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अब तक आपने पढ़ा..
फिर 15 मिनट आराम करके उठे.. और मैंने गद्दे को वापस कमरे में रख दिया। अब तक दोनों ने कपड़े भी नहीं पहने थे.. और कपड़े हाथ में लिए ही नीचे आने लगे। मैंने सोनी को गोद में उठाया हुआ था, मैं उसे कमरे में ले गया.. और चुम्बन करने लगा। मैंने पूछा- कैसा रहा खुले आसमान के नीचे चुदाई करवाने में.. मजा आया या नहीं?
तो सोनी मुस्कुराते हुए बोली- सच में यार.. बहुत मजा आया। मैंने कहा- तो फिर से चलते हैं। सोनी बोली- नहीं.. अब नहीं.. आप तो मेरी जान ही निकाल देते हो।
फिर मैंने कहा- तो बताओ.. अब कैसे करना है? सोनी बोली- पहले 5 मिनट आराम कर लूँ फिर.. मैंने कहा- ओके जी.. हम दोनों ही चिपक कर लेट गए।
अब आगे..
मैं सोनी की पीठ पर हाथ फेरने लगा सोनी बोली- ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा- अपनी जान को प्यार कर रहा हूँ। सोनी बोली- अभी किया तो था.. मैं बोला- और ज्यादा प्यार करना है.. बेबी..
अब मैंने सोनी के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और आराम-आराम से चूसने लगा.. तो सोनी भी साथ देने लगी थी। फिर मैं एक हाथ से सोनी के चूचों को सहला कर दबाने लगा और अब सोनी की साँसें तेज होने लगीं।
कुछ ही पलों की मस्ती के बाद मैं फिर से एक हाथ सोनी की चूत को सहलाने लगा था। सोनी सिसकारियाँ लेने लगी- आआह्ह्ह्ह.. ऊओहह..
मैंने सोनी की चूत में उंगली डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा और एक हाथ से उसके चूचे को दबा रहा था। सोनी मस्त होने लगी थी ‘आह्ह..ऊह्ह.. सच में तुम्हारे हाथों में जादू है जान.. आह्ह..’
मैंने सोनी को अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम में ले गया, उधर उसे खड़ा करके फव्वारे को चालू कर दिया। अब हल्का-हल्का गरम पानी हम दोनों को गीला कर रहा था, मैंने सोनी को अपने पास खींच लिया, एक हाथ से उसकी कमर में प्यार से सहलाते हुए डाला.. और दूसरा हाथ सोनी के सर को पीछे से पकड़ कर उसके होंठों को चुम्बन करने लगा। मेरा जो हाथ उसकी कमर पर था.. उसको पूरे जिस्म पर फेरने लगा।
अब सोनी भी मेरे लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगी और मैं सोनी के होंठों पर.. गर्दन पर.. जोर-जोर से चुम्बन करने लगा। सोनी का मुलायम हाथ मेरे लण्ड पर स्पर्श होते ही मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया.. पर सोनी अभी भी मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने सोनी को नीचे बिठा दिया और उसके मुँह में लण्ड डाल दिया। सोनी आराम से प्यार से मेरे लण्ड को चाटने लगी थी।
आह्ह.. क्या मजा आ रहा था यार.. ऐसा लग रहा था.. बस ये साली मेरे लौड़े को ऐसे ही चाटती रहे।
मैं भी अपनी कमर आगे-पीछे करने लगा और मैंने सोनी का सर पकड़ कर जोर-जोर से उसके मुँह की चुदाई करना चालू कर दिया।
उसके मुँह से ‘अग..ऊह्ह..गूं..गूं.. पचपच..’ की आवाज निकल रही थी।
लगभग 3 से 5 मिनट उसके मुँह की चुदाई की.. फिर अब मैंने सोनी को खड़ा किया। मैं कमरे में से एक प्लास्टिक की कुर्सी लेकर आया और उस पर सोनी को बैठा दिया और सोनी की दोनों टाँगें ऊपर करके खोल दीं। फिर मैं नीचे बैठ कर उसकी चूत को चाटने लगा। इसी चूत चटाई के साथ ही फव्वारे का पानी उसकी गाण्ड में भी बहता हुआ जा रहा था।
मैं उठा और वैसलीन लेकर आया.. अब पहले मैंने सोनी की गाण्ड में वैसलीन लगा दी और एक उंगली में वैसलीन लगा कर उंगली को भी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।
सोनी चौंक गई- यश क्या कर रहे हो? मैंने कहा- कुछ नहीं.. अभी पता चल जाएगा जी।
तो सोनी बोली- नहीं यश.. गाण्ड में मत करो.. बहुत दर्द होता है.. मैं बोला- अच्छा जी.. सिर्फ दर्द की पड़ी है.. मजा नहीं आता? तो बोली- हाँ मजा भी आता है। ‘तो बस.. अब चुप रहो..’
फिर मैंने अपने लण्ड पर वैसलीन लगा ली और उसकी चूत को नीचे बैठ कर चाटने लगा.. तो सोनी फिर से मस्त हो उठी ‘आह्ह.. ओह्ह..मस्त चाटते हो यार.. आह्ह.. चाटो.. मजा आ रहा है..’
मैंने 2 से 3 मिनट सोनी की चूत चाटने के बाद सोनी की गाण्ड को हल्का सा ऊपर किया.. और दोनों टाँगों को अलग फैला दिया।
मैंने सोनी की गाण्ड के छेद पर लण्ड रखा और हल्का सा धक्का लगा दिया.. गाण्ड गीली भी हो रही थी.. और मैंने वैसलीन भी लगा रखी थी.. तो एक झटके में लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया। अभी सुपारा ही गया था.. कि सोनी उछलने लगी ‘ओह्ह.. यश.. ऐसे मत करो.. दर्द हो रहा है..’
मैंने देर ना करते हुए एक जोर का झटका मारा.. सोनी की चीख निकल गई ‘आआआ.. मर गईईई ईई..’ मैंने जल्दी से एक और झटका मारा.. इस बार लण्ड पूरा अन्दर चला गया। मैंने सोनी के पैरों को पकड़ लिया।
अब जब देखा थोड़ी देर में सोनी ठीक हुई और अब अपने कूल्हे हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी है.. तो मैंने लण्ड बाहर निकाला और सोनी को खड़ा कर दिया।
मैंने कुर्सी को साईड में कर दिया और अब उसके होंठों को चुम्बन करने लगा कुछ देर चुम्बन करने के बाद मैंने फव्वारा फुल स्पीड पर खोल दिया.. जिससे सामने की दीवार तक पानी आने लगा।
फिर मैंने सोनी का मुँह दीवार की तरफ कर दिया.. जिससे उसकी गाण्ड अब मेरी तरफ को हो गई थी और सारा पानी हम दोनों के ऊपर ही आ रहा था।
यारों बाथरूम में पानी की बूंदों में एक हसीन लड़की की चुदाई करने से मजेदार बात और क्या होगी।
अब मैंने अपना लण्ड सोनी की गाण्ड पर लगाया और जोरदार धक्का मारा, सोनी इस बार जोर से चीख पड़ी ‘आआहह.. ओहऊऊऊ.. छोड़ दे पापी..’
पर मैं रुका नहीं.. फिर से थोड़ा तिरछा हुआ.. जिससे पानी की मेरे लण्ड को गीला कर रहा था। मैंने हल्के से लण्ड को बाहर निकाला और पूरी जान से पेल दिया।
इस बार तो सोनी का बुरा हाल हो गया। वो जोर से चीखने ही वाली थी कि मैंने उसका मुँह अपने हाथ से बंद कर दिया.. सोनी छटपटाने लगी।
मैंने उसे छोड़ा नहीं और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा और आगे हाथ डाल कर उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा.. जिससे उसे मजा आने लगा और कुछ देर में ही वो शांत हो गई।
अब वो भी मजे में अपनी गाण्ड आगे-पीछे करने लगी। मैंने देखा कि अब इसका दर्द ठीक हो गया है.. तो फिर मैं भी लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। सोनी अब सिसकारियाँ लेने लगी।
‘आह्ह.. ओह्ह.. मजा आता है.. पर शुरू में तो दर्द बहुत देते हो यार.. आह्ह..’
मैंने भी देर न की और अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसको और झुका दिया.. जिससे वो घोड़ी बन गई। इस वजह से मुझे पकड़ने के लिए उसकी कमर मिल गई थी। फिर दोस्तो, मैंने सोनी की क्या गाण्ड चुदाई की.. कि सोनी की मस्त आवाजें निकलने लगीं- आह्ह.. राजा फाड़ दे.. मेरी गाण्ड का बैंड बजा दे.. आह्ह..
करीब 10 से 15 मिनट चुदाई की.. अब हम दोनों ही थक गए थे.. तो मैंने सोनी को सीधा किया और उसको अपनी बाँहों में ले लिया। अब सोनी के चूचे मेरी छाती से लगे हुए थे और मेरा लण्ड उसकी चूत से लग रहा था, ऊपर से पानी की बूँदें गिर रही थीं.. हाय क्या मस्त लग रहा था, मेरा मन तो हुआ कि सोनी को छोड़ू ही नहीं।
कुछ देर ऐसे ही रहने से अब ठीक लगने लगा.. तो मैंने लण्ड को पकड़ कर आगे से ही सोनी की चूत में डाल दिया और अब दोनों हाथ से सोनी को अपनी बाँहों में कस कर दबा लिया और लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
सोनी अब चूत की रगड़ाई से मस्त हो उठी थी ‘आह्ह.. ऊऊह्.. म्मह्ह्ह्.. आआअह्ह्ह..’
इस आसन में मैं बिना सहारे के कारण ठीक से सोनी को चोद नहीं पा रहा था.. तो मैंने फिर से सोनी को दीवार से लगा दिया.. पर इस बार सोनी का मुँह मेरी तरफ था और पीठ दीवार से लगा रखी थी।
अब ठीक लग रहा था.. फिर मैंने लण्ड को हल्का सा बाहर निकाल कर जोर से धक्का मारा.. आधे से ज्यादा लण्ड सोनी की चूत में चला गया.. पर अब सोनी तो मजे के सागर में थी।
सोनी को अब दर्द नहीं हो रहा था.. क्योंकि अब सोनी की चूत अब बहुत गीली थी.. तो लण्ड आराम से अन्दर जा रहा था। मैं धकापेल सोनी को चोदे जा रहा था, सोनी ‘आह्हह ह्ह.. ऊओह्ह.. आह्ह.. उह्ह.. उम्म्ह्ह्ह.. करते हुए अपनी चूत के चीथड़े उड़वा रही थी।
पर दोस्तों जिस पोज़ में अभी सोनी की चुदाई कर रहा था.. मुझे भी उसमें थोड़ी प्रॉब्लम हुई थी.. पर इस पोज में मजा भी बहुत आया था। कुछ देर बाद मैंने सोनी को ऊपर उठाया और सोनी ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पर कस लीं.. पर मैंने उसकी पीठ अभी भी दीवार पर लगा रखी थी।
मैंने उसकी गाण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था। इस तरह उसको अपने हाथों के झूले में लटकाते हुए अपना लण्ड सोनी की चूत में जैसे ही डाला.. वो उछल गई।
फिर लौड़ा चूत में जड़ तक पेल कर मैं सोनी की गाण्ड पकड़ कर उसको ऊपर-नीचे करने लगा, सोनी भी उछल-उछल कर चुद रही थी और बार-बार होंठों पर चुम्मियां करती रही।
दोस्तो, एक बात बता दूँ.. जिस पोज़ में अभी मैं चुदाई कर रहा था.. मतलब सोनी को अपनी गोद में लेकर चोद रहा था.. इसने तो मुझे और भी अधिक थका दिया था और इस तरह से लौंडिया को चोदना भी मुश्किल होता है.. पर कहते हैं ना.. जो चीज़ मुश्किल होती है.. उसमें और अधिक मजा आता है।
पोज़ तो मुश्किल था.. पर मजा भी बहुत आ रहा था। अब इस पोज़ को ज्यादा देर तक नहीं कर पाया.. तो ऐसे ही गोद में लिए मैं सोनी को कमरे में ले आया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। बिस्तर पर लिटाने के बाद मैं सोनी के पूरे जिस्म पर चुम्बन कर रहा था।
अधचुदी सोनी अपनी चुदास से तड़फ रही थी और ‘ऊऊऊओ.. ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.. म्म.. पहले अन्दर डालो न..’ कह रही थी।
मैंने सोनी के चूचों को चूसना चालू किया और जोर-जोर से उसके हिलते हुए चूचों को चूस रहा था। सोनी को दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था.. साथ ही अब मैंने सोनी के चूत के दाने को अपने होंठों में दबा लिया। चुदासी सोनी ‘ऊह्ह्ह् अहह..’ करने लगी मानो मेरी जीभ से ही वो अपनी चुदास को मिटा लेना चाहती हो।
मैं जोर-जोर से उसकी गरम चूत को चाटने लगा और उसकी चूत में दो उंगलियां डाल कर जोर-जोर से चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। सोनी अब फुल मस्त हो गई.. दुबारा से जोर-जोर से साँसें लेने लगी ‘आह्ह.. आह्ह्ह्ह्ह्.. जान.. यश.. अब चोदो ना..’
अब तक मेरा लण्ड भी सूख सा गया था.. तो मैं सोनी के ऊपर बैठ गया और सोनी से कहा- जान.. अपने दोनों चूचों को आपस में दबा लो। सोनी ने ऐसा ही किया, उसने अपने दोनों चूचों को आपस में दबा लिया और मैंने उसके चूचों के बीच में अपना लण्ड रखा और आगे-पीछे करने लगा।
दोस्तो, इस पोज़ में इतना मजा नहीं आया.. पर जब भी लण्ड आगे जाता तो सीधा सोनी के मुँह में जाता.. फिर मैंने उठ कर उसके मुँह में लण्ड डाल दिया और सोनी जोर-जोर से लवड़ा चूसने लगी। यार, जब लड़की लण्ड को चाटती या चूसती है.. क्या जन्नत का मजा आता है.. मन करता है बस चुसवाते रहो।
अब मेरा लण्ड फुल टाइट हो गया था। मैं उठ कर सोनी के टांगों के बीच में आ गया और अब देखा कि सामने नारियल के तेल की शीशी रखी है.. मैंने थोड़ा सा तेल लिया। मैंने तेल को सोनी की चूत पर लगा दिया.. साथ में उसकी गाण्ड में भी लगा दिया। फिर थोड़ा सा तेल अपने लण्ड पर लगा कर सोनी की चूत पर अपना लण्ड रख दिया और पूरी ताकत से धक्का मारा.. सोनी चीख पड़ी ‘आआहह..’
अब मैं जोर-जोर से सोनी की चुदाई करने लगा, उसकी मस्त आवाजें “आआअ.. ह्ह्ह्ह.. ऊऊ.. ह्ह्ह्ह्हूओ.. कमरे में गूँजने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद मैंने सोनी की दोनों टाँगें ऊपर उठाईं और जोर-जोर से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। इस बार सोनी रो रही थी.. पर मुझ पर चुदाई करने का भूत सवार था.. तो मैं बस सोनी की चुदाई करने में लगा हुआ था।
हम दोनों ही पसीने से भीग गए थे.. सोनी चिल्ला रही थी- यश.. नहीं.. आह्ह्ह्ह्ह्.. दर्द हो रहा है.. इस तरह मत करो.. जलन होती है.. आह्हह्हह्ह.. मर गईईई.. करीब 10 मिनट ऐसे ही चोदने पर अब मुझे सोनी बोलने लगी- यशह्ह् म्म्म्म्म.. मैं आने वाली हूँ..
मैंने भी अब फुल स्पीड कर दी.. सोनी एक तेज सीत्कार करते हुए झड़ गई.. पर मैं अभी भी सोनी की चुदाई कर रहा था। करीबन 20 धक्के मारने पर मैंने भी सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया और दोनों ही एकदम से निढाल से पड़ गए। मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको चुम्बन करने लगा।
पांच मिनट बाद ऐसे ही लेटे-लेटे मेरी नजर घड़ी पर गई.. रात के 3:20 हो रहे थे। हम दोनों ने ऐसे ही आराम करने लगे.. दोनों ही काफी थक चुके थे।
सोनी बोली- सच में हॉटशॉट.. तुमने तो आज ऐसे शॉट मारे.. क्या बताऊँ.. मैं इस पल को हमेशा याद रखूंगी.. और वो आज जो खुले आसमान के नीचे जो भी प्यार हुआ.. उसमें मुझे बहुत मजा आया। मैंने कहा- अच्छा.. फिर चलूँ?
वो हँसने लगी और मेरे सीने में छिप गई। मैं उसको सहलाता हुआ बोला- तुमको खुश करना था बस..
ऐसे ही लेटे-लेटे 4 बज गए थे.. मेरा लण्ड तो दर्द कर रहा था.. पर मन नहीं माना और सोनी ने भी बोल दिया- एक राउंड और हो जाए। मैंने कहा- क्यों नहीं।
करीब 5:15 बजे तक मैंने सोनी की गाण्ड और चूत दोनों में लण्ड पेला और खूब चुदाई की।
सुबह उससे चला तक नहीं जा रहा था.. तो मैं उसको उसकी छत पर छोड़ कर आया।
सुबह 6 बजे मैंने पिंकी को कॉल किया और बोल दिया- सोनी को मत उठाना आज उसकी सुहागरात बहुत अच्छी तरह से मनी है। तो पिंकी बोली- ऐसी वाली मेरे साथ कब मनाओगे? मैंने कहा- बहुत जल्द ही.. पिंकी बोली- चलो देखती हूँ.. मेरा कब नम्बर आता है।
दोस्तों,मैं आप लोगों को बता दूँ कि कभी भी सेक्स करो तो फुल सेफ्टी से करो.. मैंने दोनों को जब भी चोदा.. उन दोनों को गोली भी खिला दी.. ताकि उन दोनों को आगे कोई झंझट न हो।
देखो दोस्तो.. लड़की के साथ सेक्स करो.. पर जो भी तुमको अपना सब कुछ देने को तैयार है.. तो उसका दिल कभी मत दुखाओ.. सबसे पहले लड़की की ‘हाँ’ होनी चाहिए और खासतौर पर लड़की हो या भाभी हो.. या आंटी.. सबको सम्मान दो.. आदर करो।
आगे भी मैंने दोनों को अपने दोस्त के घर पर ले जाकर कई बार चोदा और भी कई किस्से हैं दोस्तो! वो.. जब भी मुझे समय मिलेगा.. तो.. अवश्य लिखूँगा। तब तक के लिए नमस्कार।
भाभियों और लड़कियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार और मेरे दोस्तों को भी.. जो मुझे मेल करते हैं मेरी स्टोरी पढ़ते हैं।
दोस्तो, मुझे बताना न भूलें.. अपने मेल जरूर करें। [email protected]
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