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हम ये बातें कर ही रहे थे कि जसबीर हल्के से भिड़े दरवाज़े को खोल कर अपनी सहेलियों के साथ अंदर आ गई। जसबीर के साथ आई लड़कियाँ वही थी जो मेरे सामने बैठी थी खाना खाते हुए और जो मुझ से पैरों से छेड़ छाड़ कर रही थी।
ध्यान से उन दोनों को देखा तो वो काफी स्मार्ट और सुंदर लगी लेकिन उनमें से रिया थोड़ी मोटी थी लेकिन उसके शरीर के सारे अंग बढ़िया लग रहे थे। मैंने मौसी की तरफ देखा तो उसने मुझ को आँख मार दी और कहने लगी- सोमू भैया, तुम्हारे साथ तो यही कहावत चरितार्थ है कि चल गुरु हो जा शुरू!
तीनों लड़कियाँ अब मेरे साथ चिपकने लगी और जसबीर कोशिश कर रही थी कि उन दोनों नई लड़कियों के मन में समाई झिझक को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए।
मैं पहले रिया को चूमता रहा और फिर बाद में चांदनी के साथ भी चूमा चाटी शुरू कर दी। उन दोनों की स्वाभाविक जिझक को जसबीर ने दूर कर दिया।
मैं तो नंगा घूम ही रहा था लेकिन अब जस्सी भी अपने कपड़े उतार कर मेरे लौड़े के साथ खेलने लगी और मैं भी उसकी काली झांटों में अपनी ऊँगली को घुमाने लगा और उसके निप्पल को चूसने लगा तो उन दोनों नई लड़कियों की झिझक काफी हद तक समाप्त हो गई।
जस्सी ने आँख मारी तो मैंने चांदनी को पकड़ लिया और उसके कपड़े एक एक कर के उतारने लगा और मैंने स्वयं ही उसका हाथ अपने खड़े लण्ड पर रख दिया। चांदनी मेरे लण्ड को दबाने लगी और उसको अपनी मुठी में रख कर ऊपर नीचे करने लगी।
जब चांदनी का आखिरी कपड़ा यानि उसकी रेशमी सलवार उतर गई तो मैंने उसको थोड़ा दूर करके उसकी सुंदरता को निरखने और परखने लगा। काफी सुंदर लड़की लगी वो मुझ को और उसके छोटे लेकिन एकदम गोल स्तन और छोटे ही चूतड़ों ने मुझको एकदम पागल कर दिया।
उसकी चूत पर छाई काले बालों की लताएँ काफी घनी और गहरी थी और चूत और गांड तक फैली हुई थी और थोड़ी बहुत उसके स्पॉट पेट पर आ चुकी थी।
मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और सारे कमरे का एक चक्कर भी लगा डाला। उधर जस्सी रिया के साथ लगी हुई थी और उसको वस्त्रहीन करके अब वो उसको लबों पर चूम रही थी।
रिया का शरीर भी काफी भरा-पूरा था, उसके मम्मे काफी बड़े और गोल और सॉलिड लग रहे थे और उसके चूतड़ काफी बड़े लेकिन चौड़े और सॉलिड लग रहे थे।
जस्सी रिया को लेकर मौसी वाले पलंग पर पहुँच चुकी थी और मौसी भी अब रिया के चूतड़ों और उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसे गर्म करने की कोशिश कर रही थी। जस्सी भी मौसी के गोल मोटे मम्मों को छेड़ रही थी ताकि उनको यह एहसास ना हो कि कोई भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था।
चांदनी को थोड़ी देर मैंने लबों पर चूमा और फिर उसके मम्मों की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और उंगलियों से उसकी भग को भी मसला।
चांदनी अब काफी गरम हो चुकी थी और मेरे लौड़े को खींच रही थी जैसे इशारा कर रही हो कि चढ़ जाऊँ मैं उसको घोड़ी बना कर।
मैंने उसको पलंग पर बिमला मौसी के साथ लिटा दिया और खुद उसकी टांगें चौड़ी कर के उनके बीच में बैठ कर अपने लौड़े को उसकी बालों से पूरी तरह से ढकी हुई चूत के मुंह पर रख दिया और धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत और भग के ऊपर रगड़ने लगा।
चूत पर इस तरह की लण्ड रगड़ाई से चांदनी के चूतड़ अब ऊपर उठने लगे और मैंने भी उसकी पनियाई चूत में लण्ड का धक्का मारा लेकिन यह क्या… मेरा लण्ड अंदर नहीं जा सका। ऐसा लगा जैसे कि उसकी चूत में कुछ अटका हुआ है और रूकावट पैदा कर रहा है जो लण्ड को आगे नहीं जाने दे रहा है।
मैंने पुनः कोशिश की लेकिन फिर वही अवरोध महसूस हुआ। अब मैंने लण्ड की जगह अपनी ऊँगली चूत में डाली तो वो बिना किसी रूकावट के अंदर चली गई और कुछ देर में अपनी उंगली चांदनी की चूत में अंदर बाहर करता रहा।
अब फिर मैंने उसको थोड़ी देर लबों और मम्मों पर चूमा और चूसा और फिर उसकी चूत के मुख पर लण्ड को निशाने पर बैठाया और एक जोर का धक्का मारा लेकिन लण्ड फिर बाहर ही रुक गया क्यूंकि ऐसा लगा कि चांदनी की चूत की मांपेशियाँ एकदम सख्त होकर चूत को बंद कर देती थी।
बिमला मौसी और जस्सी मेरी तरफ काफी देर से देख रही थी और मेरे चांदनी की चूत में प्रवेश पर आ रहे अवरोध को देख और समझ रही थी।
अब मैंने चांदनी की चूत को चूसने और चाटने का निर्णय लिया और इस हेतु मैं चांदनी को जांघों में बैठ कर अपने होटों से उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ से उसकी भग के साथ खेलने लगा।
मुझको उम्मीद थी कि ऐसा करने से चांदनी की चूत में बार बार आ रही अकड़न शायद समाप्त हो जायेगी और मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में घुस पाएगा।
पांच मिनट की चूत चुसाई के बाद चांदनी को एक अति तीव्र स्खलन हुआ और उसकी चूत इतनी ढीली हो गई कि मैं अपनी 3 उंगलियों को बड़े आराम से उसमें घुसा दे रहा था और किसी किस्म की कोई रूकावट सामने नहीं आ रही थी।
अब मैंने चांदनी को घोड़ी बना दिया और उसके पीछे बैठ कर लण्ड को चूत के लबालब पानी से काफी गीला करके मैंने फिर लण्ड को चूत में डालने की कोशिश की लेकिन वो फिर से तालाबंद हो गई, ऐसा मुझ को महसूस हुआ।
अब बिमला मौसी और जसबीर भी मेरे पास आकर खड़ी हो गई और मेरी बार बार कोशिश को नाकाम होते हुए देखती रही।
अब मैंने चांदनी को छोड़ दिया और लहलहाते लण्ड के साथ खड़ा हो गया, बिमला मौसी झट से मेरे पास आई, मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसके साथ खेलने लगी और फिर वो चलते हुए कमरे के एक कोने में मुझको ले गई और कान में बोली- सोमू राजा, उसकी चूत तो लॉक हो गई लगती है। तुम ऐसा करो कि उसको घोड़ी बना कर लण्ड उसकी चूत में डालने के बजाये तुम उसकी गांड में डाल देना ऐसा करने से चांदनी का सारा ध्यान अपनी गांड पर चला जाएगा और फिर उसकी चूत का लॉक भी खुल जाएगा। ऐसा मेरा अनुमान है, कोशिश कर देखने में कोई हर्ज नहीं है।
मैंने हाँ में सर हिल दिया।
मौसी ने अब चांदनी को स्वयं घोड़ी बनाया और कुछ उसकी चूत से निकला पानी उसकी गांड पर भी लगा दिया और कुछ अपनी चूत के पानी को भी हाथ में लेकर चांदनी की गांड में लगा दिया।
अब मैं चांदनी के घोड़ी बने हुए पोज़ में उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और लण्ड को उसकी चूत पर टिका कर लण्ड को थोड़ी देर आगे पीछे करता रहा और फिर अचानक मैंने लण्ड को चूत के बजाये उसकी गांड के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा और लण्ड तड़ाक से उसकी गांड में घुस गया और चांदनी ज़ोर से बिदक पड़ी।
जस्सी और रिया ने भी चांदनी के जिस्म को कस के पकड़ रखा था जिससे वो ज़्यादा हिल नहीं पाई। जब मेरा लण्ड चांदनी की गांड में पूरा चला गया तो उसने भी बिदकना बंद कर दिया।
मैंने अब लण्ड के धीरे धीरे धक्के गांड में मारने शुरू कर दिए और जस्सी साथ ही उसके होटों पर गर्म गर्म चुंबन भी देने लगी।
धीरे धीरे हम सबने महसूस किया कि चांदनी अब काफी संयत हो गई थी और वो लण्ड की गांड की चुदाई का धीरे से आनन्द लेने लगी थी।
मौसी मेरे पास ही खड़ी थी, अब वो चांदनी की गांड पर हल्के हल्के से सहला रही थी और साथ ही उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी।
जब हम दोनों ने महसूस किया कि चांदनी अब काफी रिलैक्स हो चुकी है तो मौसी ने मुझ को इशारा किया कि चुदाई की लाइन बदल डालूं और मैंने मौका देख कर जल्दी से लण्ड को गांड से निकाल कर चांदनी की चूत में घुसेड़ दिया और यह देख कर सबने तालियाँ बजाई कि लण्ड पूरा का पूरा चांदनी की चूत में चला गया था।
गांड की चुदाई का आनन्द लेती चांदनी को पता ही नहीं चला कब उसकी चूत का ताला खोल कर मेरा लण्ड उसकी चूत की गहराइयों तक पहुँच गया था और अब मैं उसको धीरे धीरे से प्यार से चोदने लगा।
चांदनी मुड़ मुड़ कर देख रही थी कि क्या हो रहा है उसके पीछे और उसको कुछ समय लगा यह समझने में कि वो तो अपनी गांड के बजाए अब अपनी चूत चुदवा रही थी। यह जान लेने के बाद तो चांदनी एकदम से चुदाई का पूरा आनन्द लेने लगी और अपने चूतड़ों को स्वयं ही आगे पीछे करने लगी।
धीरे धीरे चुदाई को फुल स्पीड पर लाते हुए मैंने चांदनी को कम से कम 3 बार पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
चांदनी को मैंने तकरीबन सभी चुदाई के आसनों में चोदा ताकि उसकी चूत में लगने वाले ताले की समस्या को पूरी तरह से हल किया जा सके और यह देख कर सब को बहुत तसल्ली हुई कि चांदनी की चूत में दुबारा ताला नहीं लगा।
बिमला मौसी अपनी नग्नता की परवाह किये बगैर हम सबके पास आकर खूब जफ्फी और चुम्मी का आदान प्रदान कर रही थी।
मेरा लण्ड तो उसकी अपनी जागीर बन चुका था तो कोई भी लड़की उसका इस्तेमाल बगैर मौसी की आँख के इशारे के बगैर नहीं कर सकता था। फिर मैंने मौसी को उकसाया कि चांदनी की चूत के ताले का कारण क्या है, इसका तो पता लगाना चाहिए ना!
तब मौसी ने चांदनी को अपने पास बिठा लिया और उसके मम्मों और चूत में हाथ फेरते हुए उससे पूछा कि यह तुम्हारी चूत में एकदम ताला या रूकावट कैसे आ जाती है? क्या कोई ख़ास घटना हुई थी तुम्हारे साथ?
पहले तो चांदनी मौन रही थोड़ी देर और फिर वो ज़ार ज़ार रोने लगी और फिर रुआंसे लहजे में ही उसने बताया कि एक दिन उसके ताऊ के लड़के ने उसको एक दिन जब घर में कोई नहीं था तो पकड़ लिया और उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लेकिन उसके ऐसा करने से ही शायद उसकी चूत में स्थित मांसपेशियाँ एकदम अकड़ गई थी और उसकी बहुत कोशिश करने के बावजूद भी वो अपने खड़े लण्ड को उसकी चूत में नहीं डाल सका था। तब से वो कुंवारी ही थी क्यूंकि कोई भी आदमी उसकी चूत में अपना लण्ड नहीं डाल सका था अभी तक जैसे वो कोशिश करता तो वही रूकावट आ जाने से वो जल्दी उसको छोड़ देता था।
मौसी ने पूछा- लेकिन चांदनी अभी सोमू ने जब लण्ड डाला तुम्हारी चूत में तो कोई कुंवारेपन की झिल्ली नहीं फटी बल्कि जब तुम्हारे ताले की समस्या को सुलझा लिया तो सोमू का लण्ड तो आराम से चूत में चला गया था।
चांदनी ने सर झुक कर कहा- मौसी जी, जब मुझको चूत में गर्मी उठती थी तो मैं केले और खीरे का इस्तेमाल करके अपनी चूत की खुजली मिटाती थी जिससे शायद झिल्ली फट गई होगी और मुझको इसका पता ही नहीं चला। लेकिन मैंने आज तक सोमू के लण्ड के सिवाए कभी कोई लण्ड नहीं चखा है, आप सब यकीन मानिए।
बिमला बोली- वाह चांदनी, तू भी ना… कमाल की चीज़ है, चूत में ताला लगवा लिया। अच्छा चलो अब कौन बची है सोमू से चुदाई करवाने वाली? जस्सी ज़ोर से बोली- हमारी रिया बची है। बेचारी कब से अपना सब कुछ खोल कर बैठी है लेकिन सब तो चांदनी में ही मस्त हो गए थे।
मैंने आगे बढ़ कर रिया को अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके गुलाबी होटों पर मस्त चुम्मियों की बौछार लगा दी और हाथों से उस के गोल और मस्त चूतड़ों को टीपने लगा।
उसके मोटे सॉलिड मम्मे मेरी छाती में चिपके हुए थे और उसकी चूत के बाल मेरे जांघों से रगड़ खा रहे थे। उसकी चूत को हाथ लगाने पर उसके गीलेपन का एहसास हुआ तो मैंने उसको पलंग के साथ हाथ टिका कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड धकेल दिया।
लण्ड की गर्मी और उसकी सख्ती से रिया एकदम उछल पड़ी और फिर संयत होते हुए वो आराम से चुदाने लगी। उसकी सहेलियाँ जस्सी और चांदनी उसके साथ खड़े होकर उसके मम्मों और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ चला कर उसको और भी अधिक उत्तेजित करने में लगी हुई थी।
रिया इतनी देर से चुदाई का तमाशा देख रही थी तो बहुत ही ज़्यादा ही कामुक हो चुकी थी और मेरी कुछ ही मिनटों की चुदाई के बाद वो काफी तीव्र कंपकंपी के साथ स्खलित हो गई और अपने चूतड़ों को पीछे करके मेरे लण्ड के साथ पूरी तरह से चिपक गई।
अब मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और जस्सी ने आगे बढ़ कर मेरे खड़े लण्ड को रिया की चूत के मुंह पर रख दिया और मौसी ने मेरे पीछे खड़े होकर एक ज़ोर का धक्का मेरे चूतड़ पर मारा और मेरा लण्ड सीधा रिया की चूत में समा गया।
रिया की बाहें मेरे गले का हार बनी हुई थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रखे हुए थे तो रिया अब अपनी मर्ज़ी और मनचाही रफ़्तार से मुझ से चुदवा रही थी या फिर मुझको चोद रही थी।
सब लकड़ियाँ मेरे इस पोज़ को बड़ी दिलचस्पी से देख रही थी और मेरे कमरे के चक्कर में हम दोनों के साथ ही चल रही थी।
दूसरे चक्कर के खत्म होने से पहले ही रिया फिर एक बार छूट गई और अब मैंने उसको पलंग पर लिटा दिया और खुद भी उसके साथ लेट गया।
अचानक मेरी नज़र बिमला मौसी पर पड़ी जो जस्सी और चांदनी की चूतों को हाथ लगा लगा कर देख रही थी। इससे पहले मैं कुछ बोलता, मौसी बोली- अरे लड़कियो, तुमने नोट किया है कि हम में से किसी की चूत में सोमू का वीर्य नहीं दिख रहा है, ना ही वो हमारे बिस्तर की चादर में लगा दिखाई दे रहा है। उसका वीर्य भी छूटा होगा लेकिन वो गया कहाँ? क्या तुममें किसी ने उसके वीर्य का छूटना अपनी चूत में महसूस किया था?
तीनो लड़कियों ने ज़ोर से सर हिला कर इंकार किया और कहा भी कि किसी ने भी सोमू के वीर्य को अपनी योनि में महसूस नहीं किया।
अब चारों की नज़र मुझ पर अटकी थी और एक सवालिया निशान उनके ज़हन में घूम रहा था। बिमला मौसी बोली- क्यों सोमू, क्या जवाब है तुम्हारे पास इसका?
मैं हल्के से मुस्कराया और बोला- आप लोग ठीक कह रही हैं, आज की चुदाई में मेरा एक बार भी नहीं छूटा। बिमला मौसी बोली- यह कैसे हो सकता है? कोई भी आदमी जो चुदाई करता है है उसका वीर्य पतन तो लाज़मी है। फिर तुम्हारा वीर्य क्यों नहीं छूटा अभी तक?
मैं बोला- मैंने बचपन से वीर्य को ना छूटने देने की प्रैक्टिस की है जिसके कारण मैं अपना वीर्य कंट्रोल कर सकता हूँ इसी कारण मैं एक साथ कई लकड़ियों को चोद सकने में सक्षम होता हूँ। बिमला मौसी बोली- यह कैसे संभव है? यह तो प्रकृति के नियम के विरुद्ध है और यह कतई सम्भव नहीं।
मैं बोला- मौसी जी, आप सोचिये, अगर यह मैंने संभव ना किया होता तो क्या मैं आप सबको इतनी बार अकेला चोद सकता था? नहीं ना? वास्तव में मैंने अपने वीर्य के छूटने पर इतना अधिक नियंत्रण कर रखा है कि बगैर मेरी मर्ज़ी और इच्छा के मेरा वीर्य पतन नहीं हो सकता। बिमला मौसी बोली- तुम सच कह रहे हो क्यूंकि हम चारों तुमसे चुदी हैं और एक बार नहीं अपितु कई बार… हम सबको तुमने 2-3 बार स्खलन करवाया है। अच्छा तुम कब और कैसे अपने वीर्य को पतन करते हो बताओ तो सही?
मैं बोला- मैं केवल किसी स्त्री को गर्भवती करने के लिए अपना वीर्य पतन करता हूँ वर्ना किसी ऐसी चूत में वीर्य पतन करता हूँ जो हर तरह से सेफ हो और जिसको गर्भ के ठहरने से बचाव के तरीके आते हों। अब बिमला मौसी मुझको लेकर एक कोने में चली गई और मेरे कान में फुसफुसाने लगी- इसका मतलब यह है कि तुम मुझको गर्भवती कर सकते हो?
केवल मुस्करा दिया और मैंने मौसी को कोई उत्तर नहीं दिया लेकिन मौसी मुझ को कहाँ छोड़ने वाली थी, वो मेरे इर्द गिर्द घूमती रही लेकिन मैं भी पक्का बना रहा और उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, केवल मुस्कराता रहा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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