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मेरे गांव की लड़की की चुदाई मैंने कैसे की पहली बार … इस कहानी में पढ़ें. उससे मेरी आंखें चार हुई और प्यार हो गया. सेक्स की आग ने हमें चैन से जीने न दिया और …
दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग? मैं आपका गांव की लड़की की चुदाई कहानी में स्वागत करता हूं. यह मेरी गर्लफ्रेंड की पहली चुदाई की कहानी है जिसको मैंने दिल से लिखा है. ये कहानी लिखने में उसकी भी रजामंदी थी.
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं एक गांव का रहने वाला हूं. आपको यहां पर स्थान का नाम नहीं बता सकता हूं इसलिए क्षमा करें. मैं कॉलेज का छात्र हूं और जिन्दगी में मजा लेने से भी नहीं चूकता.
तो चलिये, मैं आपको अपनी देसी गांव की लड़की की चुदाई बताता हूं. उसका नाम मोनिका है. ये नाम भी मैंने बदल दिया है. गांव में ही हम दोनों एक दूसरे को देखा करते थे.
मोनिका देखने में काफी सुंदर थी. गोरा रंग, लम्बे काले बाल, गुलाबी होंठ और आंखें तो ऐसी कि जो उनमें देख ले उसका दिल घायल ही हो जाये.
हम दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते थे लेकिन कभी हमारी आमने सामने बात नहीं हुई थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उससे कैसे बात करूं. ऐसे ही होते होते दोनों में प्यार कब हुआ पता भी न लगा हमें.
फिर एक दिन किस्मत से वो मौका खुद ही आया.
उसके एग्जाम थे तो उसकी मां ने मुझे बुला लिया और कहा कि मैं उनकी बेटी के एग्जाम के लिए नोट्स लाकर दे दूं. मैं नोट्स लेकर आ गया और उन्हीं के बीच में मैंने अपना फोन नम्बर भी एक पर्ची पर लिख कर दे दिया.
मुझे पता था कि वो फोन जरूर करेगी.
उसी दिन देर रात को उसका फोन आया. हम दोनों ने बातें की और फिर दोनों ने ही अपने प्यार का इज़हार किया. उसने मुझे आई लव यू बोला और मैंने उसे.
उसके बाद हर रोज बातों का सिलसिला चलने लगा.
प्यार भरी बातों में समय का भी पता नहीं लगता था. हम दोनों देर रात तक चैट करते रहते थे.
ऐसे ही बातें करते करते पता नहीं चला कि कब हम दोनों सेक्स की बातें करने लगे.
मैंने उसका फिगर साइज पूछा तो उसने बताया कि 32-28-34 का साइज है. बहुत सेक्सी थी वो दिखने में.
एक दिन वो मुझे मंदिर में अकेली मिल गयी. हम एक दूसरे को देखते ही ऐसे खुश हो गये कि जैसे जन्मों के प्यासे हों.
फिर मैं उसको वहां से दूर एक तरफ ले गया जहां पर कुछ पेड़ और झाड़ियां थीं. जाते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
हम चुम्बन करते हुए इतने खो गये कि पता ही नहीं चला कि कितना वक्त हो गया है.
जब ध्यान आया कि यहां हम खुले में है और कोई भी किसी भी वक्त आ सकता है तो हम अलग हो गये.
हम वहां से आ गये मगर अब दोनों के अंदर एक न बुझने वाली आग लग गयी थी.
अब हम फ़ोन पर भी एक दूसरे से सेक्स की बातें करते थे. यूं कहें कि फोन सेक्स से ही काम चलाने लगे थे और दोनों के ही जिस्म एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे थे.
फोन सेक्स करते हुए वो अपनी उंगली अपनी चूत में डालकर हिलाती थी और मैं इधर अपना लंड हिलाता और मुठ मारता था. मैं तब तक लंड हिलाता रहता जब तक कि मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी न निकले.
एक दिन मोनिका ने मुझे कहा- अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज मुझे चोद दो … निचोड़ दो मेरी जवानी का रस … मैं चुदाई का असली मजा लेना चाहती हूं. ऐसे फोन पर मुझे अब कुछ अच्छा नहीं लगता.
उसने मुझसे बोला- कल रात को मैं और मेरी बहन ही घर पर होंगे. आप आ जाना, उसे मैं नींद की गोली देकर सुला दूंगी. आप जरूर आ जाना.
अब मैं तो खुद मोनिका की चुदाई के लिए तड़प रहा था. इसलिए मैं कैसे मना कर सकता था भला. मैं उसके दिए समय अनुसार देर रात को उनके घर गया तो वो गेट पर मेरा इंतज़ार कर रही थी.
उसने जल्दी से मुझे अंदर अपने कमरे में ले लिया. अंदर जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए. हमने बहुत देर तक किस किया.
फिर धीरे धीरे मेरे हाथ उसके चूचों पर पहुँच गए. मुझे ऐसे लगा जैसे कि मैं कोई रुई का गोला दबा रहा हूँ.
मेरे हाथों से चूचे दबवाते हुए अब मोनिका की सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी और मुझसे लिपट गयी.
मैंने उसकी चूत को ऊपर से ही पकड़ लिया और फिर जोर से अपनी हथेली से रगड़ दिया. चूत को हथेली से रगड़ते ही उसने अपनी चूत को मेरी हथेली पर जोर लगाकर दबाना शुरू कर दिया और वो सिसकारते हुए बोली- कर दो यार … कर दो प्लीज … अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
फिर मैंने उसका कुर्ता निकाल दिया. सफ़ेद ब्रा में उसके चूचे बहुत मस्त लग रहे थे.
मैंने एक झटके में उसकी ब्रा निकाल दी और उसके निप्पल चूसने लगा. वो पागल सी हो गई और बड़बड़ाने लगी- आई लव यू राहुल … आह्ह … आई लव यू.
मेरा एक हाथ उसकी सलवार में गया तो पाया कि उसकी फुद्दी गीली हो गई थी.
मैंने उसकी पैंटी और सलवार एक साथ उतार दी. वो बोली- तुमने तो मेरे सारे कपड़े उतार दिये. मुझे पूरी को नंगी कर दिया लेकिन खुद पूरे कपड़े पहने हुए हो.
फिर उसके कहने पर मैंने भी मेरे सारे कपड़े निकाल दिये. अब हम दोनों नंगे हो गये थे. उसकी चूत और गांड पर एक भी बाल नहीं था. मैंने कहा- तुम्हारी चूत और गांड तो बहुत चिकनी है. वो बोली- इसको तुम्हारे लिये ही तैयार किया है.
अब मेरे मुंह में पानी आ गया था और मैंने अपना मुंह उसकी फुद्दी पर रख दिया और उसे चूसने लगा. बहुत अच्छा स्वाद था उसकी चूत का.
फिर हमने ऐसी पोजीशन ली कि मेरा लण्ड उसके मुंह में चला गया और उसकी चूत में मेरी जीभ चली गयी.
इस पोजीशन में मैं तो पागल सा हो गया. उसकी हालत तो वो ही जाने लेकिन मैं तो उसकी चूत को जैसे खा रहा था. जी-जान से हम एक दूसरे को चूस रहे थे.
तभी मोनिका की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया. वो मेरा लण्ड चूसती रही.
फिर उसको पेशाब लगने लगी तो वो कहने लगी कि उसे पेशाब करना है. मैं बोला- मुझे तेरी चूत का पेशाब भी चख कर देखना है.
वो सुनकर थोड़ी हैरान हुई तो मैंने उसकी गांड पकड़ कर अपने मुंह की ओर खींची और उसकी चूत पर मुंह लगा दिया. मैं उसकी गर्म चूत को अपनी जीभ और होंठों से चूसने लगा.
फिर उसकी चूत ने धीरे धीरे गर्म होकर पेशाब निकालना शुरू किया.
उसकी गर्म चूत का पेशाब पीकर मैं तो खुद को रोक ही नहीं पाया क्योंकि इससे मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हुई. मैं उसकी पेशाब को उसकी चूत में से खींचने लगा.
वो तड़पती रही और अपनी चूत को मेरे मुंह पर रखे रही. उसने सारा मूत निकाल दिया मेरे मुंह में. इधर मेरे लंड का भी बुरा हाल था.
मैंने उसको नीचे बैठाया और उसके मुंह में लंड देकर चुसवाने लगा. वो मस्ती में लंड को चूसने लगी.
मुझे बहुत आनंद आ रहा था. मैं अब किसी भी वक्त झड़ने वाला था. फिर मेरा भी वीर्य उसके मुंह में निकल गया.
उसने मेरे माल को अंदर ही ले लिया. फिर हम दोनों अलग होकर लेट गये.
मैं उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा और वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी.
फिर मुझे पेशाब लगने लगा तो मैं जाने लगा. वो बोली- कहां जा रहे हो? मैंने कहा- मूतने जा रहा हूं. वो बोली- मुझे भी पीना है तुम्हारा गर्म पेशाब.
फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी. उसने मेरे लंड को पूरा मुंह में लिया तो मेरी आह्ह निकल गयी.
मैं उसे रूकने के लिए कहने लगा क्योंकि मेरा पेशाब ऐसे बाहर नहीं निकल रहा था.
जब वो रुकी तो सब नॉर्मल सा हुआ. फिर मैंने उसके चेहरे को पकड़ लिया और पेशाब पर ध्यान केंद्रित किया.
धीरे धीरे मेरे लंड से पेशाब निकल कर उसके मुंह में भरने लगा.
मोनिका मेरे पेशाब को पी गयी. उस दिन पहली बार मुझे ये अहसास हुआ कि सेक्स में जितना हो सके बेशर्म हो जाना चाहिए. उतना ही मजा आता है.
फिर उसने चूस चूस कर मेरे लंड को एक बार फिर से खड़ा कर दिया.
वो बोली- अब इंतज़ार मत करवाओ … चोद दो मुझे … करवा दो जन्नत की सैर. उसके कहने पर मैंने उसकी टांगें खोलीं और अपना लण्ड उसकी छोटी सी चूत पर रख दिया. उसे थोड़ा डर लग रहा था और घबराहट मुझे भी हो रही थी.
चूत गीली होने की वजह से थोड़ा सा लण्ड अंदर गया. उसे दर्द होने लगा.
मगर उसकी चुदास कुछ ज्यादा ही थी. वो बोली- एक बार में ही डाल दो सारा. मैं दर्द बर्दाश्त कर लूंगी. मैं मना करूं तब भी नहीं रुकना.
मैंने उसके दोनों चूचे हाथ में पकड़कर होंठों से होंठ मिलाकर एक करारा धक्का मारा और उसके नाखून मेरी पीठ पर आ गड़े. उसकी चूत से खून निकला जो मुझे लंड पर महसूस हुआ.
मगर हम बिना रुके लगे रहे. फिर धीरे धीरे वो भी मस्त होने लगी. उसको चुदाई का स्वाद मिल गया और उसने खुद ही अपनी गांड को उठा उठा कर चुदवाना शुरू कर दिया.
वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. शायद अब जितना मजा उसको चुदने में आ रहा था उतना शायद मुझे चोदने में भी नहीं मिल रहा था. मैंने अपनी चुदाई की एक्सप्रेस उसकी चूत पर दौड़ा दी और चूत की दीवारों को मेरा लंड घिसता हुआ हमें संपूर्ण चुदाई सुख देने लगा.
चोदते हुए मेरा ध्यान उसकी गांड के छेद पर गया. उसकी गांड का छेद बहुत ही मस्त दिख रहा था. हल्का सांवला छेद देखकर ऐसा मन कर रहा था कि उसको चाट लूं.
फिर मैंने चूत चोदते हुए उसकी गांड में उंगली डाल दी. वो एक बार तो उचकी लेकिन फिर उसको उंगली का मजा मिलने लगा.
अब मेरा लंड उसकी चूत चोद रहा था और मेरी उंगली उसकी गांड को गर्म करने में लगी थी. वो अब मस्त होकर सिसकारियां भर रही थी.
हम दोनों ही चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे. उसकी फुद्दी और गांड दोनों ही चुद रही थीं.
उसका आनंद उसके चेहरे पर भी दिख रहा था. ऐसा लग रहा था कि चुदने के बाद उसको कोई सुख मिल गया हो.
कुछ देर के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. वो स्खलित हो गयी लेकिन मैं अब भी लगा रहा.
ऐसे ही चोदते चोदते अब वो दोबारा भी गर्म होने लगी. अब फिर से वो मेरे धक्कों का जवाब देने लगी. फिर चोदते हुए मैंने भी उसकी फुद्दी अपने माल से भर दी.
जैसे ही मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला तो उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया.
उसने मेरे लंड को चूस चूस कर साफ कर दिया. काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए नंगे पड़े रहे.
जब हम उठे तो हम दोनों एकदम से चौंक गये. उसकी बहन हमें बाहर से खड़ी होकर देख रही थी. हम दोनों नंगे थे और उसके सामने इतनी शर्म आ रही थी कि क्या बताऊं.
मैं तुरंत अपने कपड़े पहनने लगा. मगर अब तो वो सब कुछ देख चुकी थी.
मोनिका उठी और उसने अपने कपड़े पहने. उसकी बहन हमारी चुदाई का पूरा नजारा देखने के बाद वहां से भाग गयी.
हम दोनों इसी सोच में पड़ गये कि आखिर इस बात नतीजा क्या होगा.
पूछने पर मोनिका ने बताया कि वो उसकी बहन को नींद की गोली देना भूल गयी. मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसका भी कुछ उपाय सोचेंगे.
अब हमने सोच लिया कि इस बात का कुछ तो इलाज करना पड़ेगा. तो फिर हमने क्या किया, हमने मोनिका की बहन को कैसे मनाया और फिर उसको कैसे अपने ही ग्रुप में शामिल किया वो सब भी आपको जल्द ही पता चलेगा.
गांव की लड़की की चुदाई कहानी कैसी लगी … आप मुझे जरूर बताना. मुझे आप लोगों के रेस्पोन्स का इंतजार है. कहानी पर कमेंट्स करना न भूलें. मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]
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