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वो बाथरूम से अच्छे से पौंछ कर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गये। मैंने कहा- भैया, आप नंगे ही बाहर आ गये? तो वो बोले- हाँ मधु भाभी, अब आपसे शर्म नहीं आ रही।
मैंने कहा- आप नाश्ता तो कर लो। वो बोले- हाँ, भाभी ज़रूर… ले आइये।
वो बाहर ड्राइंग रूम में कालीन पर जाकर बैठ गए, परदे लगा दिए, AC ऑन कर दिया, टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और आवाज़ न के बराबर ही रखी। मैं जब खाना लेकर पहुँची तो मैंने जान बूझ कर उनके लंड को छूते हुए ही खाना रखा, वो आराम से मूवी देखते हुए खाते रहे और मुझसे बातें भी करते रहे, बोले- देखो भाभी, क्या मस्त पोजीशन है ना?
वो बिल्कुल ऐसे बात कर रहे थे जैसे कि कुछ गलत नहीं हो। मैं भी अपने सामने एक पराये मर्द को नंगा खाना खाते देख और सामने ब्लू फिल्म के चलते अपने हाथ को चूत पर ले गई और रगड़ने लगी।
अब तो भैया और भी दबंग होते जा रहे थे, बोले- चूत बाद में रगड़ना पहले पानी ले के आ जा। मैं उठी, पानी लाकर दिया, बैडरूम में गई और पूरी नंगी हो गई। मैंने वहीं से आवाज़ लगा कर बोला- भैया, आप बर्तन उठा के सिंक में रख देना। भैया बोले- ओके!
जब मुझे बर्तन रखने की आवाज़ आई, उसके 2 मिनट के बाद मैं उठी और जाकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गई। मैं बोली- भैया, कुछ डेजर्ट? भैया तो समझदार थे ही, बोले- हाँ भाभी, डेजर्ट की बहुत ज़रूरत है। और आकर सीधा मेरी चूत पर अपना मुंह टिका दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
5-7 मिनट चाटने के बाद बोले- आपकी चूत का टेस्ट तो वाकई लाजवाब है। मेरा बस चले तो में दिन भर बस इसे ही चाटता रहूँ। मैंने कहा- भैया, आप बहुत अच्छी चूत की चटाई करते हैं। मेरा भी मन करता है कि आपकी जीभ दिन भर मेरी चूत को अंदर तक सहलाती रहे। भैया बोले- आपका तो हर अंग इतना खूबसूरत है कि अगर ज़िन्दगी भर बैठ कर तारीफ़ की जाए तो भी कम है। आपकी गर्दन एक सुराही की तरह चमकदार और लम्बी है, आपके बूब्स परफेक्ट साइज और शेप में हैं, आपकी कमर माशाल्लाह कयामत है, आपकी चिकनी चूत और उसका पानी ऐसा लगता है जैसे सोने के प्याले में अमृत परस दिया हो।
और फिर बोलते बोलते वो मेरे बूब्स चूसने लगे, मैं भी मज़े लेने के लिए आँखें बंद करके पराये मर्द से चुदने की अनुभूति का मजा लेने लगी और उनकी पीठ सहलाने लगी। अब उनका हथियार मेरी जांघों में चुभ रहा था, मुझे उसे अपनी चूत में लेने की ललक बढ़ रही थी, मैंने कहा- भैया, लाइए आपके हथियार की सेवा कर दूँ, लाइए उसकी थोड़ी मलाई निकाल दूँ। भैया बोले- हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं।
फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को चूसते और चाटते रहे, वो कभी मेरी गांड चाटते, कभी मेरी चूत और कभी अपनी उंगली मेरी गांड में डाल देते, कभी मेरी चूत में। मैं भी कभी उनके गोलियों को मुंह में ले लेती कभी उनके लंड को तो कभी उनकी गांड में उंगली फेर देती थी।
हम दोनों जब अपने चरम पर थे तो मैंने कहा- भैया, आपके लंड का पानी आप मेरी चूत में डाल दीजिये। भैया क्या बोलते, उनके मन में यही चल रहा था कि कब इस चूत में लंड डालें, अब वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया। चाटने और चुसाई के कारण लंड और चूत बहुत गीले थे और थोड़ा थोड़ा रस हम दोनों छोड़ चुके थे इसलिए चूत पर लंड टिकाते ही वो सुरंग में अंदर तक फिसल गया।
भैया बोले- भाभी, कल रात भी बड़ा मन था आप में उतरने का। पर कल रात तो कयामत ही थी वो कभी भी नहीं भूल सकता मैं। आप दोनों बहुत ही मस्त और दिलदार हो, इतने खुले विचार होने के बावजूद आपकी भाषा कितनी सरल और अच्छी है। क्यूँ भाभी, आप कभी चुदाई के टाइम गाली गलौच नहीं करती?
मैंने कहा- मैं सेक्स का सहारा लेकर गाली नहीं देती, मुझे देना होता है तो मैं वैसे ही दे लेती हूँ पर मुझे गाली गलौच पसंद नहीं है। वो तो राहुल को चुदाई के टाइम गाली देना अच्छा लगता है इसलिए सुन लेती हूँ। आप भी जब अपना पानी छोड़ने वाले होते हो तो गन्दी गन्दी और भद्दी गालियां देते हो। कल रात को आपने मुझे पता नहीं क्या क्या बोला।
भैया बोले- सॉरी भाभी, शायद मैं और राहुल एक से ही हैं, हम दोनों को पानी निकालते समय पता नहीं क्या हो जाता है, कितना भी कंट्रोल करें गाली निकल ही जाती है। मैंने कहा- भैया, आप कंट्रोल मत करो, जैसे अच्छा लगता है वैसे आप चुदाई करो, मैं गाली देना पसंद नहीं करती पर सुनने में मुझे कोई कष्ट नहीं है। जब चूत में लंड होता है तो वैसे भी गालियाँ मीठी ही लगती हैं। आप कंट्रोल में सेक्स करोगे तो आप एन्जॉय नहीं कर पाओगे। मैं चाहती हूँ कि आप एन्जॉय करो।
नीलेश भाई बोले- नहीं भाभी, आपकी ये अच्छी अच्छी बातें सुन कर सेक्स करने में और भी मज़ा आता है। इसलिए ऐसे ही करेंगे, मैं एन्जॉय कर रहा हूँ, आप भी मेरे लंड को अपनी चूत में एन्जॉय करो। मैंने कहा- हाँ, बस राहुल ने बहुत बार बोल बोल कर मुझे लंड और चूत बोलना सीखा दिया है तो अब वो तो जुबान पर चढ़ गया है। आप ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारते रहो, स्पीड मत बढ़ाओ।
ये सब बातें करते हुए हमने धक्के मारने बंद कभी भी नहीं किये थे। नीलेश भैया बोले- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, मुझे स्पीड बढ़ानी है। मैंने कहा- तो फाड़ दो मेरी चूत! अब भैया की स्पीड 200% बढ़ गई, उनके माथे पर पसीने की बड़ी बड़ी बूंदें थी, मैं उन्हें पौंछ रही थी और बोली- भैया आँखें बंद करके नहीं, खोल कर मेरे जिस्म को देखकर चोदिये।
भैया ने मेरे चूचे ज़ोर से दबाए और बोले- हाँ भाभी, तेरा जिस्म तो क़यामत है। कितनी अच्छी और प्यारी चुदक्कड़ है तू भाभी। लंड लेने में माहिर है तू मेरी जान। मैं तेरी चूत को अपनी मलाई से भर दूंगा माँ की लौड़ी।
अब उनकी स्पीड के साथ मैंने भी अपनी कमर को झटके देना शुरू किये जिससे मैं भी उनके साथ परम आनन्द तक आ सकूँ, पर भैया बहुत उत्तेजित थे तो वो मेरे अंदर बहुत देर तक और बहुत ज्यादा मात्रा में झड़ गए। मैं भी अपने चरम पर थी, मैं उनके झड़ने के बाद तक हिलती रही कि उनका लौड़ा मेरी आग बुझा दे… पर भइया पूरी तरह लस्त होकर मेरे बदन पर गिर गए।
अभी मेरी तो इच्छा पूरी हुई नहीं थी इसलिए मैं उन्हें सहला कर चाहती थी कि वो मेरे अंदर 4-5 जोर के धक्के और मार दें, पर वो नहीं उठे। मुझे थोड़ा बुरा लगा, मैंने उन्हें अपने ऊपर से उठाया वो बगल में चारों खाने चित्त वाले स्टाइल में पड़ गए।
मैंने पूरा चाट के उन्हें साफ़ किया, चाटने के साथ साथ मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे वो दुबारा खड़ा हो जाये। भैया थोड़े होश में आने पर बोले- भाभी आप सीधी लेट जाओ। मैं अपनी चूत की आग में झुलस रही थी और अभी कुछ भी करने को तैयार थी लेकिन वो तो बस लेटने को बोल रहे थे।
वो मेरी टांगों के बीच जाकर मेरी चूत जो उनकी खुद की मलाई से भरी थी, उसको चाटने लगे। मुझे पहले तो थोड़ी घिन सी आई पर फिर मज़ा आने लगा।
अब चूत का पानी छूटने ही वाला था, मैंने कहा- भैया उंगली डाल दीजिये अंदर, मेरा पानी छूटने वाला है। भैया बोले- आप सिर्फ एन्जॉय करना। उन्होंने एक उंगली दाने पर घुमानी शुरू कर दी, दो उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर डाल दी और अंगूठे का सिरा मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूत के निचले हिस्से पर अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैंने महसूस किया कि मेरी टांगें अपने आप थोड़ी ज्यादा खुल गई हैं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। मैंने अपने पेट से लेकर चूत तक एक बहुत बड़ा लोड बाहर की ओर आता महसूस किया, ऐसा लगा जैसे बाढ़ आने वाली है। मैं अपनी चूत की मालिश की मस्ती में इतनी मस्त थी कि मैंने भैया को कुछ नहीं बोला। बहुत सारा पानी वो भी प्रेशर से, उतने प्रेशर से तो मूत भी नहीं सकती, उतने प्रेशर से पानी निकलने लगा।
भैया भी एक्सपर्ट थे, उन्होंने न उँगलियाँ हटाई न मुंह बस वैसे ही मेरी चूत की सेवा करते रहे, मैं 2-3 मिनट तक झड़ती रही। इतने प्रेशर से तो मैं कभी भी नहीं झड़ी थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी जान निकाल दी हो। मेरी इतनी जोर से चीख निकल गई थी कि उसकी इको मुझे अभी भी सुनाई दे रही थी। मैं इतनी बुरी तरह झड़ी थी कि मैं पूरी सिकुड़ गई और मुझे ठण्ड लगने लगी।
भैया ने अंदर के कमरे से रजाई लाकर उढ़ाई और खुद भी रजाई के अंदर आकर मुझे जकड़ लिया और बोले- भाभी, आप ठीक हैं न? मैंने कांपते और मस्ती में कहा- हाँ! भैया ने मेरे चूतड़ों को हाथ में लिया, बोले- भाभी आप अभी भी थोड़ा थोड़ा डिस्चार्ज हो रही हो। आप कहो तो कोई टॉवल आपके नीचे लगा दूँ जिससे रजाई ख़राब न हो। मैंने सिर्फ गर्दन हाँ में हिला दी।
भैया एक तौलिया लाये, मेरी टांगों के बीच रख दिया जहाँ से रिसता हुआ पानी देख हंसते हुए बोले- भाभी, आपने तो बाल्टी भर पानी फैला दिया। मैंने मुस्कुरा कर थके हुए थिरकते हुए होंठों से कहा- भैया, आपने तो जान ही निकाल दी थी, बहुत मज़ा आया। जैसे आप कल रात नहीं भूलोगे वैसे ही मैं आज का दिन नहीं भूलूंगी। थैंक यू भैया, थैंक यू!
भैया बोले- क्या भाभी, आप जैसी हसीना ने मेरा लंड चूसा और चूत में लिया, थैंक्स तो मुझे बोलना चाहिए। अब आप थोड़ी देर आराम कर लो जिससे आप रिलैक्स हो जाओगी। मैंने कहा- भैया, आपकी बाँहों में सोना है मुझे, प्लीज अपनी बाँहों में सुला लो। मैंने उन्हें अपने आलिंगन में लिया और कब आँख लगी पता नहीं।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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