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मैं बिस्तर के कोने में लेट गया। थोड़ी देर में जब आँखें अँधेरे के हिसाब से अनुकूल हुई तो देखा नीलेश भी उल्टा करवट लेकर मधु के बूब्स में लंड फसा के मधु की चूत में मुंह डाल के पड़ा हुआ था।
मैंने भी नीता, जो मेरी तरफ पीठ करी लेटी थी, के बूब्स पकड़ के अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांड में डाल दिया। मैंने नीता के मुंह पर हाथ रख लिया था और धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और गांड मरवाने का मज़ा लेने लगी।
हम थोड़ी ही देर में नींद की आगोश में आ गये और सो गए।
सुबह जब नींद खुली तो बिस्तर पर सिर्फ मैं और नीलेश ही थे। मैंने नीलेश को जगाया और उससे इशारे में पूछा- क्या तुझे पता है कि दोनों लड़कियाँ कहाँ हैं? उसने भी इशारे से बताया कि उसे नहीं पता।
मैंने अलसाते हुए आवाज़ लगाई- मधु ओ मधु, डार्लिंग कहाँ हो? मधु की आवाज़ आई- साढ़े आठ बज गए हैं, आपको ऑफिस नहीं जाना? उठ जाओ, तैयार हो जाओ, मैं नाश्ता बनाती हूँ।
मैंने अपना मोबाइल देखा तो आठ पच्चीस हो रहे थे, मैं बोला- इधर तो आओ, चाय दे दो। इधर मैनेजर को मैसेज कर दिया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं आज ऑफिस नहीं आ सकूंगा।
मधु चाय लेकर मेरे सामने खड़ी थी, मैंने कहा- गुड मॉर्निंग डार्लिंग! मधु ने सूट का केवल कुरता पहना हुआ था और नीचे लेगगिंग नहीं पहना था, मधु ने मेरी तरफ चाय बढ़ा कर कहा- गुड मॉर्निंग! अब जल्दी से उठ जाओ, आप ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे।
मैंने कहा- आज ऑफिस नहीं जा रहा… और मधु को बाँहों में पकड़ने लगा। मधु बोली- छोड़िए मुझे, मुझे अभी बहुत काम करने है।
मैंने पूछा- नीता कहाँ है? मधु ने बताया कि उसका कोई फ़ोन आया हुआ है, वो बालकनी में है।
मधु ने देखा कि नीलेश भी उठा हुआ है तो बोली- गुड मॉर्निंग भैया, लीजिए आपकी भी चाय! नीलेश बोला- गुड मॉर्निंग भाभी, वो नीता को बता देना कि मैं उठ गया हूँ।
मधु ने वही से आवाज़ लगाई- ए नीता, ये नीलेश भैया बुला रहे हैं। नीता कमरे में आई, नीता ने एक गाउन पहन रखा था, नीता मुझसे बोली- गुड मॉर्निंग भैया! फिर नीलेश के पास गई और बोली- गुड मॉर्निंग जान! मैंने कहा- तुम दोनों भी चाय ले आओ, और यहीं बैठो।
मैंने और नीलेश दोनों ने अभी तक कुछ नहीं पहना था, बस चादर ओढ़ के रखी थी। नीता मधु और खुद के लिए चाय ले आई, नीलेश बोला- यार कल रात तो मज़ा आ गया। मैंने कहा- हाँ, तुम दोनों जब सो गए थे तब मैंने नीता की एक बार गांड मारी थी।
मधु बोली- आपको क्या लगता है? हम लोग सोये नहीं थे, सब सुनाई दे रहा था, बस थके हुए थे इसलिए चुपचाप पड़े थे। नीता बोली- मेरी फर्स्ट गांड चुदाई पर मैं चीख भी नहीं सकी क्योंकि मुझे लगा कि नीलू और आप सो चुके हो और नींद न टूट जाये। मैं बोला- देखो, हम लोग जितने भी दिन यहाँ साथ रहेंगे, तन पर कपड़ा नहीं होना चाहिए। मैंने कहते कहते अपने ऊपर से चादर हटा दी, मेरा लंड आधा खड़ा था, सुबह के टाइम तो अपने आप खड़ा ही मिलता है। नीता बोली- भैया, आप क्या खाते हो, रात भर इतनी चुदाई के बावजूद आपका अभी तक खड़ा है। नीलेश ने भी अपनी चादर हटा दी, नीलेश का लंड भी खड़ा था।
मधु बोली- यार मुझे काम करना होता है! मैंने कहा- तो नंगी ही काम करना। मधु ने भी अपना शर्ट उतार फेंका, नीता भी नंगी हो गई।
मैंने बताया कि मैंने आज छुट्टी ले ली है तो हम आज पूरे दिन कुछ न कुछ मस्ती कर सकते हैं। मधु बोली- मैं पोहे बनाने जा रही हूँ, आप लोग प्रोग्राम बना लो। मैंने कहा- हाँ, हम सब लोग भी जल्दी से नहा धोकर तैयार होते हैं।
मधु किचन में चली गई, नीलेश बाथरूम जाने लगा, मैंने सिगरेट जला ली, नीता भी किचन की तरफ जाने लगी। मैंने नीता को बीच में ही पकड़ा और चूतड़ मसल दिये और बोला- सिगरेट पियोगी? वो बोली- नहीं भैया, मैं सिगरेट नहीं पीती। मैंने कहा- एक कध तो मार के देखो!
उसने जैसे ही सिगरेट का कश लगाया उसे खांसी आ गई, वो बोली- यक… इसका कितना गन्दा टेस्ट है, मेरा तो मुंह ख़राब हो गया। वो भी बाथरूम की तरफ भागी। दरवाज़े में ठोकर मारी, दरवाज़ा खुल गया, नीलेश कोमोड पर बैठा था। नीता ने कुल्ला किया और ब्रश करने लगी।
मैं भी नीता के पीछे पीछे पंहुचा, उससे चिपक कर खड़ा हो गया और पीछे से उसके चूतड़ों के बीच अपना लंड चुभाने लगा और हाथों से उसके मम्मे सहलाने लगा। नीलेश कोमोड पे बैठा सब देख रहा था। नीलेश हाथ धोने वाश बेसिन के पास आया तो मैं जाकर कोमोड पर बैठ गया। नीता अभी ब्रश कर ही रही थी, नीलेश हाथ पौंछने बाहर चला गया। नीता ब्रश करने के बाद मेरे कोमोड के पास आई और बोली- भैया मैं आपकी गांड धुला दूँ जैसे बच्चों की धुलाते हैं? मैंने कहा- ठीक है! मेरा जब काम खत्म हुआ तो नीता ने मेरी गांड अच्छे से धोई और फिर हम दोनों ने एक दूसरे के हाथ से हाथ धोए।
फिर हम बाहर आये तो नीलेश मधु को वैसे ही पीछे से पकड़ के रखा हुआ था जैसे मैंने नीता को कुछ देर पहले बाथरूम में पकड़ा हुआ था। मैंने कहा- चलो, चारों साथ में नहा आते हैं। मधु बोली- आप लोग नहा लो, मुझे तो काम पड़ा है। नीता बोली- भाभी मुझसे भी कुछ काम करा लो, ऐसे अकेले अकेले लगी रहोगी तो आप थक जाओगी।
मधु बोली- तुम बस मेरे राहुल का ध्यान रखो, अब अगर हम दोनों ही खाने में बिजी हो जायेंगे तो ये लोग क्या एक दूसरे के साथ नहाएंगे? दोनों लड़कियाँ हसने लगी।
नीलेश बोला- नीता तू जाकर राहुल के साथ नहा के आ, मैं भाभी के साथ नहाऊंगा। जब हम नहाने जायेंगे तब तुम किचन देखना, अभी हम किचन देख रहे है। मैंने कहा- चल नीता, अपन तो चले नहाने।
मैं पहले ब्रश करने लगा, नीता जाकर शावर चलाने लगी। मैंने कहा- रुको, अभी में ब्रश तो कर लूँ।
वो आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई और अपने बूब्स से मेरी पीठ घिसने लगी। मैंने जैसे तैसे ब्रश किया, मैं दरवाज़ा बंद करने लगा, तो मुझे नीता ने रोका, बोली- आप दरवाज़ा क्यू बंद कर रहे हो? मैंने कहा- अरे वो आदत सी ही है न इसलिए!
मैं बोला- नीता, तुम्हारी ऐसी कोई चाहत कोई फ़ंतासी है जो तुम्हें लगता है कि बहुत गन्दी है और तुम उसे किसी से नहीं बता सकती। नीता बोली- हाँ है तो… जैसे अभी मैंने आपकी गन्दी गांड धुलाई थी, वो भी मेरी एक फ़ंतासी ही थी। मैंने कहा- और कौन सी ऐसी चाहत है जो तुम्हें पूरी करनी है? नीता बोली- नहीं भैया, मैं नहीं बोल सकती, पता नहीं आप क्या सोचोगे? पता नहीं आपको कैसा लगे?
मैंने कहा- बोल के देखो, शायद मैं तुम्हारे सपने पूरे कर सकूँ। नीता बोली- मैं चाहती हूँ कि कोई मेरे ऊपर मूते, मेरे मुंह पे, मेरे बूब्स पे, मेरी चूत पे, मैं थोड़ा मूत पी जाऊँ, थोड़ा सा उसका लौड़ा चूस के उसका बचा हुआ मूत भी चाट जाऊँ। मुझे खुद नहीं पता कि मैं ऐसा कर पाऊँगी या नहीं, मुझे खुद नहीं पता कि यह मुझे अच्छा लगेगा या नहीं पर मुझे करने का मन तो है ऐसा ही कुछ।
मैंने कहा- यह तो छोटी सी चाहत है, ये लो, अभी पूरी किये देता हूँ। वो तुरंत जमीन में बैठ गई, मैं लौड़ा लेकर उसके मुँह के पास खड़ा हो गया और मूतने की कोशिश करने लगा। नीता ने मेरे अंडे सहलाए, थोड़ा लंड सहलाया और बिल्कुल पोले मुँह से चूसने और चूमने लगी।
मैंने अपना लंड उसी को पकड़ा दिया और बोला- लेट मी पी ऑन यू! नीता बोली- हाँ भैया, प्लीज मेरे ऊपर मूत दीजिये। मेरे लंड में से मूत की धार शुरू हुई, फिर रुकी, नीता के चेहरे पर मूत की एक धार जैसी ही पड़ी, उसे गर्म गर्म लगा, एक आध बूँद उसके होंठों से मुँह के अंदर भी चली गई।
मैंने पूछा- अच्छा लगा? नीता बोली- अभी तो ठीक लग रहा है भैया, आप मेरे ऊपर मूतते जाओ, मुझे अच्छा नहीं लगेगा तो मैं खड़ी हो जाऊँगी।
अब तो मैंने नीता के मुँह में लंड डाला और अपने मूत का फव्वारा शुरू कर दिया, उसका मुँह भरा तो लंड बाहर निकाला और उसके पूरे बदन को भिगोने लगा, उसके मुँह के अंदर जो मूता था, वो भी उसने अपने ऊपर ही थूक लिया और मेरे लंड की धार को अपने बदन के अलग अलग हिस्सों पर लेने लगी, कभी अपने बूब्स पर मेरे पेशाब को मलती तो कभी अपनी चूत पर बहते मेरे मूत को थप्पड़ मारती। मुझे उसकी ये अदाएँ बहुत पसन्द आ रही थी, मेरा मूत जब खत्म हुआ तो उसने बड़े प्यार से मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसा और फिर बाहर निकाल के हिला कर और मूत निकालने लगी। और फिर मेरे लंड के सुपारे को अच्छे से चाट के साफ़ करने लगी।
मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो देखा कि नीलेश और मधु दरवाज़े से टिके हुए हमारे इस खेल को देख रहे थे।नीलेश मधु की चूत ऊँगली से सहला रहा था।
मैं उन दोनों की तरफ देखकर बोला- किसी और को मूतना है नीता पे? नीलेश बोला- नीता, तू इतनी वाइल्ड हो सकती है, मैंने कभी सोचा भी नहीं था, रुक मैं भी तेरे ऊपर मूतता हूँ।
नीलेश अपना लंड पकड़ के नीता के करीब गया, नीता ने नीलेश के लौड़े को प्यार से पुचकारा और फिर चूसने लगी और साथ ही उसकी बॉल्स भी सहलाने लगी।
मैंने मधु को बोला- तुम भी मूतो इसके ऊपर! मधु बोली- मैं कैसे मूत सकती हूँ? मैंने कहा- नीता, थोड़ा सा लेट जाओ जिससे मधु तुम्हारे ऊपर मूतने वाली अवस्था में आ जाये।
मधु नीता के मुंह की तरफ चली गई और उसके पैर की तरफ मुंह कर लिया और थोड़ा नीचे झुक कर वो भी मूतने लगी। नीलेश बोला- भाभी, आओ मूत के पेंच लड़ाते हैं। शायद मधु इस सबको एन्जॉय नहीं कर रही थी, बोली- मैं मूत रही हूँ, आप लड़ा लो पेंच। मैंने मधु से कहा- तुम चाहो तो नीता के मुंह पर भी पेशाब कर सकती हो। मधु थोड़ी सी खड़ी हुई तो मधु के पाँव भी उसके खुद के मूत से गीले होने लगे, वो भी आदमी की तरह अपनी चूत से नीता के पूरे बदन पर मूतने लगी।
जब दोनों का मूतना बंद हुआ, तो नीता बोली- मज़ा आ गया तीन मूतों से नहा कर!
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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