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मेरा नाम विरल है, मैं 20 साल का हूँ.. मेरी ऊँचाई 5’3′ है.. और 7′ इंच का लौड़ा है। मैं स्टूडेंट हूँ.. कॉलेज में पढ़ता हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है। मैं जब 12 वीं की परीक्षा के बाद गाँव में चाचाजी जी के यहाँ गया था, मुझे लेने के लिए चाचा जी आए थे। मेरी चाची का नाम निर्मला है.. वे 28 साल की हैं.. सच बता रहा हूँ.. चाची क्या मस्त माल लगती हैं.. उनकी 32 इंच की ताज़ी चूचियाँ बहुत ही मस्त दिखती हैं.. 28 की कंटीली कमर.. और 32 के उठे हुए चूतड़.. आह्ह.. गजब की माल लगती हैं। वो अच्छी खासी गोरी-चिट्टी हैं.. जब चलती हैं तो मेरी तो मानो जान निकल जाती है।
थोड़े दिन सब नार्मल चला.. फिर मैं चाचा चाची को काम में हेल्प करने लगा था। अब तक मेरे मन में चाची के बारे में कोई विचार नहीं थे। पर एक दिन चाची जी ने कहा- मैं कपड़े धोने के लिए नदी पर जा रही हूँ.. तू चलेगा?
वैसे भी मैं घर में बोर हो गया था, मैंने ‘हाँ’ कर दी। मैं.. चाची और दूसरे घर की एक लड़की थी.. जिसे सब नीलू कहते हैं.. वो 19 साल की है.. वो भी हमारे साथ थी। हम सब साथ में नदी पर गए। वहाँ जाकर वो दोनों कपड़े धोने लगीं और मैं नदी में नहाने के लिए चाची से पूछा.. तो उन्होंने ‘हाँ’ कह दी।
मुझे बिना कपड़े पहने नहाने में थोड़ी शरम आई.. बाद में जब मैं कपड़े उतारने लगा.. तो चाची बोलीं- क्यों शरम आ रही है? तो मैंने कहा- नहीं तो.. ‘तो जल्दी से नहा लो.. नहीं तो दूसरी औरतें भी आ जाएंगी।’
मैं नहाने लगा.. तो चाची और नीलू मुझे देख कर हँसने लगी थीं। मैं नहा कर निकला.. तो चाची बोलीं- अब हमारी बारी है नहाने की। मैं क्या कहता, चुप रहा।
चाची ने कहा- तुझे कोई दिक्कत तो नहीं है न? मैंने कहा- नहीं.. मुझे क्या दिक्कत होगी..
चाची ने अपनी साड़ी निकाल दी.. और वे सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में नदी के किनारे उतर कर नहाने लगीं। कुछ देर बाद बाद में उन्होंने अपना ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। अब वो सिर्फ पैन्टी में थीं। उनकी तनी हुई चूचियाँ देख कर मेरी हालत ख़राब होने लगी, मेरा लंड खड़ा होने लगा।
मैं अभी भी निक्कर में था.. तो चाची ने निक्कर में मेरा खड़ा लौड़ा देख लिया.. वो हँस दीं.. तो मैं निक्कर में बने हुए लौड़े के उभार को छुपाने लगा। चाची ने कहा- उसे क्यों छुपा रहे हो.. मुझे नंगी देख कर तो सबके खड़े हो जाते हैं। मैं चाची को बिंदास बोलते हुए हैरान था और उन्हें घूर रहा था। उधर इसी तरह की हँसी-ठिठोली होती रही.. चाची ने मुझे अपने हुस्न के बहुत जलवे दिखाए।
फिर हम घर आ गए.. शाम को मैं बिस्तर में पड़ा-पड़ा चाची के बारे में सोचने लगा, मेरा मन उनको चोदने का होने लगा.. मैं मुठ मारने लगा।
उसी वक्त अचानक चाची आ गईं और कहने लगी- मुठ क्यों मार रहे हो.. क्यों हाथ से काम चला रहा हो.. कोई लड़की नहीं मिली क्या? तो मैंने शरम से कहा- नहीं.. चाची जी वहीं मेरे बिस्तर पर बैठ गईं और हम दोनों हँस कर बातें करने लगे।
अब मैं चाची के साथ खुल कर बात करने लगा था। चाची बोलीं- कोई लड़की पटा लो.. कोई मिल नहीं रही है क्या? मैंने कहा- आप कम हैं क्या? ‘अच्छा.. चाची को पटा रहा है?’ ‘क्या करूँ.. कोई पटती ही नहीं..’ चाची ने अपनी चूत खुजाते हुए कहा- चल तेरी भूख का मैं इंतजाम करती हूँ..
अब खाना खाने के बाद रसोई में जाकर मैंने चाची की चूचियाँ दबा दीं। चाची बोलीं- अभी तेरे चाचाजी यहीं हैं.. उनको पता चल गया.. हम दोनों को तो मार डालेंगे.. मैंने अपने कमरे में जाकर चाची के नाम की मुठ्ठ मार ली और सो गया।
दूसरे दिन सुबह उठ कर चाचा जी बोले- मुझे गाँव के सरपंच के साथ कुछ दिनों के लिए शहर जाना है। तुम अपने घर का और चाची का ख्याल रखना। थोड़ी देर बाद वे चले गए। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। चाची ने मुझे हँसते देखा तो वे भी मुस्करा दीं।
मैंने घर में अन्दर जाकर चाची को धर-दबोचा और उनकी चूचियाँ दबाने लगा।
चाची बोलीं- शाम को.. अभी कोई देख लेगा.. मैं शाम का इंतजार करने लगा.. रात को खाना खाने के बाद चाची के कमरे में चला गया.. चाची पेटीकोट और ब्लाउज में थीं।
मैं जाकर उनके ऊपर कूद पड़ा। होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगा.. उनकी चूचियाँ दबाने लगा। चाची गर्म हो कर सिसकारियाँ ले रही थीं।
मैंने उनके कपड़े उतार दिए और नंगी कर दिया। हाय.. क्या माल लग रही थीं.. क्या अदाएँ दिखा रही थी… साली चाची इस वक्त तो पूरी रण्डी दिख रही थीं..
मैं उनके एक बोबे से दूध पीने लगा.. क्या मीठा चूचा लग रहा था। चाची मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगीं। मेरे मुँह से ‘आह.. आह..’ निकलने लगी। मैं भी उनकी चूत चाटने लगा। उनके जिस्म की महक मुझे मदहोश कर रही थी। चाची भी वासना में बह कर ‘अह हूँ.. आह इस्स’ करने लगीं।
फिर चाची बोलीं- साले मादरचोद.. अब मत तड़पा.. चोद दे मुझे.. मैंने उनकी चूत में लंड लगाया.. एक जोर का शॉट मारा.. मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया। मैं जोर से चोदने लगा.. उनके बोबे दबा कर काटने लगा।
चूत चोदते समय मैंने उनकी गाण्ड में उंगली जोर से डाल दी.. तो चाची जोर से चीखने लगीं- साले बहन के लौड़े.. मादरचोद.. उन्होंने मेरे सीने पर काट लिया.. तो मैंने भी जोर से शॉट मार दिया। मैंने कहा- साली.. हरामखोर.. ले बहन की लौड़ी चुद..
करीबन बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद में मैंने सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। फिर रात को मैंने उन्हें तीन बार और चोदा.. फिर हम एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
लेकिन सुबह सो रहे थे तो अचानक नीलू आ गई। उसने हम दोनों को नंगा देख लिया। मेरी तो सारी नींद उड़ गई.. मैंने चाची को बोला.. तो वो पीछे से गईं.. मैं भी उनके साथ चला गया.. वो ड्राइंग रूम में बैठी थी।
चाची अन्दर गईं.. तो कहने लगी- मैं नमक लेने आई थी.. और आप दोनों ये क्या कर रहे हो.. शर्म नहीं आती.. मैं भैया को बोल दूँगी। चाची ने कहा- नहीं बताना यार.. तेरे भैया मेरी प्यास नहीं बुझा पाते हैं।
भाभी रोने लगीं.. तो नीलू बोली- एक शर्त पर नहीं बताऊँगी.. मुझे भी खेल में शामिल करना पड़ेगा। चाची ने खुश होकर उसको ‘हाँ’ कह दिया बोली- मैं तो पहले ही सोच रही थी कि विरल के लंड के लिये नीलू से बात करूँगी।
मैंने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया उसके दूध दबा दिए। वो उस वक्त जल्दी में थी.. तो भाभी ने उसको शाम को आने को बोल दिया।
शाम होते ही हम सबने खाना साथ खाया फिर हम तीनों कमरे में जाकर नंगे हो गए। हम सबने बियर पी और जब हल्का नशा होने लगा तो नीलू बोली- पहले मेरी बारी है। मैं उसको बिस्तर पर लिटा कर उसके होंठ चूमने लगा, चाची उसकी चूत में उंगली डालने लगीं।
फिर नीलू मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगी। मैं चाची के मम्मों को दबाने लगा। उनके चूचों से रस निकलने लगा.. मैं चूची को चाट कर पीने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने लंड नीलू की चूत पर रखा.. और जोर से शॉट मारने लगा। नीलू की चूत अभी सील पैक थी.. वो दर्द से चिल्लाने लगी। चाची नीलू के मम्मों को दबाने लगी.. कुछ देर के बाद नीलू को भी मजा आने लगा। फिर नीलू ने कहा- मेरी चूत में मत झड़ना.. मेरे मुँह में माल निकाल देना मुझे तुम्हारा रस पी कर देखना है। मैं लंड उसके मुँह में डाल कर झड़ गया।
बाद में मैंने चाची की गाण्ड जोरों से मारी.. वो अगली कहानी में बताऊँगा.. [email protected]
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