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हाय मैं ऋतु.. अन्तर्वासना पर मैं आपको अपनी चूत की अनेकों चुदाईयों के बारे में बताने जा रही हूँ.. आनन्द लीजिएगा। अब तक आपने जाना.. सुधा एक हाथ में जूस लेके आई और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहने लगी- ले ऋतु.. जूस पी ले.. बहुत थक गई है और फ्रेश हो ज़ा.. घर भी चलना है.. मैं- हाँ सुधा..
मैंने उनका हाथ पकड़ा और कहा- सुधा जो आज तुमने मेरे को सुख दिया है ना.. मुझे कभी नहीं मिला.. मन करता है कि ऐसे ही राकेश जी के नीचे जिंदगी गुज़ार दूँ। मैंने टाइम देखा तो 4 बज रहे थे। मैं जूस पीने लगी.. मेरे से उठा भी नहीं जा रहा था.. जैसे-तैसे मैं बाथरूम में गई और तैयार होने लगी। मैं और सुधा उनकी गाड़ी से घर आ गए। मैं बहुत थकी हुई थी और हम दोनों जल्द ही सो गए।
अब आगे..
कुछ देर बाद मेरे फोन पर कॉल आई और हम दोनों घन्टी की आवाज से उठ गए, मैंने कॉल रिसीव किया.. तो मम्मी का था, उन्होंने बताया कि वो नानी के साथ इलाज के लिए एक महीने के लिए मुंबई जा रही हैं।
मम्मी ने कहा- अब मैं एक महीने के बाद आऊँगी.. सुधा है या चली गई? मैं- हाँ हैं.. यहीं हैं.. लो आंटी.. मम्मी का कॉल है। सुधा- हाँ.. हैलो नीतू..
सुधा ने मेरी मम्मी से बातचीत करना शुरू की। ‘कैसी है सुधा.. और ज्यादा परेशान तो नहीं किया इसने?’ सुधा- नहीं यार.. ये तो बहुत अच्छी है.. एक बात कहूँ तेरी ऋतु बिल्कुल तेरे पर गई है.. माल बन गई है माल.. मेरा तो मन आ गया उस पर.. मम्मी- यार अभी वो बच्ची है.. तू उसके सामने ऐसे बात मत कर.. सुधा- नहीं यार.. वो तो बाथरूम में गई है। ‘बाथरूम में क्यों..?’
तभी आंटी ने मेरे दूध दबा दिए.. मेरे मुँह से हल्की सी ‘उःम्म्म्मम.. आह्ह….’ निकल गई।
सुधा आगे फोन पर बोली- गई होगी अपनी चूत में उंगली करने.. मम्मी- ठीक है.. तुम उसका ध्यान रखना.. मैं फोन रखती हूँ.. और वो राजू भी 15 दिन बाद आएगा.. मम्मी ने कॉल काट दिया।
सुधा- कहो मेरी बुलबुल.. अब तो तुम बिल्कुल फ्री हो.. जैसे चाहो.. वैसे रहो.. तो आज रात भर मजे लें? मैं बोली- आज तुम मुझे पैसे कमवा दो.. सुधा बोली- क्या बात है.. एक ही चुदाई में रंडी बनने को तैयार है?
मैं- नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है.. बस पैसे खत्म हो गए हैं.. या तुम मुझे उधार दे दो। सुधा- कमाई ही करवा दूंगी.. बस ये बता.. कि कोठे पर चुदेगी.. या अपने घर पर.. बता..? एक रंडी है मेरी जानने वाली.. उसी से बात करनी पड़ेगी। मैं- सुधा जैसे आपका मन करे.. जहाँ चाहो.. मुझे वहाँ चुदवाओ.. जिसमें आपको ख़ुशी मिले.. तुम ही मेरी सरदार हो.. मैं तेरी गुलाम..
सुधा हँसने लगी और कहने लगी- तुझे इस शहर की टॉप की रंडी बनाऊँगी.. तू चिंता मत कर.. और सुधा ने एक कॉल किया.. बोली- हैलो.. क्या कर रही है.. सुधा ने कुछ देर बात की और किसी को मेरे घर पर बुला लिया।
कुछ देर बाद गेट पर रिंग बजी.. मैंने गेट खोला और एक आंटी अन्दर आईं और बोलीं- मुझे सुधा से मिलना है। सुधा- आओ शांति.. बैठो यार.. तुमसे काम था। शांति- बोलो क्या काम था.. किस को रंडी बनाना है। सुधा मेरे को बुलाती हुई बोली- ऋतु इधर आना.. और जरा चाय लाना.. मैं- जी मालकिन.. अभी आई..
मैं चाय लेकर अन्दर गई.. तो मैंने उस साँवली सी आंटी को चाय दी और साथ ही सुधा को भी चाय पकड़ा दी। सुधा बोली- ऋतु ये हैं शांति जी.. इनके पैर छुओ.. इन्होंने तुम जैसी जाने कितनी लड़कियों को पैसे कमवाए हैं। मैं उनके पैर छूने लगी- मुझे भी अपने यहाँ पर काम सिखा दीजिए।
सुधा- शांति ये अपनी नीतू की बेटी है.. याद आया एक बार तुमसे उसकी लड़ाई हो गई थी.. इसका बाप तेरे यहाँ आता था और तूने नीतू से कहा था कि एक दिन तेरे बेटी को इस कोठे पर बिठा लूंगी.. देख तेरा प्रॉमिस खुद पूरा हो गया। ये तो अपने आप रंडी बनने को तैयार है! और वो हँसने लगी।
शांति- देख ऋतु.. मुझे तेरी माँ से बदला लेना था.. लेकिन तू फ्री है.. चाहे तो तू मना कर दे.. मैं कुछ नहीं कहूँगी। मैं- ये कैसे बात कर रही हो आंटी जी.. मैं तो अपनी मर्ज़ी से रंडी बनने जा रही हूँ और मैं तुम्हारे साथ एक हफ्ता वहीं रहूँगी.. ये मेरा प्रॉमिस है.. शांति जी बोलीं- ठीक है.. चलो..
फिर हम दोनों घर से निकल गए। वहाँ पहुँचते-पहुँचते हमें 6 बज गए। हम अन्दर गए.. मैंने उस समय एक गुलाबी रंग का टॉप पहना हुआ था और एक भूरे रंग का लॉन्ग स्कर्ट पहना था, मैं बहुत सुन्दर लग रही थी। शांति ने सभी लड़कियों को बुलाया और मेरा परिचय कराया। सबने मुझे गले लगा कर मेरा स्वागत किया और मुझे मुबारक बाद दी। एक ने कहा- आपका इस कोठे पर स्वागत है और आपकी चुदाई ठीक तरह से हो..
शांति ने सब को कहा- ये एक वीक की मेहमान है.. इसको सब सिखा दो.. फिर वो एक लड़के को बोली- इसके लिए कस्टमर को लेकर आ.. एक लड़की मेरे पास आई और बोली- ये टॉप निकाल दो.. यहाँ पर सिर्फ़ ब्रा में ही घूमना पड़ता है.. जब तक कस्टमर को कुछ दिखाओगी नहीं.. तो कैसे कस्टमर को फंसाओगी।
मैंने टॉप निकाल दिया.. अब मैं सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी। शांति जी बोलीं- हाँ अब लग रही हो मेरे यहाँ की रंडी.. चल बाहर बैठ..
मैं बाहर आई.. तभी 2 लोग.. जिनकी उम्र 55 या 60 के आस-पास थी.. लेकिन थे हट्टे-कट्टे..। एक मेरे पास आया और मेरे दूध दबा के बोला- इस रंडी का क्या रेट है शांति.. लगता है नई आई है? कहानी जारी रहेगी.. [email protected]
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