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अब तक आपने पढ़ा..
मैंने बिल्डिंग में रहने वाली प्रीत भाभी को चोद लिया था। अब उनकी एक सहेली नेहा के ऊपर मेरा दिल आ गया था और मैं नेहा भाभी को पटाने में लगा था।
अभी मैं उनके साथ मैं रसोई में था। मैंने कहा- भाभी अब आप हट जाओ.. नहीं तो फिर से कुछ दब जाएगा। तो नेहा बोली- दब जाने दो.. मुझे डर नहीं है।
अब आगे..
मैंने मन में सोचा कहीं ये भाभी सच में तो मुझे ऑफर तो नहीं दे रही हैं। एक बार फिर से मैंने कहा- नेहा भाभी हट जाओ.. कॉफ़ी मैं निकाल देता हूँ। नेहा ने कहा- ठीक है उतारो।
जब मैं कॉफ़ी के डिब्बे को उतार रहा था.. तो नेहा भाभी के हाथ पर मेरा लण्ड टच हो रहा था।
अब मैं भाभी से थोड़ा सा मजाक करने लगा- आजकल भैया आपका ख्याल तो रखते हैं न? तो नेहा भाभी थोड़ा उदास सी हो गईं।
फिर मैंने उनके उदास होते चेहरे को देखा तो बात को पलट दिया और बोला- भाभी आप बहुत मस्त कॉफ़ी बनाती हो। नेहा हँस कर बोलीं- क्या सच में? मैंने कहा- हाँ जी सच में..
वो खुश हो गईं।
फिर मैंने कहा- भाभी.. जब आप मेरे कमरे में आई थीं.. तो कुछ बात बाकी रह गई थी.. उसे कब पूरा करोगी? नेहा भाभी बोलीं- फिर कभी.. जब फ्री होंगे तब.. ओके। मैंने भी कहा- चलो ठीक है।
तब तक कॉफ़ी बन चुकी थी और हम दोनों ही जैसे ही प्रीत के पास आए.. तो प्रीत भाभी बोल पड़ीं- दोनों भाभी देवर क्या कर रहे थे रसोई में.. कहीं ‘वो’ तो नहीं कर रहे थे।
मैंने देखा कि नेहा भाभी का चेहरा शर्म से लाल टमाटर सा हो गया था। फिर मैंने मन में सोचा कि ये माल भी जल्दी ही अपने नीचे होगा। फिर हम सबने कॉफ़ी पी।
नेहा बोली- यार तुम तो सोओगे नहीं.. पर मुझे तो बहुत नींद आ रही है.. मैं तो चली सोने।
इतना कह कर नेहा भाभी प्रीत के कमरे में चली गईं और अब हम दोनों ही बात करने लगे। इतने में मैं बोला- जानेमन.. आज का क्या प्रोग्राम है?
तो प्रीत बोली- तुम बताओ क्या करें? ‘नहीं आप बताओ?’ प्रीत बोली- यार आज नई जगह पर कुछ नया करने का मन है।
तो मैंने कहा- जान.. छत पर करें.. आज तो बारिश का मौसम भी है और बारिश में सेक्स करने से कुछ अलग ही मजा मिलता है.. बोलो?
प्रीत कुछ देर सोचने लगी और बोली- बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो.. चलो ऊपर ही चलते हैं.. पर नेहा का क्या किया जाए.. आज तो वो भी है?
मैं बोला- कुछ नहीं होगा.. एक काम करो.. आप न नेहा को बोलो कि आज हम दोनों का छत पर ही सोने का प्लान बना है.. तो क्या वो भी चलेगी.. वो पक्के में मना कर देगी और बस हम दोनों छत पर मजा करते हैं।
प्रीत बोली- ओके.. पर छत पर कोई देखेगा तो नहीं न? मैं बोला- क्या अपार्टमेंट वालों को कभी छत पर देखा है? प्रीत बोली- नहीं यार उनके पास इतना टाइम ही कहाँ है। मैं बोला- फिर बेफिक्र रहो।
अब मैंने सीड़ियों जा कर छत का दरवाजा खोल दिया और फिर छत पर चारों ओर देखने लगा.. तो देखा कि ऐसी कोई दिक्कत वाली कोई बात तो नहीं थी।
फिर मैंने देखा एक तरफ टंकी रखी हुई थी और टंकी में ही एक नल भी लगा था मैंने उसे खोल कर देखा उसमें पानी आ रहा था।
मैंने देखा कि छत तो बड़ी थी और साफ़ भी थी.. फिर मैं नीचे अपने कमरे से एक गद्दा लेकर आया। आज मेरा मन तो प्रीत की गाण्ड मारने का था.. तो मैंने अपने कमरे से वैसलीन की छोटी डिब्बी.. ये सोचते हुए ले ली कि मौका मिलेगा तो प्रीत की गाण्ड भी बजा लूँगा सब सामान छत पर लेकर आया। मैंने बिस्तर को छत में साफ़ जगह पर बिछा दिया। ऊपर देखा तो आज ऊपर वाला भी मेरे साथ था। बारिश का फुल मौसम हुआ पड़ा था और ठंडी हवा चल रही थी।
कुछ समय ही हुआ होगा कि प्रीत ऊपर आई और बोली- रास्ता साफ़ है.. नेहा नहीं आएगी.. वो मेरे कमरे में ही सो गई है। मैंने कहा- ठीक है.. पर जान एक काम करना होगा आपको। प्रीत बोली- क्या करना है?
मैं बोला- ज्यादा कुछ नहीं.. बस जो आपको बर्थडे पर शॉर्ट्स दिया था न.. जल्दी से वो पहन कर आओ। प्रीत बोली- क्यों? मैंने कहा- आपको देखना है बस। प्रीत बोली- ठीक है.. मैं आती हूँ।
फिर मैं छत पर ही प्रीत का इन्तजार करने लगा और छत के चारों तरफ देखा तो कुछ भी नहीं था और छत पर रहते हुए और ये सब माहौल देखते हुए मुझे पिंकी की कुछ याद आई कि उस टाइम भी यही माहौल था।
फिर कुछ देर में प्रीत भी आ गई और उसको देखते ही मेरे होश उड़ गए। क्या मस्त माल लग रही थी यार.. पूरी प्रियंका चोपड़ा की तरह लग रही थी। उसका फिगर भी स्लिम था.. गहरी लिपस्टिक भी लगा रखी थी.. मांग में सिंदूर.. आँखों में काजल और सबसे बहकाने वाली चीज थी उसकी पतली सी कमर.. जो साफ़ दिख रही थी।
उसकी गोरी-गोरी टांगें.. ऊऊऊऊऊ.. दोस्तों.. चुदाई करने को पंजाबी भाभी मिल जाए.. तो जन्नत का ही मजा आता है।
फिर मैंने देर न करते हुए झट से प्रीत को अपनी बाँहों में ले लिया और उसके प्यारे और कोमल होंठों का रसपान करने लगा।
यारों प्रीत के होंठों को जब भी चुम्बन करता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि पहली ही बार चुम्बन किया है.. इससे मेरी इच्छा प्रीत को चोदने की और भी ज्यादा हो जाती थी। सच में प्रीत कल खूबसूरती की जितनी भी तारीफ करो.. वो कम है.. वो माल ही ऐसा है।
अब मैं प्रीत की कमर पर अपने हाथों को प्यार से सहलाने लगा.. प्रीत भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं अब प्रीत के पूरे बदन को अपने हाथ से सहला रहा था और उसके होंठों का रसपान भी करता जा रहा था।
आज तो मुझमें और भी जोश आ गया था.. ऐसा लग रहा था कि प्रीत के होंठों को चूमने के साथ ही उसके होंठों को चूसता ही रहूँ। मैं उसके होंठों को बीच में काट भी लेता था.. जिससे तड़फ कर वो मुझे भी काट लेती।
अब मैं प्रीत की गर्दन पर जोर-जोर से चूमने लगा और प्रीत अब गर्म होने लगी, अब प्रीत का हाथ मेरे लोअर पर आया और मेरे लण्ड को प्रीत अब लोअर के बाहर से ही सहलाने लगी थी। इधर मैं प्रीत को बिना रुके उसकी गर्दन गाल और कान के पीछे पूरे चेहरे से गर्दन तक खूब जोर-जोर से चूस रहा था।
अब प्रीत की सिसकारियाँ शुरू हो गई थीं ‘ह्ह्ह्हम्मम्म.. ऊऊह.. भहह्ह्.. आह्ह्ह्ह.. ओऊ..’ इससे पता चल रहा था कि प्रीत अब गर्म हो रही है।
मैं प्रीत के टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उसके चूचों को सहला रहा था और साथ ही साथ पेट को भी.. और उसकी नाभि में उंगली को प्यार से घुमा रहा था.. जिससे प्रीत और भी चुदासी हो गई और उसकी सिसकारियाँ और भी तेज हो गई थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
प्रीत ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मैंने भी उसकी टॉप को उतार दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. प्रीत के चूचे बहुत ही मस्त गोरे और गोल-गोल थे.. जैसे वो मुझे आपने पास खींच रहे हों.. और मैं उसके चूचों के पास खिंचता जा रहा हूँ।
मैंने भी देर न की.. और प्रीत के चूचों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा। फिर एक को चूसने लगा और दूसरे को एक हाथ से दबा रहा था।
ये सब करने से प्रीत और जंगली हो उठी और उसकी सिसकारियाँ और भी तेज हो गई थीं। हम दोनों को किसी बात का डर तो था नहीं कि किसी को आवाज सुनाई दे.. तो हम दोनों ही बिंदास एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
मेरा लण्ड तो अभी से ही प्रीत की चूत में जाने के लिए बेकाबू हो गया था। प्रीत भी मेरे लण्ड को सहला रही थी और उसने मेरे लोअर को थोड़ा सा नीचे भी कर दिया था।
मैंने भी नीचे अंडरवियर नहीं पहनी थी.. तो प्रीत सीधा मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी थी। मेरे लण्ड पर उसका हाथ लगने से मुझे और भी बहुत अच्छा लग रहा था और लौड़ा बहुत टाइट भी हो गया था।
हम दोनों ने एक-दूसरे के सारे कपड़े निकाल दिए।
यारो.. जब मैंने प्रीत को फिर से बिना कपड़ों के देखा तो ऐसा लग रहा था कि कोई परी बिना कपड़ों के मेरे सामने है। मुझसे रहा नहीं गया.. मैं एक बार फिर से उसके गोरे-चिट्टे बदन को देखता ही रह गया। जब मुझे होश आया तो उससे एकदम से चिपक गया और कसके उसे अपनी बाँहों में दबा लिया.. जिससे प्रीत की चूत पर मेरा लण्ड रगड़ रहा था।
मैंने अब देर नहीं की और प्रीत को गोद में लेकर गद्दे पर उसको पीठ के बल लेटा दिया। उसके पूरे बदन पर जोर-जोर से चुंबनों की बारिश कर दी.. जिससे प्रीत चूत चुदाने के लिए तैयार हो गई। मैं कभी उसके पेट को चूमता.. तो कभी उसके चूचों को.. तो कभी उसकी जाँघों को चूमता। जब मैं उसकी जाँघों को अपने होंठों से चूमता हुआ उसकी चूत के पास जाता.. तो प्रीत की सिसकारियाँ और भी तेज हो जातीं।
इतने में प्रीत बोली- यार क्या हो तुम.. सच में अगर किसी लड़की का सेक्स करने का मन भी नहीं होगा.. तो तुम उसको भी अपने इस प्यार के जादू से अपने वश में कर लोगे। मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है.. मुझे तो बस प्यार करना आता है। ‘आह्ह.. सच में तुम बहुत प्यारे हो..’
मैंने कहा- एक बात बताओगी.. अगर मुझे तुम्हारे यहाँ और किसी भाभी के साथ सेक्स करना हो.. तो तुमको कोई दिक्कत तो नहीं है.. साथ ही मुझे कुछ तुम्हारी मदद भी चाहिए हो? प्रीत बोली- तुमको जो करना है करो.. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.. पर मेरी भी एक शर्त है। मैंने कहा- शर्त.. ठीक है बोलो जी क्या शर्त है?
प्रीत बोली- तुमको जिसको भी प्यार करना है.. या सेक्स करना है.. करो.. मैं मदद करूँगी.. पर इस बीच मुझे मत भूलना। मैंने कहा- ओओओह.. मैं एक बात तुमको भी बता दूँ.. तुम्हारा ख्याल तो सबसे पहले ही रखूँगा मेरी जान।
दोस्तो, प्रीत अब मेरे काबू में थी और मुझे उम्मीद थी कि नेहा की चूत भी आसानी चोद लूँगा तब भी ये कोई ऐतराज नहीं करेगी। देखते हैं आगे क्या होता है। आप अपने विचार ईमेल से जरूर भेजिए.. मुझे इन्तजार रहेगा।
कहानी जारी है। [email protected]
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