सगी बहन को फ़ेसबुक से पटा कर चूत चुदाई

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नमस्कार, लम्बी, छोटी, खुली, बन्द चूत, सभी को लन्ड नसीब हो! इसी दुआ के साथ कहनी शुरू करता हूँ!

हाँ तो मेरी बहन का नाम किरण है, उम्र है 26 साल… यह मेरी सबसे छोटी बहन है। मेरी प्यारी किरण बहुत ही सुंदर और कामुक हैम उसकी चूची बहुत बड़ी है, कमर एकदम पतली है, चूतड़ थोड़े बाहर निकले हुए हैं उसके, कद 5’4″ है। इश्क तो मुझे उससे बचपन में ही हो गया था।

मेरी उम्र 23 साल नाम विक्रम है (बदला हुआ) मैं अबोहर पंजाब का रहने वाला हूँ। मैं B.A.कर रहा हूँ और वो M.A. करके घर पर है। उसके पास स्मार्ट फोन है और फ़ेसबुक Facebook पर account है, यह मैं जानता था !

मेरी बहन का और मेरा कमरा अलग अलग है और वो मेरी अच्छी दोस्त भी है पर हमरे घर का माहौल ऐसा नहीं है कि हम ज्यादा फ्रेंक हो कर बात करें! मेरे घर में मेरी मॉम पापा, मेरे भाई भाभी हैं, मेरी भाभी भी बहुत सेक्सी है पर मुझ से ज़्यादा बात नहीं करती है। मेरी मम्मी और किरण दीदी एक कमरे सोते हैं, भैया भाभी एक में और मैं एक अलग कमरे में सोता हूँ। पापा का अपना अलग कमरा है।

मैं मेरे मोबाइल में रात में रोज़ सेक्सी कहानियाँ पढ़ता हूँ। एक रात को मैं बाथरूम में मुठ मार कर निकला था कि देखा किरण के कमरे का दरवाजा थोड़ा खुला था और वह कमरे के दरवाजे की तरफ़ सिर कर के लेटी हुई थी। मैंने धीरे से जाकर देखा तो वह फ़ेसबुक चला रही थी।

मैं वापस आ गया और सोचने लगा कि कुछ हो सकता है। अगले ही दिन मैं बाजार गया और एक नई सिम ले ली फ़िर मैंने उस नम्बर से एक फर्जी account बनाया और नाम दिया सुखप्रीत कौर, इसके बाद उसे फेसबुक पर रिक्वेस्ट भेज दी। मैं जानता था कि दीदी की एक सहेली थी इस नाम की जो चण्डीगढ़ में जाकर रहने लग गई थी पूरे परिवार के साथ।

खैर दीदी ने रात को उसकी रिक्वेस्ट accept कर ली। अब मैं सुखप्रीत उर्फ़ सुक्खी बनकर दीदी क साथ चैट करने लग गया। दीदी- अरे कैसी है तू? इतने साल हो गए कोई सम्पर्क नहीं किया? और आज मिली है। बता कैसी है? कहाँ है आजकल? शादी हो गई या नहीं? मैं (सुक्खी)- ठीक हूँ चंडीगढ़ में ही पड़ोस में ही प्रेम विवाह कर लिया है, भैया का दोस्त था। दीदी- फ़िर तो तेरी मौज है यार! सर्दी में गर्मी का मजा ले रही है। और घर पर सब कैसे हैं? मैं- सब ठीक है यार, बस चल रहा है ! और तूने शादी की या नहीं?

दीदी- अपनी ऐसी किस्मत कहाँ यार, अकेली ही हूँ ठंड में, घर से बाहर भी नहीं निकलती तो बॉयफ्रेंड से भी नहीं मिल सकती हूँ। मैं- इसका मतलब तू भी गरम रॉड का स्वाद ले चुकी है? दीदी- बिल्कुल… पर यार तेरी जैसी मौज नहीं है ! तू तो रोज़ लेती होगी? मैं सोच रहा था कि दीदी कितनी चालू है और लाईन पर भी आ रही है! फ़िर मैंने दिमाग लगाना शुरू कर दिया- कहाँ यार, तेरे जीजू आते ही टाँय टाँय फिश हो जाते हैं ! और मैं अपनी शादी से पहले के दिनों को याद करके उँगली से काम चलाती हूँ।

दीदी- हाय, तू शादी से पहले कितने मजे ले चुकी है? कोई बॉयफ्रेंड क्यूँ नहीं ढूँढ लेती? वहाँ तो मैंने सुना आम है? मैं- हाँ यार, तू सही है पर क्या करूँ, यह सुरक्षित भी तो नहीं है ना, तू तो जानती है कि कितने रिश्ते अवैध सम्बन्ध के कारण टूट जाते हैं! पर हाँ, कभी कभी मायके जाती हूँ तो बहुत मजे लेती हूँ, वहाँ तो स्वर्ग में ही पहुँच जाती हूँ ! दीदी- क्या यार, तू मायके में कैसे सुरक्षित रह जाती है? वहाँ ऐसा क्या है? मैं सोचते हुए कि अब आई न लाइन पर- वो तो मैं सब बता दूँगी पर तू बुरा मत मानना! अच्छा, ये आ गए हैं, कल बात करेंगे।

दीदी- ओके गुड नाइट!

अब मैं सोच रह था कल के लिए प्लान… मेरा आज का दाँव सही लगा था पर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। फ़िर मैं पूरी रात सोचता रहा कि आगे क्या हो सकता है!

और इसी तरह पूरा दिन भी निकल गया, इसी तरह दोपहर निकल गई, शाम को दीदी मुझे ज्याद ही उत्तेजित और कामुक लग रही थी, उसके बोबे ज्यादा बड़े लग रहे थे, उसने गुलाबी टॉप और नीली लेगी पहन रखी थी। उसका रंग एकदम सफेद है और उसके गाल लाल गुलाबी चमक रहे थे। उसके चूतड़ हिल हिल कर मेरा लन्ड खड़ा कर रहे थे! वो रसोई का काम कर रही थी।

दीदी कभी भी गहरा गला नहीं पहनती थी इसीलिए उसके बड़े बड़े चूचे मैं नहीं देख पाया था!

फ़िर हम सभी ने रात्रि भोजन किया और अपने अपने कमरे में चले गये! मैंने कई बार उसे नहाते समय देखने की कोशिश भी की थी, मैंने कहानियों में पढ़ा था पर कभी भी देखने मे सफल नहीं हुआ था, इस लिए मेरी किरण डार्लिंग का बदन मेरे लिए रहस्य ही रहा था !

खैर रात हुई और हम फ़िर से चैट करने लगे, मैंने दीदी को संदेश भेजा- हल्लौ ! दीदी- हय, मैं कब से इंतजार कर रही थी, पता है कितनी मुश्किल से मेरा दिन बीता! चल अपना फ़ोन नंबर दे! मेरी तो फट गई कि अब क्या करूँ- तू अपना नम्बर दे किरण, मेरे घर मे रोक टोक है तो मैं ही फोन कर लूँगी। तब तक चैट कर!

दीदी- ओके मेर नम्बर **** है। पर तू वो बता जो कल बता रही थी? मैं- कौन सी बात? दीदी- अरे यार तूने शादी से पहले कैसे मजे लूटे थे? मैं- वो रहने दे यार, तुझे विश्वास नहीं होगा, यहाँ का लाइफ स्टाइल अलग है। दीदी- ऐसा क्या है, बता न यार, मैं मर रही हूँ! मैं- जाने दे तुझ से नहीं होगा! तूने कभी कहानियाँ पढ़ी हैं नेट पर, अन्तर्वासना पर? दीदी- हाँ, अन्तर्वासना antarvasnax.com पर बहुत पढ़ती हूँ, जब भी मौका मिलता है!

मैं- मैं अपने भाई के साथ करती थी! दीदी- क्या बकवास कर रही है तू? ऐसा कभी नहीं हो सकता, गुरप्रीत भाई तो ऐसा कर ही नहीं सकते! मैं- सच में यार, तभी तो जब भी मौका मिलता है, हम करते हैं। आज भी तेरे जीजू से तो कुछ होता ही नहीं, और आजकल तो यार आम बात है, मेरी बात मान, तू भी ट्राई कर ले !

दीदी- नहीं यार, मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकती और विक्रम कभी नहीं मानेगा और अगर पकड़े गये तो कितनी बदनामी होगी! मैं- अरे यार, दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं है जो किसी चूत की बात ना माने! और पकड़े जाने का खतरा तो है ही नहीं… तू खुद सोच अगर तू बाहर जाये तो कितने खतरे हैं, अगर तेरा बॉयफ्रेंड तेरी वीडियो बना कर बलैकमेल करे तो? यहाँ तो ऐसा कोई खतरा भी नहीं! दीदी- हाँ यार, बात तो फ़तेह की है! पर मैं उसे कैसे पटा लूँ समझ नहीं आता !

मैं खुशी से पागल हो गया था कि आज तो काम बन गया पर जल्दबाजी नहीं करना चाहता था- अरे बहुत आसान है, मैं जैसे बताऊँ, वैसे कर! सबसे पहले बड़े गले के कुर्ते पहन और झुक कर अपनी चूचियाँ दिखा उसे! दीदी- नहीं यार, ऐसा हमारे घर में मुझे कोई पहनने ही नहीं देगा, मेरे पास तो ऐसा कोई सूट भी नहीं है। कुछ और तरीका बता ना?

मैं- चल अभी फैसला कर देते हैं, धीरे से जाकर अपने भाई को देख कि वो क्या कर रहा है, अगर वह कोई ब्लू पोर्न फिल्म देख रहा हो या कोई कहानी पढ़ रहा हो तो समझ ले तेरा आधा काम हो गया! दीदी- अभी देखती हूँ।

फ़िर मैंने जल्दी से मोबाइल मे एक पोर्न मूवी चला ली और दरवाजे की तरफ़ सिर करके देखने लग गया और दरवाजा भी थोड़ा सा खोल दिया। दीदी आई और कुछ देर तक खड़ी देखती रही, उसके जाते ही उसने मैसेज किया- हाँ यार, तू सही थी, वो तो पोर्न मूवी देख रहा है। मैं- तो तू समझ ले कि तेरा भाई ठर्की है, तेरा काम हो गया! अब एक काम कर, उसके कमरे में जाकर बोल कि ‘भाई मुझे नहाना है गीजर चला दे!’ दीदी- पर वो तो मैं खुद ही चला लूँगी! मैं- अरे डफर, तूने उसे बताना है, तभी तो वो देखेगा तुझे… और दरवाजे को थोड़ा खुला छोड़ देना! और हाँ अगर वो देखे तो उसकी तरफ़ मत देखना! दीदी- अभी ले!

फ़िर दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- भैया, मुझे नहाना है और गीजर नहीं चल रहा, देखना! मेरी तो किस्मत ही बन गई दोस्तो… बस फ़िर क्या था, मैं बाथरूम में गया, गीजर चला दिया और बाहर आ गया!

दीदी ने दरवाजा बन्द करने का नाटक किया और मैं अपने कमरे पर जाने लगा, फ़िर वापिस मुड़ आया और देखा दरवाजा थोड़ा सा खुला था। मैं देखने लगा पर अंदर से फट रही थी कि कहीं मम्मी पापा न निकल आयें… पर दीदी की चूत देखने के ख्याल से ही सारा डर निकल गया!

दीदी ने अपना टॉप और लेग्गी को उतारा, दीदी लाल ब्रा और पेंटी में थी! ऊम्म्म्माआह्ह… क्या माल लग रही थी यार… जैसे सारी कायनात ने मिलकर सारा हुस्न उसे ही दिया हो।

फ़िर उसने ब्रा भी निकाल दी पर पैंटी नहीं उतारी, शायद शर्म आ रही होगी। सी एफ़ एल की रोशनी में उसके दूधिया बदन चमक रहा था, ऐसे लग रही थी जैसे संगेमरमर की कोई मूर्त तराशी हो, दूधिया रंग में लाल पेंटी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी!

उसे पता था कि मैं देख रहा हूँ, उसके चेहरे पर उत्तेजना और शर्म की लाली थी… उस वक्त उसे देख कर बूढ़े का भी लन्ड खड़ा हो जाये, मैं तो जवान हूँ! मेरे बरमूडा में तम्बू बन गया था मेरा 6″ का लन्ड पुरजोर खड़ा था, गर्म था। उसके बदन के रोंगटे ठंड और उत्तेजक होने के कारण खड़े थे।

अब उसने नहाना शुरू किया तो मेरी हालत खराब हो गई थी, उसने मुझे अपने पूरे शरीर के खूब दर्शन करवाये थे पर चूत नहीं दिखाई थी। खैर मेरा मन तो वहीं उसे चोदने का कर रहा था पर जल्दबाजी नहीं कर सकता था और शायद मम्मी पापा भी नहीं सोए थे।

वो नहा कर बाहर आई तो मैं उसके सामने से निकल कर अपने कमरे में चला गया वो सीधे अपने कमरे में गई और मैसेज किया- सुन यार, वो मुझे देख रहा था, अब मैं क्या करूँ? मैं- अब जाकर देखना, वो मुठ मार रहा होगा तेरा नाम लेकर! फ़िर तू उसके पास जाकर बोलना कि यह क्या कर रहा है मेर नाम लेकर और तू मुझे नहाते क्यों देख रहा था?

फ़िर वो मेरे कमरे की तरफ़ आने लगी तो मैं उसका नाम लेकर मुठ मारने लगा, वो आई दरवाजे धीरे धीरे खोल कर देखा तो मैं उसका नाम लेकर मुठ मार रहा था, वो मेर लन्ड देख कर भाग गई। मैंने मुठ मार कर माल को कपड़े से पौंछा और मोबाइल सम्भाला, उसके मैसेज आये हुए थे। दीदी- हाँ यार, वो सच में मुठ मार रहा था! मैं कुछ नहीं बोली और शर्म से भाग आई। अब बता यार, क्या करूँ? सहन नहीं हो रहा है!

मैं खुश हो गया और सोचने लग गयाकि आज तो चुदाई हो ही जायेगी। मेरा भी हाल बुरा था, मैं भी मुठ मारने के बाद भी शांत नहीं हुआ था, मैंने मैसेज किया- तू डर मत, वो भी तो तुझे चोदने वाला है, तू तो किस्मत वाली है, आज तो तेरा काम हो जायेगा! तू उसके कमरे में धीरे से जाना और बोलना कि मुझे भी नींद नहीं आ रही है। बस तेरा काम हो जायेगा।

दीदी मेरे कमरे मे आई और बोली- भैया, मुझे भी नींद नहीं आ रही है, थोड़ी देर तेरे पास बैठ जाऊँ? मैं तो पहले ही तैयार था, बोला- आ जाओ, शर्म किस बात की दीदी? वैसे भी हम एक ही आग में जल रहे हैं तो नींद कैसे आयेगी? इतना सुनते ही वो चौंक गई, उसे मेरे ऐसा कहने की उम्मीद नहीं थी- क्क्या क्क क्या मतलब? मैं- तुम दरवाजे को बन्द करके आओ, बैठो, फ़िर बताता हूँ।

उसने दरवाजे को बन्द किया और मेरे पास आ गई, मैंने उसे अपनी रजाई में बैठा लिया पर वो डर रही थी- अब बोल, क्या बोल रहा था? मैं- कुछ नहीं दीदी, आप मुझसे कितना प्यार करती हो? वो चौंक गई- मतलब???? ‘मतलब मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ!’

वो कूछ नहीं बोली और नीचे देखने लगी।

मैं- किरण, मेरी डार्लिंग, कोई जाग तो नहीं रहा था? मम्मी या पापा? दीदी- न्न्न्न नहीं !! मैंने देखा नन नहीं! मैं- जानू, मैं देख कर आता हूँ, तब तक तुम आराम से बैठो।

फ़िर मैंने देखा कि मम्मी तो गहरी नींद में सो रही थी पर पापा जग रहे थे। मैं मेरे कमरे में वापिस आ गया!

दीदी- कोई जाग तो नहीं रहा था? मैंने कहा- पापा जाग रहे हैं शायद! पर मैंने तुम्हरी कमरे को बन्द कर दिया है। और कहते कहते मैंने अपने कमरे को भी बन्द कर दिया, तब तक वो मेरे बेड पर लेट गई थी, मैंने उसे बाँहों में भर लिया।

अचानक ऐसा करने से वो बोली- यह क्या कर रहे हो भाई? मैं तुम्हारी बहन हूँ, तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? मैंने कहा- मेरी जान, मैं सब जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो! तो वो हैरान हो गई।

मैंने फ़िर उसके माथे पर चुम्बन किया तो उसने आँखें बन्द कर ली। मैंने फ़िर उसे बताया- मैं ही तुम्हारी फ्रेण्ड सुक्खी हूँ! वो बुरी तरह चौंक गई, बोली- तुमने ये सब क्यों किया भाई?! ‘तुम्हें पाने के लिए मेरी जान, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ!’

उसने मेरी बाँहों से छुड़ाने का प्रयास नहीं किया और बोली- मैं भी! फ़िर मैंने उसके गुलाबी होंठ जो किसी गुलाब की पंखुड़ियों से लग रहे थे, उन पर अपने होंठ रख दिए, उसकी आँखें बँद हो गई, उसने भी मुझे अपनी बाँहों में कैद कर लिया!!

किरण जान ने कहा- भैया, लाइट बन्द कर दो! तो मैंने कहा- मुझे भाई ना कहो, भाई तो मैं सिर्फ़ दुनिया के लिए हूँ, अकेले में मुझे जानू बोलो! उसने कहा- जानू! मैंने कहा- जान, आज तो तुम्हारा रसपान करना है।

इसके बाद मैंने उसकी टॉप को उतार दिया, ब्रा उसने नहाने के बाद पहनी ही नहीं थी, उसके उरोज बिल्कुल सफेद चमक रहे थे ! मैंने उसके मुलायम पेट को चाटना शुरू किया, उसकी आह्ह निकल गई। मेरे हाथ उसके दोनों स्तनों को मसल रहे थे, वो कराह रही थी ‘आह्ह आह्हह आआह्हह उउउईईई ऊऊऊ ऊऊइइइ इइइइ जा आ आ आअ आआआआ न्न्न्न जान उउउ उउम्म्म्म्माआ आ आआअह…’ फ़िर मैंने उसके सफेद दूध चूसने पीने शुरू किये, उसके हाथ मेरे बालों से खेल रहे थे, आँखें बँद थी।

अब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया, फ़िर उसकी लेग्गी भी उतार दी, वो सिर्फ पेंटी मे थी और किसी अप्सरा जैसी लग रही थी। वो सीधी लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था, अब मेरा लन्ड उसकी चूत के ऊपर रगड़ खा रहा था, वो सिसकारियाँ भर रही थी, मेरे दोनों हाथ उसके दोनों चूचे दबा रहे थे, मेरा मुँह उसकी लंबी गौरी गरदन को चाट रहा था, वो ‘उउम्म उउम्म्म आआह्हह आउउच’ कर रही थी।

फ़िर मैं धीरे धीरे नीचे खिसका और उसके पूरे शरीर को चाटने लग गया, उसकी पैंटी बुरी तरह से भीग गई थी, वो उमम्म आआआह्हह उउह्ह्ह्ह इइह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह कर रही थी, मैं उसकी चूत की खुशबू से नशे में डूब रहा था। उसके बाद मैंने उसकी चिकनी टांगों को चाटना शुरू कर दिया, उसकी टांगों पर एक भी बाल नहीं था! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो बुरी तरह से तड़फ़ने लगी, मैंने उसके पैरों के सेक्सी अंगूठों को मुँह में डाल लिया और मेरे दोनों हाथ उसकी चिकनी टांगों पर चल रहे थे। फ़िर मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया, अब मुझे मेरी जान के स्वर्ग द्वार के दर्शन हुए। एकदम लाल चिकनी चूत ऊऊम्मा आआअह आआह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह…

फ़िर मैं उसको बेड के किनारे लाया और खुद नीचे बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा तो मेरी बहना ‘आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आहाह ऊओह्ह्ह उह्ह्ह्ज आआआह्हह…’ करने लगी थी। दस मिनट क बाद हम 69 पोजीशन में आ गए थे, अब वो मेरा लन्ड बड़े चाव के साथ चूस रही थी, अब उसके मुख से चप चप चुस्स अम्म ह्हह आह्ह्ह उम्म उमम्म उम्म…’ निकल रही थी, मैं भी उसको पागलों की तरह चूसे जा रहा था। फ़िर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सर रस पी गई!

मैं उसकी चूत को खाये जा रहा था, अब तक उसने भी अकड़ना शुरू कर दिया और बोली- जान, और ना तड़फ़ा आआह… आह्ह्ह्ह डाल्ल्ल दे अपना वो मेरे अन्दर! मेरी बहना ने मेरा लन्ड चूस चूस कर दोबारा खाड़ा कर दिया, फ़िर मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और उसके पैरों को उठा कर कंधों पर रख लिया और लन्ड के सुपारे को अंदर घुसा दिया।

क्या गर्म चूत थी… उमम्म आह्हह जान डालो… उम्म्माआ आआह्ह ह्ह्ह ऊओह्ह आह्ह्ह्ह… फ़िर मैंने पूरा लन्ड डाल दिया और दोनों हाथों से उसके मम्मे दबाने लगा। मेरी बहना की चूत खुली थी, खूब खाई खेली लग रही थी, खूब चुदी होगी अपने यारों से!

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ ही झड़ गये और मैं उसके ऊपर गिर गया। कुछ देर बाद हमने कपड़े पहने और धीरे से बाहर देखा, कोई नहीं था, वो अपने कमरे मे चली गई।

अब हम दोनों भाई बहन लगभग रोज़ ही चुदाई करते हैं !! इस प्रकार मेरी बहना मेरी जान मेरी हो गई !

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