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हाय मैं ऋतु.. अन्तर्वासना पर मैं आपको अपनी चूत की अनेकों चुदाईयों के बारे में बताने जा रही हूँ.. आनन्द लीजिएगा।
मैं उस वक़्त 12वीं क्लास में पढ़ती थी, मेरी उम्र 18 साल की थी.. मैं अपने माँ-बाप की एकलौती लड़की हूँ.. मुझे सब घर वाले प्यार करते हैं.. मेरी फैमिली एक जॉइंट फैमिली है.. जिसमें मेरे चाचा-चाची और एक भाई है.. जिसका नाम राजू है.. वो मुझे बहुत प्यार करते हैं।
एक दिन जब मैं अपने कमरे में पढ़ रही थी.. तो मेरे कमरे में राजू भाई आए। मैंने कहा- भाई आओ.. बैठो.. मैं सिर्फ़ उन्हें भाई की तरह देखती थी। मेरे भाई की उम्र मेरे से 10 साल ज्यादा है।
मैं एक बात आपको बता दूँ कि मैं अन्तर्वासना की भाई-बहन की चुदाई की कहानियाँ अधिक पढ़ती हूँ.. और मेरी एक दो सहेलियां भी अपने भाई से चुदाई करवाती हैं।
मैंने भाई को बैठने को कहा और वो मेरे पास वाली चेयर पर बैठ गए। हम दोनों आपस में दोस्तों की तरह से सब तरह की बातें कर लेते हैं। हम आपस में बातें करने लगे।
वे बोले- ऋतु तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं बोली- भाई, ठीक चल रही है, अब दो महीने के बाद मेरे एग्जाम होने वाले हैं तो मुझे थोड़ी ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ेगी। भाई ने मेरे से पूछा- ऋतु तेरा कोई बॉयफ्रेंड है? वे चुप हो गए तो मैंने कहा- भाई ऐसा क्यों पूछा आपने? तो बोले- बस ऐसे ही पूछ लिया.. क्या मैं अपनी प्यारी सी बहन से ये भी नहीं पूछ सकता?
मैंने कहा- नहीं भाई.. मैं इन चक्करों में नहीं पड़ती। भाई- इसमें क्या चक्कर? मैं- आपको तो पता है.. मेरे पापा है नहीं.. अकेली माँ हैं और किसी ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के साथ पकड़ लिया.. तो कितनी बदनामी होगी.. सिर्फ़ इसलिए.. भाई- वाह.. ऋतु तुम तो छोटी सी उम्र में ही बहुत समझदार हो गई हो.. वरना आजकल की लड़कियाँ तो बॉयफ्रेंड ऐसे चेंज करती हैं जैसे कि कपड़े बदल रही हों।
मैं- भाई और आप बताओ.. आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? कब मिलवाओगे भाभी से? और मैं हँसने लगी!
भाई- मुझे भी अभी तक कोई नहीं मिली.. जिस पर भरोसा कर सकूँ। मैं- कोई नहीं मिली? कैसी लड़की चाहिए आपको? भाई- बोले तुम बुरा तो नहीं मानोगी। मैं बोली- बोलो भाई.. मैं बुरा नहीं मानूँगी।
मुझे लगा कि भाई मेरी फ्रेंड्स के बारे कहेंगे। भाई- मुझे तुम जैसी लड़की पसंद है और तुम जैसी लड़की कोई मिलती नहीं है। मैं- भाई मेरे जैसी.. मतलब?
भाई- ऋतु मुझे तुम पसंद हो.. मैं तुम से प्यार करता हूँ। मैं- ये क्या कह रहे हैं आप? मैं तुम्हारी बहन हूँ.. ये बात किसी ने सुन ली तो कितनी बदनामी होगी.. आपको पता है? मैं गुस्से से उनसे बोली और उन्हें कहा- चले जाओ आप मेरे कमरे से.. मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे..
वो कुर्सी से उठे और मेरे पास नीचे जमीन पर बैठ गए, मैं बिस्तर से पैर नीचे लटका कर बैठी थी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- ऋतु तुम क्यों नहीं समझ रही हो.. मैं तुमसे प्यार करता हूँ.. जब से तुम बड़ी हुई हो.. तब से तुम्हारे सिवाए मुझे कोई लड़की पसंद ही नहीं आई.. और तुम्हारा भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.. मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. ऋतु तुमको मैं पसंद नहीं क्या?
मैं- भाई ऐसी कोई बात नहीं है.. पसंद ना पसंद की.. मैं आपकी बहन हूँ। भाई- ऋतु तुम सिर्फ़ एक लड़की की तरह सोचो.. भाई-बहन की तरह नहीं.. हम आपस में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बन सकते हैं.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. ऋतु तुमको नहीं पता कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ.. ऋतु आई लव यू.. और उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया।
मैं एकदम से सिहर उठी.. मैं बोली- भाई किसी को पता चल गया तो? अब मुझे भी कुछ अच्छा लग रहा था.. पहली बार किसी ने मेरे हाथों पर किस किया था।
भाई- देखो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. ना मैं किसी को बताऊँगा.. ना तुम किसी को कुछ कहना। हम दोनों सब के सामने भाई बहन बन के ही रहेंगे। अब तुम ही बताओ ऋतु.. मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. प्लीज़ मान भी जाओ यार.. प्लीज़ अब तो ‘हाँ’ कर दो। इतना मत तड़पाओ अपने इस आशिक़ को.. और उन्होंने फिर मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने कुछ नहीं बोला और चुप हो गई, मेरी नज़रें नीचे हो गईं.. जैसे मैंने उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया हो।
भाई- ऋतु तुमने आज अपने भाई पर बहुत बड़ा अहसान किया है.. मैं बहुत खुश हूँ। मैं- भाई आप नीचे क्यों बैठे हो.. अब मैं मान गई हूँ.. आप ऊपर बैठ जाओ.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.. आप नीचे.. मैं ऊपर.. मैं इतना बोल कर हँस दी।
भाई उठ गए और मेरे पास बैठ गए और उन्होंने मुझे एक गाल पर चुम्बन किया। मैं बोली- भाई, ये क्या कर रहे हो? मत करो.. कोई देख लेगा। तभी अचानक मेरी मम्मी की आवाज आई और हम दोनों कमरे से बाहर आ गए।
‘ऋतु, तेरी नानी की तबियत खराब है.. मुझे वहाँ जाना है.. मैं और तेरे चाचा-चाची साथ जा रहे हैं। तुम दोनों ही घर पर रहोगे.. हम दो-तीन दिन में आ जाएँगे।’ हम दोनों ने हामी भर दी, वो तीनों अपनी गाड़ी से निकल गए।
अब घर में मैं और भाई रह गए थे। भाई- ऋतु चलो कहीं घूम कर आते हैं अभी 8 बजे हैं डिनर भी बाहर कर लेंगे। मैं बोली- ठीक जैसा आप ठीक समझें।
मेरे ऐसा कहने पर भाई बहुत खुश हुए और बोले- मेरी जान, आज तुमने ऐसा बोल कर खुश कर दिया। मैं- मैंने क्या बोला? भाई- ‘आप’ बोल कर.. मैं- भाई मैं आपको अकेले में ‘आप’ ही बोलूँगी। भाई हँस कर बोले- जो हुक्म.. अब जाओ तैयार हो जाओ।
मैं- मैं क्या पहनूँ.. आप बताओ.. जींस टी-शर्ट या फिर कोई साड़ी? भाई- साड़ी पहनो..
मैं अपने कमरे में गई और तैयार होने लगी। एक दुल्हन की तरह आज पहली बार कोई मुझे बाहर डिनर पर लेकर जा रहा था तो मैं बहुत खुश थी। लगभग 30 मिनट में मैं तैयार होकर आ गई।
आज मैंने नेट की साड़ी पहनी थी.. लाल ब्लाउज पहना.. जिसका बैक काफ़ी ओपन था.. बस ब्रा की स्टेप के ऊपर ही ब्लाउज की स्टेप चिपकी थी। मैं बहुत सुन्दर लग रही थी। मैंने सिर्फ़ सिंदूर छोड़ कर पूरा मेकअप किया था। आज मैंने अपने बाल खुले रखे थे.. होंठों पर लिपस्टिक और हाथों में चूड़ा.. मैं बिल्कुल दुल्हन लग रही थी.. जैसे मेरी नई शादी हुई हो।
भाई- वाह.. ऋतु.. बहुत सुन्दर लग रही हो.. जैसे तुम मेरी बीवी हो.. उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और चूमने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- आप तो अभी से शुरू हो गए.. चलो अब डिनर करने चलते हैं और मैं तो अब आपकी ही हूँ.. आपने इतनी इज़्ज़त जो दी है। भाई ने अपनी बाइक निकाली और हम दोनों एक अच्छे से होटल में गए.. जहाँ हमको कोई नहीं जानता था।
होटल के गेट पर पहुँच कर भाई बाइक पार्क करने चले गए। वहाँ सब लोग मुझे ही देख रहे थे और गंदे-गंदे कमेन्ट पास कर रहे थे। इतनी देर में भाई आ गए और हम दोनों होटल में प्रविष्ट हो गए। मेरा हाथ भाई के हाथों में था और भाई का हाथ मेरी कमर पर था। मैं उनके साथ खुश थी।
तभी एक वेटर आया और बोला- हैलो मेम.. हैलो सर.. हमारे होटल में न्यू मैरिड जोड़ों के लिए सेंटर टेबल है.. खास आपके लिए..
मैं कुछ बोलती उससे पहले भाई मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी ओर खींच कर बोले- तुम ऐसी टेबल दो कि मेरी बीवी खुश हो जाए.. कभी मेरे से नाराज़ ना हो.. फिर वो हँस दिए और वेटर चला गया।
मैं- आपने उसके सामने मुझे अपनी बीवी क्यों कहा? भाई- मेरी जान आज तुम मेरी बीवी लग रही हो न.. फिर हमने खाना खाया और घर आ गए।
मैं- अब मैं सोने जा रही हूँ.. 11 बज गए हैं। भाई- आज तुम मेरे कमरे में सो जाओ.. हम दोनों बैठ के बातें करेंगे। मैं- नहीं.. मैं अपने कमरे में सोऊँगी। भाई- चलो छोड़ो.. आज हम दोनों ही मम्मी-पापा वाले बेडरूम में सोते हैं।
भाई ने मुझे पकड़ के उठा लिया और कपड़ों के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबा दिया और होंठों को चूमने लगे। मेरी साँसें तेज हो गईं.. मैं भी उनका साथ देने लगी।
उन्होंने मुझे बेडरूम में लेकर आईने के सामने खड़ा किया और अलमारी से एक मंगल सूत्र निकाला और मेरे गले में पहनाने लगे। मैं- ये क्यों? भाई- मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ.. अगर तुम्हें कोई एतराज ना हो तो..
मैं शर्मा गई और बोली- आप मुझे इस तरह बोल कर मेरा अपमान कर रहे हो। भाई- चलो तो ठीक है.. अब नहीं कहूँगा बाबा..
भाई ने मंगलसूत्र मेरे गले में डाल दिया और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया, मैंने उनके पैर छुए.., मुझे अपनी बाँहों में ले कर वो बिस्तर पर आ गए।
अब मैं एक दुल्हन की तरह बैठ गई लाइट ऑन थी.. तो मैंने कहा- आप इस लाइट को ऑफ कर दो.. मुझे शर्म आ रही है। तो भाई ने कहा- ऋतु डार्लिंग.. आज हमारी सुहागरात है.. लाइट तो ऑन ही रहेगी.. अब किस बात का शर्माना..
वो मेरे पास आ गए.. पहले बेइंतहा मुझे चूमा.. फिर मेरी साड़ी का पल्लू हटाया.. मैं लेट चुकी थी.. मेरी साँसें तेज हो चुकी थीं। हमें डर कुछ था नहीं.. क्योंकि घर पूरा खाली था।
दोस्तो.. मेरी कहानी एकदम सच के आधार पर लिखी हुई है, इसके विषय में आपके विचारों का स्वागत है। [email protected]
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