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मेरा नाम शेखर है.. मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर कई कहानियाँ पढ़ी हैं.. जिनको पढ़कर मेरा भी दिल अपनी आप बीती लिखने का किया और मैं हाजिर हूँ अपनी कहानी के साथ।
जब मैं 18 साल का हुआ था.. मेरा भी लण्ड मुझे परेशान कर रहा था और मैं काफ़ी सालों से मुठ मार रहा था। एक बार मेरे बाप ने मुझे मुठ मारते पकड़ लिया था.. बहुत मार पड़ी थी यार। मैं बचपन से ही बड़ा मनचला रहा हूँ। चलो ये सब बाद में.. अब कहानी पर आते हैं।
एक बार मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के भाई-भाभी आए थे, जब मैंने भाभी को देखा तो मेरी तो सांस ही रुक गई। क्या कयामत थी वो.. मेरा तो दिल किया इसको यहीं खड़े-खड़े चोद दूँ। मैंने ऐसा किया भी.. उसको वहीं खड़े-खड़े आँखों से ही चोद दिया।
वो भी समझ गई कि मैं उसको आँखों से चोद रहा था.. पर उसने कुछ बोला नहीं।
रात को जब हम सब खाना खाकर सोने की तैयार करने लगे.. तभी मामी ने मुझे बताया कि वो दोनों मेरे ही कमरे में रहेंगे.. मुझे बड़ी खुशी हुई। साथ में दु:ख भी था कि भाई भी साथ में हैं। ये तो वही बात हो गई कि हाथ में आया.. पर मुँह को ना लगा।
हम सोने चले गए।
भाई तो कमरे में जाते ही सो गया.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, फिर भी आँखों में भाभी को चोदने के सपने ले सो गया।
रात को मेरी आँख खुल गई.. तो मैंने पाया कि कमरे में अंधेरा था और मेरे ऊपर से एक हाथ बार-बार आ-जा रहा था। मैंने महसूस किया कि वो हाथ भाई का था.. जो बार-बार भाभी को छू रहा था। भाभी बार-बार उसको हटाने की कोशिश रही थीं। काफ़ी देर तक कोशिश करने पर भी जब भाई को लगा कि दाल नहीं गलने वाली.. तो वो सो गए।
अब तक मेरी नींद तो उड़ गई थी। मैं काफ़ी देर तक अपने आपको रोकता रहा.. पर नहीं रोक पाया और मेरा हाथ भाभी के ऊपर चला गया। मैं भाभी की छाती दबाने लगा.. आह्ह.. भाभी के क्या ठोस मम्मे थे।
मैं काफ़ी देर तक भाभी के मम्मों को दबाता रहा।
फिर मेरा हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ जाने लगा.. जब मेरा हाथ उनके पेट पर गया.. तो देखा उस पर एक ग्राम भी एक्सट्रा चर्बी नहीं थी.. बिलकुल सपाट और मुलायम था। मैं और नीचे गया तो उनकी सलवार का नाड़ा मेरे हाथ में आ गया.. मैंने बड़ी सफाई से उसको खोल दिया और अपना हाथ उनकी सलवार में डाल दिया।
उनकी चूत पर थोड़े-थोड़े बाल थे.. ज़िनको छूकर मेरा तो दिल मचल गया। मैंने थोड़ी देर तक उन झांटों को सहलाया फिर नीचे की ओर जाने लगा उनकी चूत के दाने को थोड़ी देर तक बड़े प्यार से सहलाता रहा।
जब मेरा हाथ और नीचे गया.. तो मेरी एक उंगली उनकी चूत में चली गई, वहाँ गीला सा लगा, मैं अपनी उंगली को उनकी चूत में घुमाता रहा। इस पर भी जब भाभी कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। तब तक मेरे लण्ड का बुरा हाल हो चुका था। दोस्तो, ये डर और उत्तेजना का मिला-जुला अहसास होता है.. इसका मुकाबला तो बड़े से बड़ा चोदू भी नहीं झेल सकता.. जो मैं उस वक्त झेल रहा था।
मुझे जब पूरा विश्वास हो गया कि भाभी कुछ नहीं बोलने वाली हैं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने भाभी की पीछे से सलवार को इतनी नीचे कर दी कि वो मेरे लण्ड और भाभी की चूत के बीच दीवार ना बन पाए।
मैंने अपना लण्ड भी अपनी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया और भाभी की चूत में पीछे से ही डालने लगा। मेरे काफ़ी देर कोशिश करने पर भी लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था।
एक तो चोदने को पहली बार चूत मिली थी.. ऊपर से यह डर कि कहीं भाभी जाग ना जाएं.. उससे भी बड़ा कि उस चूत का मालिक भी बगल में ही सोया है। आप समझ सकते हैं कि ऐसा करने के लिए कितना बड़ा ज़िगरा चाहिए।
मेरी भी गाण्ड फटी हुई थी। इसी चक्कर में.. मैं अपना लण्ड भाभी की चूत में नहीं डाल पाया और बाहर ही ढेर हो गया। मेरी तो कलेजा गले में आ गया कि ये क्या हो गया।
मैंने अपने ऊपर थोड़ा काबू किया और भाभी की सलवार को ऊपर करके दूसरी तरफ मुँह करके सो गया.. क्योंकि मुझे खुद पर इतनी शरम आ रही थी कि चूत मिली.. तो चोद नहीं पाया और लण्डबाज बना फिरता हूँ। शरम के मारे बाथरूम में भी नहीं जा सका.. वहीं पड़े-पड़े कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
सुबह क्या हुआ.. इसके बारे में अगली बार बताऊँगा।
मेरी आपबीती कैसी लगी.. मुझे ज़रूर बताना। [email protected]
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