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सुबह उठकर नहा धोकर तैयार होकर नाश्ते के लिए जब हम इकट्ठे हुए तो देखा कि नेहा वाकयी घर पर ही थी और नाश्ता परोसने में सहायता कर रही थी। नेहा मुझे देखकर मुस्कुराती और जानबूझ कर अपने अंग का प्रदर्शन करती। नीलेश भी ये सब देख रहा था। शिखा भी काम नहीं थी, कल रात की घटना के बाद उसका व्यवहार बहुत बदला हुआ था, वो मेरे सामने ऐसे बैठी थी कि मैं उसे ही देखता रहूँ।
नाश्ते के बाद मैं नीलेश को अपने साथ सिगरेट पिलाने बाहर ले गया। जब हम एक गुमटी पर रुके तो मैंने नीलेश से कहा- यार नीलेश, नेहा का तूने देख ही लिया? नीलेश- हाँ मैं देख रहा हूँ, वो तुझसे ज्यादा ही चिपक रही है। राहुल- यार तुझे क्या बताऊँ, ये ले मेरे कल के सारे मैसेज पढ़!
मैंने अपना मोबाइल उसे दिया और सारे मैसेज पढ़ाए। नीलेश- तो इसका मतलब तूने उसे कल रात को ही चोद दिया? राहुल- नहीं यार… तेरे से वादा जो किया था। उसको संतुष्ट ज़रूर किया मैंने पर ओरल और ऊँगली से… चुदाई नहीं करी! नीलेश- वाह यार वाह… तेरे जैसे दोस्त होने चाहिए। दोस्ती के लिए साली चूत जो खुद चलकर आई, उसे भी छोड़ दिया।
राहुल- हाँ यार, चूतें तो मिलती रहेंगी, पर दोस्ती का कोई मोल नहीं है। अभी भी तू बोलेगा तो चोदूँगा, नहीं तो माँ चुदाये! नीलेश- नहीं, जब तू अपने वादे पर टिका रहा तो मैं भी अपना वादा ज़रूर निभाऊंगा। तू चोद साली को, मैं भी तुझे रंगे हाथों पकड़ कर उसे चोदूँगा। राहुल: एक और समस्या है, प्लीज मेरी बात पूरी सुनना फिर कुछ कहना। नीलेश आश्चर्य से- हाँ बोल?
मैंने नीलेश को शिखा वाली भी पूरी बात बता दी। नीलेश लगभग रोने लगा। राहुल- देख यार, तुझे इसलिए बताया क्योंकि तू दोस्त है, तुझे दिल से दोस्त माना है। तू जो कहेगा वही होगा। नीलेश- यार जो भी हो, वो मेरी सगी बहन है पर अगर कल रात तूने उसे नहीं छोड़ा होता तो आज शायद में यह बात कह भी नहीं पाता। तू कर जो तुझे ठीक लगे, इस बारे में तो मैं तुझे न ना बोल सकता हूँ न ही हाँ।
राहुल- तू अगर इतना उदास हो रहा है तो चिंता मत कर, कुछ नहीं होगा शिखा और मेरे बीच! नीलेश- मुझे इस सदमे से बाहर निकलने दे, मैं तुझे आज रात की खाना खाने के बाद वाली सिगरेट पर बिल्कुल साफ़ साफ़ बता दूंगा कि मेरी राय क्या है। बस तब तक तुझसे गुजारिश है कि कुछ मत करना। और हाँ, मुझे तुझ पर भरोसा है कि दोस्ती निभाना जानता है।
राहुल- तो ठीक है, आज शाम को नेहा की चुदाई करते हैं। नीलेश- तूने जो बताया, उसके बाद तो मुझे अपनी बीवी को भी चोदने का मन नहीं है। फ़िर थोड़ा गुस्से में- तू चोद साली रांड नेहा को। मैंने सोचा कि अभी साला गुस्से में है अभी कुछ ज्यादा फ़ोर्स नहीं करना चाहिए इसलिए वहाँ से घर की तरफ चल दिए।
घर आकर मैं तो अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगा और बीच बीच में नेहा को मैसेज भी कर रहा था। नीलेश पता नहीं किस उधेड़बुन में लगा हुआ था। नीलेश मुझसे थोड़ा कटा कटा सा रहा दिन भर, शाम को मेरे साथ सिगरेट पीने भी नहीं आया।
रात का खाना खाकर मैंने कहा- सिगरेट पीने चलेगा या ऐसे ही मुंह लटका के मुझे इग्नोर करता रहेगा? नीलेश बोला- चल बाहर चलते हैं, छत पर नहीं। हम दोनों गाड़ी पर बैठे और चले दिए दूर के किसी खोपचे में।
नीलेश- मैं तुझसे जान करके दिनभर से कटा कटा रहा क्योंकि मुझे थोड़ा टाइम चाहिए था सोचने के लिए। फ़िर थोड़ा रूक कर बोला- और उन दोनों को भी देखना था कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी है। राहुल- तो क्या रहा तेरा अवलोकन?
नीलेश- भाई तेरी सारी बातें सुनने के बाद उन लोगों पर निगरानी के बाद मुझे लगा है कि (थोड़ा हँसते हुए) इतना सेंटी होने की बात नहीं है। अब कल से वो किसी और का लौड़ा भी तो लेंगी ही। उनकी भी इच्छाएँ हैं, तमन्नायें हैं, एक लड़की की चाहत है! तू मेरे दोस्त राहुल, जा तू भी क्या याद करेगा जी ले अपनी ज़िन्दगी और दिखा दे दोनों को जन्नत!
राहुल- तूने तो यार दिल खुश कर दिया, अब सुन मैंने एक प्लान बनाया है। मैंने उसे अपना प्लान बताया। नीलेश- इस मनसूबे की तामील भी तुम्ही को करनी है। राहुल: हाँ भाई तू चिंता मत कर बस मेरा साथ देना, मैं योजना के तहत सबको खुश कर दूंगा।
हम लोग वापस घर चले गए, घर जाते ही मैं बुआ से बोला- बुआ, सुबह हम सब घूमने जायेंगे, आप चलोगी? बुआ बेचारी क्या कहती, वो बोली- न भैया, तुम्हीं जाओ हम तो न जाये रहे। मैंने सबके सामने सबसे पूछा- कौन कौन चलेगा घूमने? कल सुबह 5 बजे निकलेंगे हम लोग।
मैंने नेहा और शिखा को अलग अलग मैसेज कर दिया था कि तुम बोल देना कि तुम्हें चलना है। नेहा और शिखा ने हाथ खड़े कर दिए। मैंने बुआ से कहा- हम मतलब मैं, नीलेश, मधु, नीता, नेहा और शिखा कल घूमने जा रहे हैं और अगली शाम को लौटेंगे।
सभी लोग अपनी अपनी तैयारी में भिड़ गए, मैं और नीलेश पेट्रोल और हवा चेक करवा कर आ गये थे। रात तो जैसे तैसे कट गई, सुबह 4 बजे मैं और नीलेश उठकर तैयार होकर खड़े हो गए। लड़कियों को भी चुदने का इतना भूत सवार था कि वो भी 5:30 बजे आकर गाड़ी के बगल में खड़ी हो गई थी।
सफर की शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि गाड़ी ड्राइव नीलेश कर रहा था, आगे की सीट पर नीता बैठी थी, बीच वाली सीट पर शिखा और नेहा थे और आखिरी सीट पर मैं और मधु! मैंने कहा- नीलेश, सबसे पहले गाड़ी किसी अच्छे से ढाबे पर रोक, वहाँ अच्छा सा नाश्ता करके चाय पीकर आगे चलेंगे।
इतनी सुबह जल्दी में हम में से किसी ने भी चाय नाश्ता नहीं किया था। अभी लगभग सभी लड़कियाँ गाड़ी में आधी नींद में ही थी। क्योंकि मुझे रात को तो किसी को कुछ समझाने का मौका नहीं मिला था इसलिए मैंने सुबह का टाइम ही चुना था।
गाड़ी हाईवे पर आते ही नीलेश ने 5 मिनट बाद ही गाड़ी रोकी, गाड़ी से उतरा और बोला- भाई सुबह सुबह नींद आ रही है, ये पकड़ चाबी, तू ही चलाना गाड़ी!
सभी की आँखों में कई सवाल थे, नीलेश को यह नहीं पता था कि हम जा कहाँ रहे हैं। नेहा यह सोच रही थी कि इतने सारे लोगों के बीच आखिर उसकी चुदाई कैसे होगी। शिखा सोच रही थी कि नीलेश हो लाये ही क्यूँ।मधु को कोई आईडिया नहीं था कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। नीता सोच रही थी कि नेहा और शिखा के आने से अब भी हम लोग चुदाई का कोई खेल नहीं खेल पाएंगे।
खैर सभी लोग नाश्ते के लिए अपनी अपनी जगह विराजमान हुए। मैंने सिगरेट जलाई तो सभी यही सोच रहे थे कि राहुल सिगरेट पीता है शायद इसको नहीं पता होगा।
मैंने नाश्ता आर्डर किया, फिर नीलेश को साइड में लेकर गया। नीलेश कुछ पूछता उससे पहले मैंने कहा- देख प्लान के अनुसार अपन लोग कहीं न कहीं तो जाना ही था। मैंने यहाँ से 70 km दूर एक फार्म हाउस बुक किया है, वहाँ अपन एक घंटे में पहुंच जायेंगे। नीलेश बोला- 70 km तो 40 मिनट में ही पहुंच जायेंगे।
मैंने कहा- वो फार्म हाउस ऑन रोड नहीं है, हाईवे से कच्चा रास्ता है वहाँ से 25 किलोमीटर अंदर है। नीलेश बोला- बहुत अच्छे! मैंने कहा- अब तू जा और मधु को भेज!
मधु बोली- ये अपन कहाँ जा रहे हैं। मैंने कहा- एक सेक्स ट्रिप पर… मधु बोली- कैसा सेक्स ट्रिप यार? दोनों बहनों को साथ लाये हो.. बोलते हुए उसके दिमाग में ख्याल आया तो बोली- जो मैं सोच रही हूँ, वो सही है क्या? मैंने कहा- हाँ… ये दोनों भी मुझसे चुदना चाहती हैं। मधु बोली- फिर तो मज़ा आएगा… पर नीलेश भैया? मैंने कहा- मेरी बात हो गई है।
मधु मुस्कुराती हुई अपना नाश्ता करने जाने लगी। मैंने कहा- देखो अभी ऐसे ही शो करना कि तुम्हें कुछ नहीं पता और जरा नीता को भेजो। नीता को भी मैंने पूरा ब्यौरा दे दिया और कहा कि नेहा को भेजो।
नेहा के आते ही मैं बोला- नेहा बस तुम मुझ पर भरोसा रखो, यह ट्रिप तुम्हारे लिए ज़िन्दगी भर यादगार रहेगी। कोई सवाल जवाब मत करना, बस मैं जैसा कहूँ, करती जाना। अब जाओ और शिखा को भेजो। नेहा गर्दन नीचे करके चली गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शिखा के आते ही मैंने कहा- देख तेरी इच्छा ज़रूर पूरी होगी, बस मुझसे कुछ मत पूछना, जो कहूँ, बस वो करती जाना।
अब गाड़ी मैंने चलाई, मेरे साथ मधु बैठी। बीच में नीलेश और नीता और आखिरी सीट पर नेहा और शिखा। गाड़ी अपनी फुल स्पीड से हाईवे पर दौड़ रही थी, कोई किसी से कोई बात नहीं कर रहा था।
गाड़ी कुछ ही पलों में कच्चे रास्ते पर उतर चुकी थी। गड्डों में धक्के खाते हुए हम लोग फार्म हाउस के सामने थे। फार्म हाउस दिखने में किसी पुराने बंगले जैसा था, आस पास काफी पेड़ और बागान थे, दीवारों पर बेलें चढ़ रही थी, कहीं कहीं दीवार में काई भी जमी हुई थी, दरवाज़े बिल्कुल पुराने से नील रंग से पुते हुए थे।
गाड़ी का हॉर्न मारा तो एक आदमी हमारी गाड़ी की तरफ भागता हुआ दिखाई पड़ा। कोई लोकल गांव वाला सा ही लग रहा था। उसने आते ही पूछा- क्या आपका नाम राहुल है? मैंने कहा- हाँ। तो बोला- साब लेट हो रहे थे तो वो चाबी मुझे दे गए हैं। ये लीजिए चाबी और मैं भी चला… मेरी भैंसें चारे के लिए मेरा इंतज़ार कर रही होंगी।
हमें भी कुछ ऐसा ही माहौल चाहिए था। मैंने उसे चाबी वापिस दी, सामान तो उसने अंदर रखवाया। नीलेश ने उसे 10 रुपए दे दिए वो वहाँ से चला गया। अंदर से घर काफी सुन्दर और साफ़ सुथरा था।
मैंने अंदर आते ही सबसे कहा- सब अपने लिए एक एक कमरा घेर लो। शिखा और नेहा दोनों फर्स्ट फ्लोर की तरफ भागी, नीता और मधु आराम से नीचे ही एक एक कमरा देख लिया। सभी कमरों के साथ अटैच लेट बाथ था ही, साथ ही हर बाथरूम में एक एक बाथटब भी था।
दोनों लड़कियों के ऊपर जाते ही मैंने नीता को बाँहों में भरा और बोला- यहाँ हर कमरे में बाथटब लगा है और तुझे हर बाथटब में चोदूँगा। नीता के बूब्स दबाकर मैंने कहा- ये तो पहले से ही बड़े सख्त हो चुके हैं। नीता बोली- आप तो मुझे बाद में चोदोगे, मैं तो रास्ते भर अपने सपनों में आपसे चुदती हुई आई हूँ।
मैंने नीता के टॉप के अंदर हाथ डाल के बूब्स को अच्छे से सहलाया, फिर मैंने कहा- जरा कुंवारी चूत सहला आऊँ।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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