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नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम अंकुर है। मैं उत्तर प्रदेश के आगरा का रहने वाला हूँ। मेरी हाइट 6 फुट की है.. रंग एकदम गोरा है।
मैं अन्तर्वासना की कहानियां बहुत पहले से पढ़ता आ रहा हूँ और यहाँ की कहानियों को पढ़ने के बाद मैंने अपनी कहानी को भी लिखने की सोचा जिसमें मैंने अपनी बहन की दोस्त शीतल को चोद डाला था।
आप लोगों को यह कहानी बहुत मस्त लगेगी.. ऐसी मैं आशा करता हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था, उस वक़्त मैं बहुत सीधा लड़का था। मेरे एक दोस्त संजय ने मुझे इस वेबसाइट के बारे में बताया और मैंने देखा। इस अनोखी साईट को देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं रोज़ कहानियां पढ़ कर कमीना बन गया।
चलिए अब आपका ज्यादा वक़्त नहीं बर्बाद करूँगा। आपको मेरी चुदाई की दुनिया में लेकर चलता हूँ.. जहाँ मैंने अपनी बहन की दोस्त शीतल की चूत फाड़ दी थी.
मैं इंजीनियरिंग करने के लिए लखनऊ आया.. वहाँ मेरी बहन की दोस्त शीतल भी उसी कॉलेज में पढ़ती थी.. मुझसे एक साल सीनियर थी वो।
एक दिन मैंने अपनी बहन से उनका नंबर लिया और उनको फ़ोन करके कहा- दीदी.. आप कहाँ हो? उन्होंने पूछा- कौन? तो मैंने अपना नाम बताया.. तब वो मुझे पहचानी.. फिर वो मुझसे मिलने आईं और मुझे नोट्स दिए।
क्या बताऊँ दोस्तो.. इतने दिनों बाद उनको जब मैंने देखा.. तो मेरा लण्ड मेरी जीन्स फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब था। उसको इतना मस्त देख कर मेरे मन में बस उसको चोदने की ललक लग गई। उसकी चूचियां 36 साइज़ की थीं और गाण्ड भी 36 की थी।
मैंने मन में कहा कि दीदी गई माँ चुदाने.. अब तो इसको मैं ज़रूर चोद कर रहूँगा। मैंने उससे धीरे-धीरे दोस्ती बढ़ाई..
गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने घर आ गया।
एक दिन शीतल मेरी बहन से मिलने मेरे घर आई। उसको देख कर फिर से मेरा दिल बोला- काश.. ये चूत मिल जाए.. मुठ मार कर थक चुका हूँ.. मैं इसको दूर से देख कर पक चुका हूँ।
कुछ वक़्त तो ऐसे ही निकल गया उसके बाद मैंने शीतल से फिर बात करने की कोशिश की। एक दिन मैंने उसको कॉलेज में रोते हुए देखा.. तो उनके पास गया और मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कुछ नहीं बताया.. तो मैंने उसको अपने जोक्स से बहुत हँसाया.. और वो हँस पड़ी। फिर आख़िर में उसने मुझे बताया कि उनका एक ब्वॉय फ्रेण्ड था.. जो उसको छोड़ कर चला गया है। दोस्तो, दिल में मुझे बड़ी खुशी मिली कि अब रास्ता साफ़ है।
मैं उसको ज़बरदस्ती घूमने लेकर गया ताकि वो खुश रह सके। मैं उसको हमेशा फोन करके हँसाता था.. और एक दिन वो दिन आ ही गया.. जब उसने मुझे खुद प्रपोज़ कर दिया। फिर शुरू हुई उसकी चुदाई..
वो मेरे साथ रिलेशनशिप में आई.. एक दिन वो मेरे घर आई और मेरी बहन से मिली.. फिर चली गई। ऐसे वो रोज़ आती थी.. मुझसे मिलने आती थी.. पर बहन से मिल कर जाती थी। मैं रोज़-रोज़ इस सबसे बोर होने लगा.. मुझे तो उसकी चूत चोदनी थी।
एक दिन मेरी बहन और मेरी मम्मी मौसी के यहाँ गए थे.. तब वो आई। मैंने उसको अन्दर बुलाया और फिर उसको पानी ऑफर किया।
कुछ देर बाद मैंने एसी बंद कर दिया.. ताकि उसको गर्मी लगे.. उसने मुझसे कहा- बाबू एसी ऑन करो न.. तो मैंने उसको कहा- ओके..
एसी ऑन करने के बहाने मैंने घर की लाइट ही काट दी और उसको कहा- यार लाइट चली गई.. गर्मी का सीज़न था दोस्तों.. वो पसीने से लथपथ हो गई थी.. उसको नंगी करने की ये मेरी साजिश थी..
पहले मैंने उसके सामने ही अपनी शर्ट उतार दी.. और कहा- उफ.. सच में ये गर्मी कितनी ज्यादा है.. तुम भी रिलॅक्स होकर बैठ जाओ न.. कुछ देर में लाइट आ जाएगी।
वो बहुत शर्मा रही थी.. तो मैंने उसको प्यार से समझाया कि मैं कुछ नहीं करूँगा।
फिर उसने भी अपना टॉप उतार दिया.. और अधनंगी हो कर बैठ गई। भाई लोगों क्या बताऊँ.. उसके दूध तो ब्रा को फाड़ कर मेरे मुँह में आने को बेताब थे.. ऐसा लग रहा था।
मैंने गर्मी को कोसते हुए अपनी पैन्ट भी उतार दी। अब बार-बार मैं उसके दूध को देख रहा था.. इससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया। वो मेरा लण्ड देख कर बोली- बाबू ये क्या है?? मैंने जवाब दिया- ये तुम्हारे लिए रोज़ फ्लावर है.. अन्दर छुपा रखा है.. अन्दर हाथ डाल कर देख लो। वो बोली- नहीं नहीं.. मुझे डर लगता है।
मैंने अपने निक्कर में लौड़ा निकाल कर उसके हाथों में थमा दिया और कहा- ये लो.. इससे क्या डरना.. ये तो छोटी सी चीज़ है.. क्या बिगाड़ लेगी तुम्हारा??
भाई लोगों.. उसके हाथ में जाते ही वो छोटी सी चीज़ दोगुने आकार की हो गई और मेरी गर्लफ्रेण्ड मेरी तरफ देख कर बोली- बाबू तुम आज मुझे जाने दो.. फिर कभी आ जाऊँगी।
पर भाई खड़े लण्ड पर धोखा मिले.. हम ऐसे मर्द नहीं हैं। मैंने उसको किस करना स्टार्ट कर दिया और कुछ देर बाद उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसके निप्पल बाहर निकल कर दाँत से मींजे और फिर पूरे मम्मे को लेकर चूसने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी.. साथ ही मैंने अपना हाथ उसकी जीन्स में डाल कर उसकी चूत को टच करने लगा। उसकी चूत से मानो आग निकल रही थी.. वो इतनी गरम थी।
मैंने मौका देख कर उसको गरम कर दिया और उसको एकदम नंगी कर दिया। वो भी चुदवाने को बेताब थी इसलिए मुझसे बार-बार कह रही थी- बाबू जल्दी करो.. मुझे घर भी जाना है.. मैंने उसको उल्टा लिटाया और उसकी गाण्ड में मुँह लगा कर बहुत देर तक चूसा। फिर उसके बाद उसको दीवार के सहारे खड़ा करके उसकी टाँगों के बीच में बैठ कर उसकी चूत को चाटने लगा।
अब वो एकदम पागल हो चुकी थी.. उसने मेरा लण्ड हाथ में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। अब मुझसे भी रहा नहीं गया.. तो मैंने उसको बिस्तर पर धकेल दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत पर अपना लण्ड रख दिया। फिर एक ही झटके में सारा का सारा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया।
वो रोने लगी और बोलने लगी- आह्ह.. जानू निकालो इसको बाहर.. मुझे नहीं पता था.. इतना दर्द होगा.. हट जाओ.. प्लीज़..
पर मैं नहीं माना और उसको लगातार ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। उसकी चूत फट गई.. पूरे बिस्तर पर खून लग गया था। कुछ देर चुदवाने के बाद वो भी जोश में आ गई.. और कहने लगी- आह्ह.. मजा आ रहा है बाबू.. और जोर से करो..
फिर मैं उसके साथ काफी देर तक लगातार चुदाई करता रहा और आख़िर मैं उसका माल निकलते ही मेरा भी उसकी चूत में ही निकल गया।
मैं उसके ऊपर वैसे ही पड़ा रहा.. कुछ देर हम दोनों ने आराम किया वैसे ही लेटे हुए बात करते रहे। उसके बाद उसने कपड़े पहने.. वो चल भी नहीं पा रही थी।
उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि कही साली 9 महीने बाद मुझे गिफ्ट ना दे दे.. सो अगले दिन उसको गोली दी।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली कहानी.. आशा करता हूँ आप लोगों को ये पसंद आई होगी। आप लोग मुझे ईमेल कीजिएगा.. ताकि मैं अपनी अगली कहानी लिख सकूँ और उसमें सुधार कर सकूँ..
दोस्तो, ईमेल ज़रूर कीजिएगा प्लीज़.. [email protected]
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