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दोस्तो.. ये मेरी डायरी के कुछ पन्ने थे जो मैंने अपनी कामवासना के चलते आज फिर खोल लिए थे.. इसमें मेरी बीवी और मेरे दोस्त के साथ हम तीनों की चुदास का वर्णन लिखा है.. उसे पढ़ कर आप सब को सुना रहा हूँ.. आनन्द लीजिए।
चौबीस अगस्त को सुबह से ही मेरे मन में सेक्सी ख्याल आ रहे थे। मैं सुबह ऑफिस गया.. पर मेरा मन आज कुछ मस्ती करने का था। मैं ऑफिस जाने से पहले सुबह बार-बार अपनी पत्नी को छेड़ रहा था। मेरी पत्नी प्रिया की चूत भी शायद मचल रही थी.. क्योंकि वो भी सुबह से ही बेक़रार सी हो रही थी, कई बार मुझे इशारा कर चुकी थी और मैं भी मस्त हो रहा था।
देर शाम को करीब दस बजे मैंने अपने दोस्त विलास से एसएमएस पर बात की. उसके बाद घर पहुँच कर मैंने अपनी बीवी से कहा- आज गाड़ी में ड्राइव पर चलोगी? उसने कहा- ठीक है चलेंगे! और दोस्त को एसएमएस किया।
उस दिन घर पर कुछ रिश्तेदार थे.. सो मेरी पत्नी घर से बिना कन्धों वाली फ्रॉक पहन कर नहीं निकल सकती थी। सो मैंने उसकी फ्रॉक और दुपट्टा पहले से गाड़ी में रख लिया. और जब हम घर से निकल कर खुली सड़क पर आए तो उसे कमीज़-पजामी.. ब्रा और पैंटी उतार कर उसको बिना कन्धों वाली फ्रॉक पहनने को कहा।
उसने खुली सड़क पर चलती हुई गाड़ी में बिंदास होकर नंगी होकर कपड़े बदले और मैं बीच-बीच में उसके नंगे जिस्म को छूता.. मसलता और मस्ती लेता रहा।
फ्रॉक पहन कर उसने अपनी मोटी चूचों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया। मैंने दुपट्टे के नीचे हाथ डाल कर उसकी फ्रॉक को चूचियों से नीचे सरका कर उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं।
उसने शरारत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा और धीरे से अपना सीना तान लिया.. जिससे उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ और उभर आईं और मैंने मस्ती से उसकी चूचियाँ सहलानी, मसलनी.. दबानी और छेड़नी शुरू कर दीं, कई बार उसके निप्पल मसले.. खींचे.. मरोड़े और नोंचे.. जिससे निप्पल भी एकदम मस्त होकर तन गए।
उसकी चूचियाँ भी जैसे और भर गईं.. और वे गाड़ी के हर धचके के साथ उछलने लगी थीं।
रास्ते में एक सुनसान सी जगह देख कर मैंने गाड़ी रोकी और झुक कर दुपट्टा हटा कर उसकी चूची को सड़क की धुंधली सी रोशनी में देखा। उसकी चूचियाँ मस्ती से दमक रही थीं.. निप्पल पूरे तने हुए थे. और गाड़ी में चूची नंगी करने की उत्तेज़ना के कारण उसकी आँखें मदहोश हो रही थीं।
मैंने झुक कर उसके दायें निप्पल को मुँह में भर लिया और जोर से चूसा। उत्तेज़ना से मेरी बीवी प्रिया की सिसकी निकल गई और उसने अपने हाथों में मेरा सिर थाम कर एक ठंडी ‘आह..’ भरते हुए अपनी चूची पर दबा लिया।
मैंने जोर-जोर से उसकी चूची चूसनी शुरू कर दी। मैं पूरा निप्पल अपने मुँह में भर कर ऐसे चूस रहा था.. जैसे कोई वैक्यूम क्लीनर से निप्पल को खींच रहा हो.. और वो मस्ती से सिसकारियाँ भर रही थी।
लगभग 3-4 मिनट चूची चूस कर मैंने छोड़ दी.. और गाड़ी आगे बढ़ा दी। प्रिया मुझसे बोली- विलास को फ़ोन करके जल्दी बुला लो.. मैं आज वहाँ पहुँच कर इंतज़ार करने के मूड में नहीं हूँ।
मैं पूरे रास्ते उसकी चूची मसलता हुआ आया। बीच-बीच में मैंने उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत भी सहलाई.. जो थोड़ी-थोड़ी गीली होने लगी थी। उसकी चूत पर हाथ रखते ही.. उसने अपनी टांगें भी खोल दीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
गाड़ी में यह दृश्य बहुत मस्त था… मेरी बीवी एक गर्म सस्ती औरत की तरह अपनी चूत नंगी कर टांगें खोल कर बेशर्मी से बैठी थी और दुपट्टे के नीचे उसकी चूचियाँ नंगी.. बिना किसी बंधन के कार के हर धचके के साथ छलछला रही थीं.. उसके निप्पल कड़े होकर तने हुए थे और मैं बीच-बीच में उसकी मस्त रसभरी चूचियों को सहलाता और मसलता हुआ गाड़ी चला रहा था।
रास्ते से मैंने विलास को फ़ोन किया और पहले से तय की हुई जगह पहुँचने को कहा। मेरी मस्त बीवी बिल्कुल मस्त थी और हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थी और बीच-बीच में अपने हाथ से मेरे लौड़े को सहला रही थी.. जो कि मेरे शॉर्ट्स में तम्बू बना रहा था।
एक बार और रुक कर मैंने उसकी चूची को दोनों हाथों से मसला.. उसे अपनी तरफ घुमाया और झुक कर दोनों निप्पलों को चूसा.. प्रिया और भी ज्यादा मस्त हो गई। उसने मेरे शॉर्ट की इलास्टिक में से हाथ अन्दर डाल कर मेरे नंगे लौड़े को पकड़ लिया और हल्के से दबाया, मेरा लौड़ा भी पूरी तरह खड़ा था।
इसी बीच धीरे से हम वहाँ पहुँचे जहाँ दोस्त से मिलना था.. पर वो तब तक आया ही नहीं था.. मेरी पत्नी को हल्की सी झुंझलाहट हुई.. पर मैंने कहा- जब तक चलो.. एक चक्कर लगा कर वापिस आते हैं।
जब हम कार से चक्कर लगा कर वापिस आए तो हमें विलास आते हुए दिखाई दिया और मैंने उसके पास कार रोक दी.. वो फ़ौरन कार में मेरी बीवी के पीछे वाली सीट पर बैठ गया और मैंने कार आगे बढ़ा दी। उसे शायद अंदाजा था कि मेरी पत्नी की चूचियाँ दुपट्टे के नीचे शायद नंगी होगीं.. क्योंकि पिछली बार भी ऐसा हुआ था।
तभी मैंने हाथ बढ़ा कर अपनी गर्म बीवी की चूचियाँ सहलानी शुरू कर दीं। अब उसे पक्का पटा चल गया कि मेरी मस्त बीवी किसी रंडी की तरह कार में अपनी चूची नंगी लटका कर बैठी है.. जिनको उसने बस एक झीने से दुपट्टे से ढका हुआ है।
विलास ने फ़ौरन आगे झुक कर उसकी सीट के दोनों तरफ से हाथ बढ़ा कर बगल से उसकी चूचियों को थाम लिया। मैं पहले से उसकी दाईं चूची पकड़े हुए था। जब उसका हाथ भी वहाँ आया तो कुछ सेकण्ड्स तक हम दोनों उसकी चूची को एक साथ सहलाते रहे, मैं उसके निप्पल को सहला रहा था.. मसल रहा था और खींच रहा था.. और विलास उसकी चूची को पकड़ कर दबा रहा था।
मुझे विलास के साथ मिल कर उसकी चूची को मस्त करने में बहुत मज़ा आया। अब तक मेरी पत्नी प्रिया बहुत गर्म हो चुकी थी और मैं तो गर्म था ही, विलास का भी लंड पूरी तरह तन गया होगा.. क्योंकि उसने उसकी चूचियाँ पूरी मस्त के साथ बेदर्दी से मसलनी शुरू कर दी थीं।
मेरी बीवी इतनी गर्म हो रही थी कि उसने तुम्हें रोकने या कुछ कहने के बजाए मस्ती में आँखें बंद कर लीं और धीरे-धीरे सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दीं। मैंने उसकी ओर देखा तो वो मस्ती में भरी हुई सेक्स की मूर्ति लग रही थी, वो अपनी सीट की पीठ से टेक लगा कर पीछे की ओर झुककर बैठी थी.. शायद इसलिए ताकि विलास को उसकी चूचियों के साथ खेलने में दिक्कत न हो।
मैंने उसकी तरफ देखा तो मेरी तरफ से उसका दुपट्टा थोड़ा खिसक गया था, उसकी भरी-भरी चूचियाँ और उस पर रेंगता तुम्हारा हाथ बहुत सेक्सी लग रहा था।
मेरे ऊपर जैसे एक जूनून सा छा गया.. मैंने सड़क पर गाड़ी साइड लगा कर रोकी और झुक कर उसकी चूचियों से दुपट्टा हटा दिया। विलास अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचे सहला रहां था और उंगली के पोर से निप्पल को छेड़ रहा था।
मैंने झुक कर अपनी तरफ वाली चूची को देखते हुए उसकी तरफ अपना मुँह बढ़ाया.. तो विलास ने उस पर से अपना हाथ हटा लिया। मैंने उत्तेजित होकर उसकी चूची मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया.. तो वो और ज्यादा मस्त हो गई। मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी दूसरी चूची भी थाम लिया और उसको जोर-जोर से दबाने लगा। मेरी पत्नी प्रिया ने मस्त होकर ‘आह..’ भरी और बोली- आह.. जोर से..
विलास भी उसकी बात सुन कर उत्तेजित हो रहा था पर उसने धीरे से कहा- यहाँ घर हैं आस-पास.. कोई देख न ले..! मैं तो मस्ती से पागल हो रहा था.. मैंने उसके निप्पल से मुँह हटा कर बोला- चिंता मत करो.. कोई देख लेगा तो भी कोई बात नहीं..
थोड़ी ही देर उसकी चूची चूस कर और दूसरी चूची मसल कर.. मैं सीधा बैठ गया और गाड़ी आगे बढ़ा दी। विलास को भी समझ में आ गया कि मुझे रिस्क लेने में मज़ा आता है।
इसके बाद विलास पूरे रास्ते पीछे से हाथ बढ़ा कर उसकी चूची सहलाते और मसलते हुए बैठा रहा। कई बार हमारी कार के बगल में दूसरी गाड़ियाँ आईं.. पर विलास पूरी मस्ती से उसकी दुपट्टे से ढकी पर नंगी चूचियाँ सहलाता रहा।
हम जब पहले वाली सुनसान जगह पहुँचे तो मैंने आज पहले से भी ज्यादा सुनसान और ऐसा इलाका चुना.. जहाँ किसी के भी आने का कोई चांस नहीं था। वहाँ पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और सीट बेल्ट खोल कर अपनी पत्नी और विलास की तरफ मुड़ गया।
मेरी पत्नी अभी भी वैसे ही बैठी अपनी चूची उससे सहलवा रही थी और मुझे पक्का विश्वास है कि वो पूरे टाइम उसकी चूची कोई हल्के से नहीं सहला रहा था.. बीच-बीच में उसने उसकी चूचियाँ पूरी ताकत से मसली भी थीं.. जैसा प्रिया को पसंद है।
मैंने उसकी तरफ मुड़ कर उसका दुपट्टा उसके सीने से खींच कर हटा दिया और चाँद की रोशनी में उसकी नंगी चूचियों को देखा तो मस्त हो गया।
उस दिन चाँद काफी बड़ा और तेज रोशनी वाला था और गाड़ी की खिड़कियों से चाँद की बहुत रोशनी अन्दर आ रही थी। उस रोशनी में मेरी टॉपलेस बीवी बहुत मस्त लग रही थी और वो बिना किसी झिझक या शर्म के विलास के सामने अपनी चूचियाँ उभार कर बैठी थी।
मैंने आगे बढ़ कर उसकी चूची थाम ली और उनको जोर से मसला, वो मस्ती से बोली- हाय.. और जोर से..
दोस्तो, मेरी इस कामवासना से भरी कहानी के विषय में आप अपने कमेन्ट मुझे लिख भेजिए। कहानी जारी है। [email protected] कहानी का अगला भाग : सेक्सी बीवी और दोस्त के साथ लम्बी ड्राइव-2
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