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सब कॉलेज के लड़के और लड़कियाँ अपनी कारों में बैठ गए और फिर मैंने कम्मो को बुलाया और कहा कि तुम भी चलो हमारे साथ पिक्चर देखने! और जब मैंने उसी पिक्चर का नाम लिया जिसमें सबने बहुत ही ज्यादा मेहनत से काम किया था तो वो और पारो दोनों झट ही तैयार हो गई। मेरी इसी कहानी के 112 से 138 भाग देखिये।
हम ठीक समय पर सिनेमा में पहुंचे तो मैं और एक दो लड़के लड़कियाँ सीधे मैनेजर के कमरे में चले गए। जब उसने मुझ को देखा तो एकदम से चिल्ला पड़ा- अरे, ये तो फ़िल्मी सोमेश्वर सिंह जी हैं! आपकी तो हम बड़े दिनों से तलाश कर रहे थे क्यूंकि फिल्म कंपनी चाहती है कि फिल्म की पब्लिसिटी में आप हमारा साथ दें!
यह सुन कर सिनेमा का सारा स्टाफ वहाँ जमा हो गया और हैरानी से और ख़ुशी से मुझको देख रहा था। सबने बारी बारी से मेरे से हाथ मिलाया और साथ यह भी कहा- क्या कमाल का डांस किया है आपने फिल्म में सोमेश्वर जी, आपने तो लखनऊ का नाम रोशन कर दिया। वाह वाह!
इतने में पहला शो खत्म हुआ और जब उन सबको पता चला कि मैं भी वहाँ आया हुआ हूँ तो सारी भीड़ उमड़ पड़ी मुझको देखने के लिए और खूब धक्का पेल शुरू हो गई। मैं और मेरे साथी मैनेजर के कमरे में छुप गए।
मैनेजर साहिब ने मुझसे पूछ कर घोषणा कि कल दिन मैं सिनेमा की लॉबी में सब चाहने वालों को मिलूंगा 3 बजे के बाद और उनको अपने हस्ताक्षर भी दूंगा। यह सुन कर सब लोग धीरे धीरे वहाँ से जाने लगे और कुछ ने फिर भी मुझ से हाथ मिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
फिर मैनेजर साहिब ने टिकट के पैसे लेने से मना कर दिया और हम सब को हाल के अंदर तक छोड़ कर आये और यह भी कहा कि हम सबकी जलपान व्यस्था कर दी है और वो हाल में पहुंचा दिया जायेगा।
हाल में मेरे साथ बैठने की कश्मकश लड़कियों के बीच लगी हुई थी और मैडम के कहने के मुताबिक एक तरफ वो स्वयं बैठी थी और मेरे दूसरी तरफ सलोनी को बिठा दिया गया और उसके साथ ही रति को बैठा दिया था। बाकी की सारी लड़कियाँ रति के बाद बैठा दी गई और अंत में लड़कों को बिठाया गया।
पिक्चर शुरू हुई तो वही रोना धोना था लेकिन कोई 15 मिन्ट बाद हमारे गाँव को दिखाना शुरू कर दिया, नदी और उसके किनारे के सुन्दर जंगल की फोटोग्राफी बड़ी ही मनमोहक थी! फिर वह गाँव की लड़कियों का डांस शुरू हो गया और साथ में गाँव वाले लड़कों की ड्रेस में मुझ को गाँव की बालाओं को छुप छुप देखते हुए दिखाया गया।
फिर मेरे साथ डांस वाली सब लड़कियों के साथ डांस शुरू हो गया और यह देख कर मेरे साथ बैठे सब सहपाठियों ने तालियाँ मारनी शुरू कर दी। थोड़ी देर बाद ही मेरा चिपको डांस शुरू हुआ जिसको देख कर तो सारा हाल तालियों और सीटियों से गूँज उठा। बालकनी में बैठे हुए सभी लोगों को मेरे वहाँ होने का आभास मिल चुका था तो सब मुड़ मुड़ कर मुझको देख कर तालियाँ बजा रहे थे और मैं भी उठ उठ कर उनका अभिवादन स्वीकार कर रहा था।
सलोनी मेरे चिपको डांस से इतनी प्रभावित हो चुकी थी कि उसके हाथ मेरे लौड़े पर टिके हुए थे। और जब उसने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा हुआ है तो उसने अजीब हिम्मत दिखाई और मेरे लौड़े को पैंट से आज़ाद कर अपने हाथ में ले लिया।
मैंने अपनी दूसरी तरफ देखा तो अंजलि मैडम पिक्चर देखने में मगन थी तो मैंने भी सलोनी की टाइट चूत के ऊपर उसकी सलवार के ऊपर से हाथ रख दिया। फ़िर सलोनी ने अपनी कमीज को ऊपर कर दिया और मेरे हाथ के ऊपर उसको रख दिया। अब मेरा हाथ लोनी की चूत पर रखा था और मैं धीरे धीरे से उसकी सलवार के ऊपर से चूत पर हाथ फेरने लगा, बालों से भरी चूत के बालों को महसूस करने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया और वो उसकी पतली सलवार से बाहर तक महसूस होने लगा। सलोनी के साथ बैठी हुई रति को शक हो रहा था कि सलोनी ज़रूर मेरे साथ कुछ ना कुछ कर रही होगी इसलिए वो बार बार उचक उचक कर देखने की कोशिश कर रही थी कि हम दोनों क्या कर रहे हैं।
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया अंजलि मैडम जो मेरी बाईं तरफ बैठी थी, उनका एक हाथ मेरे बाईं जांघ के ऊपर पड़ा हुआ था और वो हल्के हल्के मेरी जांघ पर जैसे चल रहा था। मैंने भी अपना हाथ मैडम के हाथ के ऊपर रख दिया और उन्होंने मेरा हाथ अपनी सिल्की साड़ी वाली जांघ पर रख दिया।
अब हम दोनों एक दूसरे की जांघों पर अपने हाथ फेर रहे थे और दूसरी तरफ सलोनी मेरी जांघों और लंड के साथ खेल रही थी। मैडम के हाथ को देखते हुए मैंने अपने लंड को अपनी पैंट के अंदर कर लिया ताकि कहीं गलती से मैडम का हाथ मेरे अकड़े लंड पर ना पड़ जाए।
सलोनी को भी सर हिला कर मना कर दिया कि वो मेरे लंड को ना छेड़े। इंटरवल में मैनेजर साहिब के कहने पर हम सब के लिए कोल्ड ड्रिंक्स और समोसे आ गये और हम सबने ही बड़े चाव से खाए।
इंटरवल के बाद मेरी दाईं सीट पर रति आ बैठी। जैसे ही हाल में अँधेरा हुआ, वो शुरू हो गई मुझसे छेड़ छाड़ करने लेकिन मैंने उसके कान में फुसफुसा दिया कि मैडम का कुछ तो लिहाज़ करो!
इंटरवल के बाद मैडम भी काफी बोल्ड हो चुकी थी और अब वो खुल कर मेरे लंड और शरीर के साथ खेलने लगी, मैं भी मैडम का पूरा साथ दे रहा था। मैम ने मेरे लंड को निकाल रखा था पैंट से और मैं भी उनके मम्मों और चूत पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरता रहा।
पिक्चर खत्म हुई तो मैडम बोली- सोमू तुम वापस मेरी कार से चलना, मैं तुमको रास्ते में ड्राप कर दूंगी। मैंने भी हामी भर दी। मैडम के साथ जाने से पहले मैंने कम्मो और पारो और रति को एक कार में बिठा दिया जो उनको घर तक छोड़ आने वाली थी क्यूंकि वो लड़की भी उसी तरफ की रहने वाली थी।
मैडम बड़ी अच्छी कार चलाती थी और वो कार को चलाती हुई मुझको एक रेस्तराँ में ले गई। वहाँ जाते ही उसने हम दोनों के लिए बड़ा ही हॉट डिनर मंगवाया जिसमें मटन के कई बड़ी स्वादिष्ट व्यंजन थे।
खाना खाते हुए अंजलि मैडम ने अपना बायाँ हाथ मेरी जांघ पर ही रखा हुआ था और वो बार बार चुदाई के हिंट्स दे रही थी। मुझको समझते देर नहीं लगी कि वो चुदाई के लिए काफी बेकरार हो रही थी तो मैंने भी अपनी रज़ामंदी उनकी जांघों पर अपने हाथ को फेरते हुए ज़ाहिर कर दी।
खाने के दौरान मैडम ने मुझसे पूछा- सोमू, तुम्हारी कोठी में कौन कौन रहता है? मैं बोला- मैडम जी, मैं और मेरे सर्वेन्ट्स ही रहते हैं अभी तो, आप आ सकती हैं जब आप की मर्ज़ी हो लेकिन ज़रा पहले बता देंगी तो मैं सारे इंतज़ाम कर के रखूंगा। अंजलि मैडम बोली- कल तो तुम बिजी होगे सिनेमा में, तो क्या मैं परसों आ जाऊँ?
मैं बोला- मैडम जी, आप कल शाम को फ्री हैं क्या? यदि हाँ तो आप कल ही आ जाएँ मेरे घर, तब तक मैं भी सिनेमा से फ्री हो जाऊंगा। मैडम मान गई और खाना खाने के बाद वो मुझ को घर छोड़ते हुए अपने घर चली गई।
अगले दिन कॉलेज में रिहर्सल करने के बाद मैं और रति दोनों सिनेमा चले गए जहाँ काफी लोग मुझसे मिलने के लिए आये और मेरे ऑटोग्राफ लेने के लिए सब काफी उत्सुक थे। सबने मेरे डांस की काफी तारीफ की और 3-4 लड़कियों ने तो मेरा फ़ोन नंबर भी ले लिया और वायदा किया कि वो मुझ से दुबारा मिलेंगे।
सिनेमा का काम खत्म कर के मैं घर वापस आया और रति को उस के घर भेज दिया, अब मैं अपनी कोठी में अंजलि मैडम का इंतज़ार करने लगा। इससे पहले कि अंजलि मैडम आती, उर्वशी भाभी तेज़ी से कोठी के अंदर आ गई और सीधे मुझको लेकर मेरे वाले बैडरूम में चली गई।
आते ही उन्होंने बेतहाशा मुझ को होटों पर चूमना शुरू कर दिया और मैं कहता भी रहा ‘भाभी यह क्या कर रही हो?’ लेकिन तब तक उन्होंने मेरे सारे शरीर पर हाथ फेरने शुरू कर दिये। भाभी ने झट से मेरे लौड़े को पैंट से निकाला और उसको चूसने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मुझको थोड़ा गुस्सा आने लगा था, मैंने एक झटके से भाभी को अपने से अलग किया और कहा- भाभी यह आप क्या कर रही हो? अभी मेरे कॉलेज के प्रोफेसर्स आने वाले हैं, वो क्या सोचेंगे आपके बारे में? आप जल्दी से घर जाओ! भाभी- सॉरी सोमू, वो क्या है अभी रति ने मुझको बताया कि तुमने पिक्चर में कितना अच्छा डांस किया है तो मैं अपने आप को रोक नहीं सकी। क्या एक छोटी सी चुदाई मेरी कर सकते हूँ अभी? प्लीज सोमू, मैं बहुत हॉट हो रही हूँ… प्लीज प्लीज!
मैंने भी अपने लंड को पैंट के बाहर निकाला और भाभी की साड़ी ऊपर करके बेड के सहारे उनको खड़ा करके उनकी गर्म चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया और गीली चूत में लंड सर्र से अंदर चला गया पूरा का पूरा। मैंने भी सरपट भागते घोड़े की तरह से भाभी की चुदाई शुरू कर दी और 5-7 मिन्ट में ही भाभी का पानी छूट गया और भाभी अपनी चूत को अपने पेटीकोट से पौंछती हुए एक आखरी चुम्बन मेरे लबों पर देकर जल्दी से कोठी से बाहर निकल गई।
करीब दस मिन्ट बाद ही मैडम भी आ गई और मैंने उनका अच्छी तरह से स्वागत किया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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