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दोस्तो, मेरा नाम सीमा सिंह है, मैं 30 साल की एक खूबसूरत शादीशुदा औरत हूँ।
उम्र के हिसाब से मैंने अपने आपको बहुत फिट रखा है, जिम जाती हूँ इसलिए कोई पेट नहीं बढ़ा, कमर जांघें सब सॉलिड हैं, मगर प्रोब्लम यह है कि मेरी छातियाँ मेरे जिस्म के हिसाब से कुछ बड़ी हैं और सभी लोगो का ध्यान अपनी और आकर्षित करती हैं। मेरे साइज़ की तो ब्रा भी जल्दी जल्दी नहीं मिलती।
जीन्स टी शर्ट, निकर, पेंट, सूट, साड़ी, स्कर्ट सब कुछ पहनती हूँ, बेशक हाउस वाइफ़ हूँ, पर किसी भी ऑफिस वाली से ज़्यादा फिट और तरो ताज़ा रहती हूँ। घर तो मेरे बदन पे सिर्फ नाइटी ही होती है, नीचे से कुछ नहीं पहनती।
अब जब भी घर में कोई आता है, जैसे दूध वाला, सब्जी वाला या और कोई भी, मुझे पता है सब मेरी बड़ी बड़ी छातियाँ ही देखते हैं, पर मुझे इसमें शर्म नहीं आती न ही उनके घूरने पर गुस्सा आता है, क्योंकि जो मेरे पास है वो मैंने किसी और के पास नहीं देखा।
अगर किसी की छातियाँ अपने जितनी बड़ी भी देखी तो उनके पेट तक झूलती देखी, मेरी तरह उठी हुई और सॉलिड नहीं। और ये मेरी छातियाँ अब से नहीं जब से मेरी सीने पे उगी हैं, तब से ही बड़ी ही रही हैं, स्कूल में भी मेरे बूब्स मेरी क्लास में सबसे बड़े थे। तब टीचर घूरते थे, कॉलेज में प्रोफेसर और स्टूडेंट्स।
सुहागरात पर जब पति ने मेरी शर्ट उतारी तो एक बार तो उसका भी मुँह खुला रह गया। चलो शादी हुई, चोदा चोदी शुरू हुई। मगर धीरे धीरे मेरी रुचि इसमें बढ़ने लगी क्योंकि हर वक़्त लोग मेरे गठीले बदन को और मेरे बूब्स को घूरते रहते, तो मेरे मन में भी यही बात आती, कि ये भी मुझे चोदना चाहता होगा, यह भी और यह भी।
अब जब आपको लगे कि आपके आस पास हर कोई आपको चोदना चाहता है, तो आपके मन में हर वक़्त सेक्स ही सेक्स चलता रहे तो आपकी तो भूख बढ़ेगी ही… मेरी भी बढ़ने लगी। पहले पहल तो पति से एक सेक्स में ही संतुष्ट हो जाती थी, फिर उसे कहा कि एक बार नहीं, थोड़ी देर बाद दुबारा आ। या फिर एक बार नहीं लगा ही रह ताकि मैं दो बार तीन बार या बार बार स्खलित हो सकूँ।
मगर ये सब पति के बस की बात नहीं थी, वो एक बार करके सो जाता, मैं फिर उंगली से करती। जब उंगली से मन न भरा तो फिर बैंगन, खीरा, गाजर और मूली से करना शुरू किया, मोटी से मोटी और लंबी से लंबी चीज़ ली। पति के सामने और उसे दिखा के ली, ताकि उसको भी लगे कि मुझमें कितनी चुदास है।
चूत के बाद गांड में भी लेती… जितनी चूत खुली थी, गांड भी उतनी ही खोल ली। पति से हर जगह चुदाई करवाती, मुँह में चुदवाती, उसका सारा वीर्य पी जाती, अपने चेहरे और बदन पे मल लेती। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मगर अभी भी मेरे को संतुष्टि नहीं मिल रही थी। दिन में हर रोज़ दो तीन बार किसी ने किसी चीज़ से अपनी चूत की आग बुझाती, मगर फिर भी ये शांत नहीं होती। गली मोहल्ले में सब से ठर्क मिटाने के लिए बड़ी बिंदास बातें करती मगर इस बात से भी डर लगता के साले कहीं रंडी ही न समझ लें।
खैर इसी दौरान एक दिन किसी सहेली ने अन्तर्वासना डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ने की सलाह दी। तो मैंने वो भी पढ़ीं, खूब पढ़ीं, पढ़ती और फिर चूत और गांड में कुछ न कुछ लेकर बहुत से मर्दों के साथ सेक्स करने का सोचती।
ऐसे में ही एक कहानी पढ़ी जिसमे एक पति ने अपनी पत्नी को जनमदिन पर तोहफे के तौर पर तीन तीन नीग्रो से चुदवाया। कहानी पढ़ कर मेरे तो तन बदन में आग लग गई। इतने लंबे और मोटे लंड अगर मेरी चूत, गांड और मुँह में घुस जायें तो मज़ा न आ जाए।
तो मैंने कहानी लिखने वाले राज गर्ग से ईमेल पर बात की, वो एक वाइफ़ स्वेपर्स क्लब चलाते हैं, वो बोले- हमारे क्लब में आ जाओ, अपने पति को भी लाओ, सब मिल कर मज़े करेंगे।
मगर मुझे किसी और के मज़े की नहीं, अपने मज़े की परवाह थी तो मैंने उनसे कहा- अगर आपके क्लब के सिर्फ मर्द हों और मैं अकेली… तो कैसा हो? वो बोले- हमारे क्लब में 8 मर्द हैं, अगर 8 के 8 संभाल लोगी तो बोलो, मिल लेते हैं?
मैंने पहले तो सोचा कि अगर 8 मर्द एक साथ मुझे चोदने लगे तो कहीं मेरी चूत ही न फाड़ दें, मगर फिर सोचा जब मैं मोटी मोटी गाजर मूली ले लेती हूँ, तो लंड में क्या दिक्कत है। मैंने उनसे हाँ कह दी, कि ले आओ अपने आठों लंड… देखती हूँ, कितना दम है दिल्ली वालों में।
मगर उनका मेरे शहर आने का प्रोग्राम नहीं बना तो मैं ही दिल्ली जाने को तैयार हो गई, अपने पति से कह दिया कि मैं अपनी कज़िन के पास 2-3 दिन के लिए दिल्ली जा रही हूँ और अपने आने की खबर मैंने राज गर्ग को भी दे दी।
जिस दिन दिल्ली पहुंची तो राज गर्ग और उनका एक मित्र मुझे लेने आए। ‘हैलो हाय…’ के बाद गाड़ी में बैठ कर हम एक बहुत बड़े होटल में पहुंचे, होटल की 10वीं मंज़िल पर मेरा कमरा बुक करवाया गया था। सफर के बाद मैंने सबसे पहले चाय पीने की इच्छा जताई, थोड़ी देर में चाय भी आ गई, हम तीनों ने चाय पी और एक दूसरे के बारे में जानकारी और इधर उधर की बातें ही की।
उसके बाद राज ने कहा- अब हम चलते हैं, शाम को मिलेंगे, तब तक आराम करो, खाना वाना जो खाना हो ऑर्डर कर देना, ओ के शाम को मिलतेहैं। कह कर वो चले गए।
सबसे पहले मैंने कमरे में घूम कर देखा, बहुत बड़ा कमरा था, साथ में एक ड्राइंग रूम, फ्रिज सामान से भरा पड़ा था। पहले मैं बाथरूम में नहाने गई, बहुत ही शानदार बाथरूम था, पूरा टब गर्म पानी से भर के नहाई, उसके बाद नंगी ही रूम में आ गई। बाहर बालकनी से दूर चल रही सड़क दिख रही थी, मैं वैसे ही जाकर बालकनी में खड़ी हो गई।
कमाल की बात थी, भरी दोपहर में बालकनी में एक नौजवान खूबसूरत औरत नंगी खड़ी है और उसे देखने वाला कोई नहीं। 4-5 मिनट वैसे ही खड़ी रही मगर कोई माई का लाल नहीं दिखा और थोड़ी गर्मी सी लगी तो अंदर आ गई।
अकेली ही तो थी तो मैंने कपड़े भी नहीं पहने, वैसे ही नंगी ही बेड पे लेटी रही। फिर टीवी लगा लिया। थोड़ी देर बाद हल्की सी भूख लगी तो खाना ऑर्डर कर दिया और साथ में रेड वाइन भी।
सिर्फ एक हल्का सा गाउन पहन लिया जो सामने से सारा खुला था। जब वेटर खाना देने आया, तो उसने भी बड़े ध्यान से देखा कि गाउन में से मेरे आधे बूब्स बाहर थे। मैंने वैसे ही पूछा- क्यों? क्या कभी इतने बड़े देखे नहीं किसी के? मगर वो तो साला ‘सॉरी मैम!’ कह कर निकल गया।
मैंने थोड़ा बहुत खाना खाया और खाकर फिर लेट गई और पता नहीं कब मेरी आँख लग गई और मैं सो गई। जब आँख खुली तो देखा कि शाम के 5 बज चुके थे। मेरा गाउन सामने से सारा खुला था, और मैं बेड पे बिलकुल नंगी लेटी थी, खाने के जूठे बर्तन नहीं थे, मतलब कोई वेटर आया और चुपके से सारा समान उठा कर ले गया और मुझे फ्री में नंगी देख गया।
मैंने चेक किया कि कहीं सोई हुई की चूत तो नहीं मार गया मगर, इतनी गहरी नींद भी नहीं खैर मेरी!
मैं उठ कर बाथरूम में गई, सबसे पहले वीट लगा कर अपनी चूत और बगलों के बाल साफ किए, फिर से नहाई, दोबारा से तैयार हुई, पूरा मेकअप, डिज़ाइनर ब्रा और पेंटी, ऊपर से बढ़िया साड़ी। तैयार तो मैं ऐसे हुई जैसे सुहागरात मनानी हो, और था भी कुछ ऐसा ही प्रोग्राम।
करीब 7 बजे राज का फोन आया कि वो लोग आ रहे हैं। मैंने वेटर बुला कर अपना रूम सेट करवाया।
ठीक 7 बजे वो लोग आए… कुल 5 जन, सबके सब कोट पैंट पहन कर जैसे बारात में आए हों। मैंने सबका स्वागत गले मिल कर किया और सबने मुझे अपनी बाहों में कस कर भरा।
मैं जानती थी कि मेरे ब्लाउज़ के डीप कट से दिख रहा मेरा क्लीवेज सब को आकर्षित कर रहा था, हर कोई गले लगाने के बहाने मेरे मोटे मोटे बूब्स को अपने सीने से लगाना चाहता था। सब अंदर आए और सोफ़े पे बैठ गए।
शाम का वक़्त था, सबसे परिचय हुआ, उसके बाद सबने ड्रिंक्स ऑर्डर कर दी थोड़ी देर में ही जाम की महफिल चल पड़ी, मैंने भी पी। जाम के साथ सिगरेट भी चल रही थी, कोई मेरी सिगरेट मांग के पीता, कोई मुझे अपनी सिगरेट देता। मैं बात करते करते जान बूझ कर अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा देती और सब मर्दों की नज़रें जैसे मेरे बड़े बड़े उरोजों पर ही जम जाती।
काफी देर हंसी मज़ाक का माहौल चलता रहा, फिर नॉन वेज चुट्कुले, गंदे मज़ाक… मैं भी सब का साथ देती रही।
करीब 9 बजे हमने नीचे डाइनिंग हाल में जाकर खाना खाया, खाने के बाद होटल बाहर घूमने निकल गए, काफी दूर तक दिल्ली की रंगीन रात को देखते रहे।
फिर वापिस होटल आ गए और होटल में आने के बाद तो अब बस एक ही काम था। कमरे में घुसते ही मुझे एक शख्स ने अपनी बाहों में भर लिया- ओह मेरी जान बहुत देर हो गई तुम्हारा हुस्न देख कर तड़पते हुए, अब इस दिल की आग ठंडी कर दे जान! कह उसने मेरे बूब्स पकड़ कर दबा दिये।
बाकी मर्द भी जैसे किसी स्टार्ट का ही इंतज़ार कर रहे थे, सब के सब मेरे आस पास आकर मुझ से चिपक गए। मैंने कहा- ऐसे नहीं, मैं कोई रंडी नहीं हूँ, प्यार से चाहे जो भी कर लो, मगर ज़बरदस्ती या बदतमीजी मुझे पसंद नहीं। पहले तो एक एक करके आओ और भुक्खड़ों की तरह न टूट पड़ो मुझ पर! मैंने कहा तो सब ठीक ठाक से हो गए।
फिर एक एक मर्द ने मुझे बाहों में लिया, मेरे होंठ, गाल, माथा, गर्दन, कंधे सब जगह चूमा, चाटा, मेरी पीठ सहलाई, मेरे बूब्स दबाये, मेरे क्लीवेज में अपनी जीभ डाल डाल कर चाटा। मेरे पेट और कमर को भी चूमा चाटा, मेरे चूतड़ों, जांघों को सहलाया। मैंने भी हरेक मर्द के लंड को उनकी पेंट के ऊपर से ही पकड़ कर देखा। करीब करीब हर कोई 6-7 इंच का लंड अपनी अपनी पेंट में छुपाए फिरता था।
फिर एक साहब ने मेरी साड़ी खोली, अपने ब्लाउज़ के 6 हुक में से 5 हुक मैंने हरेक मर्द से एक एक करके खुलवाया। आखरी हुक खुद खोला और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर एक साहब ने अपने दाँतो से खींच कर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोला, पेटीकोट खुलते ही नीचे गिर गया और मेरी संगमरमरी चिकनी जांघें उन सब मर्दों के सामने बेपर्दा हो गई।
सबने मेरी टाँगों और जांघों पर हाथ फेर कर देखा। डिज़ाइनर चड्डी होने की वजह से सिर्फ सामने की तरफ चूत की दरार को ढंकने के लिए छोटा सा कपड़ा था बाकी सिर्फ एक धागा सा ही था और वो भी मेरे चूतड़ों में घुसा पड़ा था।
और सबसे पहले मेरी चड्डी ही उतार दी गई, मेरी चिकनी गोरी गुलाबी चूत देख कर तो उसे चाटने के सब मर्दों में जैसे होड़ ही लग गई। एक के बाद एक सब ने मेरी टाँगें चौड़ी कर कर के मेरी चूत को चाटा, कोई मेरी चूत को ऊपर से चाट रहा था कोई नीचे से! दो जनों ने मेरे मेरी ब्रा खोली और दोनों बूब्स को ब्रा से आज़ाद करने बाद ऐसे चूसने लगे जैसे अभी इनमे से दूध निकलेगा और उनकी भूख मिटाएगा।
साथ की साथ वो अपने कपड़े भी उतारने लगे। 2 मिंट में ही मेरे आस पास 5 मर्द बिलकुल नंगे थे और सब के सब अपने अपने लंड टाइट किए हुये। मैं अपनी मर्ज़ी से कभी इसका तो कभी उसका लंड पकड़ के देखती, किसी के गोते सहला के देखती, और उनको तो जैसे कोई खज़ाना मिल गया हो, जिसको जहां पे जो अंग हाथ में आया वो उसको चूम, चाट ये सहला रहा था।
फिर एक साहब ने मेरे सर की तरफ से आकार अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। अब लंड चूसना मुझे बहुत पसंद है, लंड तो मैं कहीं भी, कभी भी चूस सकती हूँ।
मैं अभी लंड चूस ही रही थी कि एक साहब ने मुझे अपनी बाहों में कसा और अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। ‘आह…’ कितना प्यारा एहसास था। मेरे मन में तो इस बात की खुशी थी कि अब एक एक करके ये 5 मर्द मुझे चोदेंगे और मेरी चूत में हर वक़्त जलने वाली आग को ठंडा करेंगे।
तीन लोग मेरे सर के आस पास खड़े थे, और मैं बारी बारी उनके लंड चूस रही थी। फिर जो साहब मुझे चोद रहे थे बोले- सीमा, मेरा होने वाला है, माल कहाँ छुड़वाऊँ? मैंने कहा- अंदर मत छुड़वाना, अभी पिछले हफ्ते ही डेट आई है। तो वो बोले- मुँह में ले ले, पी जा मेरा माल! मैंने कहा- ठीक है, लाओ!
मैंने कहा तो उन्होने थोड़े और झटके दिये मुझे और एकदम अपना लंड हाथ में पकड़ के मेरे मुँह के पास लाये, मैं अभी मुँह खोलती इस से पहले ही वो झड़ गए और काफी सारा उनका माल मेरे मुँह पर ही गिर गया, और थोड़ा बहुत मैं पी गई।
इतनी देर में कोई और मेरी चूत पे सवार हो चुका था। यह पहले थोड़ा जानदार था। कौन था, मुझे पता नहीं, न ही मैंने किसी को जानने की कोशिश की। इसने बड़े जोश से मेरी चुदाई की और इसकी चुदाई में ही मेरा पहली बार पानी छूटा।
जब मैंने बताया कि मैं झड़ने वाली हूँ, तो सब मर्द ऐसे मेरी चूत की ओर देखने लगे जैसे कोई जादू होने वाला हो। ‘अहाहाहा…’ क्या आनंद आया, मेरी मुँह से तो चीखें ही निकाल दी साले ने, जिसका लंड मेरे मुँह में था, मैंने तो जोश में काट खाया साले को। और एक दो मर्द बोले- अरे देख, मादरचोद कैसे पानी की धारें छोड़ रही है, साली छिनाल, बहुत आग लगी है इसके भोंसड़े में!
मगर मुझे चुदते वक़्त किसी की गाली का या और किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तड़पी और फिर शांत हो गई। अब मैं ढीली हो कर लेट गई।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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