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मैं स्वयं अपने इस उच्चारण से आश्चर्य चकित हो रही थी। मैंने इस तरह इतनी गन्दी बातें मेरे पति राज से भी नहीं की थी। और मैं थी की उस वक्त एक गैर मर्द से एक कामुकता की भूखी छिनाल की तरह बरत रही थी। फ्री हिंदी सेक्स स्टोरी हिंदी चुदाई कहानी
समीर अपने बदन को संतुलित रखते हुए और मुझ पर थोड़ा सा भी वजन न डालते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत की पंखुड़ियों के करीब लाये। मेरी दोनों टाँगें उन्होंने उनके कंधें पर रखी। उनका खड़ा लंबा लण्ड मेंरी चूत के द्वार पर खड़ा इंतजार कर रहा था।
उस रात पहली बार मैं सकपकायी। मेरी साँसें यह सोच कर रुक गयी की अब क्या होगा? मैं एक पगली की तरह चाहती थी की समीर मुझे खूब चोदे। पर जब वक्त आया तब मैं डर गयी और मेरे मन में उस समय सैंकड़ो विचार बिजली की चमकार की तरह आये और चले गए।
सबसे बड़ी चिंता तो यह थी की समीर का इतना मोटा लण्ड मेरी इतनी छोटी और नाजुक चूत में घुसेगा कैसे? हालाँकि राज का लण्ड समीर के लण्ड से काफी छोटा था तब भी मैं मेरे पति को उसे धीरे धीरे घुसेड़ने के लिए कहती रहती थी। समीर का तो काफी मोटा और लंबा था। वह तो मेरी चूत को फाड् ही देगा।
पर मैं जानती थी की तब यह सब सोचने का वक्त गुजर चुका था। अब ना तो समीर मुझे छोड़ेगा और न ही मैं समीर से चुदवाये बिना रहूंगी। हाँ, मैंने विज्ञान में पढ़ा था की स्त्री की चूत की नाली एकदम लचीली होती है। वह समय के अनुसार छोटी या चौड़ी हो जाती है। तभी तो वह शिशु को जनम दे पाती है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैं जानती थी की मेरी चूत चौड़ी तो हो जायेगी पर उससे मुझे काफी दर्द भी होगा और मुझे उसके लिए तैयार रहना पडेगा। मैंने समीर के लण्ड को मेरी उंगलितों में पकड़ा और हलके से मेरी चूत की पंखुड़ियों पर रगड़ा। मेरी चूत में से तो रस की नदियाँ बह रही थी। समीर का लण्ड भी तो चिकनाहट से पूरा सराबोर था। मैंने हलके से समीर से कहा, “थोड़ा धीरेसे सम्हलके डालना। मुझे ज्यादा दर्द न हो। ” . मैंने एक हाथ से समीरके लण्ड को पकड़ा और उसके लण्ड केचौड़े और फुले हुए सिंघोड़ा के फल जैसे ऊपरी हिस्से को मेरी चूत में थोड़ा सा घुसेड़ा और मेरी कमर को थोड़ा सा ऊपर की और धक्का देकर समीर को इशारा किया की बाकी का काम वह खुद करे।
समीर मेरे इशारे का इंतजार ही कर रहे थे। उन्होंने अपनी कमर को आगे धक्का देकर उनका कडा लण्ड मेरी चूत में थोड़ा सा घुसेड़ा। चिकनाहर की वजह से वह आसानी से थोड़ा अंदर चला गया और मुझे कुछ ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ। मैंने मेरी आँखों की पलकों से समीर को हंस कर इशारा किया की सब ठीक था।
समीर का पहला धक्का इतना दर्द दायी नहीं था। बल्कि मुझे अनिल के लण्ड का मेरी चूत में प्रवेश एक अजीबोगरीब रोमांच पैदा कर रहा था। उस वक्त मेरे मनमें कई परस्पर विरोधी भाव आवागमन करने लगे। मैंने महसूस किया की मैं एक पतिव्रता स्त्री धर्म का भंग कर चुकी थी। उस रात से मैं एक स्वछन्द , लम्पट और पर पुरुष संभोगिनी स्त्री बन चुकी थी। पर इसमें एक मात्र मैं ही दोषी नहीं थी।
मुझसे कहीं ज्यादा मेरी पति राज इसके लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने बार बार मुझे समीर की और आकर्षित होने के लिए प्रोत्साहित किया था। पर मैं तब यह सब सोचने की स्थिति में नहीं थी। उस समय मेरा एक मात्र ध्येय था की मैं वह चरम आनंद का अनुभव करूँ जो एक लम्बे मोटे लण्ड वाले पर पुरुष के साथ उच्छृंखल सम्भोग करने से एक शादी शुदा पत्नी को प्राप्त होता है।
मैं अब रुकने वाली नहीं थी। मैं ने एक और धक्का दिया। समीर ने अपना लण्ड थोड़ा और घुसेड़ा। मुझे मेरी चूत की नाली में असह्य दर्द महसूस हुआ। मैंने अपने होंठ दबाये और आँखें बंद करके उस दर्द को सहने के लिए मानसिक रूप से तैयार होने लगी। समीर ने एक धक्का और दिया और उसका लोहे की छड़ जैसा लण्ड मेरी चूत की आधी गहराई तक घुस गया। मैं दर्द के मारे कराहने लगी। पर उस दर्द में भी एक अजीब सा अपूर्व अत्युत्तम आनंद महसूस हुआ।
जैसे समीर ने मेरी कराहटें सुनी तो वह थम गया। उसके थम जाने से मुझे कुछ राहत तो जरूर मिली पर मुझे अब रुकना नहीं था। मेरी चूत की नाली तब पूरी तरह से खींची हुई थी। समीर का लण्ड मेरी नाली में काफी वजन दार महसूस हो रहा था।
उसके लण्ड का मेरी वजाइनल दीवार से घिसना मुझे आल्हादित कर रहा था। मैंने समीर को इशारा किया की वह रुके नहीं। जैसे जैसे समीर का मोटा और लंबा कड़ा लण्ड मेरी चूत की गेहराईंयों में घुसता जारहा था, मेरा दर्द और साथ साथ में मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी।
मैंने समीर को रोकना ठीक नहीं समझा। बस मैंने इतना कहा, “समीर जरा धीरेसे प्लीज?”
समीर चेहरे पर मेरे कराहने के कारण थोड़ी चिंता के भाव दिख रहे थे। मैंने उसे कहा, ‘धीरेसे करो, पर चालु रखो। थोड़ा दर्द तो होगा ही।“
मैं जानती थी की समीर मुझे देर तक और पूरी ताकत से चोदना चाहते थे। मैं भी तो समीर से चुदवाने के लिए बाँवरी हुई पड़ी थी। मैंने समीर का हाथ पकड़ा और उसे चालु रहने के लिए प्रोत्साहित किया। समीर ने एक धक्का लगाया और मेरी चूत की नाली में फिरसे उसका आधा लंड घुसेड़ दिया। तब पहले जैसा दर्द महसूस नहीं हुआ। समीर रुक गया और मेरी और देखने लगा। मैंने मुस्करा कर आँखसे ही इशारा कर उसे चालु रखने को कहा।
समीर ने एक धक्का और दिया। फिर थोड़ा और दर्द पर उतना ज्यादा और असह्य नहीं था। मैं चुप रही। समीर ने उनका लण्ड थोड़ा पीछे खींचा और एक धक्के में उसे पूरा अंदर घुसेड़ दिया। चिकनाहट के कारण वह घुस तो गया पर दर्द के मारे बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको चीखने से रोका। मेरे कपोल से पसीने की बुँदे बहने लगीं। यहां तो एक समीर ही थे जो मेरा यह हाल था। एक लड़की पर जब कुछ लोग बलात्कार करते होंगे तो उस बेचारी का क्या हाल होता होगा वह सोच कर ही मैं कापने लगी।
दूर सडकों पर चीखती चिल्लाती गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गयी थी। हमारी कॉलोनी में ही कोई गाडी के दरवाजे खुलने और बंद होने की आवाज सुनाई दे रही थी। नजदीक में ही कहीं कोई दरवाजे का स्प्रिंग लॉक “क्लिक” की आवाज से खुला और बंद हुआ। पर मुझे यह सब सुनने की फुर्सत कहाँ थी ? मेरा दिमाग तो समीर का कडा लंड उस समय मुझ पर जो केहर ढा रहा था उस पर समूर्ण रूप से केंद्रित था।
समीर ने एक बार उसका लण्ड अंदर घुसेड़ने के बाद उसे थोड़ी देर अंदर ही रहने दिया। दर्द थोड़ा कम हुआ। उसने फिर उसे धीरे से पीछे खींचा और बाहर निकाला और फिर अंदर घुसेड़ा। मेरी पूरी गर्भ द्वार वाली नाली समीर के लम्बे और मोटे लण्ड से पूरी भरी हुई थी।
मेरी पूरी खींची हुई चमड़ी उसके लण्ड को खिंच के पकड़ी हुई थी। हमारी योनियों मेसे झरि हुई चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ी एक दूसरे से कर्कश रूप से रगड़ नहीं रही थी। दर्द सिर्फ चमड़ी की खिंचाई के कारण था।
मैंने अपना कुल्हा ऊपर उठा कर समीर को मेरी चुदाई चालु रखने का आग्रह किया। समीर ने मेरी प्यासी चूत में हलके हलके अपना लंड पेलना शुरू किया और फिर धीरे धीरे उसकी गति बढ़ाने लगा। उसका कडा छड़ जैसा लंड मेरी गरमा गरम गर्भ नाली में पूरा अंदर घुस जाता और फिर बाहर आ जाता, जिससे मेरी गर्भ नाली में और भी आग पैदा कर रहा था।
मैं भी अपने पेडू को ऊपर उठाकर और निचे गिराकर उसकी सहायता कर रही थी। कुछ ही देर में उसका लंबा लंड, मेरे गर्भ कोष पर भी टक्कर मारने लगा। इसके इस तरह के अविरत प्रहार से मेरी चूत की फड़कन बढ़ रही थी जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें समीर के मोटे लंड को कस के दबा रही थी, या यूँ कहिये की समीर का लंड मेरी चूत की नाली की दीवारों को ऐसा फैला रहा था की जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें समीर के लंड को कस के दबा रही थी।
बहुत सारी चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ियाँ एक दूसरे से रगड़ भी रही थी और फिसल भी रही थी। इस अद्भुत अनुभव का वर्णन करना असंभव था। मैं अत्योन्माद में पागल सी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
समीर के हरेक धक्के पर मेरे मुंह से कामुक कराहट निकल ही जाती थी। समीर अपना लंड मेरी चूत में और फुर्ती से पेलने लगा। मैं भी उसके हरेक प्रहार के ताल का मेरे पेडू उठाकर बराबर प्रतिहार कर रही थी। मैं उसदिन तक उतनी उत्तेजित कभी नहीं हुई थी। शादी के दिन से उस दिन तक मेरे पति ने कभी मुझे इतनी तगड़ी तरह चोदा नहीं था। यह सही है की मेरे पति ने मुझे एक लड़की से एक स्त्री बनाया। तो समीर ने उस रात को मुझे एक स्त्री से एक दुनियादारी औरत बनाया, जो एक मात्र पति के अलावा किसी और मर्द से चुदवाने का परहेज नहीं करती थी।
समीर मुझे चोदते हुए बोलते जारहे थे, “नीना, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम कितनी अच्छी हो। यह मैं तुम्हें सिर्फ सेक्स करने के लिए नहीं कह रहा हूँ। यह सच है।”
जवाब में मैंने भी समीर से कहा, “समीर, तुम भी बड़े गज़ब के चोदू हो। मैं भी तुम्हे चाहती हूँ और मैं तुमसे चुदवाती ही रहना चाहती हूँ। प्लीज मुझे खूब चोदो। आज अपना पूरा वीर्य मेरी प्यासी चूत में उंडेल दो। मैं तुम्हारा वीर्य मेरे गर्भ कोष में लेना चाहती हूँ।”
समीर अपने चरम पर पहुँच ने वाला था। उसका चेहरा वीर्य छोड़ने के पहले अक्सर मर्दों का चेहरा जैसे होता है ऐसा तनाव पूर्ण लग रहा था। समीर ने कहा, “नीना, मैं अपना छोड़ने वाला हूँ।”
मैं समझ गयी की वह शायद यह सोच रहा था की वह मेरे गर्भ में अपना वीर्य डाले या नहीं। मैंने उसे पट से कहा, “तुम निःसंकोच तुम्हारा सारा वीर्य मेरे अंदर उंडेल दो। मैं तो वैसे ही बाँझ हूँ। मैं गर्भवती नहीं होने वाली। मैं चाहती हूँ की तुम्हारा वीर्य मुझमें समाये। काश मैं तुमसे गर्भवती हो सकती। मैं अपने पति के बच्चे की माँ न बन सकी, तो तुम्हारे बच्चे की ही माँ बन जाती। पर मेरी ऐसी किस्मत कहाँ?”
मैं भी तो अपने उन्माद के शिखर पर पहुँचने वाली थी। समीर के मेरे गर्भ में वीर्य छोड़ने के विचार मात्र से ही मेरी चूत में सरहराहट होने लगी थी और मैं भी अपना पानी छोड़ने वाली थी। समीर के मुंहसे, “आह्ह… निकल पड़ी, और एक ही झटके में मैंने अनुभव किया की मेरे प्यासे गर्भ द्वार में उसने एक अपने गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया।
मुझे उसके वीर्य का फव्वारा ऐसा लगा की जैसे वह मेरे स्त्री बीज को फलीभूत कर देगा। मैं उत्तेजना से ऐसी बाँवरी बन गयी और एक धरती हीला देने वाला अत्युन्मादक धमाके दार स्खलन होने के कारण मैं भी हिल उठी। ऐसा अद्भुत झड़ना मैंने पहली बार अनुभव किया।
समीर ने धीरेसे अपना लंड मेरी भरी हुई चूत में से निकाला। वह अपने ही वीर्य से लथपथ था। अब वह पहले जितना कड़क तो नहीं था, पर फिर भी काफी तना हुआ और लंबा लग रहा था। पर तब तक मैंने यह पक्का कर लिया की समीर के वीर्य की एक एक बून्द वह मेरी चूत में खाली कर चुका था।
मुझे समीर का वजन मेरे ऊपर बहुत अच्छा लगा रहा था। अपना सब कुछ निकाल देने के बाद समीर धीरे से नीच सरका और समीर और में हम दोनों एक दूसरे की बाहों में पलंग पर थक कर लुढ़क गए। मैं अपनी गीली चूत और समीर का लथपथ लंड की टिश्यू से सफाई करने में लग गयी। उस रात समीर तो बिलकुल नहीं सोये थे। कुछ मिनटों में ही वह गहरी नींद सो गए।
मैं एक बार फिर गरम पानी से नहाना चाहती थी। मैं खड़ी हो कर बैडरूम से बाहर आयी। बैडरूम का दरवाजा पूरा खुला हुआ था। मैं बाथरूम की और जाने लगी। मैंने कपडे पहनना जरुरी नहीं समझा। अचानक मेरी नजर ड्राइंग रूम की तरफ गयी। मेरी जान हथेली में आ गयी जब मैंने मेरे पति राज को ड्राइंग रूम में सोफे पर सामने वाली टेबल पर अपना पाँव लम्बा कर गहरी नींद में सोते हुए देखा।
उन चंद लम्हों में मुझे लगा जैसे मेरी दुनिया गिरकर चकनाचूर हो गयी। पता नहीं कब परे पति राज आये और कब सोफे पर आ कर सो गए। फिर अचानक मुझे दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज की याद आयी। उस समय मुझे अपनों मदहोशी में कोई और चीज का ध्यान ही नहीं था। बाप रे! बैडरूम का दरवाजा खुला हुआ था। मतलब मेरे पति ने समीर को मुझे चोदते हुए देख लिया था।
मेरे पाँव के निचे से जैसे जमीन फट गयी। मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने हड़बड़ाहट में गाउन पहन लिया और भागती हुयी मेरे पति राज के पास पहुंची। मुझे ऐसा लगा की मैं क्यों नहीं उसी क्षण मर गयी? राज के सर पर मैं झुकी तब मेरी आँखों में आंसू बह रहे थे। मैं फफक फफक कर रोने लगी। आँखों में आंसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। आंसूं की कुछ बूँदें राज के सर पर जा गिरी। राज ने आँखें खोली और मुझे उसके ऊपर झुके हुए देखा। राज थके हुए लग रहे थे। उनकी आँखे धुंधली देख रही होंगी।
उनके जागते ही मैं राज को लिपट गयी और ऊँची आवाज में रो कर कहने लगी, “मुझे माफ़ करो डार्लिंग! मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। मैंने आपको धोका दिया है और उसके लिए अगर आप मुझे घर से निकाल भी देंगे तो गलत नहीं होगा। मैं उसी सजा के लायक हूँ।
मेरे पति राज ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और बोले, “क्या? तुम पागल तो नहीं होगयी हो? तुम्हें किसने कहा की तुमने मुझे धोका दिया है? तुम्हें माफ़ी मांगने की भी कोई जरुरत नहीं है। अरे पगली, यह तो सब मेरा रचाया हुआ खेल था। प्यारी निश्चिंत रहो। याद है मैंने क्या कहाथा? ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ मैं जब आया तो मैंने समीर और तुम को अत्यंत नाजुक स्थिति में देखा। आप दोनों को उस हालत में देख कर मुझे बड़ी उत्तेजना तो हुई और तुम दोनों के साथ जुड़ने की इच्छा भी हुई, पर मैंने आप दोनों के बिच में उस समय बाधा डालना ठीक नहीं समझा। मेरी प्यारी नैना, तुम ज़रा भी दुखी न हो।”
राज ने खड़े हो कर मुझे अपनी बाहों में लिया और उबासियाँ लेते हुए कहा, “अभी उठने का वक्त नहीं हुआ है। पूरी रात मुश्लाधार बारिश में सफर करके मैं परेशान हो गया हूँ। गर तुम्हें एतराज न हो तो मैं तुम्हारे और समीर के साथ सोना चाहता हूँ। जानूं, आओ, चलो एक बार फिर साथ ही सो जाएँ हम तीनों। जानूं मैं तुम्हें बहोत बहोत चाहता हूँ।”
मेरे पति की बात सुनकर मुझे एक बहुत बड़ा आश्चर्य हुआ। तब मैं थोड़ी रिलैक्स भी हुई। राज ने मुझे उठा कर पलंग पर नंगे गहरी नींद में लेटे हुए समीर के साथ में सुलाया। राज ने मुझे समीर के बाजू में सुलाया और खुद मेरी दुसरी तरफ बैठ गए। फिर मुझे अपनी बाहों में लिया और एक घनिष्ठता पूर्ण चुम्बन दिया और बोले, “समीर बिस्तरे में कैसा था? क्या तुम्हे समीर से सेक्स करने में मज़ा आया?”
मैंने मेरे पति की आँखों से आँखें मिलाकर बेझिझक कहा, “हाँ, वह अच्छा है। पर तुम और भी अच्छे हो। ”
मेरे पति ने मुझे ऐसे घुमाया जिससे मेरी पीठ उनकी तरफ हुयी। वह मुझे पीछेसे चोदना चाहते थे। मैं भी मेरे पति की बातें सुनकर उन्हीं की तरह गरम हो गयी थी। मैं समर से चुदने के बाद मेरे पति राज से भी चुदवाना चाहती थी।
मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मैं एक ही रात में दो लण्डों से चुदना चाहती थी। उस सुबह मेरे पति ने मुझे खूब चोदा। वह मुझे करीब १५ मिनट तक चोदते रहे और आखिर में अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ा। हमारी कराहट और पलंग के हिलने से समीर थोड़ी देर में जग गए। मेरे पति राज को इतने क़रीबसे मुझे चोदते हुए देखने का सदमा जब धीरे धीरे कम हुआ उसके बाद जो हुआ वह एक लंबा इतिहास हैं।
अंत में मैं इतनाही कहना चाहती हूँ की उस रात के बाद मेरे पति राज, समीर और मेरे बिच ऐसे कई मजेदार किस्से हुए जिसमें समीर और राज दोनों ने साथ में मिलकर और अलग अलग से मुझे चोदा। वह एक साल मेरे लिए एक अविश्वसनीय सपने की तरह था।
खैर, ख़ुशी इस बात की थी की हमारी शादी के इतने सालों के बाद मैं गर्भवती हुई। मेरे सास ससुर, मेरे माता पिता, राज और मैं, हम सब इस नवशिशु के आने के समाचार सुनकर बहुत खुश हुए। समीर भी बहुत खुश हुए। वह चचा जो बनने वाले थे।
पाठकों से निवेदन है की आप अपना अभिप्राय जरूर लिखें मेरा ईमेल पता है “[email protected]”. फ्री हिंदी सेक्स स्टोरी हिंदी चुदाई कहानी
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