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दोस्तो, आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे सुन कर आप हैरान रह जाएंगे। यह बात मेरे एक वकील दोस्त की कहानी है, जो उसने एक दिन मुझे पेग पीते पीते बता दी। उसकी कहानी को मैं अपनी भाषा में आपको बता रहा हूँ।
मुझे सब वैसे तो वकील साहब कहते हैं, पर मेरा पूरा नाम रंजन अग्रवाल है। मेरी उम्र इस वक़्त 57 साल है। तीन साल पहले मेरा एक बड़ा ही ज़बरदस्त एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें मेरी पत्नी गुज़र गई और मेरा एक हाथ और एक बाजू कट गई।
अब बिना हाथों के मेरे लिए तो सभी काम मुश्किल हो गए थे तो मैंने वकालत छोड़ दी। बेटा मेरा वकील है और दिल्ली में प्रेक्टिस करता है। अम्बाला में हमारा पुश्तैनी मकान है, कुछ दुकानें और थोड़ी और जायदाद है तो मैं अपने बेटे के पास दिल्ली नहीं गया, बल्कि अम्बाला में ही रह गया।
एक पूरे टाइम का नौकर रख लिया, जो मेरे सारे काम करता था, मुझे रोटी भी खिलाता और पोट्टी सुसू भी करवाता।
अब फ्री होता हूँ तो कभी यहाँ घूम तो कभी वहाँ घूम… ज़िंदगी बहुत अच्छी चल रही थी। हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता है, उनकी छोटी बेटी, कोमल ने भी वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी, और अक्सर मेरे पास कुछ न कुछ पूछने के लिए आती रहती।
कोमल को सब प्यार से कोमा कहते हैं, कोई 22 साल की पतली दुबली सी बहुत सुंदर चेहरे वाली लड़की। अब पड़ोसी की बेटी, मेरी भी बेटी जैसी थी, मैं हमेशा उसे अपनी बेटी की तरह ही प्यार करता और उसको सही मार्गदर्शन देता। वो भी मुझे बेशक अंकल कहती पर एक बेटी की तरह मेरी सेवा और प्रेम करती थी, मेरे बहुत सारे छोटे मोटे काम भी कर देती थी।
ऐसे ही एक दिन जब वो मेरे पास आई तो मेरा नौकर किसी काम से बाहर गया हुआ था, मुझे शाम की सैर के लिए जाना था, सो मैंने कोमा से कहा- बेटा, अगर तुम्हें कोई तकलीफ न हो तो क्या तुम मेरे शर्ट प्रेस कर दोगी? वो मुस्कुरा कर बोली- लो अंकल, इसमें तकलीफ वाली क्या बात है, मैं कर देती हूँ, बोलो कौन सा करना है।
उसने अलमारी खोली और मेरी बताई हुई शर्ट निकाल कर प्रेस करने लगी। प्रेस उसने मेरे बेड की साइड वाले स्विच में ही लगाई थी।
जब वो प्रेस कर रही थी तब अचानक मेरी नज़र उसकी टी शर्ट के अंदर गई। नीचे से उसने ढीली सी अंडर शर्ट पहन रखी थी और टी शर्ट के गले में से मैंने देखा, तो छोटे छोटे बड़े प्यारे प्यारे से मलाई के पेड़े झूल रहे हैं।
सच में मुझे उसके चूचे मलाई के पेड़ों जैसे ही लगे। मन में विचार आया कि अगर ये पेड़े खाने को मिल जाएँ तो ज़िंदगी का मकसद पूरा हो जाए।
मगर तभी मन में दूसरा विचार आया ‘ये क्या देख रहा है रंजन। वो तेरी बेटी है, उसको इस गंदी नज़र से देख रहा है।’ मगर किसी ने सच कहा है, काम वासना पर किसी का कोई वश नहीं है।
मैंने अपना चेहरे घूमा लिया, बात खत्म हो गई। मगर रात को सोते हुये मुझे सपने में फिर से कोमा के वो खूबसूरत छोटे छोटे चुचे दिखे। मेरी नींद खुल गई, देखा तो लंड ने पायजामे का तम्बू बना दिया था। उसके बाद मैं कितनी देर तक सो नहीं पाया, बार बार मेरे सामने अंधेरे में से निकल निकल कर कोमा के चूचे ही नज़र आते रहे, बड़ी मुश्किल से नींद आई।
मगर उस दिन के बाद मेरे देखने का नज़रिया बदल गया। अब मैं अक्सर कोमा के बदन की गोलाइयाँ, उभार और कटाव देखता, मगर सब से बड़ी दिक्कत यह थी, कि सारी जगह एक बहुत ही शरीफ इंसान की इमेज बना रखी थी, तो किसी से यह भी नहीं कह सकता था कि यार किसी रंडी की ही दिलवा दो, और दोनों हाथ न होने की वजह से मुठ भी नहीं मार सकता था। बड़ी विचित्र समस्या थी मेरी!
ऐसे में ही एक दिन जब कोमा मेरे पास बैठी पढ़ रही थी, वो मुझसे बोली- अंकल, आप से एक बात पूछनी है? मैंने कहा- पूछो बेटा! ‘मगर डर लगता है…’ वो बोली। ‘अरे डर किस बात का, मैं तुम्हारा अंकल हूँ, तुम मेरी बहुत प्यारी बेटी हो, पूछो क्या बात है? मुझे यह शक था कि वो शायद अपने किसी बॉयफ्रेंड के बारे में कोई बात करना चाहती होगी।
वो बोली- पर आप किसी को बताओगे तो नहीं? मैंने कहा- अरे बेटा, मैं कहाँ आता जाता हूँ, मैं किस से कहूँगा, तुम बिंदास पूछो। मुझसे तसल्ली करके वो बोली- ये जबर चोदन क्या होता है? पूछ कर वो बहुत शरमाई।
मैंने कहा- बेटा, यह तो बहुत उलझन भरा सवाल है, अब मैं भी तुम्हें कैसे समझाऊँ, मतलब किसी भी पुरुष द्वारा किसी भी औरत या लड़की से उसकी इच्छा के बिना संबंध बनाना जबर चोदन होता है। मैंने गोल मोल सा जवाब दिया।
‘वो तो मैं भी जानती हूँ, मगर हम क्लास की कुछ लड़कियाँ इसके बारे में डीटेल में जानना चाहती हैं।’ मैंने कहा- बेटा फिर नेट पे सर्च कर लो, तुम्हें कुछ न कुछ मिल जाएगा। मैंने बात को टाल दिया।
दो तीन दिन बाद उसने फिर मुझसे पूछा- अंकल, मैंने नेट भी बहुत देखा मगर इसका कोई सही जवाब नहीं मिल पाया, और सच कहूँ, तो वो गंदी वीडियोज़ देखने का मेरा मन नहीं किया। मैंने कहा- देखो बेटा, असल में तो इसका जवाब उन गंदी वीडियोज़ में ही मिलेगा, मगर अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें डीटेल में सब समझा सकता हूँ, मगर उसके लिए मुझे कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करना पड़ेगा जो कोई भी बाप, या बाप जैसा व्यक्ति अपनी बेटी के सामने नहीं प्रयोग नहीं करना चाहेगा। अब तुम बड़ी हो चुकी हो, जवान हो, समझदार हो, सो इन सब बातों को ध्यान से सुनो और समझो!
यह कह कर मैंने उसको पुरुष और स्त्री के बीच के सेक्सुयल संबंध के बारे में डीटेल से बताया। वो बड़े ध्यान से मेरी हर बात को सुन रही थी और कॉपी में नोट भी कर रही थी। मगर दिक्कत यह हुई कि उसको समझाते समझते मेरा लंड अकड़ गया। अब पाजामे के नीचे से वो साफ झलक रहा था और कोमा ने भी देख लिया।
मुझे बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई कि बच्ची क्या सोचेगी कि अंकल लंड अकड़ा कर बैठे थे! मगर मैं भी क्या करता, अब लंड तो लंड है, खड़ा हो गया तो हो गया।
फिर मैंने भी कोमा को भेज दिया, क्योंकि वो भी बार बार मेरे उठे हुए पाजामे को देख रही थी। मेरे मन में भी सौ तरह की बातें आ रही थी।
उसके जाने के बाद मैं बाथरूम में गया, अपना पाजामा नीचे को किया और बहुत कोशिश की के किसी तरह से इसे शांत कर सकूँ, मगर ऐसा नहीं हो पाया, दीवार से भी रगड़ा, मगर कोई बात नहीं बनी। फिर धीरे धीरे ये अपने आप ही शांत होकर ढीला हो गया।
उसके बात बहुत दिनों तक मेरे और कोमा के बीच कोई ऐसी बात नहीं हुई, वो आती और पढ़ कर चली जाती।
करीब एक महीने बाद उसने मुझसे कहा- अंकल, एक बात पूछूँ? मैंने सहज स्वभाव कह दिया- पूछ बेटा! वो बोली- ये वैसे वाली वीडियोज़ देख कर मन और तरह का क्यों हो जाता है?
मेरे तो गोटे हलक में आ गए कि यह लड़की मरवाएगी मुझे, आज अगर फिर वैसे ही विषय पर बात हुई, और फिर से मेरा लंड अकड़ गया तो क्या होगा। मैंने कहा- तो तुम देखती ही क्यों हो, मत देखा करो। ‘नहीं मैं तो अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए देखती थी, पर ना जाने क्यों अब बार बार देखना अच्छा लगता है!’ वो बोली।
मैंने सोचा ‘मर गए…’, आज तो पक्का यह पंगा करेगी मेरी जान को! मैंने थोड़ा सोच कर कहा- तो फिर क्या करती हो? ‘कुछ नहीं…’ उसने छोटा सा जवाब दिया।
मुझे लगा कि वो और कुछ कहना चाहती है, मगर संकोच कर रही है, मैं भी उसके साथ इस बात को और आगे बढ़ाना चाहता था, मगर मैं भी संकोच कर रहा था कि पड़ोस की लड़की है, बेटी जैसी है, अगर कल को कोई बात हो गई, तो इस पंगे से जान नहीं छूटनी, मगर एक दिल कह रहा था, बात आगे बढ़ा, अगर बात बन गई तो इस कच्ची कली को चूसने का मौका मिल जाएगा।
थोड़ा सा सकुचाते हुये मैंने कह ही दिया- तो कुछ कर लिया करो! वो झट से बोली- क्या करूँ, हाथ से करना मुझे पसंद नहीं, बॉयफ्रेंड कोई है नहीं, तो किस से करूँ फिर?
यह तो बड़ी साफ बात कर दी उसने… मैंने कहा- बॉय फ्रेंड बना लो! ‘नहीं…’ वो बोली- बॉय फ्रेंड नहीं बनाना, मुझे तो कोई तजुर्बेकार इंसान, एक ऐसा दोस्त जिसपे मैं यकीन कर सकूँ, वो चाहिए, जो मुझे इस सब के बारे में सब कुछ बता सके और मेरा कोई गलत फायदा भी ना उठाए।
मुझे लगा के इसका इशारा मेरी तरफ ही है तो मैंने कह दिया- ऐसा दोस्त तो फिर मैं ही हो सकता हूँ। मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर वो भी मुस्कुरा दी। ‘मगर पहले मैं सब कुछ जानना चाहती हूँ, उसके बाद ही मैं कुछ करने के बारे में सोचूँगी।’
मेरे तो दिल की धड़कन बढ़ गई- तो क्या जानना चाहोगी? मैंने एक टीचर की तरह पूछा। उसके बाद उसने सेक्स के बारे में मुझसे बहुत से सवाल किए, और मैंने भी उसके हर सवाल का जवाब दिया, बात करते करते लफ्जों के बंधन खुलते गए और हम लिंग से लंड, योनि से चूत और बूब्स से चूचे जैसे शब्द भी इस्तेमाल करने लगे।
उसको बताते बताते मेरा अपना लंड मेरे पाजामे में पूरी तरह से तन गया। उसने भी देखा, मैंने भी उसे बता दिया- देखो यह है सेक्स का असर, तुमसे बात करते करते मेरा भी टाईट हो गया, क्या तुम्हें भी कुछ हो रहा है? पता तो मुझे भी था कि उसकी चूत भी पानी छोड़ रही होगी। वो भी बोली- हाँ, मैं भी गीला गीला महसूस कर रही हूँ।
अब जब इतनी बात खुल गई, तो मैंने उससे पूछा- कोमा क्या तुम मेरा लंड देखना चाहोगी?
वो चुप सी हो गई, मगर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हाँ में सर हिलाया।
मैंने कहा- देखो मेरे तो हाथ हैं नहीं, तो तुम्हें खुद ही मेरा पाजामा उतार के इसे बाहर निकालना पड़ेगा। मैंने कहा और उठ कर खड़ा हो गया।
कोमा ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरे पाजामे से तने हुये मेरे लंड को, और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे इलास्टिक वाला पाजामा और मेरी चड्डी दोनों उसने एक ही बार में नीचे सरका दी। मेरा 6 इंच का मोटा, काला लंड उसके सामने प्रकट हुआ, वो आँखें फाड़ के इसे देखने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- सिर्फ देखो नहीं, इसे अपने हाथ में पकड़ो। उसने एक हाथ में पकड़ा, मैंने कहा- दोनों हाथों से पकड़ो और मजबूती से, ज़ोर से पकड़ो!
उसने दोनों हाथों से ज़ोर से मेरा लंड पकड़ा तो मैंने अपनी कमर आगे को की और अपने लंड का टोपा बाहर निकाल दिया। ‘आह’ मेरे मुख से निकला- ऐसे ही पकड़े रहो। मैंने कहा और मैं उसके हाथों में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, मुझे इसी में चुदाई का मज़ा आ रहा था।
मैंने पूछा- कोमा, तुमने ब्लू फिल्मों में देखा होगा, लड़कियाँ कैसे लंड चूसती हैं, तुम चूसोगी? वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपनी कमर को धकेलते हुये अपने लंड को उसके मुँह से लगाया मगर उसने अपना मुँह घूमा लिया।
मैंने अपनी टाँगें हिला हिला कर अपना पाजामा और चड्डी बिल्कुल उतार दिये और पास में ही दीवान पे लेट गया- इधर आ जाओ कोमा! मैंने कहा तो वो आकर मेरे घुटनों के पास बैठ गई और उसने बिना कहे फिर से मेरा लंड पकड़ लिया। ‘इसे हिलाओ कोमा, ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिलाओ!’ मैंने कहा, वो हिलाने लगी।
उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, देखने से लगा रहा था कि वो पूरी गर्म है और इस वक़्त अगर मैं उसे चोदने को कहूँ तो हो सकता है वो मुझे चोदने दे। मैंने कहा- कोमा, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मेरी जान, अपनी जीन्स उतारो और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो, प्लीज़ यार! मैंने कहा तो उसने मना कर दिया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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