This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हैलो दोस्तो, मैं अरुण.. काफ़ी अरसे से आप लोगों से और अन्तर्वासना से दूर रहने के बाद मैं आप सभी के लंड और चूत में करेंट पैदा करने के लिए एक बार फिर से एक और नई आपबीती आप सभी के सामने जा रहा हूँ।
मैं जानता हूँ कि इसे पढ़कर लड़के और लड़कियाँ अपने-अपने लंड और चूत को जरूर मुठियाएंगे और अपने आपको शान्त करने की कोशिश करेंगे। तो ठीक है दोस्तो, अब मैं आपका टाइम और ना खराब करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ।
तो दोस्तो, बात अभी ताज़ी-ताज़ी ही है मतलब दो महीने पहले की ही है। जैसा कि आप सभी ने मेरी पिछली कहानी डॉली को शॉट लगाकर छोड़ा में आपने पढ़ा होगा कि मैं पढ़ाई और जॉब के साथ-साथ कॉम्पटीशन की भी तैयारी कर रहा था.. जिसकी वजह से मैं दिल्ली से बाहर के फॉर्म ज्यादा भरा करता था क्योंकि इसी बहाने से एग्जाम के साथ-साथ बाहर का घूमना भी हो जाता था।
तो इस बार मेरा एग्जाम सेंटर लखनऊ के फ़ैजाबाद में पड़ा था.. जिसके लिए मैंने लोकल ट्रेन से जाना ठीक समझा। एग्जाम से एक दिन पहले की टिकट लेकर में प्लेटफ़ॉर्म पर बैठा हुआ.. रेल के आने का वेट कर रहा था और अपने फोन में इयरफोन लगाकर आँखें बन्द किए.. रोमाँटिक गानों को महसूस करके गानों का मजा ले रहा था..
तभी किसी ने मुझे आवाज़ लगाई.. लेकिन मेरे लिए वो आवाज़ सुनी ना सुनी एक बराबर थी। फिर इस बार किसी ने मुझे हिलाकर जैसे नींद से जगा सा दिया.. जिसने मुझे जगाया था वो एक आंटी थी.. वो करीब 35-36 साल की एक विधवा थी।
मैंने उनसे पूछा- हाँ आंटी जी क्या हुआ? तो उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा हमें लखनऊ जाना है.. तो ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आएगी? मैंने उनसे कहा- आंटी जी आपने अनाउन्समेंट नहीं सुनी थी क्या.. कि किस प्लेटफॉर्म पर मिलेगी?
तो आंटी ने जबाव दिया- मैं अभी-अभी यहाँ पहुँची हूँ और तब से तो कोई अनाउंसमेंट नहीं हुई है.. तभी तुमसे पूछ लिया.. तो अब मैंने उनकी तरफ देखते हुए कहा- आंटी जी.. आप फ़िक्र मत करिए.. मेरा भी एग्जाम है.. तो हम दोनों साथ ही चलते हैं। आंटी ने कहा- मैं भी वहाँ अपनी लड़की का एग्जाम दिलाने के लिए फ़ैजाबाद जा रही हूँ।
अब मैंने चौंकते हुए उनसे कहा- मगर आंटी आप तो अकेली दिख रही हो? तो आंटी ने कहा- मेरी लड़की जरा फ्रेश होने गई है.. अभी आती ही होगी।
तभी पीछे से एक आवाज़ सुनाई दी-मम्मी क्या तुम चाय पियोगी.. मैं ले आती हूँ। तब आंटी ने कहा- ये है मेरी बेटी..
यार क्या मस्त माल थी वो.. उसे देखते ही मेरी तो आवाज़ निकलनी ही बन्द हो गई.. एकदम दूधिया जिस्म की मालिक थी.. जहाँ हाथ रख दो वहीं से लाल हो जाए.. ऊपर से पंजाबी सलवार सूट.. क्या लग रही थी यारों वो..
उसकी चूचियाँ कम से कम 36 इन्च की एकदम आगे टॉप सी तनी हुई थीं.. कमर 28 की और चूतड़ 36 इंच के लगभग रहे होंगे.. मतलब एकदम भरा हुआ शरीर था उसका।
इतने में एक घोषणा हुई कि लखनऊ जाने वाली ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म नम्बर 4 पर आ रही है। अब हम तीनों प्लेटफ़ॉर्म नम्बर 4 की तरफ बातें करते हुए चल दिए, प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँच गए। ट्रेन आ चुकी थी.. मगर उसमें जो भीड़ थी.. जिसे देखकर कमज़ोर दिल वाला तो वैसे ही डर जाए।
अब जैसे-तैसे मैंने आंटी से कहा- आंटी आप इसमें कैसे जा पाएंगी। तो उनका जबाव था- अब वैसे भी रात हो रही है… और जवान लड़की के साथ कहाँ रुकूंगी..
फिर हम सब जैसे-तैसे ट्रेन में घुस तो गए.. मगर मगर भीड़ के कारण हम तीनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे। ट्रेन को चलते-चलते 4 घंटे हो चुके थे और ट्रेन कुछ खाली भी हो चुकी थी.. जिससे हम तीनों को सीट मिल गई थी।
मैं अपने साथ एक जीके की बुक लेकर आया था जिसे मैं पढ़ रहा था। मुझे पढ़ता देख वो लड़की भी मेरे पास आकर उसी बुक को पढ़ने लगी।
इस तरह हमें पढ़ते हुए 1:30 बज चुके थे ट्रेन के अधिकतर लोग सो गए थे और अब हमें भी नींद आने लगी। अब हमने किताब बन्द कर दी थी और आपस में बातें करने लगे। बातों-बातों में मैंने उससे नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम मनप्रीत बताया.. अब हम दोनों बातें करते हुए कुछ पर्सनल बातों पर पहुँच चुके थे.. जैसे तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड है क्या.. जैसी बातें.. वगैरह.. वगैरह..
थोड़ी ही देर में हम दोनों ऐसे घुल-मिल गए थे जैसे कोई गर्लफ्रेण्ड और ब्वॉयफ्रेण्ड हो। मनप्रीत को अब नींद आने लगी.. मौसम भी कुछ मेरे फेवर में था.. क्योंकि अब हवा ठंडी लगने लगी थी। मनप्रीत ने मेरे एक हाथ को बगल से लेकर कोहनी तक पकड़ लिया और उसी का सहारा लेकर सोने लगी।
तो दोस्तो.. अब उसे अपने इतने करीब पाकर.. मेरी नियत खराब होने लगी। मैं अपने आप को बहुत कंट्रोल किए हुए बैठा था.. मगर वो 36 के चूचे लिए मेरे अन्दर ही घुसे जा रही थी।
बस अब क्या था.. मेरी नियत तो खराब हो ही चुकी थी.. ऊपर से रात का अँधेरा भी था.. साथ ही साथ ठंडी-ठंडी हवाएं भी चल रही थीं..जिससे मनप्रीत तो बिल्कुल भी सहन नहीं कर पा रही थी और मुझसे चिपकती ही जा रही थी।
अब बस हमारा वाला कोच बिल्कुल खाली सा ही हो चुका था.. उधर अब बस मुझसे और सहा नहीं नहीं गया.. और बस कुछ भी बिना सोचे-समझे मैंने मनप्रीत के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसे तो सर्दी लग ही रही थी और अब उसे गरम करने का काम मेरे होंठ कर रहे थे।
शुरू में तो उसने कुछ इस तरह बर्ताव किया.. जैसे वो मुझे हटा रही हो.. मगर यह बस एक नाटक था। उसके होंठ जिसमें लगी हुई लिपगार्ड की महक और ऊपर से होंठों का मलाई जैसा स्वाद.. बस मैं तो जैसे इसमें खो ही गया था। अब मनप्रीत भी मेरा पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी थी.. जिससे मैं समझ चुका था कि अब आगे बढ़ने का न्यौता मिल चुका है। अरुण अब देर कर ना अच्छा नहीं होगा..
किस के साथ साथ अब मेरा दाहिना हाथ उसकी चूत पर पहुँच चुका था.. जो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत कुछ ऐसे फूली हुई थी.. जैसे कोई पॉव रोटी फूली होती है। जैसे मेरा हाथ अब आगे का काम कर रहा था.. तो मनप्रीत भी अब मेरे होंठों को आज़ाद करके बस सिसकारियाँ ले रही थी।
धीरे-धीरे अब उसकी सिसकारियाँ और हवस दोनों ही बढ़ने लगी थी, मैंने उससे कहा- जान मैं टॉयलेट में जा रहा हूँ.. तुम भी वहाँ आ जाओ।
मैं डिब्बे के टॉयलेट में चला गया और उसका वेट करने लगा। मुझे आए हुए 5 मिनट हो चुके थे.. मगर वो नहीं आई.. मुझे लगा कि वो आएगी ही नहीं। फिर मायूसी की सोच लिए जैसे ही मैंने टॉयलेट का गेट खोला.. तो उसे खड़ा पाया.. और जब तक में कुछ कहता या करता.. तब तक वो भी अन्दर आ चुकी थी। वो अन्दर आकर मुझसे कहने लगी- मैं तुम्हारे गेट खोलने का ही इंतज़ार कर रही थी क्योंकि मुझे क्या पता था कि तुम दोनों में से किस टॉयलेट में हो।
बस दोस्तो, बाकी की देसी कहानी आप अगले पार्ट में पढ़िएगा.. क्योंकि उस पार्ट में बस चुदाई ही चुदाई है.. तो चुदाई का मजा लेने के लिए अगले पार्ट का इंतज़ार करिए और इस कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया मुझे मेल के द्वारा ज़रूर भेजिएगा। मेल आईडी है.. [email protected]
देसी कहानी का अगला भाग : ट्रेन में फंसी पंजाबन कुड़ी -2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000