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अब तक आपने पढ़ा..
मैंने कहा- इतनी प्यारी और सुन्दर भाभी पूछ रही है.. तो मना कैसे कर सकता हूँ।
फिर मैं पहली बार प्रीत के घर में गया।
क्या घर को सजा रखा था.. मैंने कहा- प्रीत आपका घर तो बहुत सुन्दर है.. आपकी तरह..। तो प्रीत बोली- थैंक्स।
प्रीत ने अभी तक अपने कपड़े नहीं बदले थे तो वो मुझसे बोली- यश तुम यहीं बैठो.. मैं कॉफ़ी लाती हूँ।
फिर 15 मिनट बाद देखा.. तो मैं देखता ही रह गया।
वो लाल रंग का नाईट ड्रेस पहन कर आई.. उसके बाल खुले हुए थे..।
दोस्तों.. अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो रहा था। मेरा लंड एकदम फूल कर बहुत ही टाइट हो गया था। मेरे उठते हुए लौड़े को प्रीत ने देख लिया था। वो हाथ में कॉफ़ी लेकर आई और मेरे साथ सट कर बैठ गई।
अब आगे..
उसकी शरीर की खुश्बू मुझे पागल सा कर रही थी। मैंने कहा- कॉफ़ी बहुत अच्छी बनी है। प्रीत बोली- थैंक्स। मैंने कहा- प्रीत और कौन-कौन है घर में? तो बोली- मैं और मेरे पति.. मुझे तो पता था.. पर अनजान बना रहा.. और पूछा- मैंने तुम्हारे पति को नहीं देखा अभी तक?
तो प्रीत थोड़ा उदास होकर बोली- वो एक महीने बाद आएंगे। मैंने पूछा- फिर आपके ससुराल वाले कहाँ रहते हैं? तो प्रीत बोली- पीछे जो अपार्टमेंट है ना.. वहीं एक फ़्लैट में रहते हैं। तो मैं बोला- फिर आप यहाँ कैसे? बोली- वहाँ कोई फ्लैट खाली नहीं था और ये फ़्लैट पास में ही है.. तो इसलिए यहाँ ले लिया। ‘हम्म..’
हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे कि अचानक प्रीत बोली- कल मेरा जन्मदिन है.. तो मुझे क्या दे रहे हो.. गिफ्ट में? तो मैं बोला- क्या चाहिए.. बोलो जी.. आपके लिए दिल ओ जान हाज़िर है। प्रीत हँस कर बोली- कल बताउंगी कि मुझे गिफ्ट में क्या चाहिए।
मैंने कहा- कल तो आपके ससुराल वाले भी आएंगे? तो प्रीत बोली- नहीं.. मेरा जन्मदिन वहीं मनाया जाएगा.. पर यहाँ पर तुम और नीचे वाली मेरी फ्रेंड होगी। मैंने कहा- ठीक है जी.. तो कल मिलते हैं।
फिर मैं अपने कमरे में चला आया और आते ही सो गया। सुबह 5 बजे उठा और अपने फ़्लैट का दरवाजा खोला.. तो देखा कि प्रीत के फ़्लैट का दरवाजा भी खुला हुआ है। मैं अन्दर चला गया..
जैसे ही अन्दर गया.. प्रीत नहा कर बिना कपड़ों के बाथरूम से निकली थी। मैं जैसे ही अन्दर पहुँचा.. मैंने तो उसे देखा कि प्रीत बिना कपड़ों के है.. और प्रीत ने भी मुझे देख लिया.. तो वो जल्दी से भाग कर अन्दर चली गई।
मैं भी अपने कमरे में आ गया।
पर जो नजारा मैंने देखा था.. वो तो मेरे आँखों में ही बस गया था। प्रीत की चूत एकदम साफ़ और उसके चूचे उठे हुए और एकदम दूध की तरह गोरे.. उस पर से गीले बाल और पूरा बदन गीला था। प्रीत की कोमल और प्यारी सी कमर जो कि मेरी कमजोरी थी.. उसे देख कर तो मुझसे रहा ही नहीं गया और मैंने बाथरूम में जाकर प्रीत भाभी के नाम की मुठ मारी.. फिर और नहा कर कमरे में लॉक ही लगा रहा था।
इतने में प्रीत आई.. पर अब मेरी नजर सीधा उसके चूचों पर थी, उसने ब्लू सूट पहना हुआ था और क्या क़यामत लग रही थी। शरमाते हुए बोली- यश शाम को 8 बजे मेरे घर आ जाना। ‘हैप्पी बर्थ-डे..’ ‘थैंक्यू..’ उसने इतना ही कहा।
मैंने कहा- मैं कुछ पूछूँ.. तो बताओगी.. पर बुरा तो नहीं मानोगी? तो प्रीत बोली- ओके बोलो? मैंने कहा- तुम बहुत सुंदर हो.. तुम्हारा फिगर साइज़ क्या है? तो प्रीत शर्माते हुए बोली- थैंक्स.. 32-28-32 है..
मैंने कहा- मुझे बुलाने का शुक्रिया.. पर आपको ये मौसी को भी बताना होगा। तो प्रीत ने कहा- ठीक है।
फिर मैं भी नीचे वाले फ्लैट में गया नाश्ता किया.. और इतने में थोड़ी देर बाद प्रीत आई और उसने मौसा-मौसी को नमस्ते किया। पर मेरी नजर उसके चेहरे पर थी और जब भी मुझे देखती तो शर्मा कर नजर नीचे कर लेती।
प्रीत बोली- आंटी आज मेरा जन्मदिन है और यश मेरे यहाँ ही खाना खा लेगा.. तो मौसा-मौसी ने प्रीत को जन्मदिन की बधाई दी और फिर प्रीत चली गई। मैंने सोचा आज तो लग रहा है काम बन जाएगा।
फिर जैसे-तैसे करके दिन निकला। मैंने प्रीत के लिए एक शॉर्ट.. एक शॉर्ट टी-शर्ट और एक सफेद रंग का लॉन्ग सूट लिया। फिर मैं ऊपर वाले कमरे में चला गया। उस टाइम 6 बज रहे थे.. तो मैं कंप्यूटर में मूवी देखने लगा। करीब 8 बजे दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने सोचा प्रीत होगी। दरवाजा खोला.. तो नेहा भाभी थीं।
मैंने आदर से कहा- आइए भाभी जी। तो बोली- यार तुम भी ना मेरी ही उम्र के आस-पास के तो हो.. तो बस नेहा ही कहा करो.. ओके। मैंने कहा- ओके नेहा..
पर जब मेरी नजर नेहा भाभी पर पड़ी.. वो भी कोई कम मस्त माल नहीं था। उस टाइम तो नेहा भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और क्या मस्त माल लग रही थी। फिर सोचा कि इसे भी कभी न कभी तो चोदूँगा ही।
फिर नेहा भाभी अन्दर आई.. और बोली- क्या कर रहे हो? तो मैं बोला- वो प्रीत का वेट कर रहा था।
इतने में प्रीत भी आ गई.. मैंने प्रीत को देखा.. हर बार यार.. क्या लगा लेती है जो इतनी प्यारी लगती है। इस बार उसने गुलाबी रंग का लॉन्ग सूट पहना हुआ था और गुलाब जैसी लग भी रही थी।
हम तीनों प्रीत के घर में गए और देखा प्रीत पहले से ही सब सजा कर गई थी। वो फ्रिज में से अपना केक लेकर आई। नेहा भाभी ने और मैंने सब सैट किया। अब नेहा ने मोमबत्ती को रोशन किया.. तो मैं प्रीत को विश करने लगा!
प्रीत मुझे देखे जा रही थी और फिर उसने मुस्कुराते हुए मोमबत्ती को फूंक मार कर बुझा दिया.. तो नेहा इस बात को देख रही थी।
अब प्रीत केक ने काटा और पहला पीस लेकर सीधा मेरी तरफ आई और मुझे केक खिला दिया.. और मैंने भी उसको एक टुकड़ा खिला दिया।
फिर हम दोनों ने नेहा को भी केक खिला दिया।
अब गाना लगा लिया और हम तीनों डांस करने लगे। फिर कुछ देर बाद तीनों बैठ गए और वे दोनों बोलीं- देखो हम अकेले में मिले.. तो हम फ्रेंड्स हैं और किसी के सामने तो तुम हम दोनों को ही भाभी बोलोगे। मैंने कहा- ठीक है।
कुछ देर मस्ती हुई फिर हम सबने खाना खाया। खाने में प्रीत ने चिकेन बना रखा था। सबने खाना खा लिया और अब नेहा बोली- मैं चलती हूँ।
नेहा के जाने के बाद प्रीत मेरे पास आई और बोली- मुझे मेरा गिफ्ट चाहिए यश। मैंने बोला- क्या चाहिए। तो प्रीत बोली- यश आज रात के लिए तुम मेरे पति बनोगे। मैं जानबूझ कर हैरान हुआ- क्या? ‘हाँ..’
मैंने कहा- क्या सच में? तो प्रीत बोली- हाँ मेरा ये ही गिफ्ट है.. क्या तुम दोगे मेरा गिफ्ट? मैंने कहा- हाँ जरूर मिलेगा आपका गिफ्ट.. आज रात ही क्या.. जब तक मैं यहाँ हूँ.. तब तक आपका पति बना रहूँगा। इतना सुनते ही प्रीत मेरे गले लग गई।
मैंने भी कसके प्रीत को पकड़ लिया और फिर उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। मैं एक हाथ प्रीत की पीठ को सूट के ऊपर से ही सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके गोल-गोल चूचों को दबा रहा था।
क्या पल थे यारो.. उसके लब इतने मुलायम थे कि मन ही नहीं हो रहा था कि उसके अधरों को अपने अधरों से अलग करूँ।
मुझे तो यह कोई सपना सा लग रहा था। अब मैं उसके होंठों को कभी-कभी काट भी लेता था.. तो वो छटपटाने लगती। होंठों को चूमने के साथ ही साथ मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से मिला रहा था।
करीब 15 मिनट तो उसको मैंने लिप्स को खूब चूमा.. मेरा मन तो कर ही नहीं रहा था कि उसे अपने से अलग करूँ।
अब मैंने प्रीत के कमीज़ को उतार दिया और देखा कि उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई है। मैं एकदम उसकी गर्दन और सीने पर चुम्बन करने लगा। प्रीत सिसकारियाँ लेने लगी- ऊऊहह ऊह्ह..
फिर प्रीत ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी जीन्स की चेन को खोला और अब मेरी जींस निकाल दी। अब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे लंड को निकाला और फिर मेरे लंड को आगे-पीछे करने लगी।
मैंने अब प्रीत की पजामी भी निकाल दी उसने पैंटी भी गुलाबी रंग की पहनी हुई थी। प्रीत बस ब्रा-पैंटी में थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने प्रीत को नजर भर कर देखा तो प्रीत शर्मा रही थी और उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था। इस वक्त प्रीत किसी गुलाब की तरह लग रही थी।
अब प्रीत ने भी मेरी शर्ट को निकाल दिया, मैं अब प्रीत को उठा कर उसके बेडरूम में ले गया और बेड पर पीठ के बल लेटा दिया।
मैं बड़े ध्यान से उसकी पूरी बॉडी को देखने लगा.. तो प्रीत बोली- क्या हुआ? मैंने कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो कि मैं बयान भी नहीं कर पा रहा हूँ.. मेरे मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहे हैं। प्रीत मुस्कुरा दी।
मैं प्रीत के ऊपर पेट के बल लेट गया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा। मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और जोर-जोर से चूसने लगा और प्रीत भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
कुछ पलों के बाद मैंने प्रीत की ब्रा को खोल दिया और देखा एकदम सफ़ेद और चिकने चूचे खुली हवा में खिलने लगे।
मैंने देर न करते हुए उसके चूचों को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
प्रीत सिस्कारिया लेने लगी- अअअअ.. आआआअ.. ह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊ..ओह्ह्ह्ह.. यश बेबी.. और जोर-जोर से चूसो.. ऊओ..ह.. बहुत अच्छा लग रहा है। एक चूचा चूसने के साथ ही मैं उसके दूसरे चूचे को जोर-जोर से दबाए भी जा रहा था।
प्रीत अब गर्म हो चली थी.. पर मैं उसे और गर्म करना चाहता था। मैं अब प्रीत की टाँगों के बीच में आ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा।
दोस्तो.. मेरी इस कहानी में पंजाबन भाभी की चूत चुदाई की दास्तान काफी रसीले अंदाज में लिखा गया है.. कि आपको अपने गुप्तांगों को हिलाना ही पड़ेगा। मेरी इस आपबीती का आनन्द लीजिएगा और मुझे ईमेल से अपने कमेंट्स जरूर भेजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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