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नमस्कार पाठको.. मेरा नाम अंश बजाज है मेरी उम्र 25 साल है और मैं ठीक ठाक दिखने वाला लड़का हूँ.. मुझे अपनी उम्र के आस-पास के लड़कों में ही रुचि है.. और मैं अन्तर्वासना की समलैंगिक कहानियों को बहुत रुचि लेकर पढ़ता हूँ। ये कहानियाँ मुझे पूर्ण आनन्द देती हैं.
जाहिर सी बात है कि मुझे भी लड़कों में रुचि है तो मेरी जिंदगी में भी कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो अंतर्वासना के पाठकों के साथ मैं शेयर करना चाहूँगा.. उन्हीं में से एक घटना मैं आपके सामने विस्तार से बताने जा रहा हूँ..
बात अप्रैल 2013 की है जब मैं अपनी मौसी के लड़के आकाश की शादी में सोनीपत गया हुआ था.. और मेरे लिए शादी का मतलब जवान लड़कों का मेला जो अपनी जवानी के चर्म पर होते हैं। और शादी में इस तरह के वाकये बहुत होते हैं जब लड़के किसी लड़की को पटाने की खूब कोशिश करते हैं यानि सेक्स कहीं न कहीं उनके दिमाग में चल रहा होता है।
चल तो मेरे दिमाग में भी रहा था लेकिन लड़की के लिए नहीं बल्कि किसी हैंडसम से लड़के के लिए.. और ऐसा ही एक लड़का था रवि.. जो मेरी मौसी के लड़के का दोस्त था। सब शादी के काम में लगे हुए थे और मेरी नजर सुबह से लेकर रवि पर ही बनी हुई थी।
रवि की उम्र करीब 26 साल के आस पास थी, वो 6 फीट का हट्टा कट्टा और अच्छा खासा हैंडसम लड़का था, गेहूँआ रंग.. माथे पर बिखरे हुए बाल.. छोटी छोटी काली सेक्सी आँखें.. लंबी सी नाक ..चेहरे पर हल्की दाढ़ी और हल्की मूछें ..गाजरी रंग के होंठ.. और कातिल मुस्कान..
उसको मुस्कुराते देख मन करता था उसको ‘आई लव यू…’ बोल दूं उसके कदमों पर गिर के.. दिल तो उस पर पहली बार देखते ही आ गया था जब उसने सफेद रंग की कॉटन वाली आधी बाजू वाली फिट शर्ट पहन रखी थी.. लगभग 16 इंच के डोले थे जिन पर बाजू कसी हुई थी और बल खा रही थी.. छाती के दो बटन खुले हुए जिनमें से उसकी छाती के बाल बाहर आ रहे थे जो उसके मर्द होने का अहसास करा रहे थे।
शर्ट के नीचे हल्के ब्लू कलर की जींस थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांघें thighs कसी हुई थी.. उसके कूल्हे भी काफी सुडौल थे। जब चलता था तो उसकी कसी हुई जींस उसके सामान को और उभार देती थी जिसे देखकर मन ललच उठता था.. क्या चाल थी उसकी… जैसे कोई पहलवान चला आ रहा हो.. मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी इसके लंड को एक बार तो जरुर चखना है!
जैसे जैसे दिन चढ़ा, काम जोरों से चलने लगा, कोई हलवाई के पास लगा है तो कोई रिश्तेदारों को संभाल रहा है। मैं रवि के आस पास ही मंडरा रहा था ताकि उससे बात करने का मौका मिले..
वो कुर्सी पर खड़ा होकर दरवाजे पर फूल माल लटकाने में व्यस्त था.. जल्दी ही भगवान ने मेरी सुनी.. उसे माला की जरूरत थी और आस पास कोई नहीं था.. उसने मुझे आवाज़ दी.. भाई जरा इधर आकर ये माला पकड़ा दे मुझे.. क्या भारी आवाज़ थी.. गज़ब ..बिल्कुल मर्दों वाली..
मैं पास गया और माला ऊपर की ओर उसके हाथ में पकड़ा दी। ऐसा करते हुए मेरा मुंह कुर्सी पर खड़े रवि की जिप की टक्कर में ठीक सामने आ गया.. हाय क्या सामान था उसका.. जिप संभाल नहीं पा रही थी..
शर्ट ऊपर उठी तो उसकी जींस के बटन के ऊपर पेट के बाल भी नजर आ गए.. मैं तो देखता ही रह गया.. क्या सेक्सी जिस्म था उसका..
माला टांगकर उसने पूछा- आकाश के दोस्त हो तुम? मैंने कहा- नहीं मैं उसकी मौसी का लड़का हूँ.. उसने कहा- ठीक है.. बस इतना कहकर वो कुर्सी लेकर अंदर चला गया.. और मैं जींस में फंसे उसके मोटे मोटे कूल्हों को देखता रह गया।
टांगें फैला कर जब चलता था तो क्या मर्द लगता था वो.. उसके बाद वो कहाँ गायब हुआ कुछ पता नहीं चला।
धीरे धीरे शाम हुई और करीब 5 के करीब वो दोबारा मुझे घर में दिखा.. भावनाओं में बहकर मैंने पूछ डाला- आप कहाँ चले गए थे सुबह से? वो कातिल मस्कान के साथ मुस्कुराया और बोला- क्यूं कुछ काम था क्या.. मैं होश में आया और बोला- नहीं बस ऐसे ही.. आकाश भैया पूछ रहे थे.. वो बोला- आकाश तो मेरे साथ ही था।
मेरी चोरी पकड़ी गई और मैंने बहाना बनाया- नहीं वो आपका कोई दोस्त पूछ रहा था। वो बोला- ठीक है मैं बात कर लूंगा..
रात आई और 8 बजे डीजे वाले बाबू ने गाने बजाने शुरु कर दिए.. सब फ्लोर पर इकट्ठा होने लगे.. आकाश के सभी दोस्त आ चुके थे लेकिन मेरी आंखें रवि को ढूंढ रही थी..
मैंने इधर उधर देखा तो वो घर के बाहर हल्की रोशनी में कार के पास खड़े होकर शायद शराब पीने में मस्त थे। मैं वापस आ गया..
कुछ देर बाद वो आ गया और मैं उसको देखकर आँखें सेंकने लगा। वो फ्लोर पर आकर मस्ती में नाचने लगा.. और मैं उसके भरे शरीर के हर एक हिस्से को देखकर अपनी कल्पनाओं में लगा रहा। 2 घंटे तक नाचने के बाद डीजे बंद हुआ और सब घर के अंदर चले गए और अपनी अपनी सोने की जगह तलाशने लगे।
रवि अभी भी नशे में था, उसने आकाश को गुट नाइट बोला और वो ऊपर छत की तरफ जाने लगा। गर्मी के दिन थे तो मैंने सोचा कि शायद रवि छत पर सोने वाला है.. मैं भी उसके साथ सोने की प्लानिंग में लग गया।
मैंने मौसी को बोला कि मौसी मुझे बहुत गर्मी लग रही है मेरा नीचे सोने का मन नहीं कर रहा है.. मौसी बोली- कोई बात नहीं बेटा, तू ऊपर छत पर सो जा रवि के साथ..
मौसी ने जैसे मेरे मुंह की बात छीन ली.. मैं उछलता हुआ सीढियाँ चढ़ कर छत पर पहुंचा तो देखा रवि फर्श पर बिछे गद्दे पर टांगें फैला कर पड़ा हुआ है।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.. मैं धीरे से उसकी बगल में जाकर लेट गया। वो नशे में था और शायद सो चुका था.. उसने सेंडो बनियान पहन रखी थी जिसकी पट्टी उसकी छाती पर कसी हुई थी और पूरी छाती के बाल दिख रहे थे।
उसके हाथ उसके सिर के पीछे खुले हुए थे और उसकी बगल के बालों में से पसीने की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी जिसे पाकर मैं मदहोश हुआ जा रहा था.. मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पैरों वाली साइड में उसकी तरफ मुंह करके लेट गया और उसकी फैली टांगों के बीच बने उसकी जिप के ऊभार को देखने लगा।
उसका हाथ अचानक उसकी जिप पर आया और खुजाने लगा जिससे उसका लंड एक साइड में नजर आने लगा। अब तो मैं बेकाबू हुआ जा रहा था.. मैंने धीरे से उसके साइड में आए हुए लंड पर हल्के से हाथ रखा और दबाकर देखा। हाय, क्या लंड था.. सोया हुआ भी 6 इंच का लग रहा था..
अब तो हद हो गई… मैंने धीरे से उसकी जींस का बटन खोला और जिप को खोल दिया। लाल रंग के अंडरवियर में लंड साइड में लगा हुआ था जिसकी शेप एकदम साफ दिख रही थी और मस्त लग रही थी और उसके भारी भारी आंड उसकी जिप को अभी भी उठाए हुए थे।
मैंने धीरे से अंडरवियर के ऊपर से ही लंड को छूआ और मेरे बदन में सरसराहट सी दौड़ गई.. एक जवान मर्द मेरे सामने खुली जिप के साथ लेटा है जिसका मस्त सा लंड अंडरवियर में छिपा है और मैं उसे देखने के लिए बेताब हूँ।
यह सोचकर मैंने खुद पर काबू खो दिया और उसके लंड को वहीं पर किस कर लिया, अब उसको प्यार से सहला रहा था.. अब मैंने पूरा हाथ उसके लंड और आंड पर रख दिया जिससे उसने टांगें थोड़ी और फैला दीं और उसका मर्द-पना और छलकने लगा।
अब मैं पागल हो चुका था.. मैंने धीरे से उसके लाल अंडरवियर की पट्टी तगड़ी के पास से उठाई और उसके नीचे दिख रही झाटों में होंठ रख दिए, उनको सूंघा तो मदमस्त हो गया.. क्या खुशबू थी उसके लौड़े की..
अब रहा नहीं गया और उसके साये हुए 6 इंच के लंड को मुंह में ले लिया.. वो वैसे ही लेटा रहा, मैं लंड को आंड तक मुंह में लेकर चूस रहा था। 2 मिनट तक चूसने के बाद उसमें तनाव आना शुरु हुआ और देखते देखते उसका लंड 8.5 इंच का होकर मुंह में झटके मारने लगा।
वो एकदम से उठा और एक सेकेंड के लिए मुझे देखकर नशे में ही मुस्कुराया और वापस गद्दे पर गिर गया।
मैं एक बार के लिए सहमा लेकिन उसका मूसल जैसा खड़ा लंड देखकर फिर से सब भूल उसको चूसने में लग गया, कभी उसके आंड चूसता कभी लंड का लाल सुपाड़ा, कभी पेट के बाल चूमता कभी झांट.. पागल हो चुका था मैं उसे पाकर..
8-10 मिनट तक चूसने के बाद उसके हाथ मेरे सिर पर आ गए और वो मुंह को लौड़े पर धकेलने लगा.. उसने मेरे बाल पकड़े और पूरा लंड आंडों तक मुंह में घुसा दिया जो मेरे हलक में जा लगा.. कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रखा और फिर चुसवाने लगा..
उसका लंड अब झड़ने वाला था और 15-20 सेकेंड बाद उसके मस्त लौड़े से निकली वीर्य की पिचकारियों ने मेरा मुंह भर दिया.. उसके नमकीन और कुछ कुछ कड़वे वीर्य को मैं हवस की आग में पी गया.. मैंने उसका लंड मुंह से निकाला और उसकी जिप को वापस से बंद करके उसकी बगल में लेट गया..
वो अभी भी नशे में था और अपनी भारी सी टांग मेरे पेट पर रख कर सो गया।
उसका एक डोला मेरे मुंह पर रखा हुआ था जिसके चलते उसकी बगल के बाल मेरी नाक पर थे और उसकी खुशबू को लेते लेते कब मुझे नींद आ गई, कुछ पता नहीं चला.. इससे आगे की कहानी दूसरे भाग में जल्दी ही बताऊँगा। [email protected]
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