This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
सभी पाठकों को अंश बजाज का नमस्कार और पाठकों द्वारा दिये गए प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.. दोस्तो, दूसरे भाग में मैंने रवि का लंड दूसरी बार चूसा था और वो भी कार में.. अब हम लड़की वालों के गांव की तरफ बढ़ रहे थे.. सोनीपत के गन्नौर का छोटा सा ही गांव था जिसमें एक इंटों की बनी हुई लाल सड़क गांव के अंदर ले जा रही थी.. कुछ दूरी पर 10-12 कारें सड़क के दोनों तरफ खड़ी हुईं थी क्योंकि अंदर जाकर गांव की गली संकरी हो जा रही थी और उसमें कारों के आने जाने लायक जगह नहीं थी।
यह गाँव का बाहरी छोर था जहाँ गिने चुने घर ही थे और उनसे आगे खेत शुरु हो जाते थे। यहीं पर बारातियों की कारों को ठहरा दिया गया था।
हमने अपनी कार वहीं पर लगाई और बाहर निकल कर कपड़े ठीक किए। रवि बाहर निकला तो उसकी पैंट पर जाघों के पास सिलवटें पड़ी हुई थीं जो उस गबरु जवान को और सेक्सी लुक दे रही थीं।
हमने कार लॉक की और गांव में अंदर की तरफ चल दिये। मैं मन ही मन खुश था कि रवि मुझसे नाराज नहीं है और वो मेरे घर वालों को भी कुछ नहीं बतायेगा.. यही सोचते सोचते चले जा रहा था कि कुछ दूरी पर दूल्हे (आकाश) की सवारी जा रही थी और बाराती उसके आगे खूब हुड़दंग मचाते हुए नाच रहे थे।
रवि भी जाकर भीड़ में शामिल हो गया और नाचने लगा। शाम के करीब 6 बज चुके थे और सूरज ने अपनी गर्मी देनी लगभग बंद ही कर दी थी लेकिन नाच नाच कर रवि पसीने से तर बतर हो रहा था, उसकी स्काई ब्लू शर्ट पसीने में भीग चुकी थी और बनियान साफ नजर आ रही थी जो उसके जिस्म से चिपकी हुई थी।
नाचते बजाते बारात लड़की वालों के दरवाजे पर पहुंची और सारी भीड़ वहीं जाकर इकट्ठा हो गई.. मैं दूल्हे के पीछे ही खड़ा था और मेरे पीछे आकर रवि खड़ा हो गया.. सांसों से भरा हुआ पसीने से लथ-पथ वो आगे खड़ी लड़कियों को ताड़ने लगा.. उसके दोनों हाथ मेरे कंधों पर थे जो काफी भारी थे.. लेकिन उनकी छुअन मुझे अच्छी लग रही थी।
रवि एक लड़की को ताड़ने में व्यस्त था और मैं यह देखकर हैरान था कि वो लड़की भी उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और शर्मा रही थी। इन सब के बीच मुझे महसूस हुआ की रवि ने अपनी जिप मेरी गांड पर लगा रखी है और मेरे कंधों को दबाते हुए उभरे हुए लंड को मेरी गांड पर रगड़ रहा है। मैंने भी अपनी गांड उसकी तरफ निकाल दी और लंड पर रख दी.. जिससे उसने मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया पैंट के ऊपर से ही लंड को गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा। और यह सब वो उस सामने खड़ी लड़को देखते हुए कर रहा था।
मैंने अपना एक हाथ पीछे किया और उसके खड़े लंड को पैंट में से ही पकड़ लिया..लंड फ़ुंफ़कारे मार रहा था लेकिन उसने हाथ हटवा दिया।
लोग अंदर जाने लगे… जयमाला की रस्म हुई और बाराती खाने की तरफ बढ़े। मैं और रवि भी खाने के बाद फेरों की रस्म के लिए आगे चल दिये। फेरे शुरु हुए और पंडित ने मंत्र उच्चारण शुरु किया.. मेरी नजर रवि पर थी और उसकी नजर उस लड़की की हरकतों पर थी जो अपने हाथ में एक कागज का टुकड़ा लिए वहाँ खड़ी थी।
रवि की नजरों में आते हुए उसने वो टुकड़ा वहीं गिराया और वहाँ से चली गई। मैं समझ गया कि जरूर दाल में कुछ काला है।
कुछ देर बाद रवि भी उठ कर चला गया। अब मेरे दिल-ओ-दिमाग में कोतूहल मचा हुआ था जिसने मुझे ज्यादा देर वहाँ टिकने नहीं दिया, मैं भी बाहर की तरफ निकल आया और रवि को ढूंढने लगा। मैंने सोचा कि रवि अपनी कार में जाकर शराब पी रहा होगा.. यही सोचकर मैं कार की तरफ बढ़ने लगा.. इस वक्त ना तो दिन रह गया था और ना ही रात हुई थी लेकिन फिर भी चीजें नजर आ रही थीं।
मैं धीरे धीरे कार के पास पहुंचा और अंदर झांका तो मेरे दिल की धड़कन हथोड़े की तरह बढ़ गई… गाड़ी की सीट नीचे हो रखी थी, रवि ने घुटनों तक पैंट निकाल रखी थी और वो लड़की आधी नंगी होकर उसके नीचे लेटी हुई थी.. और रवि अपनी भारी सी गांड को ऊपर नीचे करते हुए धक्के लगा रहा था।
एकाएक उसकी नजर मुझ पर पड़ी उसने एक नजर मुझे देखा लेकिन उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया, बस एक आंख मारी और अपने काम में लगा रहा। लड़की नीचे थी तो मुझे देख नहीं पाई.. मैं वहीं सन्न खड़ा होकर वो नज़ारा देखने लगा..
लड़की का कमीज उसकी छाती तक उठा हुआ था और उसकी ब्रा भी ऊपर सरकी हुई थी जिससे उसकी चूचियाँ आधी नंगी दिख रही थीं… गोल गोल दूधिया रंग के नुकीले वक्ष थे उसके जो बिल्कुल तने हुए थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
रवि उसके निप्पलों को मसल रहा था और वो सिसकारियाँ लेते हुए उसके नीचे चुद रही थी। लड़की ने दोनों टांगे रवि की कमर पर टिका रखी थीं और वो पूरा मजा लेते हुए उसकी चूत को चोदे जा रहा था।
अब रवि नीचे की तरफ आया और उसकी चूत को चाटने लगा.. लड़की पागल सी हो गई और रवि के हाथ अपने चूचों पर रखते हुए उसे फिर से अपने ऊपर खींच लिया औऱ उसका लंड अपनी चूत में ले लिया।
रवि भी पूरे जोश में था.. लड़की ने टांगें थोड़ी फैला दी जिससे रवि बिल्कुल उसकी छाती पर लेट गया.. उसकी छाती उसके चूचे पर जा टिकी और वो रवि को चूमने लगी पागलों की तरह और रवि की गांड को अपने हाथों से दबाते हुए लंड को चूत में धकेलने लगी।
अब रवि की स्पीड भी बढ़ गई थी और गाड़ी हिलने लगी.. रवि ने उसके चूचों को दोनों हाथों में भरा और जोर जोर से दबाते हुए उसकी चूत में तेज तेज धक्के मारने लगा। वो लड़की चीखने लगी.. और ‘आह आह..’ करते हुए 2 मिनट बाद रवि उसकी चूत में झड़ गया और उसी पर गिर गया।
अब मैं भी वहाँ से खिसक लिया कि कहीं लड़की को पता न चल जाए.. लेकिन मेरे अंदर जो वासना आग जग चुकी थी उसका क्या करता..
दोस्तो, हवस ऐसी चीज है जिसके पीछे भागते हुए हम कब क्या कर बैठते हैं कुछ पता नहीं चलता! वही हालत मेरी थी.. मैं गांव की तरफ जा रहा था तो देखा एक जवान लड़का पास की झाड़ियों में पेशाब कर रहा था.. मैं भी जान बूझकर वहाँ पेशाब करने खड़ा हो गया ताकि उसका लंड देख सकूं और मेरी इस हरकत को वो भी देख रहा था।
काफी अच्छा लंड था उसका.. सोया हुआ लगभग 4 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा.. मुझे देखते हुए उसका लंड भी थोड़ा बड़ा हो गया.. लेकिन उसने लंड अंदर डाला और जिप बंद करके जाने लगा।
लेकिन मेरी प्यास का क्या.. मैं तिलमिलाया और सोचने लगा कि क्या कह कर इसको रोकूं? ज्यादा न सोचते हुए मैंने कहा- भैया.. जरा सुनो! वो बोला- क्या हुआ बोलो?
मैंने कहा- आपकी जींस बहुत अच्छी है.. कहाँ से ली? बोला- घर के पास वाली दुकान से! मैंने कहा- दिखाना कपड़ा कैसा है?
यह कहकर मैंने उसकी जींस का जायजा लेना शुरु किया.. कभी जेब में हाथ डाला कभी उसकी जांघों पर फेरा.. ऐसा करते हुए उसका लंड टाइट होने लगा था और साइड में दिखने लगा। बहाने से मैं घुटनों पर बैठा और कहा- जिप दिखाना ज्यादा खिंचती तो नहीं है.. ऐसा करते वक्त मैंने बहाने से उसके लंड को छू लिया।
छूते ही लंड ने झटका मारा और उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर रगड़वाने लगा.. उसका लंड पूरा तन गया और बोला- चूसेगा मैंने हाँ में सिर हिला दिया.. मैंने मन में कहा.. ‘मैं तो चाहता ही यही था..’
हम थोड़ा झाड़ियों के अंदर गए और मैंने बेसब्र होते हुए उसकी जींस जाघों तक नीचे की और फ्रेंची में लंड निकाल कर जोर जोर से चूसने लगा। वो भी आहें भरने लगा औऱ ईस..ईस्स.. की आवाज़ें निकालता हुआ मजे से चुसवाने लगा।
फिर उसने मुझे पास के एक पेड़ से लगा दिया और मेरे मुंह को चूत बनाकर चोदने लगा। मैं भी उसके लंड को पूरा अंदर ले जा रहा था.. 5 मिनट बाद उसने अपना वीर्य मेरे मुंह में छोड़ दिया और लंड को अंडरवियर से साफ करके वहाँ से निकल लिया। ना उसने कुछ पूछा ना मैंने कुछ बताना चाहा..
फिर मैं भी वहाँ से आ गया और रवि को तलाशने लगा।
अब विदाई की तैयारी हो रही थी और आधे बाराती जा भी चुके थे। विदाई के बाद मैं और रवि भी वापस जाने के लिए गाड़ी में बैठे, गाड़ी स्टार्ट की और आकाश की गाड़ी के पीछे पीछे हम घर की तरफ चल पड़े… ना मैं कुछ बोल रहा था और ना ही रवि..
फिर रवि ने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या सोच रहा है? मैंने कहा- कुछ नहीं भैया! ‘तो गुमसुम क्यों बैठा है? मन में कोई सवाल है तो पूछ ले!’
मैंने कहा- आप गाड़ी में जिस लड़की के साथ सेक्स कर रहे थे, वो कौन थी? वो हंस पड़ा और बोला- वो आकाश की पत्नी की सहेली थी.. मैंने पूछा- तो आप एक दूसरे को पहले से जानते थे? वो बोला- नहीं.. लेकिन जब मैं रिश्ते के टाइम पर यहाँ आया था तो इसने आकाश की पत्नी से मेरे बारे में पूछा था और फिर आकाश ने मुझे बताया था.. मैं भी बस एक मौके का इंतजार कर रहा था और वो मुझे आज मिल गया.. बहुत मज़ा आया उसकी चूत मारने में..
ये सब बातें करते हुए घर के नजदीक पहुंच गए थे हम.. घर पहुंच कर कार से उतरते हुए रवि बोला- अंश.. शादी तेरे भाई आकाश की है औऱ सुहागरात मैं उसकी बीवी की सहेली के साथ पहले ही मना कर आ गया.. यह बोलते हुए वो ठहाका मारकर हंसा और घर की तरफ चल दिया।
उसकी मस्तानी चाल को देखते हुए मैंने मन ही मन कहा- और मेरी सुहागरात भैया?
जल्दी ही लौटूंगा अगले भाग के साथ.. आपका अंश बजाज… [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000