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यह कहानी मुझे एक पाठक ने भेजी थी, अन्तर्वासना डॉट कॉम में प्रकाशित करवाने के लिए… नाम और इमेल गुप्त रखने की शर्त पर… लेखक के शब्दों में कहानी का मज़ा लीजिये!
दोस्तो, मैं अपना नाम नहीं बताऊँगा, आप सबकी कहानियाँ पढ़ कर मेरा पापी मन भी अपनी रियल स्टोरी सुनाने को उत्सुक हुआ।
वैसे ये बातें मैं बहुत दिनों से अपने मन में रखे रहा.. किसी को नहीं बताईं और मैं बता भी नहीं सकता था।
मेरी पहली चुदाई की स्टोरी एक कमसिन लड़की के साथ हुई थी.. पर वो घटना इतनी इंट्रेस्टिंग नहीं थी.. इसलिए मैं आपको दूसरी चुदाई की स्टोरी सुनाता हूँ और यह वाकयी बड़ी इंट्रेस्टिंग है।
मैं अपना नाम भले ही आपको नहीं बताऊँगा.. पर अपना काम ज़रूर बताना चाहूँगा। मेरा परिचय.. मेरी हाइट 5’7″ बॉडी औसत.. कलर वेरी फेयर.. और मैं एक हैण्डसम लड़का हूँ.. मेरे लौड़े की साइज़ 7″ है और ये एक मोटा-तगड़ा एवं टिकाऊ किस्म का लण्ड है।
यह कहानी एक साल पुरानी है। उन दिनों मैं दिल्ली में जॉब ढूँढ रहा था.. पर मिल नहीं रही थी। मैं वसंत विहार में वसंत एन्क्लेव में रहता था.. वहाँ पड़ोस में ही मेरे कज़िन की बीवी भी रहती थी.. मैं उसे चोदना तो चाहता था.. पर कभी हिम्मत नहीं हुई।
अभी तक मैंने उसे चोदा तो नहीं है.. पर मैं एक दिन उसे चोदने में कामयाबी ज़रूर पाऊँगा.. यह मुझे उम्मीद है।
उन्हीं के बगल वाले कमरे में एक लड़की रहती थी.. जिसका नाम संगीता है।
शुरू में मुझे यह पता नहीं था कि वो उनके पड़ोस में रहती है.. वो हमेशा हमारी छत पर आती थी.. मतलब यह कि जिस कमरे में मैं रहता था.. वो उसी बिल्डिंग में ही रहती थी और दोनों हमारी बिल्डिंग के घरों की छतें आपस में जुड़ी हुई थीं।
चौथे माले के बाद छत थी.. तो वो लड़की और उसके साथ एक शादीशुदा लड़की.. जो कि उसके गाँव से ही थी.. वो दोनों अक्सर साथ में ही छत पर एक खटिया लगा कर लेट जाती थीं और एक-दूसरे से हँसी-मज़ाक करती थीं। मुझे यह तो पता था कि दोनों को ठरक बहुत चढ़ती है.. पर मैंने कभी उनसे बात नहीं की..
मुझे लगता था कि ऐसे कैसे किसी से बात शुरू कर सकता हूँ।
वो दोनों भी मुझे देखती थीं और हँसती भी थीं.. पर मुझे यह नहीं पता था कि वे उस बिल्डिंग में कौन से माले में रहती हैं।
एक दिन मैंने सोचा कि मैं चाय पीने अपनी कज़िन की वाइफ (भाभी) के पास जाता हूँ और उसके साथ कुछ ठरक भी मार कर आता हूँ.. शायद मान जाए तो अपने कमरे में लाकर साली को खूब पेलूँगा.. उसका पति एक ड्राईवर था और वो बहुत खूबसूरत थी। मेरा लण्ड उसे देख कर हमेशा ही खड़ा हो जाता था। पर मुझमें हिम्मत की कमी थी.. इसलिए मैंने बहुत कम कोशिश की.. दो बार पहले भी कोशिश की थी.. पर हमेशा ही कोई ना कोई आ जाता था।
खैर उसे छोड़ो.. जब उसकी चुदाई करूँगा तो उसकी कहानी भी ज़रूर बताऊँगा.. अगला टारगेट वो ही है।
अब जैसे ही मैं उनके फ्लैट में गया.. तो मैंने भाभी को चाय पिलाने को कहा.. और वो चाय बनाने लगीं। यह शाम की बात है.. उसी टाइम पर पानी भी आ गया.. और बगल से एक लड़की बाहर की तरफ बर्तन धोने आ गई.. जो मुझे नहीं दिख रही थी.. मुझे सिर्फ़ आवाज़ ही आ रही थी। मैंने सोचा ऐसे ही होगी कोई अड़ोस-पड़ोस की।
तभी बगल में बैठी मेरी भाभी ने आवाज लगा कर उससे कहा- संगीता बर्तन धो रही हो? बाहर से आवाज़ आई- हाँ भाभी..
दोस्तो, जैसा कि आप सब ठरकी दोस्त जानते ही हो.. कि जब एक कुँवारी और सुंदर लड़की बोलती है.. तो कैसी मीठी आवाज़ सुनाई देती है.. और कान में मीठी आवाज पड़ने से पहले लण्ड को भनक हो जाती है कि कोई मस्त माल बाहर तेरा इन्तजार कर रहा है।वैसा ही मेरे लण्ड के साथ भी हुआ.. मैंने सोचा कि देखता हूँ कि यह कौन सा माल है..
जैसे मैंने बाहर की तरफ देखा तो मुझे दिखा कि यह तो वो ही लड़की है.. जो रोज छत पर आती है और हँसती रहती है और लाइन देती है।
पहले तो मुझे बात करने का कोई बहाना नहीं मिलता था.. और आज तो भाभी के कारण इससे बात कर सकता हूँ। इसलिए यह मेरे लिए एक सुनहरा अवसर है और इस अवसर को मुझे खोना नहीं चाहिए।
थोड़ी देर में भाभी ने मुझसे बोला- तुम मेरे बच्चों को देखना.. मैं अभी मदरडेयरी से दूध ले कर आती हूँ। मैंने बोला- ठीक है।
जैसे ही वो गईं.. मैंने उस लड़की को एक-दो आवाजें दीं.. वो भी डरते-डरते.. पर उसने नहीं सुनी। फिर मैंने भी ट्राई नहीं किया।
बाद मैं जब भाभी आ गईं.. तो वो लड़की भी अपना काम करके फ्लैट में अन्दर आ गई और भाभी से बात करने लगी। इसी टाइम मैंने भी अपने लण्ड की बात सुनते हुए उससे बात करने की हिम्मत जुटा ली।
वैसे मैं आप सब ठरकी दोस्तों को भी उसका सेक्सी फिगर बता ही देता हूँ ताकि आप सब भी अपने लौड़े सहला सको। आप भी सोच रहे होंगे कि माल कैसा होगा। उसकी उम्र 18 साल की थी.. वो स्कूल में पढ़ती थी और उसकी हाइट 5″ फिट से कुछ ज्यादा ही थी। वो बहुत ही गोरी और स्लिम लड़की थी। मुझे फिगर का तो पता नहीं.. पर माल एकदम पटाखा थी।
मैंने एक दो बार छत पर उन दोनों की बातों से जाना था कि ये दोनों शिमला की हैं.. तो मैंने बात शुरू करने के इरादे से उससे पूछा- आप शिमला की हो क्या? उसने बोला- हाँ..
मैंने बोला- यार शिमला के लोग बहुत खतरनाक होते हैं.. एक बार मैं कॉलेज की तरफ से बास्केट बाल खेलने गया था.. तो वहाँ के लोगों ने हम सभी को धमकाया था कि अगर आप लोग जीते तो बाहर आने के बाद एक-एक को मार डाला जाएगा। वो अपनी आँखें नचा कर बोली- देखा शिमला के लोग कितने दमदार होते हैं.. उनसे हमेशा बच कर रहना।
मैंने बोला- हाँ जी.. मुझे तो आप से भी डर लग रहा है। वो हँसने लगी और फिर इसी तरह कुछ देर बाद मैं अपने फ्लैट में चला आया।
जैसे कि हम दोनों में बातचीत शुरू हो ही गई थी.. तो उसी शाम को जैसे ही वो छत पर आई.. तो मैंने उससे बात शुरू कर दी। फिर 3 दिनों तक हम दोनों यहाँ-वहाँ की बातें करते रहे और एक दिन मैंने उससे पूछा- आपने खाना खाया क्या? तो वो बोली- हाँ मैंने खा लिया.. क्यों? ‘बस यूँ ही पूछा..’
फिर उसने पूछा- आपने खाया? मैंने बोला- नहीं.. मैंने नहीं ख़ाया.. तो वो बोली- क्यों? मैंने बोला- आज बनाया ही नहीं..
उसने पूछा- क्यों नहीं बनाया? मैंने बोला- बनाना नहीं आता.. तो उसने बोला- फिर क्या खाते हो? मैंने बोला- टाइगर बिस्कट और मैगी..
वो हँसने लगी और फिर मैंने अपने लण्ड की पुकार सुनते हुए उससे बोला- क्या आप मेरे लिए खाना बना दोगी? उसने बोला- हाँ बना दूँगी.. मैंने बोला- ठीक है.. कल आप 12 बजे दिन में आ जाना। वो बोली- ठीक है..
मुझे यकीन नहीं था कि वो आएगी क्योंकि मेरे पर चूत मेहरबान हो जाए.. यह मुझे लगता नहीं था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दूसरे दिन मैं यह सोच कर सोया रहा कि वो नहीं आएगी.. क्योंकि उसने मेरी बिल्डिंग में मेरा कमरा ही नहीं देखा था इसलिए वो कन्फ्यूज़ भी थी।
जब शाम को छत पर हम फिर मिले तो उसने बोला- आप तो बाहर थे ही नहीं.. मैं तो आई थी।
तो मेरे लण्ड ने मुझसे बोला कि साले तुझे मैं बोल रहा था कि आज चूत मिलेगी.. पर तूने मेरी एक ना मानी..
मुझे भी ये मौका हाथ से जाने का बहुत दु:ख हुआ.. क्योंकि मुझे ही पता था कि बिना चूत के मैं कैसे जी रहा हूँ.. पर अब क्या कर सकता हूँ।
मैंने उससे बोला- चलो आप कल आ जाना.. मुझे तो रोज ही भूख लगती है। वो हँस कर बोली- ओके.. मैं आपकी भूख मिटाने की कोशिश करूँगी। मैं समझ गया कि लौंडिया चुदने को बेताब है।
अगले दिन मैंने सुबह ही.. लण्ड को तेल लगा कर खड़ा रखा और उसके आने का वेट करने लगा।
ठीक 11 बजे का टाइम दिया था.. पर 2 बज गए थे.. फिर 3 बज गए.. पर वो नहीं आई और मैं इसी बात से डरता था क्योंकि एक बार मैं अपने लण्ड को समझा दूँ कि बेटा आज चूत मिलने वाली है और अगर वो ना मिले तो मैं चूत मारे बिना नहीं रह सकता.. क्योंकि मेरी एक ही कमज़ोरी है और वो है चूत.. और मैं अपने लण्ड के साथ झूठ नहीं बोल सकता।
खैर.. वो नहीं आई.. तो मुझसे रहा नहीं गया.. और मैं अपनी भाभी के यहाँ चला गया.. ये देखने के लिए कि वो क्यों नहीं आई। उधर जा कर देखा.. तो वो भाभी वाले कमरे में एक लड़के के साथ बैठी थी और वो लड़का मेरे भाभी का भाई था।
वो दोनों बड़े हँस-हँस कर बातें कर रहे थे और वहीं बगल में भाभी भी बैठी थीं.. मुझे लगा कि शायद उसकी सैटिंग भाभी ने करवा दी है..। मुझे ये देख कर बहुत गुस्सा आया और मैं अन्दर ही बैठ गया।
साथियो.. इस चूत की भूख जिसमें दोनों बातें छिपी हैं एक तरफ तो चूत को लण्ड की भूख छिपी होती है और दूसरी तरफ लण्ड को चूत की भूख लगी होती है.. इसलिए आपको इस सच्ची घटना के कामरस की धार से सराबोर करके पूरा मजा देने की कोशिश करूँगा। कहानी जारी है।
हिंदी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: कमसिन लड़की और चूत की भूख -2
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