तैयारी कर रही है। परसों रात की बात है.. रात के साढ़े ग्यारह बजे के करीब मैं मूतने के लिए बाहर आया.. तो उसके घर की लाईट जल रही थी। मैंने पास जाकर देखा कि वो पढ़ाई कर रही है।
मैंने उससे कहा- थक गई होगी.. सो जाओ अब.. उसने कहा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो? ‘तुझे देख रहा हूँ..’
मेरे सीने में ये कहते हुए धक-धक हो रही थी.. सोच रहा था कि अगर वो चिल्ला देगी.. तो मेरी इज्जत का तो फालूदा निकल जाएगा। मैं उसकी प्रतिक्रिया देखने के लिए वहीं खड़ा रहा।
वो बड़े गुस्से से मुझे देख रही थी। जब वो चिल्लाई नहीं.. तो मेरा हौसला और भी बढ़ गया।
मैंने कहा- ये गुस्सा बिस्तर पर आ कर दिखा तो मैं जानूँ..
वो खिड़की बंद करने लगी.. तो मैंने कहा- सोचो.. एक बार मैं तो घर का ही हूँ.. बाहर बात नहीं जाएगी।
उसने बड़ी जोर से खिड़की बंद कर ली। मैं हँसता हुआ अपने घर सोने चला गया। अगली सुबह मैंने देखा कि वो और उसकी माँ जा रहे थे। उसकी माँ भी एक सेक्सी माल है।
मैंने पूछा- मामी जी कहाँ जा रही हो? ‘डॉक्टर के पास..’ उनका जवाब आया। मैंने कहा- ज्यादा पढ़ाई हो गई है.. इसे तो अब इंजेक्शन की जरूरत है।
दीक्षा तो मुझे गुस्से से देख रही थी.. क्योंकि मेरी बात सिर्फ वो ही समझ पाई थी और कोई नहीं।
मामी ने कुछ नहीं कहा और वो दोनों चली गईं।
उस रात फिर से मैंने देखा कि खिड़की फिर से खुली है। मैं समझ गया कि कल की बात उसे पसंद आ गई है। बस आज थोड़ा सा घी और डालना है.. फिर तो मेरे बाबूराव को वो पहला सुख मिलना पक्का हो जाएगा।
मैं खिड़की के पास गया और पूछा- मेरे बारे में क्या सोचा है?
पहले तो उसने ऊपर ही नहीं देखा.. कुछ भी नहीं बोली।
थोड़ा सा धीरज करके मैंने कहा- पढ़ाई करके थक गई होगी.. तो मुझसे मालिश ही करवा लो।
उसने ऊपर देखा.. तो उसकी आँखों में आंसू थे। ये देख कर मैं डर गया.. और वहाँ से भाग गया।
अगली सुबह उनके घर के सामने एक गाड़ी खड़ी हुई और दीक्षा के माँ-बाप और सेक्सी बहन बैठकर चले गए.. शायद दीक्षा पढ़ाई के वजह से नहीं गई होगी.. ऐसा मैंने सोचा। मैं भी अपने काम पर चला गया।
उस रात गाव में चोर आए.. बड़ा हल्ला-गुल्ला हुआ। दीक्षा घर में अकेली थी.. सो वो डर गई।
उसने मेरी आंटी को कहा- आप मेरे साथ यहाँ सो जाओ।
पर आंटी को सुबह बम्बई जाना था और सुबह की गाड़ी 5 बजे की थी.. तो आंटी ने मुझसे कहा- तुम चले जाओ उसके साथ.. रात को उसका ध्यान रखना। मैं तो यही चाहता था.. पर मैंने कहा- मुझे मेरे थोड़ा सा काम है.. आप ही जाओ। तो उन्होंने कहा- बेटा.. यदि वहाँ चोर आएंगे.. तो हम औरत लोग क्या करेंगे.. उधर तो कोई आदमी होना जरूरी है। मैंने कहा- फिर आप भी चलो हमारे साथ.. उन्होंने कहा- बेटा बहाने मत बनाओ.. जाओ जल्दी जाओ।
मुझे जाना पड़ा।
उनका घर दोमंजिला था। जब मैं घर में गया.. तो उसने कहा- ऐसी-वैसी बातें मत करना.. मुझे पढ़ाई करनी है।
मैं कुछ नहीं बोला.. क्योंकि मुझे उस वक्त का इंतजार था.. जब सारा गाँव सो जाता है।
मैं वहाँ पड़े एक सोफे पर सो गया। जब रात हो गई और सब तरफ सन्नाटा छ गया.. तब उसने भी किताब बंद की और सोने की तैयारी करने लगी।
मैंने उससे कहा- क्या सोचा है मेरे बारे में.. देखो ये बात सिर्फ हमारे आपस में ही रहेगी। उसने कहा- मेरा एक लड़के के साथ चक्कर है.. और हमारा सब कुछ हो गया है।
ये सुन कर मेरा मूड थोड़ा ख़राब हो गया। फिर मैंने सोचा कि पहला चान्स मिला है.. क्यों छोडूँ।
मैंने कहा- कोई बात नहीं जी.. हमसे एक बार मालिश ही करवा लो। उसने तरस खा कर कहा- आखिर तुम्हें चाहिए क्या है? ‘तुम्हें चोदना…’
ये सुनकर तो उसकी आँखें खुली की खुली है रह गईं.. उसने कुछ नहीं कहा और वो ऊपरी मंजिल पर सोने चली गई।
मैंने भी सारी लाईटें.. दरवाजे आदि बंद कर लिए और ऊपर चला गया। उसने अपना कमरा अन्दर से बंद कर रखा था। अभी तक 12 नहीं बजे थे.. अभी दस मिनट बाकी थे।
मैंने दरवाजे पर ‘ठक-ठक’ की और बोला- प्लीज दीक्षा.. मुझे अपने रिक्शा में बैठने दो ना।
उसने दरवाजा नहीं खोला.. मैंने भी ठान ली थी कि आज उसको चोद कर ही रहूँगा। यही नहीं उसकी गाण्ड मार कर उसी में मैं सारा माल डाल दूँगा। बहुत तरसाया है साली ने..
लगभग दस मिनट तक मैं उसका दरवाजा बजाता रहा। अंततः उसने दरवाजा खोल दिया।
मैं तो पठ्ठी को देखता ही रह गया। उसने ड्रेस उतार कर पतली झीनी सी नाईटी पहनी हुई थी। उसने मुँह टेड़ा करके कहा- मुझे तेरे साथ नहीं सोना है।
‘पर मुझे तो तेरे साथ सोना है ना.. प्लीज.. ना मत कर..’ मैं आगे को हुआ और उसके हाथ को चूमा और कहा- एक चान्स दे दो प्लीज.. तुम्हें नाराज नहीं करूँगा।
वो कुछ भी नहीं बोली।
मैंने उसके हाथों को सहलाना शुरू कर दिया।
‘उसका नाम क्या है?’ मैंने पूछा। ‘किसका?’ वो बोली। ‘जिसके साथ तुम्हारा चक्कर है उसका?’ ‘नहीं यार.. वो तो तुमसे छुटकारा पाने के लिए मैंने ऐसे ही झूठ कहा था..’ वो बोली। ‘मतलब अभी तक तुम कुंवारी हो?’ मैंने पूछा। ‘हाँ..’
मेरे मन में तो सील पैक चूत की सोच कर लड्डू फूटने लगे।
मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाए तो वो मेरी बाँहों में समा गई, आहिस्ता-आहिस्ता मैंने उसकी गर्दन को चूमना चालू कर दिया।
मेरे हाथ अपना काम बखूबी से कर रहे थे। वो धीरे-धीरे गरमा रही थी। गर्दन चूमने के बाद मैंने उसके गालों को चूमना चालू कर दिया। धीरे-धीरे मैंने उसके होंठों के रस पान का बड़ा मजा उठाया। उसकी गरम-गरम साँसें मुझे और भी बेचैन कर रही थीं।
मैंने उसके कान में कहा- क्या मैं तुम्हारे मम्मों को देख सकता हूँ? ‘ना कहूँगी.. तो नहीं देखोगे क्या?’ उसने पलट कर सवाल किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसकी गर्दन के पास सहलाना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसके बड़े-बड़े चूचों को अन्दर हाथ डाल कर घुमाने लगा। मेरा दूसरा हाथ उसके गाउन की क्लिप को खोलने में लग गया।
अब वो तो सिर्फ बिस्तर पर बैठी थी.. गाउन के क्लिप खुल गए थे। मैंने उसका गाउन उतार फेंका.. अब वो सिर्फ निक्कर में ही बची थी।
मैंने कहा- तुम ब्रेसियर नहीं पहनती? उसने कहा- नहीं.. ‘कल से पहननी पड़ेगी..’
मैंने कहा.. तो वो शर्मा गई। मैंने देखा कि उसका पेट थोड़ा सा बाहर था। मैंने मजाक से पूछा- कौन सा महीना चालू है?
वो सिर्फ नीचे सर झुकाए खड़ी थी.. मैं उसको देखता रहा। क्या मस्त उठी हुई गाण्ड थी उसकी..
मैंने सोचा आज तो म़जा आएगा.. खड़े-खड़े मैं उसको चूमने लगा। चूमते वक्त दोनों हाथों से उसकी गाण्ड दबाने लगा।
धीरे-धीरे एक हाथ उसकी निक्कर में डाला तो उसने झट से मेरे हाथ को बाहर निकाल दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
साथियों ये रस भरी चुदाई की दास्तान बहुत मजा देने वाली है। कहानी के अगले पार्ट में आपको मुठ्ठ मारने पर मजबूर कर दूंगा। बस आप जल्दी से अपने कमेंट्स मुझे ईमेल से भेजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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