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मेरा नाम पूजा है.. मैं अपनी कहानी शुरू से सुनाना चाहती हूँ.. उस वक्त से.. जब मैं एक सीधी-साधी लड़की थी। मेरे घर में मम्मी-पापा एक छोटा भाई है।
मेरी एक सहेली जिसका नाम विभा है.. हम दोनों एक साथ कॉलेज में पढ़ती हैं। वो बहुत ही चुदक्कड़ है.. तथा रोज नए लण्ड से चुदती है। मैं भी उसके रंग में पूरी तरह से ढल चुकी थी, मैंने भी मन ही मन चूत चुदवाने का सोच लिया था। आख़िरकार वो दिन आ ही गया.. जिस दिन का इंतजार था।
मैं कॉलेज से लौट कर घर पर बैठी थी.. अचानक याद आया कि विभा मेरा मोबाइल ले कर चली गई।
मैंने उसके घर पर पहुँच कर घन्टी बजाई आंटी ने आकर दरवाज़ा खोला। मैंने आंटी को नमस्ते किया और सीधे विभा के कमरे में चली गई।
मैंने देखा कि विभा लेटी हुई थी.. मुझे देख कर उसने मुँह घुमा लिया।
मैंने पूछा- क्या बात है विभा, मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ। यह सुनते ही वो बैठ गई और कहने लगी- हाँ तू मदद कर सकती है। ‘मैं क्या मदद कर सकती हूँ?’
वो बोली- यार आज मेरी चुदाई नहीं हो पाई है.. मेरी चूत लण्ड मांग रही है.. ‘अच्छा आज़ तेरी चूत को लण्ड नहीं मिला.. इसलिए इतना तड़प रही है.. मेरी चूत से तो पूछ.. इसने तो अभी तक लण्ड के दर्शन ही नहीं किए हैं।’
वो मेरी बात सुनकर समझ गई कि मेरी चूत भी लण्ड मांग रही है, वो उठकर मेरे नजदीक आई और मेरी चूचियों को दबाने लगी। मैंने उसकी इस हरकत पर कुछ भी नहीं कहा तो उसने मेरे होंठों पर होंठ रख कर मुझे चूमना चालू कर दिया।
अब हम दोनों चालू हो गई, मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं ‘ओह्ह..आह्ह..’ मैं बोली- साली रंडी.. तू तो कल किसी लड़के के लण्ड से आग बुझा लेगी.. पर मेरी चूत के बारे में तो सोच.. रंडी मादरचोदी.. वो बोली- कल तू भी आ जाना बहनचोद..
मैं खुश हो गई।
‘कितने समय आना है?’ ‘ठीक 3 बजे.. घर पर कोई नहीं रहने वाला है.. तो कल मैंने दो लौंडों को बुला लिया है..’ मैं- आंटी नहीं रहेंगी? तो बोली- कल कोई घर पर नहीं होगा।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गई और एक-दूसरे की चूत चाटने लगी। चूत चाटते वक्त कोई चूत की गुर्दी से जीभ टच करे.. तो मानो जान ही निकल जाती है, उस वक्त तो समझो चूत लण्ड लेने के लिए मुँह फैला देती है।
कुछ देर बाद हम दोनों का पानी निकलने लगा.. हम दोनों ने एक-दूसरे का पानी पी लिया और दोनों शान्त हो गई। अब विभा बहुत खुश लग रही थी। कुछ देर रुकने के बाद मैं अपना मोबाइल लेकर घर चली आई।
रात को खाना खा कर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई और आने वाले कल की चुदाई के बारे में सोचने लगी।
चुदाई के बारे में सोचते ही मेरी चूत लण्ड लेने के लिए मुँह फैलाने लगी.. और कुछ देर तक चूत में उंगली करने के बाद उसने पानी छोड़ दिया, मैं सो गई। सुबह 8 बजे उठ कर मैं घर का काम करने लगी, मुझे सब काम निबटाने के बाद इन्तजार था.. आज की चूत चुदाई का।
फिर देखा कि 2 बज गए हैं, मैं तैयार होकर मम्मी से विभा के घर जाने की बोल कर निकल गई और विभा के घर पर पहुँच गई।
मैंने देखा कि दो लड़के वहाँ थे। मैं खुश हो गई कि आज मेरी चूत को भी लण्ड मिल ही जाएगा।
मैं अन्दर कमरे में जाकर बैठ गई.. तो एक लड़के सुदर्शन ने आकर मेरी चूचियों को मसलना चालू कर दिया। मेरे शरीर को कोई मर्द पहली बार टच कर रहा था.. तो मुझे थोड़ी शर्म आने लगी।
तभी मैंने देखा की विभा शराब की बोतल और गिलास नमकीन वगैरह की ट्रे ले आई.. उसने पैग बनाए और सुदर्शन और राकेश को गिलास उठाने का इशारा किया उन दोनों ने गिलास उठाए और चीयर्स बोल कर शराब चुसकने लगे।
विभा ने एक गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया और खुद एक गिलास उठा लिया।
मैंने गिलास लेकर मुँह से लगा कर पहला घूँट लिया ही था.. पर शराब के कड़वे स्वाद के कारण वो मेरे गले से उतर ही नहीं रही थी। उन तीनों की जिद के चलते मैंने पूरा गिलास हलक के नीचे उतार लिया।
मुझे थोड़ा सुरूर चढ़ने लगा और फिर किसी तरह से मैंने तीन पैग पी लिए। हम सभी एक-दूसरे से गंदे चुटकले और जिस्मों से छेड़छाड़ करते हुए कुछ देर तक बैठ कर बातें करने लगे।
इतने में विभा ने राकेश का के पैंट की ज़िप को खोल दिया और उसके खड़े हो चुके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर मसलने लगी।
मुझे दारू का असर होने लगा था.. बहुत ही मस्ती चढ़ रही थी, सुदर्शन मेरी चूचियों को सहलाने लगा फिर मसलने लगा।
मैंने भी दारू के नशे में शर्म-हया सब पीछे छोड़ दिया, मैं टांगें फैला कर सुदर्शन की गोद में छाती से छाती लगा कर बैठ गई, उसको बांहों में लेकर चुम्बन करने लगी।
सुदर्शन पूरे मूड में आ गया.. उसका लण्ड तन गया, उसके खड़े लण्ड ने मेरी चूत से स्पर्श किया तो मेरे जिस्म में खुशी की ल़हर दौड़ गई। सुदर्शन एक हाथ से मेरी चूचियाँ दूसरे हाथ से मेरी चूत को मसल रहा था।
तभी मैंने देखा कि विभा तो अपनी चूत में राकेश का लण्ड ‘गपागप’ लेने लगी थी, उसके मुँह से आवाजें निकलने लगी थीं।
मैं नशे के जोश में सुदर्शन के ऊपर हावी हो गई.. उसके एक-एक करके सारे कपड़े उतार दिए.. वो केवल अंडरवियर में रह गया था। मैंने उसकी अंडरवियर भी नीचे खींच दी और उसका लण्ड निकाल लिया।
उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह के पास किया.. तो मैं उसके खड़े लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। वो भी मेरे कपड़े उतारने लगा, मैंने कपड़े उतारने में उसको सहयोग दिया.. मुझे खुद अपनी चूत चुदवाने की जल्दी हो रही थी। एक मिनट से भी कम समय में मैं ब्रा-पैंटी में आ गई थी।
मैं उसके लौड़े को चूसते हुए उछलने सी लगी थी जिससे मेरी किसी रंडी की तरह चूचियाँ हिलने लगीं।
सुदर्शन ने मुझे इस कामुक अवस्था में देखते ही मुझको बिस्तर पर गिरा दिया, उसने उत्तेजना में आकर मेरी पैंटी और ब्रा को फाड़ दिया और मेरी चिकनी चूत चाटने लगा।
मेरी चूत लण्ड के लिए मुँह फैलाने लगी.. मैं भी ज़ोर-जो से कहने लगी ‘अब रहा नहीं जा रहा.. साले पेल दे लण्ड.. मेरी चूत में..’
वो लण्ड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा.. मैं सुपारे की गर्मी को चूत के मुँह पर पाकर तड़पने लगी। चुदास के चलते मैं बड़बड़ाने लगी थी। ‘आह्ह.. चोद भी दे साले.. रंडी.. बना ले रखैल बना ले अपनी..’
मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी.. तो चूत रसीली थी। तब भी सुदर्शन ने अपने लण्ड पर थूक लगा कर मेरी चूत पर रखा.. तो मैं बोली- सील टूटने की आवाज़ सुनाई देनी चाहिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने चूत पर झटका मार दिया.. उसका मोटा लण्ड 3 इंच चूत में घुसता चला गया। मेरे मुँह से एक तेज आवाज़ निकली- आआईए.. मररर..गग्गगीई..
वो रुक गया.. मेरी चूत से खून की धार निकल पड़ी, विभा मेरे पास सरक आई और मेरी चूचियाँ सहलाने लगी, वो मुझे चूमने लगी।
मैंने देखा कि राकेश अब भी उसको पीछे से चोद रहा था।
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हो गया तो मैं अपने चूतड़ उछालने लगी।
सुदर्शन समझ गया कि मेरी चूत का दर्द कम हो गया है तो उसने एक ज़ोर का झटका मारा, उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसता हुआ मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। मेरी आँखों से पानी और मुँह से चीख निकलने लगी.. विभा अपने मुँह से मेरा मुँह बंद किए हुए थी।
सुदर्शन ने चोदना चालू कर दिया, मेरे मुँह से अब भी चीखें निकल रही थीं ‘ओह्ह.. म्म्माररर ग्गगईई.. म्म्महआऐईए..’
करीब 15 मिनट के बाद दर्द मीठा होने लगा.. मुझे मजा आने लगा.. तभी विभा झड़ने लगी.. उसने अपनी चूत मेरे मुँह में लगा दी.. इसी के साथ राकेश ने भी अपना लण्ड मेरे मुँह में ठेल दिया मैं राकेश का लण्ड अपने मुँह में लेकर उसको मुँह से चोदने लगी।
उसी समय में बार-बार राकेश का लण्ड चूसती.. कभी विभा की चूत में अपना मुँह लगा देती। विभा का नमकीन पानी मेरे मुँह में गिरने लगा और मैंने विभा की चूत का पानी पी लिया। नीचे मेरी चूत को सुदर्शन धकापेल चोदता ज़ा रहा था।
मैं भी अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर सुदर्शन के लौड़े से दम से चुदवा रही थी। इसी बीच में एकदम से अकड़ उठी और मेरा पानी निकल गया, सुदर्शन अभी भी तेज झटके मार रहा था।
मेरी चूत के गरम पानी के अहसास से सुदर्शन भी कुछ ही मिनट के बाद झड़ गया। उसके लवड़े ने मेरी चूत में अपना गाढ़ा पानी उगल दिया.. वो थक कर मेरे ऊपर ही गिर गया।
इस सबके बाद मेरा लौड़े खाने का शगल हो गया। चूत चुदाते हुए मैं काल गर्ल के धन्धे में कैसे पहुँच गई.. ये मैं आप सभी को बाद में बताऊंगी.. अभी धंधे का वक़्त हो गया है। एक ग्राहक अपना लण्ड हाथ में लिए मुझे चोदने को तैयार खड़ा है।
बस आप मुझे ईमेल लिखिए.. मैं फिर से आपके पास आऊँगी। [email protected]
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