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यह एक सत्य घटना है।
नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम अर्जुन है। मेरी उम्र 23 साल है.. मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं एक टेक्निकल स्कूल में कंप्यूटर सर्वर नेटवर्किंग की फैकल्टी हूँ। वहाँ और भी कई सारे टेक्निकल कोर्सेज पढ़ाए जाते हैं जैसे इलेक्ट्रिकल, डीटीपी, कंप्यूटर ब्यूटी कल्चर, ड्रेस-डिजाइनिंग, मैकेनिकल, फैशन डिजाइनिंग आदि।
यहाँ ज्यादातर सभी फैकल्टी मेंबर 35 साल से ऊपर के हैं। बस मुझे और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर (फीमेल) को छोड़कर.. पर 22 साल की उम्र में ही उसकी भी शादी हो गई है। मेरे साथ एक प्यारा सा वाकिया हुआ जिसको शायद बहुत से यंगस्टर्स रोज़ रात को सपनो में देखते हैं। ये है आशिकी.. नहीं आशिकी-3..
मैं यह वाकिया कई दिनों से शेयर करने की सोच रहा था.. पर पता नहीं था कि क्या करूँ.. तो मुझे अन्तर्वासना के बारे में पता चला। मैं अब अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ.. शायद आप सभी को पसंद आएगी।
जैसे मैंने पहले ही बताया कि मैं एक फैकल्टी हूँ.. तो कहानी उसी टेक्निकल स्कूल की है। वैसे तो वहाँ दिन भर लड़कियों और लड़कों का हुजूम सा लगा रहता था.. पर मैं एक फैकल्टी था.. तो कैसे किसी को गलत तरीके से कुछ कह या कर सकता था। आप समझ ही सकते हैं।
वहाँ पर फैशन डिजाइनिंग में एक न्यू फैकल्टी आई थी.. उनका इंट्रो जिस दिन हुआ.. मैं उस दिन नहीं आया था और अगले दिन भी मैं किसी जरूरी काम की वजह से देर से पहुँचा.. तो मॉर्निंग असेम्बली में भी मुलाकात नहीं हो पाई। बाद में सभी फैकल्टी स्टाफ रूम में इकठ्ठा हुए.. तो मैंने वहाँ एक नया चेहरा देखा।
क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या परी सा चेहरा था.. ऐसा लग रहा था.. परीलोक की प्रिंसेस जमीन पर उतर आई हो। एकदम गुलाबी-गुलाबी गाल.. पतली बलखाती कमर.. लम्बे-लम्बे बाल.. जो पीठ और स्तन दोनों को ही छू रहे थे। उसके मम्मों पर जब बाल इधर-उधर होते तो पूरे जिस्म में बिजली सी उतर जाती थी।
मन में बहुत उथल-पुथल होने लगी। मैंने अपने आपको बहुत कण्ट्रोल किया और कॉफ़ी का कप उठाया और न्यूज़ पेपर लेकर बैठ गया। अब चूँकि वो फैशन डिजाइनिंग की फैकल्टी थी.. तो उनको कम्प्यूटर्स की जरूरत पड़ती थी.. उनकी लैब और वहाँ के सभी कम्प्यूटर्स और कम्प्यूटर्स लैब को मैं ही देखता था.. तो अगर किसी को भी कोई दिक्कत होती थी.. तो वो मेरे पास ही आता था।
तो वो भी आई और उसने कहा- आप ही मिस्टर अर्जुन हैं।
हाय.. क्या बताऊँ दोस्तो.. वो मेरा नाम बोल रही थी और मैं उसके होंठों को देख रहा था.. क्या लाल-लाल रसीले होंठ थे.. मन कर रहा था अभी चूसने लग जाऊँ।
मैंने अपने अरमानों को रोकते हुए कहा- हाँ जी हाँ… मैं ही अर्जुन हूँ.. आप? ‘मैं पूनम सेहरावत.. हाय.. मैंने आज ही फैशन डिजाइनिंग फैकल्टी ज्वाइन किया है।’ मैंने भी रिप्लाई में कहा- हल्लो.. मेरा नाम अर्जुन.. सर्वर इंजीनियर.. जी.. मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए।
‘सर, मेरी कंप्यूटर लैब में कुछ सिस्टम और सॉफ्टवेयर्स काम नहीं कर रहे हैं.. आप जरा देख लेंगे प्लीज?’ मैंने कहा- इसमें प्लीज की क्या बात है.. ये तो मेरा काम है.. बाई दि वे वेलकम टू अवर इंस्टिट्यूट! ‘थैंक्स..’
इतने से वार्तालाप ने तो दोस्तो, जिस्म में सुनामी ला दिया। क्या प्यारा नाम है.. पूनम (22).. शान्त शीतल प्यारा.. क्या आवाज़ है.. मैं सोचने लगा कि बनाने वाले ने भी क्या पीस बनाया है..
तो अब क्या था दोस्तो.. रोज़-रोज़ बात करने के मौके और साथ रहने के तरीके ढूँढता रहता था।
ऐसे ही कुछ दिनों में पता चला कि उसकी शादी हो गई थी.. पर शादी के नेक्स्ट डे ही उसका पति U.S.A. चला गया। फिर 2 महीने के बाद उसका लैटर आया कि वो अब वापस नहीं आएगा उसने वहीं किसी और से शादी कर ली है। इतना सुनते ही ये अपना सारा सामान लेकर अपने घर चली आई और उससे तलाक ले लिया।
तब से वो अकेली ही है.. इस बात को कोई डेढ़ साल हो गए हैं।
एक दिन शाम पांच बजे जब छुट्टी हुई तो बाहर बारिश हो रही थी.. तो मैंने पूनम से पूछा- अगर आपको जल्दी घर ना जाना हो.. तो कॉफ़ी पीने चलें? मैंने कहीं पढ़ा है कि ऐसे मौसम में कॉफ़ी पीने का कुछ अलग ही मजा होता है।
उसने उस दिन गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी.. वो बिल्कुल बसंत का गुलाब लग रही थी। उसने कहा- ठीक है क्यों नहीं.. मैं भी इसे एक्सपीरियंस करना चाहती हूँ। तो बस क्या था मैंने अपनी 150 CC की बाइक निकाली और कहा- आईए..
सच कह रहा हूँ दोस्तो, बाइक पर पीछे किसी लड़की को बिठाना.. एक अलग ही एहसास होता है.. और वो भी बारिश में तो.. खड़ा करने जैसा काम लगता है। कभी करके देखना और मुझे लिखना।
धीमी-धीमी बारिश में हम दोनों बाइक पर जा रहे थे। मैं भी कभी-कभी मजे लेने के लिए ब्रेक लगा देता.. जिससे वो मुझसे चिपक जाती। जैसे ही वो मुझसे चिपकती.. अन्दर एक बिजली सी उतर जाती।
हम कॉफ़ी शॉप पर पहुँचे और मैंने कॉफ़ी और कुछ स्नैक्स आर्डर कर दिए। वो अपने बालों को और साड़ी को झटक- झटक कर पानी निकाल रही थी.. क्योंकि वो थोड़े गीले हो गए थे।
जैसे ही वो थोड़ी सी नीचे झुकी कि उसके दोनों मम्मे नज़र आए.. हय.. क्या लाजवाब मम्मे थे.. मन कर रहा था कि कॉफ़ी छोड़ कर उसके गरमा-गरम मम्मे ही चूस लूँ।
इतने में वेटर कॉफ़ी लेकर आ गया। लेकिन मुझे कुछ एहसास हुआ जैसे वो भी मुझे लाइक कर रही है.. पर कहने से हिचकिचा रही है.. मैंने पता नहीं क्यों.. पर उसकी तरफ स्माइल फेस से मैंने आँख मार दी.. वो भी थोड़ा मुस्कुरा दी। अब तो मुझे पूरा एहसास हो गया कि कहीं न कहीं.. ये भी मुझे लाइक करती है।
हम दोनों कॉफ़ी पी रहे थे.. लेकिन मेरी नज़र उसके होंठों पर थी और मैं अपने आपको बहुत बदनसीब और कप की किस्मत को लकी समझ रहा था.. जो उसके होंठों को बार छू रहा था। उसे भी शायद समझ आ गया था कि मेरे मन में क्या चल रहा है.. पर हम दोनों किसी-से कुछ कह नहीं पा रहे थे।
हम दोनों ने कॉफ़ी खत्म की और रेस्ट्रोरेंट से निकलने लगे.. तो रेस्ट्रो के बाहर सीढ़ियों पर पानी होने की वजह से वो फिसल गई.. मैंने उसको सम्भाला अब वो मेरी गोद में थी और हम दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे। मुझे लगा कि शायद मेरे पास कोई सुपर पॉवर होती तो मैं समय को थोड़ी देर के लिए यहीं रोक देता। उसके बाद हम दोनों बाइक पर बैठे.. इस बार मुझे एहसास हुआ कि वो पहले से ज्यादा कम्फ़र्टेबल तरीके से मेरे बिल्कुल नजदीक अपने हाथों को मेरे कंधे पर रख कर बैठी थी।
हम ऐसे ही कुछ देर बाइक पर घूमते रहे और फिर मैंने उसको घर ड्रॉप कर दिया। पता नहीं क्यों.. पर जाते-जाते उसने मुझे भी उसी स्टाइल में एक शरारती हंसी वाले चेहरे के साथ आँख मारी। मैं तो पक्का समझ गया कि बेटा अब तो पपलू फिट हो गया है।
अगले दिन मैं पूनम की लैब के पास से गुजर ही रहा था उसने मुझे रोका और बोली- सर प्लीज आप जरा देख लेंगे.. कुछ सिस्टम में प्रॉब्लम है। मैं अन्दर गया तो देखा हम दोनों के अलावा कोई नहीं है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने पूछा- बाकी सब स्टूडेंट्स कहाँ हैं? तो उसने कहा- आज वीकली एग्जाम हैं तो उसी की तैयारी कर रहे हैं।
वो मेरे बगल में खड़े होकर सिस्टम की एक-एक प्रॉब्लम बता रही थी.. पर मैं तो बस उसे ही देख रहा था। अचानक पता नहीं क्या हुआ मैंने उसके गाल पर चुम्मी कर दी.. वो थोड़ा दूर खिसक गई।
मैं भी थोड़ा सकपका सा गया, मैंने कहा- मैम मैं किसी लड़के को भेजता हूँ.. वो देख लेगा। और मैं वहाँ से चला आया। फिर शाम तक मैंने उससे मिलने की कोशिश नहीं की।
रात को खाना खाने के बाद मैं जब टहलने के लिए बाहर निकला.. तो मैंने उसको फ़ोन किया.. उसने फ़ोन जैसे ही उठाया.. मैंने उससे कहा- आई एम सॉरी। उसने कहा- किस लिए? मैंने कहा- जो मैंने आज किया उसके लिए.. उसने कहा- किसी न किसी को तो शुरूआत करनी ही थी.. सो आपने कर दी।
उस रात उसने मुझसे अपने दिल की बात कही.. कि वो तो मुझे पहले दिन से ही लाइक कर चुकी थी.. पर कहा नहीं। मैंने भी उसको अपने दिल की बात बताई और कहा- तुम नहीं जानती कि मेरा क्या हाल है.. दिन-रात तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ।
मुझे अपने आप पर कण्ट्रोल ही नहीं रहा और मैंने उसके.. होंठों.. गालों.. बालों.. यहाँ तक कि उसके मम्मों की भी तारीफ़ कर डाली। उसे बुरा नहीं लगा। मैंने उससे पूछा- तुम्हारे पास स्काइप एप्लीकेशन है। उसने कहा- हाँ। मैंने उससे कहा- तो चलो हम अभी वहाँ मिलते हैं। वो राज़ी हो गई।
दोस्तो.. पूनम के साथ मेरी आशिकी की ये मेरी वास्तविक घटना है… मैं इसको अक्षरश: सही लिखने का प्रयास कर रहा हूँ.. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए.. कल मिलते हैं। कहानी जारी है। [email protected]
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