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मेरा नाम दीपक है (बदला हुआ नाम)। मैं अलीगढ़ से हूँ.. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मेरी लंबाई 5 फीट 9 इंच है.. रंग साफ़ है.. मैं दिखने में स्मार्ट लगता हूँ।
मैं अन्तर्वासना का चार वर्षों से नियमित पाठक हूँ.. बहुत सारी कहानी पढ़ने के बाद मैंने सोचा कि मुझे भी आप बीती लिखनी चाहिए.. सो मैं लिख रहा हूँ।
बात 2005 की है.. जब मैं 12वीं में था.. हमारे मोहल्ले से तीन लड़कियाँ ट्यूशन के लिए जाती थीं.. जिनका नाम था मोनिका.. सोनू और मेघना… मुझे इनमें से मोनिका बहुत पसंद थी, जब उनका आने जाने का टाइम होता.. मैं भी उनको देखने लिए गली के बाहर खड़ा हो जाता।
मोनिका एक सुंदर और बहुत ही सेक्सी दिखने वाली लड़की थी.. उसका फिगर 34-28-34 का रहा होगा। मैं उसको बहुत पसंद करता था और शायद वो भी मुझे पसंद करती थी।
यह सिलसिला करीब दो महीने चला.. फिर एक दिन जहाँ पर वो ट्यूशन पढ़ने जाती थी.. मैं वहाँ पहुँच कर उसका इंतज़ार करने लगा। करीब एक घंटे के बाद वो तीनों सहेलियाँ आईं.. उसने मुझे देख लिया था। उसने अपनी सहेलियों से कहा- तुम लोग आगे चलो.. मैं आती हूँ।
वो मेरे पास में आई और गुस्से में बोली- तुम यहाँ भी आ गए? मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।
कुछ सोचने के बाद बोली- मैं तुम्हें कल 11 बजे नक़वी पार्क में मिलती हूँ.. वहाँ पर बात करेंगे। मैंने कहा- ठीक है.. मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।
मैं अपने घर पर आ गया। खाना खाकर सोने चला गया.. मगर मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी। मैं बस यही सोच रहा था कि जब वो मुझसे मिलेगी.. तो मैं उससे बात कैसे करूँगा और कहाँ से शुरू करूँगा।
सब सोचते-सोचते पता नहीं कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि 9:00 बज गए.. मैं जल्दी से उठा और फ्रेश हुआ और नहा-धोकर तैयार हुआ। थोड़ा बहुत नाश्ता किया और जल्दी से अपनी मंज़िल की ओर चल दिया।
मुझे वहाँ पहुँचते-पहुँचते करीब आधा घंटा लग गया। वहाँ पर मैं 10:45 बजे तक पहुँच गया था.. थोड़ा जल्दी आने की वजह से मैं यहाँ वहाँ घूमता रहा।
जब घड़ी की तरफ देखा कि अब टाइम हो गया है.. तो जल्दी से मेन गेट पर पहुँच गया और उसका इंतज़ार करने लगा। मुझे इंतज़ार करते-करते 45 मिनट हो गए.. लेकिन उसका कोई अता-पता ही नहीं था। मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन मैं सिवा उसके इंतज़ार के और कर भी क्या सकता था।
वो 12:30 बजे आई.. उसको देखकर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो किसी बला की खूबसूरत परी लग रही थी, वहाँ सबकी नज़रें उसी पर टिकी हुई थीं, उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था।
वो मेरे पास आई और मुझसे बोली- सॉरी, मुझे आने में ज़रा देर हो गई।
सच बताऊँ दोस्तो, उस वक़्त मुझे जितना गुस्सा आ रहा था.. वो सब गायब हो गया और मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान सी आ गई। मैंने भी उससे झूठ कह दिया कि मैं भी अभी आया हूँ।
मैंने उससे कहा- यार, तुम तो मेरी जान ले लोगी। तो वो बोली- क्यूँ क्या हुआ? मैंने कहा- तुम इतनी सुंदर लग रही हो कि मन कर रहा है कि बस तुमको ही देखता रहूँ।
वो बोली- मेरी तारीफ करना बंद करो और बताओ कि तुम्हें मुझसे क्या बात करनी है? मैंने कहा- ज़्यादा जल्दी है क्या? वो बोली- नहीं.. मैंने कहा- चलो न.. चलते-चलते बात करते हैं। वो बोली- ठीक है..
फिर हम चलते-चलते बात करने लगे और मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी.. जो मेरे दिल थी। मैंने उसको बोला- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। वो बोली- कल शाम को तुम कह रहे थे कि मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ.. और अब कह रहे हो कि प्यार करते हो.. सही बताओ बात क्या है?
मैंने कहा- मैं हर समय तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ। बोली- अच्छा.. क्या सोचते हो मेरे बारे में? मुझे ये बात कुछ भद्दी सी लगी.. सो मैंने कह दिया- मैं तुमसे प्यार करता हूँ.. अगर तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए थोड़ी सी जगह है.. तो ठीक है.. नहीं तो कोई बात नहीं और मैं एक तरफ जाकर बैठ गया।
वो मेरे पास आई और मुझसे बोली- आई लव यू दीपक.. मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. मैं तो बस तुम्हें चिढ़ा रही थी। मैंने कहा- सच कह रही हो या झूठ? बोली- अगर झूठ कह रही हूँ.. तो भगवान अभी मेरी जान ले ले।
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके गले पर चूमने लगा। उसने भी मुझको ऐसे पकड़ रखा था कि कहीं मैं उससे छूट कर भाग ना जाऊँ।
हम दोनों ने अपने आपको संभाला और चारों तरफ देखा कि सब ठीक है, फिर हम चलते-चलते बात करने लगे। मैंने अपनी जेब से एक गिफ्ट निकाला.. जो मैं कल शाम को ही खरीद लाया था, मैंने उसको ये कहते हुए दिया- यह मेरी तरफ से हमारे प्यार की शुरूआत के लिए..
वो उसे खोलकर देखना चाह रही थी.. मगर मैंने उसे मना कर दिया- यहाँ नहीं अपने घर जाकर खोलना।
उसने मेरी बात मान ली और मुझे एक फ्लाइंग किस दी। थोड़ी देर के बाद हम दोनों वहाँ से निकल लिए.. दूसरी बार मिलने का वादा करके। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
जब वो जा रही थी.. तो मैं उसे ही देखता रहा.. जब तक कि वो मेरी आँखों से ओझल नहीं हो गई। फिर मैं भी अपने घर आ गया।
घर आकर फिर वही शाम को खड़े हो जाना.. उसको देखना और देखकर मुस्कुराना.. फिर उसका मुस्कुराना। यही सब कोई 3 या 4 महीने चला।
इसके बाद मोनिका संग क्या-क्या हुआ इस सब को मैं अगले पार्ट में लिखूंगा.. साथ बने रहिए.. मुझे अपने मेल कीजिए.. कल मिलते हैं। [email protected]
कहानी का अगला भाग: मेरी लव स्टोरी.. मेरा पहला प्यार-2
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