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अब तक आपने पढ़ा.. उसका बदन सचमुच एक संगमरमर की तरह था। उसका जिस्म मुलायम तो इतना अधिक था कि हाथ फिसल जाए और कपड़ों को गोंद लगा कर ही पहनाया जाए.. नहीं तो फिसल जाएँगे। पीठ पर बॉडी वॉश लगाते हुए मेरे हाथ शमिका की गाण्ड पर जा पहुँचे। जैसे ही उसे समझ आया वो शावर की नॉब को पकड़ कर नीचे झुकी और अपनी कच्ची गाण्ड मेरी तरफ उठा दी। मैंने बॉडी वॉश जैल को हाथ में लिया और उसकी गाण्ड पर.. दरार में.. और फिर नीचे चूत तक लगा दिया और मलना शुरू किया। अब आगे..
अब वो थोड़ा सीत्कार करने लगी थी। थोड़ी देर उसकी गाण्ड के छेद में और चूत मलने के बाद मैंने जाँघों से लेकर नीचे तक बॉडी वॉश लगा दिया और फिर से शावर चालू करने को कहा।
पीछे की धुलाई अच्छी हो गई थी.. तो वो मेरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गई। शमिका के निप्पल तन चुके थे.. वे छोटे थे.. पर बहुत मस्त लग रहे थे।
मैंने बॉडी वॉश हाथ में लिया और गर्दन से होते हुए पूरे बदन को सामने से लगाने लगा। उसके मम्मों को थोड़ा दबाया ही था कि उसने मुझे रोक दिया और कहा- ज़्यादा देर मत लगाओ.. जल्दी से फिनिश करो.. मुझे बैठने के लिए ज़्यादा टाइम चाहिए। इतना कहते हुए उसने मेरी गोटियाँ पकड़ लीं और दबाने लगी- जल्दी खत्म करो.. वरना इन्हें यहीं पर मसल दूँगी।
मैं दर्द से तिलमिला गया, मैंने जल्दी से बॉडी वॉश उसकी नाभि और फिर चूत पर लगा दिया.. उसने पानी खोल दिया.. तब जाकर उसने गोटियों की पकड़ ढीली कर दी और उन्हें आज़ाद किया।
हम लोग बाथरूम से बाहर आ गए मैंने उसका एक तौलिया उठाया और बदन पोंछने के लिए आगे बढ़ा.. लेकिन शमिका ने तौलिया खींच लिया और एक तरफ फेंकते हुए कहा- तुम्हें तौलिया से नहीं, अपनी जीभ से पूरा पानी चाटना पड़ेगा..
बात तो माननी ही थी.. वो बेडरूम में जाकर बिस्तर पर टिक कर झुक कर खड़ी हो गई।
मैंने उसके पैर से चाटना शुरू किया.. बॉडी वॉश की खुशबू से मेरा मन मचलने लगा.. मैं मदहोश होकर उसके बदन को चाटने लगा। जैसे ही जाँघों का इलाका खत्म हुआ, उसने लात मारकर मुझे नीचे गिरा दिया। मेरे दोनों तरफ एक-एक पाँव रख कर वो बीच में खड़ी हो गई।
मेरी आँखों के सामने शमिका की मुलायम चूत लपलपा रही थी। उसने कहा- चल.. अब रेडी हो जा.. और एक झटके में उसने चूत के होंठों को मेरे होंठों से मिला दिए।
इतनी मुलायम चूत शायद ही मैंने कभी जिंदगी में चखी थी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। वो पूरा ज़ोर लगाकर अपनी गरम चूत मेरे मुँह पर दबाए जा रही थी। मैंने भी जीभ बाहर निकाली और उसकी चूत में घुसेड़ दी।
कुँवारी चूत का पानी भी टेस्ट में बहुत अच्छा लग रहा था। मेरी जीभ अन्दर तक घूम रही थी और शमिका की आवाज़ पूरे कमरे में शोर मचाने लगी- उउउ उम्म्म्म मममम.. म्म्म ममम.. आआआ.. आआआहह हह.. कम ऑन.. यू डॉग.. लिक मी हार्ड… मोर हार्डर.. आह्ह..
उसने अपना एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से मदहोशी में खींचने लगी। वो कभी लंड खींचती.. तो कभी गोटियाँ मसकती। मैं दर्द में था.. पर शमिका की मुलायम चूत के नशे में मैं वो दर्द भूले जा रहा था।
शमिका एक बार झड़ चुकी थी.. पर उसे वो मज़ा इतना मदहोश किए जा रहा था कि वो उठने का नाम नहीं ले रही थी, वो मेरा मुँह और अन्दर खींचे जा रही थी। मेरा दम अब घुटने लगा था.. उसका सारा पानी मेरे हलक से उतर कर पेट में चला गया था।
मैंने उसे ज़ोर लगा कर थोड़ा ऊपर को उठाया और कहा- शमिका अब तुम मेरी तरफ पीठ करके बैठ जाओ.. इससे मुझे तुम्हारी चूत और गाण्ड के छेद दोनों को एक साथ बराबर चाटने का चान्स मिलेगा और मुझे साँस लेने में भी तकलीफ़ नहीं होगी।
वो झट से मान गई और ऊपर उठकर उसने मुँह मोड़ लिया। अब वह मेरे लंड की तरफ मुँह करके फिर से मेरे होंठों पर बैठ गई। इस पोजीशन में मैं उसके चूतड़ों को पकड़ कर जैसा मेरा मन चाहे वैसा उन्हें हिला सकता था।
अबकी बार मैंने मेरा निशाना शमिका की गाण्ड के छेद पर लगा दिया। मेरे अचानक किए इस वार से वो चहक उठी। मैं अपनी जीभ उसकी गाण्ड के छेद और आजू-बाजू के हिस्से में घुमाए जा रहा था।
बॉडी वॉश की महक यहाँ भी काम कर रही थी.. मुझे किसी भी तरह की घिन आने से बचा रही थी। मैं मदहोश होकर उसकी गाण्ड के छेद को चाटे जा रहा था।
वो इतना होश खो बैठी थी कि उसने एक हाथ में मेरी गोटियाँ और दूसरे हाथ में लंड पकड़ कर मसलना शुरू किया।
गोटियों को मसलने ने मेरा लंड ढीला पड़ने लगा और कुछ ही देर में लंड से लुल्ली बन गया। शायद उसे ये बात पसंद नहीं आई.. तो शमिका अब गोटियों को ज़ोर से मसलने लगी और लुल्ली पर चांटे मारने लगी।
लगभग 15-20 मिनट तक लगातार गाण्ड के छेद को चाटने की वजह से वो शायद फ़िर से झड़ने की कगार पर थी.. उसने अपनी गाण्ड ऊपर उठाई और चूत को मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
अगले 2-3 मिनट में उसका पानी फिर से मेरे मुँह में उतर गया। अब शायद वो थक चुकी थी.. उसी हालत में वो थोड़ी देर पड़ी रही। फिर शमिका उठी और नंगी की रसोई में चली गई।
फ्रिज में से थम्सअप की बोतल निकाल कर दो गिलासों में डाल दिया और साथ में शहद और चॉकलेट सॉस लेकर वापिस आ गई। मुझे समझ में आ गया कि अब आगे का सेशन क्या होने वाला है, मैंने उससे कहा- शमिका ये वाला सेशन हम रसोई में ही करते हैं यहाँ कार्पेट भी गंदा हो सकता है।
उसने तुरंत ये बात मान ली और रसोई की तरफ बढ़ने लगी। मैंने कहा- मैं ट्रे पकड़ लेता हूँ.. क्या तुम मेरी लुल्ली को खींच कर मुझे रसोई में ले जाओगी। शमिका राज़ी हो गई.. ट्रे मेरे हाथ में थमा कर उसने मेरी लुल्ली को पकड़ लिया और खींचते हुए रसोई में ले गई।
मैंने उसे डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया। उसने भी अपने पैर खोल दिए.. और गिलास हाथ में लिया और थोड़ा-थोड़ा थम्सअप चूत पर डालने लगी। जाहिर है.. मुझे वो पीना था।
मैं झट से उसके पैरों के बीच आया और पीने लगा.. पर ये अवस्था ज्यादा मदहोश नहीं कर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने मुझे डाइनिंग टेबल पर लेटने को कहा.. और फिर पहले जैसे ही चूत मेरे मुँह पर रख दी। अबकी बार वो अपने मम्मों से थोड़ा थोड़ा कोल्ड ड्रिंक नीचे छोड़ने लगी। वो उसकी छाती के बीच से होता हुआ नाभि को क्रॉस करके चूत पर आने लगा और फिर मेरे मुँह में आने लगा। इससे उसे और ज़्यादा आनन्द आ रहा था।
मैं जानबूझ कर कोल्डड्रिंक को मेरे मुँह में लेने के बाद उसकी चूत में डाले जा रहा था और फिर से पी रहा था। उससे वो और मदहोश होती जा रही थी। मैंने उसे थोड़ा पीछे की तरफ झुकने को कहा और दूसरा गिलास उठाकर सीधे चूत पर थम्सअप डालने लगा.. जो कि उसकी चूत से होकर गाण्ड के छेद पर जा रहा था।
मैं गाण्ड के छेद से उस थम्सअप को पिए जा रहा था। दोनों गिलास का ड्रिंक खत्म होने तक हम यही खेल खेलते रहे।
इतने में वो एक बार और झड़ गई थी और शायद अब तीसरी बार झड़ने से वो इतनी थक चुकी थी कि उसकी आँखें अधमुंदी सी लगने लगी थीं।
शमिका बोली- मुझे ये शहद और चॉकलेट सॉस का भी इस्तेमाल करना था.. पर अब ऐसा लग रहा है कि मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी हूँ.. तो इसे फिर किसी दिन इस्तेमाल करेंगे। मैंने कहा- ठीक है कोई बात नहीं..
फिर वो उठकर बेडरूम की ओर चलने लगी। मैंने उससे कहा- तुम तो 3 बार झड़ चुकी हो.. पर मेरा क्या होगा? शमिका बोली- तुम्हें मैंने पहले ही कहा था कि मैं तुम्हें तड़फता छोड़ने वाली हूँ.. तुम एक काम करो.. मैं बेड पर सो जाती हूँ.. तुम मेरे नंगे बदन को देखते हुए मुठ्ठ मार लेना। मैंने कहा- ठीक है।
हम लोग उसके कमरे में चले गए। वो बेड पर लेट गई। मैंने कहा- मैं बाल्कनी में मुठ्ठ मारूँगा। उसने कहा- ठीक है.. लेकिन इस बात का ध्यान रखना कोई देख ना ले। मैंने बाल्कनी का पल्ला खोला और ठीक उसी जगह पर मैं जाकर खड़ा हो गया.. जहाँ उसकी मॉम को मैंने देखा था।
मुझे बाल्कनी में पैन्टी सूखने के लिए डाली हुई दिखी। मैंने उसमें से बड़ी वाली जो कि उसकी मॉम की हो सकती थी.. वो निकाली और उसे मेरे लंड पर रगड़ कर मुठ्ठ मारने लगा।
पहले से इतना सब कुछ हो चुका था और फिर उस पैन्टी के मुलायम कपड़े से रगड़े जाने से 5 मिनट में ही मेरा पानी छूट गया।
शमिका गहरी नींद में जा चुकी थी.. मैं हॉल में आया। मैंने शॉर्ट और टी-शर्ट को पहन लिया.. और वो पैन्टी जेब में डाल कर अपने घर की ओर निकल पड़ा।
दोस्तो, इस कहानी में आगे भी कुछ हुआ है वो जल्द में आपके सामने पेश करूँगा। [email protected]
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