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अब तक आपने पढ़ा..
मैडम मुझसे गाण्ड मराने के बाथरूम की ओर जा रही थीं। मैडम थोड़ा लड़खड़ा कर चल रही थीं। मैडम के बाथरूम से आने के बाद में बाथरूम में चला गया। कल की तरह मैडम ने मेरे बाथरूम जाते ही कॉफी बनाने में लग गईं। फिर हम दोनों ने कॉफ़ी पी ली।
मैडम- तुमने तो आज मेरी जान निकाल दी थी.. लेकिन अच्छा किया जो तुमने मेरी बात नहीं मानी। अगर तुम मेरी बात मान जाते तो मैं दुबारा कभी गाण्ड नहीं मरवाती.. थैंक्स अवि।
अब आगे..
मुझे आज भी मोना की चुदाई देखने को नहीं मिली।
फिर मंगलवार से शनिवार तक रोज भी मैडम की जम कर चुदाई की। कभी मैडम की चूत मारी.. तो कभी मैडम की गाण्ड मारी। फिर वो दिन आया.. जिसे मैं भूल नहीं सकता.. वो दिन रविवार था।
दोपहर में मैं मैडम के घर गया.. तो मैडम अपना सामान पैक कर रही थीं। अवि- मैडम, ये सब क्या है? मैडम- मैं अब वापस जा रही हूँ। अवि- पर आप तो अगले महीने जा रही थीं। मैडम- वो क्या है.. मेरा बेटा बीमार है और वैसे भी कभी न कभी तो जाना है.. तो मैं आज शाम को जा रही हूँ।
अवि- पर मैडम? मैडम- मुझे पता है.. अब तुम्हें चुदाई का चस्का लग गया है.. अब तुम दूसरा शिकार ढूँढ लो और आज आखिरी बार मेरी चुदाई कर लो। मेरी चुदाई करके मुझे गुरूदक्षिणा दे दो।
मैडम के कहते ही में मैडम को चूमने लगा पर अब मैं धीरे-धीरे चूमाचाटी कर रहा था। मैंने मैडम की नाईटी निकाल दी.. उनके स्तन को मसलने लगा। फिर धीरे-धीरे जीभ से निप्पल को चाटने लगा। फिर चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, कभी लेफ्ट साइड का दूध तो कभी राइट का दूध चूसने लगा। मैं मैडम की चूत में उंगली करके उन्हें मज़ा देने लगा।
मैंने अपने कपड़े निकाल दिए फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैडम पागलों की तरह मेरा लण्ड चूसने लगीं। मैं भी पागलों की तरह चूत में जीभ डाल कर.. तो कभी किस करके उन्हें चूसने लगा। मुझे पता था कि कल से मुझे मैडम की चूत नहीं मिलेगी.. इसी लिए मैं इस आखिरी चुदाई का पूरा मजा लेने लगा।
फिर मैडम घोड़ी बन गईं.. मैंने एक ही झटके में पूरा लण्ड चूत में डाल दिया। मैडम चीख पड़ीं.. पर मुझे इस आखिरी चुदाई का मजा लेना था। थोड़ी देर चूत मारने के बाद अब गाण्ड मारने लगा, कभी मेरा लण्ड चूत में.. तो कभी गाण्ड में चलता रहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
एक लम्बी चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य मैडम की चूत में डाल दिया। जैसे ही मैंने अपना पानी मैडम की चूत में डाला.. तभी मुझे लगा कोई हमें देख रहा है। मैं जल्दी से खिड़की के पास गया.. पर वहाँ कोई नहीं था, वहाँ मैडम का दुपट्टा रखा हुआ था.. ये देख मुझे राहत मिली।
मैडम- आज तो मजा आ गया। अवि- हाँ.. मुझे भी मजा आया। मैडम- मैं फ्रेश होकर आती हूँ।
मैडम के आने के बाद मैं भी मैडम की मदद करने लगा। एक घंटे के बाद मैडम के पति आ गए। थोड़ी देर बातें करने के बाद मैडम चली गईं। मैं मैडम को जाते हुए देख रहा था.. मेरी आँखों से पानी निकल रहा था।
पर ये तो एक ना एक दिन होना ही था। जाते-जाते मैडम ने मुझे कहा- घर को ताला लगाकर चाबी प्रिंसिपल सर को दे देना।
मैं ताला लगाने गया.. पर मुझे लगा कि आखिरी बार घर में जाकर उस चुदाई को याद करूँ। मैं बिस्तर के पास गया, बिस्तर पर मैडम की किताब रखी हुई थी, साथ में एक चिट्ठी भी थी।
‘अवि तुमने मुझे 7-8 दिनों में जो सुख दिया.. वो मुझे 7 जन्मों तक याद रहेगा। मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊँगी। मेरे पति के बाद तुमने मुझे वो सुख दिया.. जिसका कोई मोल नहीं.. तुम्हें मैंने जो सिखाया है.. उसे कभी भूलना मत और हाँ.. मुझे कभी याद मत करना। मुझे एक सपने की तरह भुला देना.. नहीं तो तुम जी नहीं पाओगे। इस चिट्ठी को पढ़ने के बाद जला देना.. मैं और लिख नहीं पाऊँगी। तुम्हारी मैडम’
कैसी लगी मेरी कहानी मित्रो, आप सभी के लिए आगे और नई कहानियाँ लिखूँगा। पर आप के ईमेल अगर नहीं आए तो लिखने में मजा नहीं आता। आप जरूर ईमेल करें, ख़ास कर मेरी भाभियाँ आंटियाँ और लड़कियों का ईमेल नई कहानी के लिए प्ररित करता हे।
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