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अब तक आपने पढ़ा.. मैंने भी उसको अपने दिल की बात बताई और कहा- तुम नहीं जानती कि मेरा क्या हाल है.. दिन-रात तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ। मुझे अपने आप पर कण्ट्रोल ही नहीं रहा और मैंने उसके.. होंठों.. गालों.. बालों.. यहाँ तक कि उसके मम्मों की भी तारीफ़ कर डाली। उसे बुरा नहीं लगा। मैंने उससे पूछा- तुम्हारे पास स्काइप एप्लीकेशन है। उसने कहा- हाँ। मैंने उससे कहा- तो चलो हम अभी वहाँ मिलते हैं। वो राज़ी हो गई।
अब आगे..
मैं घर आया.. लैपटॉप उठाया और नेट-कनेक्ट कर लिया। इस कहानी की पाठिकाएं भी मुझसे मिल सकती हैं। वो भी आ गई.. अब हम दोनों एक-दूसरे के सामने थे। भले ही हम दोनों एक-दूसरे को छू नहीं सकते थे.. पर देख-सुन सकते थे। उसने काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी, नाइटी में उसका गोरा बदन बिल्कुल चॉकलेट आईस-क्रीम की तरह लग रहा था.. जैसे ब्राउन चॉकलेट के अन्दर सफेद मलाई भरी होती है ऐसे..
मैंने उससे कहा- क्या मैं तुम्हारे मम्मों को देख सकता हूँ? वो थोड़ा शरमाई.. फिर उसने कहा- क्यों नहीं.. और धीरे-धीरे उसने अपनी नाइटी के अन्दर ब्रा के नीचे से अपने एक मम्मे को बाहर आजाद किया..
हय.. बस मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और मैंने उससे कहा- रहने दो पूनम.. नहीं तो शायद आज सैलाब आ जाएगा और इस सैलाब को रोकने वाला ही जब दूर है तो.. उसे रोकेगा कौन?
वो मान गई और हम काफी रात तक एक-दूसरे के साथ बात करते रहे और ये सोचते रहे कि कब हम दोनों एक-दूसरे के करीब होंगे। क्योंकि आज की इस घटना के बाद न मैं ही अपने आप को रोक सकता था.. न वो ही.. क्योंकि अब तो दोनों तरफ ही आग बराबर लग चुकी थी।
अगले दिन जब मैं इंस्टीट्यट पहुँचा.. तो स्टाफ मीटिंग का नोटिस मिला। मीटिंग में हैड ने बताया कि पांच दिन के बाद एग्जाम खत्म होते ही स्टाफ मेंबर्स के लिए शिमला टूर का प्लान है.. जिसमें सभी को आना ही है.. और एक स्पेशल बात यह है कि इस विजिट पर सभी को अपने पार्टनर को भी लाना है।
बस अब क्या था.. ये तो सोने पर सुहागा हो गया। अब तो मैंने भी ठान लिया कि पूनम की सील तो पूनम की रात में ही तोडूंगा। एग्जाम खत्म हुए.. टूर पर जाने का दिन आया। एक वॉल्वो बस बुक की गई थी.. कोई 6 घंटे का सफर था.. शाम 4 बजे निकलने का पक्का हुआ।
नवंबर महीने का अंत ही हो रहा था.. मीठी-मीठी सी ठण्ड का मौसम चल रहा था।
सभी स्टार्टिंग वाली जगह पर अपने- अपने पार्टनर्स के साथ पहुँच गए।
बस मैं और वो ही अकेले आने वाले थे मैंने देखा कि उसने उस दिन वाइट एंड ग्रे रंग का टॉप और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी। ऐसे लिबास में मैंने उसे पहली बार ही देखा था।
मैंने भी जीन्स और सफेद शर्ट ही पहना था। सभी वॉल्वो में चढ़ने लगे.. धीरे-धीरे करके सभी चढ़ गए.. बस मैं और वो ही रह गए थे।
सभी अपने-अपने पार्टनर्स के साथ अपनी सीट पकड़ कर बैठ गए और बस अब हमें बैठना था। मैं जब वॉल्वो में चढ़ा.. तो देखा की बस पीछे की चार सीटें खाली हैं। एक पूरी लम्बी वाली और उसके अलावा तीन और..।
मैं और पूनम सबसे पीछे वाली सीट पर बैठ गए.. मेरे एक कुलीग ने मुझे आँख मारी.. मैं समझ गया।
आपको तो पता ही है कि लक्ज़री बसों में सीट कितनी ऊँची होती है.. हम आसानी से एक-दूसरे को देख नहीं सकते। वैसे भी हमें कौन देखता.. सब ‘अपनी वाली’ में बिजी थे।
मैंने उसको सबसे पीछे वाली सीट पर कोने में बैठाया और खुद भी बैठ गया, बस.. कुछ ही देर में बस चल दी और हाईवे पर पहुँच गई। उसने कहा- पर्दे खोल दो। मैंने कहा- पर्दे खोलने के लिए यहाँ थोड़े ही बैठे हैं।
मैंने उसके गर्दन के पीछे से अपने हाथों को ले गया और उसको सीने से लगा लिया।
उसके स्तन टॉप में से नुकीली तलवार जैसे मेंरे सीने में चुभ रहे थे। मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसके माथे को चूम लिया।
उसने भी जवाब में मेरे गालों पर अपने होंठों का स्पर्श किया। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लगाना चाहा.. पर वो थोड़ा शरमा कर पीछे हो गई।
पर मैं तो किसी मौके को हाथ से जाने नहीं देने वाला था। मैंने प्यार से.. भरोसे से.. धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया।
मुझे उसका तो पता नहीं.. पर मैं तो दोस्तों किसी दूसरी दुनिया में ही विचरण कर रहा था।
उसके होंठ बिल्कुल शहद की तरह मीठे और मुलायम लग रहे थे। कम से कम 6-7 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे। फिर मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। हम दोनों ही मदहोश हो गए थे, मैं तो उस अनुभव को शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा हूँ.. पर आप अँदाजा लगा सकते हो।
उसने अपना एक हाथ मेरी शर्ट के अन्दर डाल दिया.. मैं बनियान कभी नहीं पहनता.. मेरी छाती पर कुछ बाल थे और वो उन बालों पर अपने हाथ फेरने लगी। मैं तो मानो.. अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा था.. उसकी नरम-नरम उंगलियाँ और हथेली मेरे छाती पर इधर-उधर घूम रही थीं.. ऐसा लग रहा था मानो सावन के महीने में कोई हिरनी बादलों को देख कर मस्त होकर नाच रही हो.. बस आवेश में आकर मैंने उसकी गर्दन पर दांतों से काट लिया।
उसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई.. पर ट्रेफिक और बस की स्पीड के कारण हो रहे शोर की वजह से किसी को पता नहीं चला। फिर हम दोनों ही थोड़ा सा मुस्कुरा दिए। मैंने उसके गालों पर चुम्मी कर दी और उसने मेरी छाती पर.. उसके गाल इतने मुलायम थे कि किस करते ही लाल हो जाते।
मैंने टॉप के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना और सहलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसने सिसकारियाँ लेना शुरू कर दीं। उसके होंठ मेरी गर्दन के पास थे.. मैं उसकी गर्म-गर्म साँसों को महसूस कर सकता था। मैंने उसके एक हाथ को अपनी जीन्स की ज़िप पर रख दिया और कहा- धीरे-धीरे सहलाओ।
मैं उसको उसके चेहरे पर.. गालों पर.. गर्दन पर.. होंठों पर.. चुम्मी करता रहा, फिर कुछ देर में लगा कि मैं बह जाऊँगा.. तो मैंने पूनम को रुकने के लिए कहा.. वो समझ गई।
मैंने उसकी जीन्स की ज़िप को खोल दिया और कहा- थोड़ा सा टाँगों को फैला लो। मैंने जब उसकी पैंटी को हाथ लगाया.. तो वो थोड़ी गीली हो गई थी। मैं समझ गया कि अभी यहाँ इतना ही काफी है, बाकी बाद में होगा.. तो बस.. मैं उसको बाँहों में लेकर बैठ गया और उसके मम्मे दबाता रहा.. सहलाता रहा।
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रात दस बजे के करीब हम सब होटल पहुँच गए.. सभी बस से नीचे उतरे.. और होटल परिसर को चल दिए।
चाँदनी रात थी.. मंद-मंद शीतल हवा चल रही थी.. मैनेजर ने सभी को कमरे दिखाए। कमरे एक कतार में थे.. मेरा और पूनम का कमरा सेकंड फ्लोर पर था क्योंकि नीचे सारे डबल बेडरूम थे। हम सब अपने-अपने कमरों में चले गए.. और फ्रेश हो कऱ लॉबी में खाना खाने आ गए। खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरों की तरफ चले गए।
मैं हमेशा की तरह टहलने चला गया। पास ही की एक मेडिकल शॉप से मैंने कॉफ़ी फ्लेवर के कंडोम की एक डिब्बी खरीद ली.. क्योंकि हमारी रिश्ते की शुरूआत तो कॉफ़ी से हुई थी।
आप लोग सोचेंगे कंडोम क्यों.. जस्ट फॉर सेफ्टी.. यह हमारा पहली-पहली बार था न.. वैसे भी टेंशन और प्यार एक साथ नहीं हो सकते।
अभी रात के 12 ही बजने वाले थे.. बाहर ठण्ड का माहौल हो गया था.. चांदनी रात थी और भी मजा आ रहा था।
मैं अपने कमरे में गया.. तैयार हुआ और 12:21AM पर मैंने पूनम के कमरे के डोर को नॉक किया.. उसने अन्दर से पूछा- कौन? ‘मैं हूँ.. दरवाजा खोला यार..’ उसने मुस्कुरा कर दरवाजा खोल दिया।
दोस्तो.. पूनम के साथ मेरी आशिकी की ये मेरी वास्तविक घटना है… चूँकि मैंने पहली बार अपने भावों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है.. शायद मैं उतनी अच्छी तरह नहीं कर पाया होऊँगा.. पर आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइएगा.. मैं इसको अक्षरश: सही लिखने का प्रयास कर रहा हूँ.. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए.. कल मिलते हैं। कहानी जारी है। [email protected]
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