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इस हिंदी सेक्स स्टोरी के पिछले भागों कमसिन लड़की और चूत की भूख-1 कमसिन लड़की और चूत की भूख -2 में अब तक आपने पढ़ा..
अब शायद वो अच्छा महसूस करने लगी थी… इसलिए मैंने उसकी ब्रा को पूरी तरह से अलग करके पूरी कमीज़ को ऊपर गर्दन के पास कर दी और खुद उसकी टाँगों की तरफ से उसके ऊपर चढ़ कर उसके दोनों मम्मों को एक-एक करके चूसने लगा। बीच-बीच में मैं उसे किस भी कर रहा था और स्मूच भी.. कभी गर्दन पर पेट पर और मम्मों की चुसाई भी चालू थी।
यह सिलसिला एक घन्टे तक चला.. फिर मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अन्दर डालना चाहा.. पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
अब आगे..
मैंने थोड़ा ज़ोर लगा कर अपना हाथ उसकी चूत तक पहुँचा दिया और चूत के अन्दर उंगली को पेल दिया.. पर उसने मेरे हाथ को पकड़ना नहीं छोड़ा। इसमें मुझे ज़ोर-जबरदस्ती भी करनी पड़ी..
वो मुँह से ‘ना.. ना..’ ही कर रही थी.. पर उसकी ना’ में मना नहीं था।
वो धीरे-धीरे बोल रही थी.. जैसे ‘नहीं.. मत करो.. नाआआ आआ.. करो..’ जिसमें मुझे उसका कोई विरोध महसूस नहीं हो रहा था। तब भी वो मेरे हाथ को चूत में ठीक से नहीं डालने दे रही थी। इसी कारण मुझे उसकी चूत का नाड़ा नहीं मिल रहा था.. क्योंकि मेरा मुँह उसके मम्मों में लगा था और हाथ कुछ हद तक चूत पर टिका था।
उसका हाथ मेरे बाजू को पकड़े हुए था जो कि मुझे चूत में उंगली डालने से रोक रहा था और उसका नाड़ा जो कि टाइट बंधा हुआ था.. वो भी मेरे हाथ को रोक रहा था.. इसलिए मैंने उसकी दोनों बाँहों को अपने हाथ के नीचे बिस्तर पर दबा कर शोषक वाले अंदाज से उसका नाड़ा अपने मुँह से दाँतों की मदद से खोला और फिर झटके से उसकी सलवार को घुटनों तक कर दी।
इसी के साथ उसकी चूत का अंतिम ढक्कन जो कि एक छोटी सी थोंग के रूप में चूत को ढांपने की असफल सी कोशिश कर रहा था.. वो भी जाँघों तक खिंच आई।
अब मैं कुछ शांत हो गया था.. मैंने उसकी तसल्ली से चूत के उभार के दीदार किए.. उसकी चूत में बहुत ही छोटे-छोटे सुनहरे से बाल थे और चूत बड़ी ही क्यूट लग रही थी। उसकी चूत गीली भी थी.. मैं उसे फिर से स्मूच करने लगा और यहाँ-वहाँ किस करने लगा.. पर उसके दूध की रंगत लिए उसके ठोस मम्मों को किस करने का सिलसिला नहीं छोड़ा.. जो कि मुझे सबसे ज्यादा पसंद था।
क्योंकि अब वो अधनंगी थी.. इसलिए मैंने सोचा कि अब इसको पूरी नंगी करूँ तभी चुदाई हो पाएगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसकी कमीज़ को.. जो उसकी गर्दन पर लटकी थी.. उसे उसके गले से खोल दिया और अब वो सिर्फ़ पैन्टी और उसकी घुटनों तक सलवार में फंसी थी। मैंने उसकी पैन्टी भी नीचे कर दी और सलवार भी खिसका कर बिस्तर के नीचे फेंक दी। वो मेरा विरोध भी कर रही थी इसलिए मैंने उसके कपड़े दूर फेंक दिए थे ताकि उन्हें फिर से पहनने की कोशिश ना करे।
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी… मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। फिर पेट पर चूमता हुआ मैं उसकी चूत पर आ गया और चूत को चूसने लगा।
मेरी जीभ उसकी क्लिट पर घूम रही थी और मेरे एक हाथ की उंगली उसकी मस्त चूत की गुलाबी गहराइयों से होते हुए अन्दर-बाहर हो रही थी।
यह मादक सिलसिला आधा घंटे तक चला.. पर जैसे ही मैं एक की जगह दो उंगलियां उसकी चूत में डालने लगा.. तो उसने मना कर दिया- प्लीज़.. ऐसा मत करना.. दर्द होगा।
फिर मैंने उसकी चूत को खूब चूसा और उसके पैरों को.. जाँघों को.. पैर की उंगलियों को.. चूसने लगा। उसने एक पैर पर काली डोरी पहन रखी थी.. जो कि उसकी गोरी-गोरी टाँगों में बहुत ही सुंदर लग रही थी और मुझे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी।
मैंने उसकी जाँघ पर.. चूतड़ों पर.. पीठ पर.. सभी जगह उसको खूब चूमा-चाटा। उसके चूचुकों को तो मैं अपने होंठों से काटने की कोशिश करता रहा। मैंने बिना दाँत चुभाए उसके सारे जिस्म पर.. टाँगों में चूत के निचले भाग पर.. उसकी गाण्ड पर.. जीभ को घुसाने की कोशिश की.. चूत के छेद में जीभ को घुसाने की कोशिश की.. मुझे उसकी चूत की महक भी आ रही थी.. जो कि अजीब सी थी.. जिससे मैं अपने शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
मैंने उसे खूब मज़ा दिया.. वो मज़े से तड़फ़ सी रही थी.. फिर मैंने अपना लण्ड निकाला.. जिसे कि उसने तिरछी नजरों से देखा.. मतलब सीधे नहीं देखा और मेरे लौड़े की एक झलक देखते ही अपनी नजरें एकदम से हटा लीं और आँखें बंद कर लीं.. जैसे उसने कुछ नहीं देखा हो। पर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह की तरफ किया और उसके मुँह में डालने लगा।
उसने मना कर दिया.. फिर मैंने उसके मम्मों में लण्ड फंसा कर चूचों की चुदाई करना शुरू कर दी।
कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड पेट से होते हुए उसकी चूत के मेन गेट पर रखा और पूरी चूत को अपने लण्ड से ऊपर से नीचे तक सहलाया। ऐसा मैंने 10 बार ऊपर-नीचे किया.. बिना चूत में अन्दर डाले.. उसके क्लिट की रगड़ाई की.. जिससे वो चुदास के नशे में खो सी गई.. उसने अपनी टांगें फैला दीं.. उसे खूब मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने उससे हल्की सी कटीली मुस्कान देते हुए पूछा- डाल दूँ क्या? उसने थोड़ी सी शर्म के साथ हल्की सी स्माइल दी.. यह ग्रीन सिग्नल था।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रख कर हल्का सा पुश किया और मेरे लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया.. मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मैंने हल्का सा एक और धक्का मार दिया। उसके चेहरे पर दर्द का हल्का सा अहसास था। फिर मैंने पूरा लण्ड एक ही झटके में चूत के अन्दर ठोक दिया।
उसे दर्द हुआ.. पर वो चिल्लाई नहीं.. वैसे वो पहले ही चुद चुकी थी.. इसलिए उसे नॉर्मल सा दर्द ही हो रहा था। उसकी चूत गीली भी बहुत थी.. जिससे लण्ड बड़े ही सुचारू रूप से अन्दर-बाहर जा-आ रहा था।
उसको मजे से चोदने के साथ.. बीच-बीच में मैं उसके मम्मों को भी चचोरता जा रहा था और उसके गुलाबी चूचुकों को दाँतों से कभी-कभी कुतरता भी जा रहा था।
मेरे मुँह में एक चूचा था.. और दूसरे चूचे को अपने हाथ से खूब ज़ोर से दबा देता। नीचे मेरा लण्ड अपने आप ही अपना काम कर रहा था। मैं धक्के मार रहा था और वो अपनी गाण्ड ऊपर-नीचे कर रही थी।
मैंने झड़ते समय अपना सारा वीर्य उसके पेट पर फेंका.. क्योंकि मैंने उससे पूछ लिया था कि ‘क्या माल अन्दर डाल दूँ?’ तो उसने मना किया था।
मेरे लण्ड एक मिनट में फिर से खड़ा हो गया और मैं उसकी चुदाई की स्कीम फिर से बनाने लगा। हम लोग नंगे ही पसीने से लथपथ फिर से एक-दूसरे की बाँहों में चूमा-चाटी के कार्यक्रम में खो गई और वो फिर से गरम हो गई।
मैंने एक बार फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाल कर उसको चूत चुदाई की सर्विस देने लगा।
अबकी बार मुझे पता था कि मैं जल्दी झड़ूँगा ही नहीं.. सो मैंने फुल स्पीड से उसकी चुदाई की, इससे पहले मैं झड़ने के डर से फुल स्पीड नहीं रख पाया था.. और इस बार उसकी हालत खराब हो उठी थी और वो मेरी पीठ पर.. गले पर.. किस कर रही थी.. पर कुछ नहीं बोल रही थी.. जैसे कि औरों की कहानियों में लिखा होता है.. कि ‘चोद डाल.. फाड़ डाल..’ उसने ऐसा कुछ नहीं कहा, बस वो मुझे कस-कस के पकड़ रही थी और मेरे जिस्म पर यहाँ-वहाँ किस करे जा रही थी।
मैंने अपनी स्पीड से उसकी चूत से पानी निकलवा दिया.. जो कि मेरा लक्ष्य था.. और उसके झड़ने के 10 मिनट के बाद मैंने भी अपना माल उसके पेट पर छोड़ दिया.. मेरी पीठ पर उसने अपने नाख़ून भी गड़ा दिए थे.. जिसके कारण मुझे बाद में दर्द हुआ।
इसके बाद मैंने अगली चुदाई कन्डोम लगा कर की.. जो कि मेरे पास एक ही था। अबकी बार मैंने फिर उसे फुल स्पीड से बहुत देर तक चोदा.. और उसने भी खूब मज़ा लिया।
जैसे ही इस बार मैं झड़ा उसकी बुरी हालत हो गई थी.. वो कुछ सुस्त सी लग रही थी.. पर साली चुदने से नहीं मान रही थी।
फिर मैंने दस मिनट के आराम के बाद बोला- चल एक बार फिर से करते हैं। पर उस टाइम 4 बज रहे थे.. सो उसने मना कर दिया।
‘नहीं यार.. मैं बहुत देर से घर से बाहर हूँ.. पापा तो नहीं हैं.. पर पड़ोसी क्या सोचेंगे कि कहा थी इतनी देर.. सो प्लीज़ अब मुझे जाने दो..’ मैंने बोला- जाने तो दूँगा पर एक प्रॉमिस करो कि फिर आओगी? तो उसने बोला- मेरा तो जाने को ही मन नहीं है.. पर मजबूरी है। मैंने बोला- ठीक है.. अब तुम जाओ..
कोई एक हफ्ते के बाद मैंने उसे एक बार फिर चोदा था.. वो इससे भी मस्त चुदाई हुई थी। मैं आप सब को जरूर सुनाऊँगा.. अगर आपको मेरे स्टोरी अच्छी और रियल लगी हो.. तो प्लीज़ कमेन्ट्स जरूर करें.. अन्तर्वासना डॉट कॉम पर आपका सदैव ही स्वागत है। धन्यवाद!
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