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मैंने हड़बड़ाहट में पर्स में से फ़ोन निकाला और देखा की मेरे पति राज का फ़ोन था। मैं जल्दी में दरवाजा बंद करना भूल गयी।
राज फ़ोन पर थे। वह मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रहे थे, पर मुझे बुरी तरह से छींकें आ रही थी। उन्होंने टीवी में मुंबई में भारी वर्षा के बारे में सुना था। मैंने राज से कहा की मैं एकदम गीली और लगभग नग्न हालत में थी। मुझे सख्त जुखाम हो गया था और मेरा सर चक्कर काट रहा था। बड़ी मुश्किल से मैं घर पहुंची थी। मैंने राज से कहा की समीर ने मुझे तभी ऑफिस से घर छोड़ा था। मैंने मेरे पति राज से कहा की अगर वह पांच मिनट के बाद फ़ोन करेगा तो मैं उससे अच्छी तरह से बात कर पाऊँगी।
तब मेरे पति ने मिन्नतें करते हुए कहा, “बस जानूं एक मिनट। यह बताओ, की बरसात में कुछ आपस में छेड़खानी हुई की नहीं? बस इतना ही बतादो, हाँ या ना?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने कहा, “अरे भाई हाँ हुई। मैं क्या करती? कोई बस या टैक्सी मिल नहीं रही थी। आखिर में तंग आकर एक कार में मुझे समीर की गोद में बैठ कर आना पड़ा। तुम्हारे दोस्त समीर ने इसका पूरा फायदा उठाया और पुरे रास्ते में मेरी चूँचियाँ को दबाता और सहलाता रहा और मैं कुछ न कर सकी। पर यह सब मैं बादमें बताउंगी। अभी मुझे नहाने जाने दो।”
राज ने फ़ोन काट दिया। मैं बाथरूम में तौलिया लेकर घुसी और सारे गीले कपडे उतार कर सम्पूर्ण रूप से नग्न होकर गरमा गरम शावर में थोड़ी देर के लिए अपने आप को फव्वारे में गर्माहट का आनंद लेने दिया। आजका दिन बड़ा ही अजीबो गरीब था। एक और बड़ी परेशानी हुई तो दूसरी और आज मैंने एक पर पुरुष के द्वारा मेरे स्तनों को सहलाने और उसके लण्ड का मेरी गांड पर ठोकर मारने में आनंद का अनुभव किया। मुझे समझ नहीं आया की मैं इतनी कैसे बदल गयी। मैं अपने आपको एक पर पुरुष के साथ ऐसे हाल में आनंद लेते हुए सोच भी नहीं सकती थी।
शावर में नहाने से मेरी काफी थकान कम होगयी और मेरे जुखाम में भी थोड़ी राहत मिली ऐसा मुझे लगा। अच्छी तरह से नहाकर मैंने बदन को कस कर पोंछा। मैं बाथरूम में बदलने के लिए कपडे लेकर नहीं घुसी थी। मैंने तौलिया लपेटा और बाथरूम से बाहर आकर बैडरूम की और चल पड़ी। मैंने हेयर ड्रायर लिया और चालू कर अपने बाल सुखाने में लगी थी की मेरे सेल फ़ोन की घंटी फिर बजने लगी। फिर मेरे पति राज का ही फ़ोन था। उसके पिछले फ़ोन के बाद ठीक पांच मिनट हुए थे। मैं थोड़ी झल्लायी की यह क्या? अरे भाई थोड़ देर तो सब्र तो करो! फिर मैं इस लिए मुस्करायी की मेरे पति को मेरे बिना कुछ पल भी रहा नहीं जाता।
पर मैं फ़ोन उठाती कैसे? मेरे एक हाथ में ड्रायर था दूसरे हाथ मैं मैंने तौलिया पकड़ रखा था। मैंने फ़ोन टेबल पर रखा और हैंड्स फ्री स्पीकर मोड में रखकर मैं बोली, “तुम्हें पांच मिनट का भी इंतजार नहीं होता क्या?”
राज ने कहा, “चेक करो डार्लिंग! पिछले कॉल से ठीक पांच मिनट के बाद ही फ़ोन किया है।”
मैं हंस पड़ी और बोली, “अरे भाई मैं ठीक से नहाऊँ तो सही! अभी भी में तौलिये में लिपटी हुई, करीब आधी नंगी खड़ी हूँ। चलो ठीक है भई, बोलो क्या बात है?”
राज ने कहा, “आय हाय! जानू, काश मैं वहाँ होता और तुम्हें उस हालत में देखता! तो पता नहीं क्या हो जाता!”
मैंने राज को उकसाते हुए कहा, “क्या हो जाता? तुम तो मुझे रोज ऐसी हालत में देखते रहते हो।”
राज ने कहा, “पर आज की बात कुछ और है। आज तो तुम कुछ मस्ती कर के आयी हो! आज तो मैं तुम्हें अपनी बाहों में उठाता और उठाकर बैडरूम में ले जाता और तुम्हारी छेड़खानी की पूरी कहानी सुनकर तुम्हारी खूब चुदाई करता। देखो, तुम्हारे साथ बातें करते हुए मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया है। अफ़सोस की तुम मेरे साथ नहीं हो। अब तो मुझे मूठ मार कर ही काम चलाना पड़ेगा। थोड़ी देर रुकने के बाद मेरे पति राज ने पूछा, “यह बताओ आज क्या हुआ? यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने मेरे पति राज को पूरी कहानी सुनाई। कैसे बॉस ने मुझे काम दिया। समीर ने मुझे मी काम में पूरा साथ दिया और वह रिपोर्ट अच्छी तरह से बनायी। जब हम निकले तो मैं बारिश में पूरी भीग गयी थी। मेरे सारे कपडे बदन से चिपक गए थे। सब लोग आते जाते मुझे देखकर कैसे घूरते रहते थे। समीर ने भी मुझे ऐसी करीब नंगी देखा तो उसकी आँखों में भी कैसे लोलुपता का भाव आया था। उसके बाद मैंने राज को बताया की एक कार वाले ने कार रोकी और हमें बिठाया और मुझे मजबूरन यह कहना पड़ा की समीर मेरे पति हैं और मुझे उसकी गोद में बैठना पड़ा। मैंने राज को यह भी कहा की चूँकि मेरे स्तन मेरे पल्लू से ढके हुए थे तो उसका समीर ने पूरा फायदा उठाया और पुरे रास्ते में मेरी चूँचियाँ को दबाता और सहलाता रहा और मैं कुछ न कर सकी।“
फिर मैं चुप हो गयी। मेरी आगे की बात बताने की हिम्मत नहीं हो रही थी। पर राज कहाँ रुकने वाले थे? उन्होंने पूछ ही लिया जो मैं उन्हें बताने में झिझक रही थी। उन्होंने पूछा, “तो तुम समीर की गोद मैं बैठी थी, है न? तो फिर उसका लण्ड खड़ा नहीं हुआ था क्या?”
मैं मेरे पति को जुठ बोलकर धोखा नहीं देना चाहती थी। मैंने बड़े रंज के साथ कहा की “हाँ उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था और मेरी पिछवाड़े में ठोकर मार रहा था।“
यह सब बताते हुए मैं रोने लगी। मैंने मेरे पति से कहा, “मुझे अफ़सोस है की आज मुझे कबुल करना पड़ रहा है की मैंने समीर की ऐसी शरारत का कोई विरोध नहीं किया और मैं भी ऐसी हलकी हरकतों का मझा लेती रही। अब मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा है।”
मेरे पति राज ने कहा, “अरे जानूं, तुमतो बिलकुल बुद्धू हो। रोती क्यों हो? क्या हुआ? कुछ नहीं हुआ। थोड़ा सा जोश में आकर अगर समीर ने कुछ कर दिया तो कौनसा आसमान टूट पड़ा? अब चुप हो जाओ। तुम्हें गुस्सा आ रहा है? मैं तुम्हारी बात सुनकर उत्तेजित हो रहा हूँ। काश मैं वहाँ होता! पर क्या करूँ? तुम तो देख नहीं सकती, पर मैं बताऊँ की मेरा लण्ड तुम्हारी बातें सुनकर खड़ा हो गया है। मैं इस वक्त उसे मेरे हाथों में लेकर जोरों से हिला रहा हूँ।” न चाहते हुए भी मेरे पति की बात सुनकर मुझे हंसी आगयी। मैंने मेरे पति राज से कहा, “पता नहीं तुम कैसे पति हो, जो अपनी पत्नी को इतना प्यार करते हो और इतनी छूट देते हो!”
मैंने मेरे पति को लम्बी सासें लेते हुए सुना। मैं समझ गयी की वह मुठ मार रहे थे। मेरे बेचारे पति! मैं भी उनकी बातें सुनकर उत्तेजित होने लगी थी। सोचती थी वाकई में अगर मेरे पति यहां होते तो मेरी तो शामत ही आ जाती। थोड़ी देर बाद एक लम्बी सांस लेते हुए राज बोले, “ओह.. आअह्ह्। डार्लिंग तुम्हारी बात सुनकर मजा आ गया।“ मैं जान गयी की मेरे पति के वीर्य का फव्वारा उनके हाथों में ही छूट गया था।
थोड़ी देर रुक कर बोले, “समीर कहाँ है?”
मैंने कहा, “समीर? वह तो मुझे छोड़ कर चले गए। ”
अचानक राज ने कुछ नाराजगी जताते हुए कहा, “चला गया? और तुमने उसे जाने दिया? इतनी बारिश में वह बेचारा इतनी दूर अपने घर कैसे जाएगा? उसे तुमने रोका क्यों नहीं? तुम कितनी मतलबी हो? उसने तुम्हें सहारा दिया और घर तक लाया तो बस? तुमने उसे छोड़ दिया? और समीर भी कमाल है! इस हाल में तुम्हें छोड़ कर चला गया? मेरा मतलब है तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। तुम्हें जुखाम हुआ है। मैंने उसे कहा था की उसे तुम्हारा ध्यान रखना है।” तब अचानक मुझे ध्यान आया की समीर ने कहा था की वह दवाई लेने के लिए जा रहा था।
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तब मैंने राज से कहा की शायद समीर गया नहीं था। वह शायद मेरे लिए दवाई लेने गया था। राज ने तब मुझे समझाते हुए कहा, “जानूं, आज रात के लिए उसे रोक दो। तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। वह तुम्हें दवाई इत्यादि देगा और तुम्हारा ध्यान रखेगा।और हाँ, ध्यान रखना अगर समीर ने तुम्हें कहीं छू लिया तो तुम फिर कोई ड्रामा मत करना। समीर के साथ झगड़ा करके कोई और बखेड़ा मत खड़ा करना। और एक बात जो मैं तुम्हें हमेशा कहता हूँ ….”
मैंने मेरे पति राज की बात को आधे में ही काटते हुए कहा, “जानती हूँ ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ ठीक है न?”
राज मेरी बात सुनकर बहोत खुश हुए और बोले, “तुम वास्तव में मेरी जान हो। और हाँ, रात को अगर कुछ होता है तो मुझे जरूर बताना। मुझसे कुछ भी मत छुपाना। एक बार फिर से मैं कह रहा हूँ की अपने दिल की बात मानो और अपने आप को मत रोको। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और हर हाल में हमेशा करता रहूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। तुम सही करो या गलत, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। क्या तुम्हें कोई शक है?”
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी..
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