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अब आगे की कहानी – मैंने आज तक तेरे साथ लंड चूत की चुसाई के टाईम खुद पर बहुत काबू रखकर गालियां नहीं दीं कहीं तुझे बुरा न लगे लेकर आज अगर गालियां दूं तो बुरा मत मानना और तू भी दिल खोलकर गालियां दे सकती है मुझे अच्छा लगेगा। हिन्दी चुदाई कहानी सेक्स्स्टोरी
मैंने कहा कोई बात नहीं सर आप जितनी चाहे गालियां निकाल लेना कोई दिक्कत नहीं और अगर मेरा दिल हुआ तो मैं भी निकाल लूंगी। सर खुश हो गए और बोले बहनचोद बातें करती रहेगी तो रात ऐसे ही निकल जाएगी, आजा रंडी मेरे होंठ तेरे होंठों का रस पीने को बेकरार हैं। मैंने अपने होंठों को सय के होंठों के पास कर दिया और कहा ले भड़वे चूस मेरे होंठों को मैं भी तेरे होंठों का रस निचोड़ दूंगी।
सर ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हाथ नाईटी के ऊपर से मेरे बूब्ज़ पर रख दिए। मैंने एक हाथ सर की गर्दन में डाल लिया और दूसरे हाथ से जींस के ऊपर से सर के लंड को पकड़ लिया। सर मेरे बूब्ज़ दबाते हुए मेरे होंठ चूमने लगे और मैं सर का लंड मसलते हुए होंठों का रसपान करने लगी।
ऐसे सोफे पर बैठे-बैठे घूमना पड़ रहा था और हम दोनों खडे़ हो गए। सर ने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़कर मेरे होंठ चूमने चालू किए और मैंने सर की शर्ट के बटन खोलकर अपने हाथ उनकी छाती पर रख दिए। मैं सर की छाती को हाथों में पकड़कर दबाने लगी तथा उनके निप्पलों को ऊंगली और अंगूठे के बीच दबा कर मसलने लगी। सर ने मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों में ले लिया और जोर से चूसने लगे तथा मैं सर का ऊपर वाला होंठ चूसने लगी।
धीरे-धीरे हम दोनों का जोश बढ़ने लगा और हम जोरदार चूमा चाटा करने लगे। हम एक दूसरे के मुंह में जीभ डालकर घुमाते हुए मुंह के अंदर का रसपान करने लगे और एक दूसरे की जीभ को खींच कर चूसते। हम एक दूसरे के होंठों को मुंह में भर लेते और बीच-बीच में दांतों से हल्का हल्का काट भी लेते। हम अपनी जीभ बाहर निकाल कर एक दूसरे की जीभ से जीभ टकरा कर चाटते और फिर मुंह में लेकर चूसते।
ऐसे लग रहा था जैसे हम दोनों एक दूसरे के मुंह के अंदर का रस, जीभ और होंठों का रस पूरा पी जाना चाहते हों। हम एक दूसरे के गाल चूमने और चूसने लगे। हम कभी एक दूसरे गालों को रसीले होंठों से चूमते कभी गालों को जीभ से चाटते और कभी मुंह में लेकर खींच कर छोड़ देते। जब हम गालों को मुंह में भरकर छोड़ते तो पुच्च की आवाज़ आती। इसके बाद हम एक दूसरे के कानो को चूसने लगे हल्का हल्का दांतों से काटने लगे। मुझे बहुत ही अजीब सा मजा आ रहा था।
सर ने मेरी गर्दन के नीचे अपने होंठ लगा दिए और चूमने लगे। उनके होंठों का स्पर्श पाते ही मैं और भी ज्यादा मचल उठी। सर जीभ से मेरी गर्दन चाटते हुए मेरे बूब्ज़ की ओर बढ़ने लगे। सर बैॅड पर बैठ गए और मेरी नाईटी की जाली से बाहर निकले हुए बूब्ज़ के निप्पलों को पकड़कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
सर मेरे निप्पलों को मसलते हुए बोले साली तेरे निप्पल तो बहुत सख्त हैं, आजा रंडी तेरे बूब्ज़ का रस चख लूं। सर मेरे निप्पलों को जीभ से चाटने लगे और बोले बहन की लौडी़ नाईटी तो निकाल तेरे बूब्ज़ को मुंह में लूं। मैंने कहा मादरचोद तेरे हाथ नहीं लगे खुद निकाल ले, अगर नाईटी नहीं निकाल सकता रस क्या निकालेगा। सर ने मेरी नाईटी खींच कर निकाल दी और बोले साली हरामजादी तेरा रस ऐसे निचोड़कर रख दूंगा जैसे नींबू का रस निचोड़ देते हैं।
मैं पहली बार किसी मर्द के साथ इतनी गंदी भाषा में बात कर रही थी लेकिन बहुत मजा आ रहा था। सर ने मेरे दोनों बूब्ज़ अपने हाथों में पकड़ लिए और धीरे-धीरे दबाने लगे। मैंने कहा बहनचोद हाथों में जान नहीं क्या जोर से मां चुदवा। सर ने बहुत जोर से मेरे बूब्ज़ दबा दिए और मेरे मुंह से आह निकल गई तो सर बोले साली छिनाल अभी तो बोल रही थी जोर से दबा अब गांड क्यों फट रही है। सर मेरे बूब्ज़ जोर जोर से दबाने लगे और मैंने मस्ती में आहह आहह करती हुई उनके बाल नोचने लगी।
मैंने सर की शर्ट निकाल दी और सर को बैॅड पर धक्का देकर गिरा दिया। सर की पैंट में उनके लंड का तंबू बना हुआ था। मैंने सर की पैंट और अंडरवियर निकाल दी और उनके लंड को सहलाती हुई बोली हराम की औलाद जिस लंड से चुदाई करनी है उसको छुपा रखा है तो सर ने कहा इसने तेरी चूत एवं गांड का छेद चाहिए और तूने भी पैंटी के नीचे छुपा रखा है।
मैंने कहा मुझे जिसकी जरूरत थी वो मैंने निकाल लिया जिसकी इसको जरूरत है वो तुम निकाल लो। सर एकदम से बैठ गए और मेरी पैंटी निकाल दी। मैं सैंडिल निकालने लगी तो सर बोले ये मत उतारना। मैंने पूछा क्यों तो बोले तेरी गांड मस्त दिखती है। मैंने कहा पहले से ही मेरी गांड इतनी उभरी हुई है और क्या इसको पहाड़ बनाना है।
उस दिन मुझे मर्दों के राज़ की बात मालूम हुई कि मर्दों को लड़की की पतली कमर, उभरे हुए बूब्ज़ और उभरी हुई गांड ज्यादा सेक्सी लगते हैं। अब सर बिल्कुल नंगे बैॅड पर बैठे थे और मैं उनके सामने नंगी खडी़ थी। सर ने अपने हाथ मेरे मोटे-मोटे गोल चूतडो़ं पर रख लिए और मेरे बूब्ज़ चूसने लगे।
सर मेरे बूब्ज़ को जोर से चूसते हुए मेरे चूतडो़ं को दबाने लगे। मैं सर का मुंह अपने बूब्ज़ पर दबाते हुए उनके बालों को भींचने लगी। मेरे मुंह से अपने-आप कामुक आंहें निकल रही थीं और मैं मस्ती में मचलती हुई बोलने लगी मेरे बूब्ज़ को निचोड़ डाल और जोर से चूस बहनचोद और जोर से। सर बहुत जोर से मेरे बूब्ज़ चूसने लगे और मेरे निप्पलों को जोर से खींच कर छोड़ देते और पुच्च पुच्च फच्च फच्च की आवाज़ें आने लगीं।
मैं मस्त होती जा रही थी और जोर जोर से आंहें भरने लगी। सर मेरे गोरे मुलायम पेट को चूमने लगे और मेरी नाभि में जीभ डालकर चाट लेते। मैं मचलती हुई उनकी पीठ सहला रही थी। सर ने मुझे घुमा लिया और मेरे पेट को हाथ से सहलाते हुए मेरे चूतडो़ं को चूमने लगे। कुछ देर बाद सर ने ऐसे ही मुझे गोद में बैठा लिया और पीछे से मेरे बूब्ज़ दबाते हुए मेरी गोरी एवं चिकनी पीठ को चूमने लगे। सर मेरी पीठ को जीभ से चाटने लगे तथा प्यार से दांत गढा़ने लगे और मैं मस्त होकर मचलती हुई अपने चूतडो़ं की दरार के बीच सर का लंड फंसा कर मसलने लगी।
सर के लंड को मसलने पर सर के मुंह से कामुक आंहें भरते हुए कहने लगे साली तू बड़ी चुद्दकड़ है मेरे लंड को इतना मजा कभी नहीं आया। मैंने कहा बोल तो ऐसे रहा है जैसे हर रोज नई लड़की की सील तोडता है। सर बोले मैंने बहुत सी लड़कियों और औरतों को चोदा है साली। मैंने फिर कहा अच्छा एक नंबर का चोदू है तू, अच्छा बता कितना हरामी है तू। सर बोले तुझ से बहुत बड़ा हरामी हूं, मैंने अपनी दो सगी बहनों के साथ भी चुदाई की है लेकिन तेरी बातें सुन कर लग रहा है हरामीपन में तू मुझे बहुत पीछे छोड़ देगी।
मैंने सर को अपने सामने खडा़ कर लिया और खुद बैॅड पर बैठ गई। सर ने कहा अब क्या इरादा है रंडी। मैंने कहा जैसे जैसे तूने मेरे अंगों के साथ खेला है मैं भी खेलूंगी। सर ने कहा आज पहली बार इतनी गर्म लड़की मिली है जो पहली चुदाई में ही किसी खेली खाई लड़की से भी ज्यादा मजा दे रही है। चल साली गश्ती जो दिल के अरमान हैं पूरे कर ले।
मैंने सर की छाती पर हाथ रख लिए और सुडौल छाती को जोर से रगड़ने लगी और उनके निप्पलों ऊंगलियों के बीच दबाकर बेरहमी से मसलने लगी। सर मेरे कंधे सहलाते हुए मेरी पीठ सहलाने लगे। मैं सर की छाती पर जीभ घुमाने लगी और हाथ उनकी पीठ पर रगड़ने लगी। मैंने सर के निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए मुंह मुंह में लेकर चूसने लगी।
सर मेरा सिर अपनी छाती पर दबाते हुए कामुक आंहे भरने लगे। मैं सर के निप्पलों की मुंह में भरकर बहुत जोर से खींच कर छोड़ देती। जैसे ही निप्पल मेरे मुंह से छूटता तो बहुत तेज़ी से पुच्चचच की आवाज़ आती और सर के मुंह से भी कामुक आहहह निकल जाती। मैंने सर के पेट पर अपने होंठ लगा दिए और चूमने लगी।
मेरे रसीले होंठों का स्पर्श अपने पेट पर पाकर सर मचल उठे। मैं सर के पेट पर जीभ घुमाते हुए सर के चूतडो़ं को हाथों में पकड़ लिया। मैं सर की नाभि के ऊपर तथा नाभि के बीच जीभ डालकर चाटते हुए उनके चूतडो़ं को दबाने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और सर को भी और सर मचलते हुए आहहह आहहह करने लगे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने सर को घुमा कर अपने हाथों से उनकी जांघों को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया और बारी बारी हे उनके चूतडो़ं को चूमते हुए जीभ से चाटने लगी। मैंने अपनी टांगें खोलकर सर को बीच में बैठा लिया और मेरी चूत उनके पीछे टच होने लगी। मैंने एक हाथ उनकी छाती पर रख लिया और दूसरे हाथ से सर का तना हुआ लंबा एवं मोटा लंड पकड़ लिया। मैं सर की पीठ चूमने लगी तथा एक हाथ से सर की छाती सहलाने लगी और दूसरे हाथ से उनका लंड हिलाने लगी।
मैं उनकी पीठ को जीभ से चाटने लगी और छाती वाला हाथ उनके पतालू पल ले आई। मैं सर के पतालू सहलाती हुई लंड को तेज़ी से हिलाने लगी। मैंने सर की पीठ पर दांत गढ़ा गढ़ा कर दांतों के निशान बना दिए और तेज़ी से लंड हिलाने लगी। सर अपनी गांड हिला हिला कर मेरी चूत रगड़ते हुए आंहे भरते हुए बोली। अर्श आगे जाकर तू बहुत बड़ी रंडी बनेगी, इतना मजा तो बड़ी से बड़ी गर्म चुद्दकड़ रंडी नहीं देती जितना तू दे रही है। जो भी तुझे चोदेगा वो तेरा गुलाम बन जाएगा।
मैं बैॅड पर ही बैठी रही और सर घुटनों के बल नीचे बैठ गए। सर ने मेरी कमर में हाथ डालकर आगे खींच लिया और मेरी जांघों को चूमने लगे। सर के जांघों को चूमने से मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा। मेरी जांघों को चूमते हुए सर ने मेरी चूत पर मुंह रख दिया और चूत के चारों ओर चूमने लगे। सर ने मेरे चूत को जीभ से चाटना चालू किया और मेरी चूत में जीभ घुसा कर चाटने लगे। सर बहुत तेज़ी से मेरी चूत चाटने लगे और सपड़ सपड़ की आवाज़ें गूंजने लगी।
मैं अपनी कमर हिलाने लगी और सर के मुंह पर चूत रगड़ने लगी। सर ने मेरी चूत को चाट चाट कर बिल्कुल गीली कर दिया। अब लंड चूसने की मेरी बारी थी। सर खडे़ हो गए और मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गई। सर का लंड पूरी तरह सख्त हो चुका था और आज पहले से ज्यादा मोटा, लंबा और अकडा़ हुआ था।
मैंने सर से कहा आज लंड ऐसा क्यों है तो सर ने बताया कि गोली की वजह से है। मैंने लंड के टोप्पे से चमड़ी पीछे की और जीभ से चाटने लगी। मैं लंड को मुंह में लेकर चूसने रगी और सर बोले जोर से चूस साली गश्ती। मैं तेज़ी से सिर आगे-पीछे करके लंड चूसने लगी और लंड को अपने गले में उतार कर बाहर निकालती। सर ने मुझे बालों से पकड़ लिया और मुंह में झटके देने लगे।
सर झटका मार का लंड मेरे गले की गहराई में उतार देते और बाहर खींच लेते। सर ने मेरे मुंह में जोरदार शॉट मारा और लंड मेरे गले की बहुत गहराई में उतर गया, मुझे बहुत मजा आया लेकिन सर ने लंड वहीं फंसा कर रखा और काफी देर नहीं निकाला। मेरी सांस रुकने लगी और मैं सिर पीछे खींचने लगी। सर ने लंड बाहर निकाल लिया और मैं तेज़ी से सांस लेने लगी। मैंने कहा भोसडी़ के बता तो देता इतनी देर रखेगा, बहनचोद तूने तो जान निकाल दी थी।
सर ने कहा सॉरी अर्श अब इतनी गहराई में नहीं डालू़ंगा। मैंने कहा कैसे नहीं डालेगा मादरचोद, मजा बहुत आया था लेकिन इतनी देर तक मत रखना। सर फिर से मेरा मुंह चोदने लगे और उनका लंबा लंड पूरी तरह से मेरे गले को खोल कर बाहर आता। सर तेज़ी से मेरा मुंह और गला चोदने लगे और गप्प गप्प की आवाज़ें बहुत जोरों से गूंजने लगीं। अब मेरी चूत एवं गांड लंड केलिए तड़पने लगीं और सर का लंड भी चुदाई केलिए उतावला होने लगा।
सर ने मुझे बैॅड पल लेटा लिया और अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया।सर ने मेरी टांगें फैला दीं और अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया। मैंने सर से कहा धीरे-धीरे करना क्योंकि आपका लंड नकली लंड से काफी मोटा और लंबा है। सर ने कहा ठीक है और झटका मारा लेकिन लंड फिसल गया। सर ने तीन बार ट्राई किया और हर बार लंड छेद से फिसल जाता। मैंने सर का लंड अपने हाथ में पकड़कर चूत पर सैट किया और सर ने झटका मारा जिससे लंड का टोप्पा चूत में घुस गया। मुझे बहुत आनंद आया और मैं चुदाई की दुनियां में खोने लगी।
सर ने कहा चल साली गश्ती मेरा लंड खाने को तैयार हो जा और झटका मारा। सर के झटके से आधा लंड मेरी चूत में घुस गया, मुझे दर्द महसूस हुए और मेरी हल्की सी चीख निकल गई। सर वहीं धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करने लगे और मैं नार्मल हो गई। सर ने अपना लंड थोडा़ पीछे खींच कर जोरदार शॉट मारा और लंड मेरी चूत को फाड़कर पूरा अंदर घुस कर मेरी बच्चेदानी के मुंह से टकरा गया। मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ और मेरे मुंह से जोरदार चीख निकल गई।
मुझे अपनी चूत अंदर से खुलती हुई महसूस हुई और मैं दर्द से तड़पने लगी। सर वहीं अपना लंड रखकर मेरे ऊपर लेट गए और मेरे होंठों को चूमने लगे। कुछ देर बाद दर्द की जगह मजे ने ले ली और मैं गांड हिला कर अपनी चूत में लंड हिलाने लगी। सर को भी मालूम हो गया कि मैं चूत चुदाई के लिए तैयार हूं। सर ने अपना लंड बाहर खींच कर फिर मेरी चूत में पेल दिया। लंड फिर से मेरी बच्चेदानी के मुंह से टकराया और मेरे मुंह से फिर चीख निकली लेकिन इस बार चीख मस्ती भरी थी।
सर अपनी कमर हिला हिला कर मेरी चूत चोदने लगे और मैं भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चूत में लंड को अंदर-बाहर करके चूत चुदाई का मजा लेने लगी।धीमी गति से शुरु हुई चुदाई में तेज़ी आने लगी और साथ ही कामुक आवाज़ें भी तेज़ हो गईं।सर मेरे ऊपर से अपनी गांड उठा उठा कर मुझे चोद रहे थे और मैं नीचे से गांड उचका उचका कर चुद रही थी। जितना जोरदार शॉट ऊपर से सर लगाते, उतना ही जोरदार शॉट में नीचे से लगाती। मेरी धांसू चुदाई हो रही थी और मैं चुदाई की दुनियां में खोई हुई मस्ती में ऊंची-ऊंची चीख चिल्ला रही थी।
सर ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और पूछा अर्श रंडी मजा आया क्या। मैंने कहा बहुत मजा आया सर ऐसे लगा जैसे सालों से सूखी जमीन पर बारिश हो रही है। सर ने मुझे कहा चल गश्ती घुटने मोड़कर गांड उठा कर कुतिया बन जा तेरी गांड को भी पानी पिला दूं। मैं कुतिया बन कर बैठ गई और कहा आजा मेरे कुत्ते तेरी कुतिया गांड मरवाने को तैयार है। सर ने मेरी गांड के छेद पर तेल लगा दिया और फिर ऊंगली मेरी गांड के छेद में घुसा कर अंदर तक तेल लगा दिया।
सर ने मुझे कमर से पकड़कर मेरी गांड पर लंड रखकर जोरदार शॉट मारा। गांड के अंदर-बाहर तेल की चिकनाई से और कंडोम की चिकनाई से लंड मेरी गांड की दीवारों को खोलता हुआ जड़ तक बैठ गया। मुझे दर्द तो नहीं हुआ लेकिन इस शॉट से मैं ऊपर-नीचे तक हिल गई। सर पूरे जोश में थे और पूरे जोर शोर से मेरी गांड चोदने लगे। सर ने मेरे बाल पकड़ लिए और दे दनादन मेरी गांड की चुदाई करने लगे।
मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ने लगा और मैं अपनी गांड आगे-पीछे कर के पहली गांड चुदाई के मजे लेने लगी। सर मुझे बहुत तेज़ी से चोदने लगे और मैं बहुत जोरों से मस्ती में चीखने-चिल्लाने लगी। मेरी मस्ती भरी चीखें सुन कर सर को और भी जोश आता और वो मेरी जबरदस्त चुदाई करने लगे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
सर मुझे गोद में उठाकर हॉल में ले आए और मुझे डाइनिंग टेबल पर टांगें लटका कर बैठा दिया। सर ने अपने लंड से कंडोम उतार दिया और मुझे लंड गीला करने को बोला। मैं डाइनिंग टेबल से नीचे उतर कर सर का लंड मुंह में लिया और चूस चूस कर गीला कर दिया। जब सर को लगा लंड गीला हो गया तो मुझे फिर टेबल पर बैठा कर टांगें खोल लीं। सर बोले अब आएगा असली मजा मेरा लंड बिना कंडोम के तेरी चूत की सैर करेगा।
सर ने मेरी चूत के छेद पर अपना लंड रखा और बोले तैयार है क्या गश्ती, मैंने कहा हां साले हरामी जल्दी से ठोक डाल। सर ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे तथा जोरदार शॉट मारा और लंड मेरी चूत में समा गया। हमने एक दूसरे को कस कर बाहों में भर लिया और कंधों के ऊपर से एक दूसरे के कान चूसने लगे। मेरे बडे़ बडे़ बूब्ज़ सर की छाती में गढ़ गए और मैं अपने बूब्ज़ उनकी छाती पर मसलने लगी। मैंने अपनी टांगें सर की कमर पर लपेट लीं और बिल्कुल सर के जिस्म से सट गई। सर अपनी गांड तेज़ी से आगे-पीछे करते हुए मेरी चूत चोदने लगे।
बिना कंडोम से लंड लेने का मुझे ज्यादा आनंद आ रहा था। पहले तो कंडोम की वजह से वही महसूस हो रहा था लेकिन अब लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। मैंने कंडोम और बिना कंडोम की चुदाई की तुलना की और जाना कि कंडोम के साथ चुदाई में चौथे हिस्से से भी कम मजा आता है। हम एक दूसरे से चिपके हुए चुदाई करने लगे और मेरी गर्दन पर सर की गर्म सांसें मुझे और भी उत्तेजित करने लगीं। मैं अपनी कमर चला कर चूत के अंदर लंड लेने लगी और लंड पूरी तरह मेरी चूत में आने जाने लगा। सर ने मुझे टेबल से उतार दिया और टेबल के सहारे झुका कर खडी़ कर लिया।
सर ने मेरी गांड के छेद पर लंड लगाया और झटका मार कर लंड अंदर पेल दिया। सर मेरे चूतडो़ं पर चपत लगाते बोले साली गश्ती खा मेरा लंड और जोरदार शॉट मारकर मेरी गांड चोदने लगे। मैंने कहा साले बहनचोद कब से गश्ती गश्ती बोल रहा है लेकिन गश्ती होती क्या है। सर ने मेरी गांड चोदते हुए बताया कि गश्ती मतलब सड़क शाप वेश्या जो पैसों केलिए किसी से भी चुद लेती है। सर मुझे बालों से पकड़कर मेरी गांड चोदने लगे और मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा कर गांड में लंड लेने लगी। इस ताबड़तोड़ गांड चुदाई में मेरे बूब्ज़ ऊपर-नीचे डांस कर रहे थे।
सर ने मुझे टेबल पर लेटा लिया और मेरी टांगें खोलकर अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया। सर ने मेरी जांघों को पकड़कर एक जबरदस्त शॉट मारा और सर का लंड मेरी चूत में समा गया। सर मेरी चूत को जबरदस्त शॉट मार कर चोदने लगे और मेरे बूब्ज़ फिर ऊपर-नीचे उछल-कूद करने लगे। सर ने आगे झुक कर मेरे बूब्ज़ हाथों में थाम लिए और चुदाई चालू रखी। सर ने चूत चोदते हुए पूछा तुम मेरा माल मुंह, चूत या गांड में लोगी। मैंने कहा मुंह मे रोज लेती हूं अब बची चूत और गांड, यहां दिल करे वहीं छोड़ देना।
सर ने कहा तेरी गांड में ही दूंगा। सर एक बार फिर मुझे गोद में उठाकर बैॅडरूम में ले आए और मुझे दीवार के साथ बूब्ज़ लगा कर खडी़ कर दिया। सर मेरे पीछे आ गए और मेरे चूतडो़ं की फांकें खोलकर गांड पर लंड लगा दि लेकिन मैं साईड पर हो गई। मैंने सर की पीठ दीवार से लगा कर खडे़ कर दिया और अपनी गांड का छेद सर के लंड पर टिका दिया। मैंने जोर से गांड पीछे को धकेल दी और फच्च से लंड मेरी गांड में घुस गया।
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मैं बांहें ऊपर कर के गांड को कभी आगे-पीछे, कभी ऊपर-नीचे, कभी गोल गोल घुमा कर गांड चुदाई करने लगी। सर मेरे बूब्ज़ पकड़कर मेरी गर्दन और पीठ को चूमते हुए झटके मारकर मेरी मस्त गांड चोदने लगे। सर ने मुझे कसकर पकड़कर दीवार से लगा लिया और बहुत तेज़ी से मेरी गांड चोदने लगे। कुछ देर बाद सर का जिस्म अकड़ने लगा और मुझे अपनी गांड में कुछ गर्म गर्म गिरता महसूस हुआ। सर ठंडी आंहें भरते हुए झड़ गए और मैं दो बार झड़ चुकी थी। हम दोनों पसीने से तर ब तर हो गए थे जबकि एसी चल रहा था। इस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद हम नंगे ही बैॅड पर लेट गए।
उस रात हमने तीन बार चुदाई की और सुबह फिर चुदाई की। मैं नहा धो कर घर आने को तैयार हो गई और सर ने मेरे हाथ पर 15000 रुपए दिए और चर्स बेचने वाली एक औरत से मेरी बात करवा दी। अब हर महीने सर 50000 से ऊपर रुपए दे देते थे तथा ट्यूशन की 3000 रुपए फीस भी मेरे पास रह जाती। मेरे सब सामान के खर्च के बाद मेरे पास पैसे बच जाते थे और मैंने मम्मी-पापा से चोरी बैंक में अकाऊंट खुलवा लिया तथा उसमें पैसे जमा करवा देती।
ये थी मेरी असली लंड से पहली चुदाई। इसके बाद मुझे लंड लेने का ऐसा चस्का रगा कि बहुत सारे लंड अपनी चूत, मुंह और गांड में लेकर चुदाई के मजे लूट चुकी हूं। अच्छा दोस्तो अभी इजाजत अगली कहानी तक प्यार भरा सलाम। तब तक के लिए आपको मेरी ये हिन्दी चुदाई कहानी सेक्स्स्टोरी केसी लगी अपनी प्रतिक्रिया मुझे जरुर लिखियेगा जिसके लिए मेरा ईमेल पता है “[email protected]”.
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