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मेरा नाम अजय है और मेरी उम्र 26 साल है। मैं पुणे से हूँ और एक प्राइवेट सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूँ। यह कहानी एक साल पहले की है.. जब मैंने मैनेजमेंट ट्रेनी की पोज़िशन पर मेरी कंपनी ज्वाइन की थी। इन्डक्शन के बाद मुझे पुणे के भंडारकर रोड की ब्रांच मंश पोस्टिंग मिली।
पहले दिन सबके साथ परिचय के दौरान मेरी मुलाकात अफ़रोज़ से हुई जो वहाँ पर पहले से काम करती थी।
बॉस ने मुझे कुछ दिन ऑन जॉब ट्रेनिंग पर रखा.. वहाँ अफ़रोज़ मेरी मेंटर थी.. जो मुझे ट्रेनिंग दे रही थी।
अफ़रोज़ दिखने में बहुत सुंदर थी। पांच फीट छह इंच की हाइट.. उसकी उम्र 23 साल थी, गोरा बदन और एकदम टाइट गोल-गोल चूचे.. उसके मस्त चूतड़ बाहर को उठे हुए थे। उसके घुँघराले से बाल उसकी कमर तक आते थे.. उसके गोलाकार चेहरे पर उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें किसी इतनी दिलकश थीं कि किसी की भी जान ले लें। वो जब मुस्कुराती.. तो उसके गालों पर डिंपल उभर आते थे और उसके गुलाबी होंठों के नीचे वाला तिल ऐसा कातिल कि किसी का भी दिल उछल कर हलक में आ जाए।
ट्रेनिंग में दिन बीतते गए और मेरी अफ़रोज़ के साथ बातचीत बढ़ती गई। उसी के साथ मेरा उसे चोदने का इरादा भी बढ़ता गया। मैंने उसके साथ अब रात-रात भर व्हाट्सैप पर चैटिंग शुरू की। मैं अब रोज उसे अपनी बाइक पर घर ड्रॉप करता और खूब ब्रेक मार-मार कर उसके चूचों के टकराने के मज़े लेता। वो भी आराम से अपने चूचे मेरी पीठ पर दबाती रहती।
अब रात में हमारी बातें इतनी आगे बढ़ गईं कि मैं उससे अन्तरंग बातों में भी खुलने लगा। एक दिन मैंने उससे उसका साइज़ पूछा.. स्टार्टिंग में तो उसने गंदा सा रिप्लाई दिया- थप्पड़ खाएगा तू.. तो मैंने भी लिखा- मार देना.. पर बता तो दो.. उसने फिर कहा- बहुत जिद्दी है तू.. ले जान ले 34-26-28 का फिगर है..
मैंने एक आँख मारने वाली स्माइली भेज दी। फिर उसने मैसेज किया- कोई अडल्ट मैसेज भेज.. तो मैंने भेजा..
फ़िर बोली- ब्लू-फिल्म है? तो मैंने वो भी भेज दी.. उसके बाद मुझसे पूछा- मैं अगर अभी मिलने आऊँ.. तो क्या करेगा? मेरा हौसला इतना बढ़ गया था कि मैंने बोला- किस करूँगा। तो पूछने लगी- कहाँ करेगा? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं समझ गया कि इसको आज लवड़ा चाहिए। मैंने उसको पूछा- अभी तेरे फ्लैट पर कौन है? बोली- अकेली हूँ.. मैंने बोला- तो आ जाऊँ? बोली- नहीं.. अभी नहीं ये.. वो.. मैंने बोला- मैं तो आ रहा हूँ।
और बाइक निकाल कर उसके घर पहुँच गया। मैंने बेल बजाई.. मैं सिर्फ़ अपनी वाइट शॉर्ट और रेड टी-शर्ट में था।
अफ़रोज़ ने दरवाजा खोला और दरवाजे पर हाथ क्रॉस करके मेरी तरफ देख रही थी। वो गुस्सा होने वाली एक्टिंग कर रही थी कि मैं क्यों आया। मैं गुस्सा होके बोला- ठीक है.. तो जाता हूँ.. अब बात नहीं करेंगे। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोका और एक कातिल स्माइल देकर बोली- चलो अन्दर चलो..
अफ़रोज़ गुलाबी वेल्वेट वाले नाइट गाउन में थी और उसमें उसके चूचे खुल कर बाहर आ रहे थे। उसकी गाण्ड तो जैसे बस चुदने के लिए रेडी दिख रही थी।
वो दरवाजा बंद करके जैसे ही मुड़ी.. मैंने उसको पकड़ कर गले लगा लिया और उसको भींच कर अपने लण्ड से चिपका लिया।
उसके चूचे मेरी मर्दाना छाती पर दब रहे थे, मैं उसकी गाण्ड पर हाथ घुमा रहा था.. उसे दबा रहा था। मैं नाइटी के ऊपर से ही उसकी चूत को अपने मोटे लंड से रगड़ रहा था, वो इतनी गरम हो गई कि उसने मेरी टी-शर्ट के अन्दर अपने हाथ डाल कर मुझे और जकड़ लिया।
उसके ठंडे हाथ मेरी पीठ पर लगते ही मुझमें अलग ही जोश आ गया, मैं उसको स्मूच करने लगा, मेरी जीभ उसके पूरे मुँह में घूम रही थी। एक हाथ से मैंने उसका चूचा पकड़ रखा था और नीचे से मेरा लंड भी उसके गाउन पर रगड़ रहा था।
मैंने उसको ऐसे ही चूसते और दबाते हुए सोफे पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसका गाउन निकालने लगा। उसने अपना गाउन और ब्रा को निकालने में पूरा सहयोग किया। कपड़े निकलते ही मैं उसके दोनों चूचों पर टूट पड़ा।
मैं उसके निप्पलों को दबा-दबा कर उसे तड़पा रहा था। जैसे ही मैंने उसका एक निप्पल चूस कर अपनी जीभ से उसके साथ खेला और ऊपर को मुँह किया.. तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने दूसरे निप्पल पर रख दिया।
इससे मेरा लंड अब फुंफकार मार रहा था। मैंने सीधे एक हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया और उसकी चूत पर लगा दिया। चूत पर बाल उगे थे.. तो मैं बालों में उंगली घुमाते-घुमाते चूत को मसलने लगा। साथ ही ऊपर निप्पलों को हल्के हल्के से काट भी रहा था, वो एकदम से गरम हो उठी.. उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।
मैंने जैसे ही उंगली उसकी चूत में डाली.. उसके मुँह से ‘उम्म्म.. अयेए..’ जैसी मस्त आवाज़ निकली। वो चुदासी हो उठी और उसने खुद अपनी पैन्टी पूरी निकाल कर फेंक दी और टाँगें खोल कर चित्त लेट गई।
मैं उसकी चूत में धीरे-धीरे उंगली कर रहा था.. तब उसने मेरी टी-शर्ट पकड़ कर कहा- क्या सिर्फ़ मेरे ही कपड़े उतारेगा स्टुपिड? तो मैंने टी-शर्ट और शॉर्ट उतार कर उसके बगल में आ गया। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे मसलने लगी। मैं उसके निप्पलों को दबा रहा था और वो मेरा लंड हिला रही थी।
उसने उठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे मस्त होकर चूसने लगी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैंने उसके बाल पकड़ कर उसका मुँह से लंड बाहर निकाला और उसको सोफे पर लिटा दिया।
उसने भी अपनी टाँगें खोल दीं। मैं पहले अपना लंड उसकी चूत की दरार पर घुमा रहा था और वो खुद ही अपने निप्पलों दबा रहा थी। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाया.. तो वो ‘आह..आह.. निकाल.. बाहर निकाल..’ करने लगी। मैं वहीं रुक गया.. लेकिन मैंने लंड नहीं निकाला.. उसको स्मूच किया और स्मूच करते-करते पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं लेकिन मुँह से आवाज़ कैसे निकलती.. मैं तो उसमें अपना मुँह डाल के स्मूच कर रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत में तेज-तेज झटके देने शुरू किए और साथ ही मैं उसके चूचे भी दबा रहा था। मस्ती में मैं बीच-बीच में उसके निप्पलों काट देता। वो अपनी गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी। मेरी छाती पर अपने हाथ घुमाने लगी.. मेरे सीने के बाल पकड़ने लगी।
मैं उसको झटके देता.. तो अपने हाथ मेरी गाण्ड पर रखकर उसको फील करने लगी। मैंने चोदते-चोदते उसकी टाँगें उठा लीं और धीरे से उसकी गाण्ड में उंगली डाली.. तो उसने ‘उम्म..’ करते हुए एक अंगड़ाई ली।
मैं फिर गाण्ड में और अन्दर उंगली डालता रहा.. मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे बोला- उल्टी हो ज़ा.. वो बोलने लगी- नहीं.. उल्टा नहीं.. प्लीज़..
मैंने खुद उसको उल्टा घुमा दिया.. और एक कुशन उसके पेट के नीचे लगा दिया। फिर उसके ऊपर आकर उसकी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया और उसको अपने बदन से रगड़-रगड़ के चोदने लगा।
वो झड़ गई.. तभी मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गाण्ड के छेद पर रख के उसे अन्दर डालने लगा.. तो वो ‘एयेए.. उहह.. नो प्लीज़्ज़्ज़..’ बोलने लगी।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड खोली और धीरे धीरे दबाव के साथ पूरा लंड उसकी गाण्ड में घुसा दिया। उसके मुँह से चीख निकल गई और वो उठने लगी, मैंने उसको पकड़ कर वैसे ही उसकी गाण्ड मारना शुरू किया। करीब 7-8 झटकों के बाद ही वो थोड़ी शांत हो गई और अब अपनी गाण्ड उठा कर मुझे मज़े से अपनी गाण्ड देने लगी।
मैं ज़ोर-ज़ोर के झटके देने लगा.. उसके निप्पलों को दबाने लगा.. उसकी पीठ पर ‘लव बाईट’ देते हुए और ज़ोर-ज़ोर के झटके देने लगा।
फिर कुछ देर बाद उसकी गाण्ड में ही झड़ गया। मैं वैसे ही उसकी गाण्ड में लंड डाल कर उसके ऊपर लेट गया। हम थोड़ी देर वैसे ही पड़े रहे।
इसके बाद हमारी रेग्युलर ऑफिस वाली चुदाई शुरू हो गई। अगली बार कैसे मैंने ऑफिस में उसकी गाण्ड मारी.. ये बताऊँगा।
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