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दोस्तो, कैसे हो आप सब.. आशा करता हूँ.. सब चूत और लण्ड का रसपान कर रहे होंगे। मेरी पिछली कहानियां आप सभी ने पढीं.. आप सबों के बहुत ईमेल आए.. उसके लिए धन्यवाद.. पर एक बात बताना चाहता हूँ दोस्तो, मैं अच्छा लेखक तो नहीं हूँ.. बस मेरे साथ जो बीता है.. मैं वो आप सभी के सामने अच्छे से पेश करने की कोशिश करता हूँ.. पर मैं फिर भी उतना अच्छे से नहीं लिख पाता हूँ।
कुछ लोग झूठी स्टोरी को भी इस तरह लिख देंगे कि वो पूरी रियल ही लगने लगती है।
अब ज्यादा टाइम ना लेते हुए.. आज मैं आपको हेमाली (बदला हुआ नाम) की सत्य कथा बताने जा रहा हूँ.. जो उन्होंने खुद मुझे ये स्टोरी लिख कर मुझे ईमेल की है।
लीजिए उनकी स्टोरी उन्हीं की ज़ुबानी सुनते हैं।
हैलो.. मेरा नाम हेमाली है और मैं 29 साल की शादीशुदा हूँ। मेरी हाइट 5’11” है.. स्लिम बॉडी है और मेरे फिगर का साइज़ 32-28-30 का है। यह बात 4 महीने पहले की है.. मुझे उस दिन शॉपिंग करनी थी.. पर मेरे पास ज्यादा समय नहीं था और मुझे रात की फ्लाइट भी पकड़नी थी.. तो मुझे दोपहर में ही शॉपिंग करनी थी।
इसी वजह से मैं सुबह कुछ ज्यादा जल्दी ही पहुँच गई.. उस वक्त तक कई शॉपिंग माल्स खुले ही नहीं थे। मैंने इन्तजार किया तो मुझे लगा जैसे सब कुछ शाम को ही खुलेगा।
मैं काफ़ी निराश होकर 2-3 चीजें लेकर बाहर आ गई.. पर मुझे याद आया मैंने गाड़ी पार्किंग तो दूसरी साइड में की हुई थी.. तो मैं मॉल में से ही दूसरी तरफ जाने का कोई रास्ता ढूँढने की कोशिश करने लगी ताकि मुझे पूरा घूम कर ना जाना पड़े.. पर दरअसल मैं नीचे पार्किंग में जाने का रास्ता भूल गई थी।
उस वक्त उधर कोई भीड़ नहीं थी.. उस टाइम पर तो वहाँ भी कोई नहीं था.. फिर भी एक बंदा दिखा.. तो मैंने उससे रास्ता पूछा और मैं उसके बताए रास्ते में आगे बढ़ गई। रास्ते में मैंने कुछ अजीब आवाजें सुनी.. तो मैंने अपने चलने की स्पीड थोड़ी धीमे कर दी और मैंने आवाज की दिशा में देखा तो पता चला कि उधर कोई स्टोर रूम है.. वहाँ से ये आवाजें आ रही थीं।
मैं वहाँ धीरे से गई.. तो मैंने स्टोर रूम के बगल से देखा कि एक लड़का आँख बंद करके अपने लौड़े को हिला रहा था.. मुझे काफ़ी फन्नी लगा.. पर मैंने गौर से देखा तो उसका लण्ड बहुत बड़ा था। मेरी शादी से पहले ब्वॉयफ्रेंड या मेरे हसबैंड का इतना बड़ा नहीं था और ये बंदा काफ़ी हट्टा-कट्टा था.. लगभग 6’ था।
मैं अभी देख ही रही थी.. देखते-देखते मैं उसकी मस्ती को एंजाय कर रही थी, तभी मेरे मोबाइल में रिमाइंडर बजा और मैं फंस गई। उसे पता चल गया कि कोई है.. और उसने मुझे देख भी लिया क्योंकि मैं काफी टाइम से उसको छुप-छुप कर देख रही थी.. तो मुझे हटने का कोई मौका नहीं मिल सका और मैं एकदम से अवाक रह गई थी।
मैं भी जलदी वहाँ से हट नहीं सकी थी.. पर अब मैं धीरे से पीछे को हटने लगी.. तो वहाँ से उस लड़के ने आवाज़ लगाई- वहाँ से क्या देख रही हो मैडम, इधर आ जाओ.. पास से देखो.. वैसे तो मैं वहाँ से पीछे को हटने को हुई थी.. लेकिन पता नहीं क्यों मेरे कदम नहीं उठे, मैंने सोचा ट्राई करने में क्या है।
मैं जानती थी कि यह पागलपन था। एक अनजान के साथ ये सब करना और वो भी पब्लिक प्लेस में.. पर मेरा दिल मेरे दिमाग़ पर हावी था.. मैं मुड़ी और उस स्टोर रूम में घुस गई.. और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया। उसने मेरी ओर देखा और वो भी हैरान था.. पर खुश हुआ।
मैंने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था.. उसने कहा- तुम रंडी तो नहीं लगती.. मैंने कुछ भी बोले बिना उसका लौड़ा हाथ में ले लिया.. वो तो काफ़ी खुश हो गया। मैंने हाथ में पकड़ा हुआ सामान साइड में रखा और मैं उसके लौड़े को अपने मुँह से चूसने लगी। अमेज़िंग.. सिंप्ली अमेज़िंग.. एकदम लाल लौड़ा..
वो भी कुछ और पूछे बिना ही मेरी स्कर्ट को उठाने लगा, फिर टॉप को ऊपर करने लगा और मेरे मम्मों को दबाने लगा.. पर मेरा ध्यान तो उसके लौड़े पर था। उसके लण्ड का साइज बढ़ रहा था और अब लगभग 9″ का हो गया था.. मोटा लंबा लाल फन वाला नाग.. वाऊव्व.. मेरी कल्पना जैसा मस्त लौड़ा..
मैंने काफ़ी देर तक उसके लण्ड को चूसा, अब उसने मेरे को खड़ा कर दिया, मेरे टॉप को ऊपर कर दिया और ब्रा को खींच कर हुक तोड़ दिया, इसके बाद बिजली की फुर्ती से मेरे मम्मों पर कुत्तों के जैसे टूट पड़ा। मैं भी काफ़ी उत्तेजित थी.. वो मेरे निप्पलों को ऐसे चूस रहा था कि उसकी जीभ भी मुझे धारदार लगने लगी।
वो दोनों हाथों से पूरा ज़ोर लगा कर मेरे मम्मों को मसल रहा था। मैंने अपने पति की इच्छा पर अपने मम्मों के एक साइड पर एक छोटा सा टैटू बनवाया था.. वो उसको भी काटने लगा.. मसलने लगा। मैं भी उसे रोकना नहीं चाहती थी.. मुझे भी नीचे मेरी चूत में पानी आने लगा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैंने उसकी शर्ट को भी उतार दिया और देखा कि वो एक पहलवान किस्म का कसरती बदन का मालिक था। उसके जिस्म की मजबूत मांसपेशियाँ देख कर मुझे मजा आ गया। मैंने कहा- तुम यहाँ काम करने वाले वर्कर तो नहीं हो? उसने हँस कर कहा- क्या तुम मुझे यहाँ का वर्कर समझ रही हो.. मेरा खुद का फिटनेस सेंटर जिम है.. पर तुम्हें क्या सेक्सी.. तुम भी ‘ए’ क्लास की आइटम हो.. मेरी गर्लफ्रेण्ड भी तेरे मुकाबले 10% नहीं है।
ऐसा कहते ही वो मुझे डीप स्मूच करने लगा। मुझे लगा कि ये अब अपनी जीभ को मेरे मुँह में उतार देगा। वो मुझे चाटने लगा.. उसकी बॉडी पर मैंने हाथ फेरा और मैं भी उसकी बॉडी को अपने पास महसूस करने लगी, उसकी एक स्टील की तरह सॉलिड बॉडी थी।
मेरा तो ड्रीम पूरा हो गया.. उसकी चेस्ट और बाइसेप्स देख कर.. वाओ.. काश मेरे पति की भी ऐसी ही बॉडी होती.. तो मैं तो उसे कमरे से बाहर ही ना निकलने देती। अब उसने कहा- मैं पानी छोड़ने वाला हूँ.. मैंने उसका लौड़ा चूसना छोड़ दिया।
वह मुझे मिशनरी पोज़िशन में रख कर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदने लगा। ‘ऊहह… ईएहह.. फक्क.. फक्क.. मी.. हार्ड.. ओह्ह..’
वो किसी सुपरफास्ट ट्रेन की जितनी स्पीड से मुझे चोद रहा था.. और ऊपर से उसकी बॉडी का पूरा भार भी मुझ पर आ गया था.. मैं भी उसकी मस्त चुदाई से सीत्कार कर उठी थी।
मैं उसके लौड़े को अपनी चूत में एंजाय करने लगी। मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मैंने काफ़ी नाख़ून मारे होंगे.. और चुदाई की मस्ती में उसे काफ़ी बार उसको काटा भी होगा।
वो भी सांड की तरह मुझे चोद रहा था.. मैं तो अब दूसरी बार झड़ चुकी थी… और काफ़ी थक चुकी थी।
इतने में वो भी पानी छोड़ने वाला ही था तो एकदम से टेबल पर मेरे ऊपर आया और मेरे मुँह में अपना पूरा लौड़ा ठूंस दिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे मुँह की चुदाई करने लगा।
उस जंगली ने मेरा चेहरा ऐसे पकड़ रखा था कि मैं ज़्यादा कुछ कर भी नहीं पाई और उसने मेरे मुँह में ही पानी छोड़ दिया। उसका माल पानी जैसा नहीं था.. गाढ़ा जूस जैसा था.. मुझे तो लगा पूरी बोतल डाल दी हो।
हम दोनों थक चुके थे.. पर मैंने देखा उसके साथ चुदते हुए काफ़ी ज्यादा टाइम बीत गया था। मैंने अपने आपको ठीक किया और पानी पिया। वो अभी भी लण्ड खोले लेटा हुआ था, बोला- नंबर मिलेगा.. अब तो दे दो.. वैसे लड़कियों का नंबर पहले मिलता है फिर चूत का नंबर आता है.. पर कोई बात नहीं.. तुम्हारी चूत तो अभी 100 बार चोदने बाद भी ऐसी ही कड़क रहने वाली है।
मैंने कुछ भी नहीं बोला और मैंने देखा कि उसका सोता हुआ लौड़ा भी काफ़ी बड़ा था। मैंने दरवाजा खोलते हुए उसकी ओर पीछे देखा और कहा- ये सब यहाँ ही ख़तम.. लेकिन थैंक्स.. वो बोला- अरी सुन तो ले.. अपना नाम तो बता.. मेरा नाम अंकुर है.. अरे सुन तो..
पर मैं वहाँ से निकल गई और कार में बैठ कर घर वापस आ गई।
आज भी जब सोचती हूँ तो यकीन नहीं आता कि वो मैं ही थी। इतनी डेरिंग और इतनी स्टूपिडली मेरे अलावा कोई और नहीं कर सकता.. इट वाज़ रियली रियली ग्रेट फन.. मुझे ऐसा सेक्स कभी पहले नहीं मिला था और ना बाद में मिलनी की उम्मीद है।
इस सेक्स कहानी के पढ़ने के बाद आप अपनी राय मुझे जरूर बताइएगा। [email protected]
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