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बरसात का मौसम था, काफी तेज बारिश हो रही थी। मैं अकेला रहता था और अकेलेपन से काफी उकता रहा था। इसलिए लास्ट शो देखने पास के थियेटर में एक अडल्ट मूवी देखने चला गया। फिल्म कुछ खास नहीं थी, ऊपर से तेज बारिश भी हो रही थी। मैंने बाल्कनी की टिकट निकाल ली। ऊपर पहुँचा तो हॉल में और कोई नहीं था, मैं अकेला ही था, मैं पहले रो में जाकर बैंठ गया।
फिल्म खास नहीं थी पर सेक्स से भरपूर थी। हर 15-20 मिनट में एक सेक्स सीन आ जाता था। बीच बीच में मैं नजरें घुमाकर देखता था कि क्या कोई और भी आया हैं मूवी देखने, पर कोई दिखा नहीं।
इंटरवल में जब लाईटस जल गई तब पीछे की सिट पर एक लड़की दिखाई दी। शायद अपने बॉयफ्रेंड के साथ फ़िल्म देखने आई होगी।
मैं खाने के लिये कुछ लाने उठा और बाहर की तरफ चलने लगा, जाते-जाते मैं उसकी तरफ देख रहा था। उसने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया। जब मैं पास पहुचा तो उसने पाँच सौ का नोट मेरी तरफ करते हुये हाथ से खाने के लिये कुछ लाने का इशारा किया।
मेरा अंदाजा गलत निकला था, वो लड़की अकेली ही मूवी देखने आई थी। क्या लाऊँ? मैंने पूछा। ‘कुछ भी…’ उसने फिर इशारे में समझाया। ‘फिर भी बता दो?’ उसने इशारे से समझाया कि वो बोल नहीं सकती।
‘ओह! यहाँ तो सँडविच और समोसे मिलते हैं।’ ‘कुछ भी लाओ!’ उसने फिर से इशारे से कहा।
मैं बाहर जाकर उसके लिये सँडविच और खुद के लिये पॉपकार्न ले आया। उसके पास जाकर मैंने उसे सँडविच दिया और साथ ही उसका पाँच सौ का नोट भी लौटाया।
‘क्यों? पैसा क्यों रिटर्न किया?’ उसने फिर इशारे से पूछा। ‘छुट्टा नहीं था।’ ‘बैठो!’ उसने बगल वाली सीट पर हाथ मारते हुए कहा। मैं हल्की सी मुस्कान के साथ उसके बगल वाली सिट पर बैठ गया।
सँडविच का आधा हिस्सा तोड़ कर उसने मुझे खाने के लिये दिया। मैंने भी पॉपकार्न को उसकी तरफ किया।
मूवी फिर से शुरु हो गई थी, कुछ ही मिनटों में स्क्रीन पर एक बढ़िया सेक्स सीन शुरु हो गया। बगल में खूबसूरत मार्डन लड़की बैठी हो, परदे पर गजब का सेक्स सीन चल रहा हो तो, आप ही समझ सकते हो कि मन की हालत क्या हुई होगी। लंड महाराज पैंट मे तनकर खड़े हो गये, उसे संभालने के चक्कर में मेरा हाथ लड़की के बूब्स से टच हो गया।
‘सॉरी…’ मैंने माफी मांगी। वो ‘इट्स ओके’ तो बोल नहीं सकती थी, बस हंस दी। उसका सँडविच खत्म हो गया था, मैंने उसे पॉपकार्न ऑफर किया। ‘तुम अकेली कैसे आई मूवी देखने? मैंने यों ही बातें करने के लिए सवाल किया।
‘मैं अकेली ही रहती हूँ।’ उसने इशारे में समझाया। ‘क्या तुम्हें पता नहीं था कि यह मूवी अॅडल्ट है?’ उसने हंसकर हाँ में सर हिलाया। ‘पहले भी देख चुकी हो?’ ‘मोबाईल पर…’ उसने मोबाईल दिखाते हुये इशारा किया।
मैंने पॉपकार्न अपनी जांघों पर रखा था, खड़े लन्ड को पैंट में थोड़ा सेट करने के लिये मैंने उसे बगल वाली खाली सीट पर रख दिया। पर लड़की को इस बात का पता नहीं था। उसने पॉपकार्न के लिये जो हाथ बढ़ाया, वो सीधा मेरे तने लंड पर आ गया, वो कुछ देर हाथ यहाँ वहाँ घुमाकर पॉपकार्न ढूंढने लगी जिससे लंड फड़फड़ाया।
जैसे ही लंड फड़फड़ाया, उसने अपने हाथ की तरफ देखा और शर्म से एक हाथ अपने मुँह पर रखा। मैं हंसा तो वो भी हंसने लगी। मैंने पॉपकार्न उसको दिया तो उसने हसकर पॉपकार्न के डिब्बे को थप्पड़ मारा, मानो यह कह रही हो कि तुम्हारी वजह से मैं शर्मिंदा हुई हूँ। उसकी इस हरकत से मैं भी हंस पड़ा।
तब तक परदे पर फिर से सेक्स सीन शुरु हो चुका था। ‘कभी किया है?’ मैंने सीधे सीधे पूछ लिया। उसने ना में गर्दन हिला दी। ‘करोगी?’ मैंने हंसकर पूछा।
उसने बदले में मेरे कंधे पर हंस कर चमाट मारी। मैंने उसके उसी हाथ को पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा। ऐसा करने से उसका चेहरा बिल्कुल मेरे चेहरे पर आ गया था। कुछ पल हम दोनों बस एक दूसरे की तरफ देखते रहे। फिर मैंने ही आगे बढ़कर उसके होठों के ऊपर अपने होंठ रख दिये।
परदे पर जैसे जैसे सीन चल रहा था, वैसे वैसे हम और जोर से किसिंग करने लगे। मैंने एक हाथ से उसके बूब्स मसलते हुये दुसरा हाथ कमर पर फेरते हुए चूत पर ले जाना चाहा, पर उसने रोक दिया। ‘क्या हुआ?’ मैंने नाराज होकर पूछा। उसने ना में गर्दन हिला दी।
‘मेरे घर पर चलोगी? पास में ही है।’ जवाब में वो मुझसे लिपट गई। फिल्म खत्म होने तक मैं उसको किस करता रहा, उसके चूचे सहलाता रहा।
जब फिल्म खत्म हुई हम दोनों मेरे रुम पर आ गये। मैंने दरवाजा बंद करके उसको बाहों में ले लिया पर उसने मुझे दूर कर दिया। अब क्या हुआ? मैंने हैरानी से पूछा।
‘कुछ नहीं…’ में उसने हंस कर गर्दन हिला दी और अपने गले में पड़ा स्कार्फ़ निकाल कर मेरी आँखों पर बांध दिया। ‘ओहो! गेम खेल रही हो?’
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर ले गई। कुछ देर कुछ भी हरकत नहीं हुई, फिर अचानक से उसके होठों को मैंने अपने होठों पर महसूस किया। वो धीरे धीरे मेरे कपड़े उतारते हुए मुझे किस कर रही थी। मैंने भी हाथ बढ़ाकर फिर उसकी चूत को छूना चाहा पर उसने फिर मुझे रोका।
अचानक सब कुछ रुक गया। ‘क्या हुआ?’ देखने के लिये मैंने आँखों से पट्टी निकाली।
जैसे ही मैंने पट्टी निकाली, वो कमर पर हाथ रख इशारे से पूछने लगी कि मैंने पट्टी क्यों निकाली? फिर उसने यहाँ वहाँ देखकर मेरी 3-4 पैंटस् इकठ्ठा कर ली। ‘क्या कर रही हो?’ मैंने हैरानी से पूछा। उसने अपने होठों पर ऊँगली रख मुझे चुप रहने का इशारा किया।
जमा की गई पैंटों से उसने मेरे हाथ बेड के पास वाली खिड़की से बाँध दिये। साथ ही पैरों को भी बेड के पैरों से बाँध दिया। फिर दुबारा मेरी आँखों पर पट्टी बांध दी।
एक आध बार दिल में ख्याल भी आया कि कहीं यह लुटेरी तो नहीं? पर मैंने हौंसला रखा।
उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिये। अब वो मुझे किस करने लगी, मैं भी उसका सहयोग देने लगा। उसने धीरे धीरे मेरे बदन को चूमना शुरु किया, चेहरा, गला, सीना, पेट, करते हुये वो लंड तक पहुँच गई। जैसे ही उसके होंठ लंड को छुये, मेरे तन बदन में सनसनी दौड़ गई। वो अपनी नाजुक जुबान से सुपाड़े को चाटने लगी।
मैं कमर उछालने लगा। उसने धीरे से चाटते चाटते सुपारे को मुँह में ले लिया, कुछ देर वो सिर्फ सुपारे को चूसती हुई मुँह में अंदर बाहर करने लगी। ‘तुम बहुत अच्छी हो।’ मैंने मस्ती में कहा।
उसने फिर लंड को जड़ तक अंदर लेकर चूसना शुरु किया। ‘हाय… काश, मैं बंधा ना होता!’ मैं फिर बड़बड़ाया।
कुछ देर लंड चूसने के बाद वो उठी और मेरे उपर आकर बैठ गई। ऐसा लगा कि वो भी नंगी हो चुकी थी, कुछ देर बाद मेरे लंड पर उसका हाथ आया, अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ती हुई वो उस पर बैठ गई।
मुझे ऐसा लगा कि उसने मेरा लंड चूत की बजाय गांड में ले लिया था। क्योंकि लंड पर चूत वाला चिपचिपापन महसूस नहीं हो रहा था। मुझे तो चुदाई से मतलब था, वो मुझसे चूत चुदाये या गांड चुदाये, मुझे क्या फर्क पड़ने वाला था।
आहिस्ते आहिस्ते वो ऊपर नीचे बैठने लगी। हर उठक-बैठक के साथ मेरा लंड छेद में अंदर बाहर हो रहा था। मेरे मुँह से मस्ती की सिसकारियाँ निकलने लगी। इन्हीं सिसकारियों के बीच मैं उसकी गाण्ड के छेद में झड़ गया।
‘हाय.. मेरी रानी, बहुत मजा आया तुम्हारे साथ! काश यही मजा खुली आँखों से लिया होता तो?’ मैं खुशी के मारे बोल पड़ा। मेरे ऐसा बोलते ही उसने मेरे आँखों की पट्टी निकाल दी। मेरी नजरें उसके चेहरे पर पड़ी, वो मेरी तरफ देख कर हंस रही थी।
‘वाव! क्या बूब्स हैं तुम्हारे! इनके साथ खेलने का मौका तो मिला ही नहीं।’ ‘ओ माय गॉड!’ जैसे ही मेरी नजर उसकी कमर पर पड़ी, मैं चिल्लाया।
उसकी जाँघों के बीच चूत की जगह लंड था, जी हाँ लंड! ‘तुम लड़की नहीं हो?’ मैंने डर कर उसको पूछा। उसने ना में गर्दन हिलाते हुए स्माईल दी।
‘तुमने मेरे साथ चीटिंग की है।’ ‘कोई चीटिंग नहीं की।’ पहली बार उसके मुँह से आवाज निकली थी। जनाना बदन वाली के मुख से निकली मर्दाना आवाज। मैं सर से पांव तक काँप गया।
‘देखो, तुम मेरी गांड मत मारना, तुम्हें कसम हैं तुम्हारे माँ बाप, भगवान, गुरु जिसको भी तुम मानती हो, आय मीन मानते हो, नहीं मानती हो…’
मेरी हड़बड़ाहट पर वो जोर जोर से हंसने लगी, हंसते हंसते वो मेरे ऊपर लेट गई। मैंने अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया पर उसने फिर अपने हाथ से मेरा चेहरा अपनी तरफ करते हुये पूछा- यह बताओ कि आँखें खोलने तक और मैं लड़की नहीं हूँ यह पता चलने तक तो तुम मजे ले रहे थे ना? फिर अब ऐसा क्या हुआ? मेरे इसी बदन से खेलते हुये तुम झड़ भी चुके हो?
मैं कुछ नहीं बोला। ‘अच्छा सुनो, तुम जानते हो तुम बंधे पड़े थे, आँखें बंद थी, मैं चाहती तो जबरदस्ती तुम्हें अपने इसी लंड से चोद देती। पर मैंने ऐसा नहीं किया, सिर्फ तुम से खुद चुदी।’
उसकी इस बात से मैं भी थोड़ा नार्मल हो गया। उसकी बात सही थी, वो चाहती तो मेरा फायदा उठा सकती थी पर उसने ऐसा किया नहीं। कुछ देर हम दोनों भी खामोश रहे, फिर उसने खुद से बात शुरु की- तुम अभी भी मुझ पर गुस्सा हो? उसने पूछा। ‘नहीं…’ मैंने कहा।
उसने मेरा जवाब सुनकर मुझे किस कर लिया। अब चूंकि मुझे यह पता चल गया था कि वो लड़की नहीं है, उसके चुम्बन का मेरे ऊपर कुछ असर नहीं हुआ। मैं खामोश बंधे हाथ पैरों के बिस्तर पर पड़ा रहा।
वो धीरे धीरे फिर से मुझे सहलाने लगी, उसके किस पहले से ज्यादा हॉट हो गये थे। उसकी इस हरकत से मैं फिर कामातुर हो गया था। उसकी गांड में पड़ा मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, कुछ पलों में मैं मजे से कमर उचकाने लगा। वो समझ गई कि मैं उसके साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो गया हूँ।
उसने उठकर मेरे बंधे हाथ और पैर खोल दिये, मैंने भी मुक्त होते ही उसे अपनी बाहों में लेकर नीचे लिटा दिया, फिर उसके पैर फैलाकर लंड को उसकी गांड में घुसेड़ दिया। कुछ देर लंड को बिना हिलाये मैंने उसकी चूचियाँ चूसी, फिर एक हाथ उसकी गांड पर रखा, दूसरे हाथ से घोड़े की लगाम की तरह उसका लंड पकड़ा और दे दनादन शॉट लगाना शुरु किया।
चंद धक्कों के बाद मैंने उसके लंड को हिलाते हुये शॉटस् मारना शुरु किया। ऐसे ही धक्के देते देते मैं फिर एक बार उसकी गांड में झड़ चुका था, साथ ही वो भी लंड हिलाये जाने से झड़ गई थी। हम थके हारे एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे।
उस रात हम सुबह होने तक चुदाई का लुत्फ़ उठाते रहे।
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