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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.. एक बार फिर से मैं आप सभी के लिए कहानी लेकर आई हूँ। आज की यह कहानी मेरी नहीं है.. बल्कि मेरे एक दोस्त की है.. तो आइए मेरे इस दोस्त की कहानी उसी जुबानी सुनते हैं।
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम ऋषि है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ.. वो आज से लगभग 6 साल पुरानी है।
हमारा घर काफी बड़ा है.. उसमें 3 फ्लोर हैं जिसमें दो फ्लोर में हम लोग रहते हैं और एक फ्लोर हम किराए पर देते हैं। अभी उस फ्लोर पर एक फैमिली रहने के लिए आई थी, उनकी दो बेटी और एक बेटा था।
उनकी बड़ी बेटी.. जिसका नाम नीलम था बहुत प्यारी थी। वो उस टाइम 12वीं क्लास में पढ़ती थी.. क्या कमल का फिगर था उसका.. कसे हुए मम्मे और उठे हुए चूतड़ थे… उसे देख कर मेरे होश उड़ जाते थे.. वो खूबसूरत भी बहुत थी।
उन लोगों का हमारे घर में काफी आना-जाना था.. पर जब भी मैं उनके घर जाता.. तो नीलम देख कर वहाँ से चली जाती। मैं जब भी उसके पास जाने की कोशिश करता.. वो हमेशा मुझसे दूर भाग जाती थी।
कुछ टाइम तक ऐसे ही चलता रहा.. फिर नीलम के बोर्ड के एग्जाम शुरू हो गए। जिस दिन उसका एग्जाम था.. नीलम के पापा मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे कहा- बेटे.. मुझे आज ऑफिस जल्दी जाना है.. और नीलम का आज एग्जाम भी है.. और उसका एग्जाम सेंटर भी काफी दूर है.. तो क्या तुम उसे आज एग्जाम दिलवाने ले जा सकते हो?
तो मैंने अंकल को ‘हाँ’ कह दिया और मैं नीलम को एग्जाम दिलवाने ले गया।
एग्जाम छूटने के बाद जब हम घर आ रहे थे.. तो मैंने नीलम से पूछा- तुम मुझसे इतना डरी-डरी क्यों रहती हो.. जब भी मैं तुम्हारे सामने आता हूँ.. तुम वहाँ से चली जाती हो? तब उसने मुझसे कहा- मैं आपसे डरी नहीं हूँ.. बस मुझे थोड़ी शर्म आती है.. इसलिए मैं आपके सामने से चली जाती हूँ। तो मैंने उससे पूछा- किस बात की शर्म आती है तुमको?
उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.. बस चुप रही.. तो मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा।
मैंने थोड़ा डरते-डरते उससे दोस्ती के लिए कहा.. तब भी उसने कुछ नहीं कहा। फिर में थोड़ी मस्ती के मूड में आ गया और बाइक के ब्रेक थोड़ी जोर से लगाने लगा। इससे उसके मम्मे मेरी पीठ से आकर टकराने लगे, मुझे बहुत मजा आने लगा था।
कुछ देर बाद हम दोनों घर पहुँच गए और नीलम अपने घर चली गई। फिर शाम को नीलम मेरे पास आई और दोस्ती के लिए ‘हाँ’ करके चली गई। फिर हम दोनों में बातचीत शुरू हो गई।
एक दिन नीलम के पापा फिर से मेरे पास आए और उन्होंने मुझे अपने घर की चाभी दी और कहा- बेटे.. मैं और मेरी वाइफ हमारे एक रिलेटिव के घर जा रहे हैं.. नीलम का आज आखिरी एग्जाम है.. मैंने उसे एग्जाम सेंटर छोड़ दिया है.. और उसने कहा है कि वो अपनी सहेलियों के साथ वापस आ जाएगी। मेरी छोटी बेटी रोशनी और बेटा अंकित भी स्कूल गए हैं.. तो वो लोग जब घर आ जाएं तो उन्हें ये चाबी दे देना और कह देना कि हम शाम तक घर वपिस आ जाएंगे।
मैंने भी कह दिया- ठीक है अंकल.. मैं उनको बता दूंगा और चाभी भी दे दूंगा।
दोपहर का टाइम था.. तो मैं सोया हुआ था। एक बजे के करीब दोनों बच्चे और नीलम वापिस आए.. घर पर ताला बंद देख कर नीलम मेरे घर आई। उस वक़्त मेरे घर में भी कोई नहीं था और मैं कमरे में अकेला सो रहा था।
नीलम मेरे कमरे में आई.. मैं उस वक़्त तौलिया पहन कर ही सोया हुआ था। नीलम ने मुझे जगाया और बोली- घर में ताला लगा हुआ है.. मम्मी-पापा कहाँ गए हैं?
मैं उठा और नीलम को चाबी देते हुए बोला- तुम्हारे मम्मी-पापा किसी रिलेटिव के घर गए हुए हैं शाम तक आ जाएंगे। मैंने देखा नीलम की नजरें मेरे तौलिये की तरफ थीं। मैं सोकर उठा था तो मेरा लण्ड बिल्कुल तन कर खड़ा हुआ था क्योंकि मेरे सिर्फ तौलिया पहने हुए होने के कारण वो कुछ ज्यादा ही बड़ा दिखाई दे रहा था।
मैं तुरंत पलट कर बिस्तर पर बैठ गया और नीलम से कहा- और कुछ? वो बोली- नहीं.. और पलट कर वापिस चली गई।
मैं फिर सोने के लिए लेट गया.. पर मुझे अब नींद नहीं आ रही थी। मेरा लण्ड बहुत ही ज्यादा कसमसा रहा था। उसे उस वक़्त किसी लड़की की चूत की तलाश थी।
एक घंटे तक मैं अलग-अलग ख्यालों में खोया रहा। मेरा दिल नीलम को पटाने का कर रहा था। फिर मैंने चाय बनाई और चाय पीते हुए टीवी देखने लगा.. तभी नीलम फिर से आई और दरवाजे पर खड़ी हो गई।
मैंने उसे देखा और बोला- कोई काम है? वो बोली- नहीं.. वो रोशनी और अंकित सो गए थे.. और मुझे नींद नहीं आ रही थी। घर में अकेले बोर हो रही थी इसलिए आ गई। मैंने कहा- ठीक है.. आओ बैठो। वो मेरे पास आकर बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने पूछा- चाय पियोगी? वो बोली- हाँ.. मैंने कहा- ठीक है.. और बना देता हूँ। तो नीलम बोली- बनाने की क्या जरूरत है.. अपनी वाली में से ही थोड़ी सी दे दो। मैंने कहा- जूठी है। वो बोली- कोई बात नहीं.. तो फिर मैंने कप में डालकर उसे चाय दे दी और हम बातें करने लगे।
इस समय मेरा ध्यान तो उसके शरीर पर ही था.. क्या खूब लग रही थी वो.. मैं मन ही मन नीलम को चोदने की सोच रहा था।
नीलम के मम्मों की झलक ऊपर से ही दिखाई दे रही थी। उसके मम्मों के उठाव देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया। वो चाय का कप रखने के लिए मुड़ी.. मैंने देखा कि उसने पीछे से ज़िप वाली कुर्ती पहनी हुई थी और उसकी ज़िप आधी नीचे थी.. जिससे उसकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी। उसको देख कर तो मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया।
हमारी हँसी-मजाक अभी भी चल रही थी। फिर नीलम ने मजाक से मेरे कंधे पर हाथ मारा। कुछ देर बाद उसने इसी तरह 2-3 बार मेरे कंधे पर हाथ मारा.. तो मैंने भी अचानक से उसके कंधे पर हाथ मारना चाहा.. तो वो पीछे की तरफ हट गई.. जिससे मेरा हाथ उसके मम्मों पर जा कर लगा।
इससे वो रोने लगी.. मैं भी घबरा गया और उसे चुप करने की कोशिश करने लगा। इस दौरान उसे चुप कराते हुए मैंने उसके माथे पर चुम्बन ले लिए.. तो वह कहने लगी- तुमको शर्म नहीं आती.. तुमने मुझे किस क्यों किया?
तो मैंने उसको बोला- मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया है.. तुम रो रही थीं.. तो तुमको मनाने के लिए मैंने किस किया है। तो वो कहने लगी- कमरे का दरवाजा भी खुला है.. और खिड़कियाँ भी खुली हैं.. अगर कोई देख लेता तो..
तब मेरी जान में जान आई कि वो रोने का नाटक कर रही थी और अब उसने इशारा भी दे दिया कि अगर कुछ करे तो कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद करके करना।
फिर वो उठ कर जाने लगी और मुझसे कहा- देखो तुमने मुझे किस किया.. ये बात तुम किसी को भी मत बताना। तो मैंने कहा- फ़िक्र मत करो.. ये बात किसी को भी नहीं पता चलेगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपने सीने से लगा कर उसे चुम्बन कर दिया। नीलम कहने लगी- छोड़ो मुझे..
पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और फिर चुम्बन करने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी गरम होने लगी और जवाब में अब नीलम भी मुझे चुम्बन करने लगी। मैंने अपने एक हाथ से उसके मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी कमर पर था.. उसकी साँसें अब तेज़-तेज़ चल रही थीं।
इधर मेरा लण्ड उसकी टांगों के बीच से उसकी चूत को चुम्बन करने की कोशिश कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर उसने अपने होंठ हटा दिए और बोली- बस इससे ज्यादा कुछ नहीं करना। मैंने कहा- ठीक है.. इससे ज्यादा कुछ नहीं। मैं उसके गरम जिस्म की गर्मी महसूस कर रहा था और नीलम को चोदने की सोच रहा था।
वो कहने लगी- अब मैं जा रही हूँ। मैंने कहा- थोड़ी देर में चली जाना। तो कहने लगी- नहीं रोशनी और अंकित जग गए होंगे। मैंने कहा- ठीक है जाओ। नीलम चली गई।
शाम के टाइम नीलम के पापा का फ़ोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं नीलम को ये बता दूँ कि वो दोनों आज नहीं आ सकते.. वो लोग कल आएंगे.. वो अपने छोटे भाई-बहन का ख्याल रखे और उन्होंने मुझसे भी कहा कि बेटा तुम भी हमारे बच्चों का ख्याल रखना.. नीलम को किसी चीज की जरूरत हो दो उसे लाकर दे देना।
यह बात मैंने जाकर नीलम को बता दी।
मैं अभी भी नीलम को चोदने का सपना देख रहा था। फिर मैंने सोचा आज तो मेरे घर में भी कोई नहीं है और नीलम के घर में भी उसके मम्मी-पापा नहीं है तो आज तो रात में मैं नीलम को चोद कर ही रहूँगा।
मैंने खाना खाया और टीवी देख रहा था कि तभी नीलम आई और उसने मुझसे कहा- घर में मुझे अकेले डर लग रहा है तुम भी चल कर हमारे साथ हमारे घर पर ही सो सकते हो क्या? दिन की किसिंग के बाद मुझे अब ये यकीन हो गया था कि नीलम भी मुझ से चुदना चाहती है। तो मैंने नीलम से कहा- ठीक है तुम चलो.. मैं आता हूँ।
रात में गरमी बहुत थी.. तो हम चारों यानि मैं नीलम.. और उसके भाई-बहन रोशनी और अंकित ऊपर छत पर सोने चले गए।
रात के करीब 12 बज गए। नीलम के भाई-बहन तो सो गए थे.. पर हम दोनों अभी भी बातें कर रहे थे। मैंने देखा कि उसके भाई-बहन सो गए हैं अब रास्ता साफ है.. तो मैंने अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा.. वो एकदम से मेरे पास आ गई।
मैंने फ़ौरन ही उस को अपनी बांहों में ले कर चुम्बन करना शुरू कर दिया, वो भी मज़े ले रही थी। उसके बाद नीलम ने मुझसे कहा- यहाँ कुछ मत करो.. अगर रोशनी और अंकित जाग गए तो दिक्कत हो सकती है।
मैंने भी उसकी बात मान ली और हम दोनों वहाँ से उठ कर छत पर ही बने एक कमरे में चले गए।
दोस्तो, आज नीलम की चूत की सील टूटने का वक्त आ गया है.. पूरा किस्सा अगले भाग में लिख रहा हूँ.. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिये और अपने मेल मुझे जरूर भेजिएगा। मेरी फेसबुक और इमेल आईडी- [email protected] कहानी जारी है।
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