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कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि किस तरह मैंने अपने घर के सामने दीक्षा नाम की एक लड़की को पटा लिया और उसको चोदने की तैयारी में जुटा था।
मैंने जैसे ही एक हाथ उसकी निक्कर में डाला तो उसने झट से मेरे हाथ को बाहर निकाल दिया। मैंने पूछा- क्या हुआ? उसने कहा- मुझे उंगली पसंद नहीं है। मैंने कहा- डार्लिंग तुमको कुछ भी करना हो चलेगा.. लेकिन सनी का इगो हर्ट नहीं करने का।
मैंने उसको उसी के बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया.. और उसकी चिकनी टांगों को सहलाने लगा।
मैं ऊपर खिसकता गया.. अब मेरे दोनों हाथ उसकी निक्कर पर आ गए, मैंने निक्कर पकड़ी और नीचे खींच दे।
निक्कर आउट और चूत बाहर!
मैंने देखा कि चूत थोड़ी काली थी। मैंने सीधे छेद में उंगली करनी चालू कर दी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया.. तो मैंने कुछ सोचा और फिर से उसके ऊपर चुम्बन करने के लिए आ गया।
कुछ मिनट चुम्बन करके मैंने उससे कहा- अब तुम्हारी बारी.. तुम मुझे किस करो। वो भी मुझे किस करने लगी।
फिर मैंने उसके मम्मों को चूसने का काम चालू कर दिया, वो एकदम से बहुत तप गई। मैंने अपने कपड़े उतारे.. पर अंडरवियर नहीं निकाली और बेड पर पीठ के ब़ल लेट गया।
मैंने उससे कहा- मेरी अंडरवियर खींच ले.. और देख तुझे कौन सा आइटम चोदने वाला है.. वो पहले शरमाई- मैं नहीं करूँगी। उसने जैसे ही ये कहा.. मैंने पूछा- क्या नहीं करोगी? ‘अभी जो कर रहे हो वो..’ मैंने कहा- अब तुम्हारा बाप भी आएगा तो तुम्हें चोदने से नहीं रोक सकता.. अगर दर्द सहना नहीं चाहती हो तो अंडरवियर निकालो.. और मैं जैसा कहता हूँ.. वैसा करो।
फिर वो मेरे पास आ गई.. घबराते-घबराते उसने मेरी अंडरवियर पकड़ी और नीचे खींच दी।
अब तक मेरी अंडरवियर दो बार गीली हो चुकी थी.. उसने आँखें बंद कर ली थीं।
मैंने उसका हाथ लिया और कहा- अपने पेलू यार को नहीं देखोगी? उसका हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. तो उसने झट से पीछे खींच लिया.. तो मैंने उसको उसी के बिस्तर के पास बैठा दिया और उसके मुँह के पास लंड ले गया।
मैंने उससे कहा- अब तो आँखें खोलो.. और लो केला चूसो। यह सुनते ही बोली- मुझे ये पसंद नहीं। मैंने उससे कहा- क्यों इन्कार करती हो.. तुम जानती हो कि मैं जो चाहता हूँ.. वो करता हूँ.. तो अब जल्दी से मुँह में लो और चूसो.. चलो जल्दी..
वो कुछ भी नहीं बोली।
मैंने कहा- मुँह खोलो।
उसने आँखें बाद ही रखी और मुँह खोल दिया। मैंने उसके मुँह में लंड घुसेड़ दिया और उसके हाथ से लंड को आगे-पीछे करने को कहा।
वो धीरे-धीरे कर रही थी। मेरा लंबे और मोटे लंड को देख कर वो घबरा गई और खड़ी हो गई।
उसके हाथ कांपने लगे.. मैंने उसे उठाया बिस्तर पर बिठाया।
उससे कहा- अपनी आँखें खोलो और देखो बहाने मत करो।
मैंने उसे जबरदस्ती लौड़ा देखने के लिए मजबूर किया। उसने देखा और फिर आँखें झुका लीं। अब मैंने उसे लिटा दिया और पास में पड़ी उसकी ओढ़नी से उसके हाथों को बिस्तर से बाँध दिया।
अब मैंने उसकी चूत में उंगली करनी चालू कर दी.. वो तड़पने लगी.. पर मैं नहीं रुका।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उससे कहा- अब तुम आखिरी बार अपनी कुंवारी चूत को देख लो.. मैं तुम्हें ठोकने जा रहा हूँ।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया। उसने कहा- जरा धीरे से करना..
मैंने लंड के आगे का सिरा उसकी चूत की फांकों में दबा दिया.. तो वो एकदम से चिल्ला उठी।
मैंने कहा- अभी शुरूआत भी नहीं हुई और तुम चिल्लाने लगीं।
मैंने फिर से लंड को चूत पर जोर से दबा दिया और दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया था.. ताकि वो ऊपर को ना खिसके।
मेरे लंड का मुँह उसकी चूत के अन्दर था.. और मैंने एक हल्का सा झटका लगा दिया।
वो रोने लगी.. मैंने कहा- क्या हुआ? उसने कहा- बहुत दर्द हो रहा है।
मैं उसे चुम्बन करता रहा। कुछ पलों बाद फिर से अचानक एक जोर का झटका लगा दिया.. वो और जोर से चिल्ला उठी। अबकी बार मैंने बिना रुके एक और झटका दिया.. तो मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी चूत के अन्दर जड़ तक जा चुका था।
कुछ देर बाद मैं आहिस्ता-आहिस्ता उसे चोदने लगा।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और देखा कि उसकी चूत से थोड़ा खून आ रहा है। मैंने उससे कहा- मुबारक हो.. अब तुम वर्जिन नहीं रही हो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने लण्ड निकाल कर कंडोम चढ़ाया और फिर मैं फिर से लौड़े को उसकी चूत में अन्दर डालने लगा। वो चिल्ला रही थी.. मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख कर उसका मुँह बंद कर दिया.. और नीचे से लंड अन्दर डालने लगा।
ये तो मैंने अच्छा किया था कि उसके हाथ को बाँध कर रखा था। मैंने पूरा लंबा लंड उसकी चूत की जड़ तक अन्दर घुसेड़ दिया था।
मैंने कहा- पहली बार दर्द होता है.. सह लो थोड़ा सा..
उसकी लगातार चीखें आ रही थीं तो मैंने उसी की निक्कर उसके मुँह में डाली और धीरे-धीरे शॉट लगाना चालू कर दिए।
मेरा अंदाजा गलत निकला था.. कि उसे तकलीफ कम होगी। वो बहुत रो रही थी.. और मेरे शॉट चालू थे। मैं पूरी तरह से उस पर हावी था। उसने अपना बदन एकाएक अकड़ा लिया और वो झड़ गई थी।
पर अभी मैं कहाँ झड़ पाया था। मेरे शॉट चालू थे.. मेरा इंजिन बहुत तेज हो गया था। मेरे शॉट से उसके कबूतर जोरों से हिल रहे थे।
जैसे मेरी स्पीड बढ़ रही थी उसके चूचे भी तेज तेज हिलते जा रहे थे। मैंने उसकी चूत की पूरी तरह से वाट लगा दी थी।
उसके बिस्तर पर बहुत खून फ़ैल गया था.. पर मैंने चोदना जारी ही रखा। वो तीन बार झड़ चुकी थी.. फिर मैं भी झड़ गया।
उसे पूरी तरह से चोद कर मैंने अपनी हवस बुझाने की कोशिश की। मैंने लंड बाहर निकाला.. तो चूत से खून आ रहा था। मैंने उसी की तौलिया से उसे साफ़ किया.. और उसके हाथ खोल दिए।
मैं खुद बहुत निढाल हो चुका था तो उसी के पास पड़ा रहा। वो उठी और लंगड़ाते हुए बाथरूम में गई.. चूत को धोया.. और बाहर आकर कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा- अभी मत पहनो.. काम अधूरा मत छोड़ो.. अभी बहुत कुछ बाकी है.. अभी तो तुम्हारी गाण्ड मारनी बाकी है.. आ जाओ।
ऐसा कह कर मैंने उसे अपने लंड के पास आने का इशारा किया। फिर भी वो कपड़े पहनने लगी.. तो मैं उसके कबूतरों को मसलने लगा।
अभी तो सिर्फ एक घंटा ही हुआ था.. सारी रात अभी बाकी थी। मैंने उसे कुतिया की तरह बिस्तर पर बना दिया और उसकी गाण्ड पर अपना लंड रख दिया।
मैंने कहा- अपना मुँह बंद रखना क्यूंकि आगे जितना दर्द नहीं हुआ.. उससे कहीं गुना ज्यादा दर्द अब होगा।
वो फिर से रो पड़ी.. मैंने ध्यान नहीं दिया और अपना मोटा हथियार उसकी गाण्ड में ठोकता चला गया। वो बहुत चिल्लाई.. पर मैंने उसका मुँह दबाया.. और उसकी गाण्ड मारनी चालू रखी।
थोड़ी ही देर में मैं उसकी गाण्ड में झड़ गया। उसकी गाण्ड मारते समय मैंने कंडोम नहीं लगाया था। जब उसकी गाण्ड में लंड था.. तो वो भयंकर रो रही थी।
मैंने उससे कहा- निकिता को भी चोदना है.. तुम मेरी सहायता करोगी? उसने कहा- अभी वो कच्ची है।
मैंने कुछ नहीं कहा.. पर उसकी गाण्ड जवाब दे रही थी। उसने कहा- ठीक है.. मैं उससे पूछती हूँ।
मैंने उसकी गाण्ड और जोर से बजानी शुरू की तो वो जवाब देने लगी- ठीक है तुम जैसा चाहोगे.. मैं करूँगी।
उस रात मैंने एक बार उसकी गाण्ड और दो बार चूत का काम लगाया।
सुबह के 3.30 बजे.. तो वो सोने की जिद करने लगी। मैंने कहा- ठीक है नंगे ही सोयेंगे। वो तैयार हो गई.. हम सो गए। उसके कबूतर दबा-दबा कर मैंने लाल कर दिए थे।
सुबह 7 बजे दूध वाला आया.. तो मेरी नींद खुली।
देखा कि दीक्षा बिस्तर पर नहीं थी.. नीचे जाकर देखा तो दूध लेकर वो चाय बना रही थी। उसकी चाल कुछ लंगड़ी सी थी।
मैंने पूछा- तुम ऐसी क्यों चल रही हो? ‘तुम्हारी वजह से..’ मैंने कहा- मैंने क्या किया?
‘आगे इतना नहीं है.. पर पीछे से बहुत दर्द हो रहा है..’ मैंने कहा- पीछे फिर से एक बार इंजेक्शन देना पड़ेगा।
वो हँस पड़ी।
अब तो सिर्फ निकिता का इंतजार है…छोटा एटम बम्ब है.. पर आवाज बड़ी जोर की करेगा।
निकिता एकदम पतली थी.. दीक्षा से थोड़ी सी हाईट ज्यादा होगी.. पर आइटम एकदम झकास है। एक दिन उसे भी चोद कर रहूँगा.. वो भी वर्जिन ही है।
मुझे आप जल्दी से अपने कमेंट्स मुझे ईमेल से भेजिएगा। [email protected]
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