This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
अन्तर्वासना के पाठकों को आपकी प्यारी नेहारानी का प्यार और नमस्कार। अब तक आपने पढ़ा..
नायर ने बिस्तर के नीचे उतर कर मुझे बिस्तर के किनारे खींच लिया और पलट दिया। अब वो मेरी बुर में पीछे से लण्ड घुसाकर बुर चोदने लगा। मेरी बुर एक आखिरी शॉट पर ही ‘फलफला’ उठी और मैं चादर भींच कर नायर के शॉट पर चूत दबाते हुए उसके लण्ड पर झड़ने लगी ‘आहसीईई.. आहह्ह्ह.. मैं गई..’
पर नायर भी मेरी झड़ी हुई चूत की चुदाई काफी देर तक करता रहा। फिर एक दौर ऐसा आया.. जब नायर मेरी पीठ से सट कर मेरी चूत में झड़ने लगा। ‘ले नेहा.. साली छिनार.. आहह्ह्ह.. मैंने भी तेरी चूत में अपना बीज डाल दिया.. आह्ह..’ वो ये कहकर हाँफने लगा।
अब आगे..
नायर मेरी धकापेल चुदाई करके और मेरी बुर को वीर्य से भर दिया। अब वो निढाल होकर मेरी बगल में लेट गया और मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- जानेमन वाकयी आप एक गरम और जबरदस्त चुदक्कड़ माल हो.. अगर आप इजाजत दें तो आप की करारी गदराई गांड को भी चोद लूँ.. एक बार फिर आप के हुस्न के नशे को जज्ब करना चाहता हूँ।
‘अभी नहीं.. क्योंकि वैसे ही आपने मेरी चूत चोदकर मुझे पस्त कर दिया.. और अन्दर जेठ भी हैं… अगर उन्होंने हमें एक साथ देख लिया.. तो मेरे घर पर आपकी यह आखरी रात साबित होगी.. और फिर आप मेरे हुस्न के दीदार के लिए तरसते रह जाओगे।’ मैंने बिस्तर से उठकर नायर को जबरदस्ती कमरे से निकाल कर नायर को चेतावनी दे दी.. कि अगर हर रात और दिन मुझे भोगना है.. तो अब मेरे कमरे में मत आना और जब मैं इशारा दिया करूँ.. तभी मेरे करीब आना और जाकर अब सो जाओ।
यह कहते हुए मैं अन्दर से दरवाजा बंद करके साँसों को नियंत्रित करने लगी। मैंने नायर को जानबूझ कर यह कही थी.. क्योंकि अभी मुझे जेठ के पास जाना था और अगर नायर से ऐसा ना कहती तो हो सकता था कि वह फिर कमरे में आ जाता और मुझे ना पाकर खोजता और मैं जेठ से चुदते पकड़ी जाती..
मैं कुछ देर आराम करने के बाद कमरे से निकली और नायर के करीब जाकर देखा.. नायर जाग रहा था। मुझे देख कर बोला- क्या जान.. चूत फिर चुदने को फड़क रही है क्या? मैं हड़बड़ा उठी.. पर बात बना कर बोली- मैं यह देखने आई थी कि कुछ चाहिए तो नहीं.. और इधर की लाईट भी जल रही थी। यह कहते हुए मैं स्विच ऑफ करके ‘गुडनाइट’ कहकर अपने कमरे की तरफ चल दी.. पर कुछ आगे जाकर जेठ की तरफ घूम गई।
मैं यह सब जान कर कि नायर को भ्रमित करने को कर रही थी। मैं जेठ के सामने वाले दरवाजे से न जाकर मैं गलियारे की तरफ बढ़ गई.. क्योंकि जेठ वाले कमरे में दो दरवाजे लगे थे। एक सामने से.. दूसरा गलियारे की तरफ से खुलता था.. जो बाहर से ही बंद था। जिसे मैं आसानी से खोल कर बिना आहट अन्दर जा सकती थी। यही मैंने किया भी.. मैं अन्दर पहुँच कर दरवाजा बंद करके बिस्तर की तरफ बढ़ गई। मैंने अंधेरे में टटोल कर देखा तो जेठ बिलकुल नंगे लेटे थे और शायद सो भी गए थे क्योंकि मेरे छूने से कोई हरकत नहीं हुई। मैं सीधे उनके मुरझाए लण्ड को मुँह में भर कर चूसने लगी।
मेरे ऐसा करने से जेठ जी उठ गए.. और मेरे सर पर हाथ रखकर मेरा सर अपने लण्ड पर दबाते हुए बोले- आ गई नेहा.. आह.. मेरी जान.. मैं तो तुम्हारी इसी अदा का तो गुलाम हूँ.. तुम किसी एक के लिए नहीं हो.. तुम्हारी चूत और हुस्न केवल मेरे छोटे भाई के लिए ही नहीं बना है.. यह मेरे जैसे हुस्न के जौहरियों के लिए भी है.. इसे लोग जितना भोगेंगे.. उतना ही निखरेगी..
मैं उनका लण्ड चूसते हुए जेठ की बात सुन रही थी, मैं सुपारे को खींचकर चूसते हुए लण्ड मुँह से निकाल कर बोली- आप तो नाहक ही मेरी तारीफ कर रहे हैं.. क्या मैं सच में इतनी मस्त हूँ? ‘यस मेरी जान.. तुम्हारी हर एक अदा जान मारने के लिए काफी है.. ‘ओह.. तो देखिए.. अब मेरी हॉट अदा..’ और मैं खड़ी होकर जेठ के मुँह को खींच कर अपनी चूत पर लगाकर फांकों को फैलाकर बोली- लो.. इसे चाटो.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरा इतना कहना और करना जेठ के लिए जैसे खजाना खुलना जैसा हो गया और वो मेरी चूत को चूसने-चाटने लगे। जेठ जी मेरी बुर को पूरी तरह से मुँह में भरकर चूस रहे थे। कुछ देर चूसने के बाद मेरी बुर के ऊपर से चूमते हुए मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी चूचियों के निप्पलों को चाटते हुए मेरे होंठों को मुँह में लेकर अपने जीभ को मेरी मुँह में भर दिए। मुझे जेठ के मुँह का स्वाद कुछ कसैला सा लगा।
‘यह कैसा स्वाद है?’ मेरे ध्यान में आते ही मेरे दिल कि धडकन बढ़ गई.. कहीं जेठ भी इस स्वाद को समझ ना चुके हों.. और समझ गए हों.. अभी वे पूछेंगे तो मैं क्या कहूँगी? तभी उन्होंने मेरा किस करना छोड़ दिया.. और बोले- नेहा क्या हुआ.. कहाँ खोई हो? ‘कहीं नहीं..’ मैं कहते हुए जेठ के होंठ को किस करने के लिए आगे हुई.. तभी जेठ जी बोल उठे- कैसा स्वाद है मेरे होंठों का.. और मुँह का.? मैं उनके ये पूछते ही सन्न रह गई.. क्या कहूँ..? ‘अच्छा है.. जैसा सेक्स में होता है..’ मैं यह एक ही सांस में बोल उठी।
पर शायद जेठ जी संतुष्ट नहीं हुए.. जेठ जी बोले- मैं बताऊँ.. यह मर्द के वीर्य का स्वाद है.. सही कहा ना मैंने? ‘नहीं.. ऐसा तो नहीं है.. आपका शक गलत है.. कौन चोदेगा मुझे? ‘शायद नायर ने चोद दिया हो?’ ‘यह आप क्या कह रहे? मैं थोड़ा गुस्से में बोल उठी।
‘ऐसा कुछ नहीं है.. मैं जाती हूँ यहाँ से..’ ये कहकर मैं छूटने की कोशिश करने लगी। ‘कहाँ जाओगी मेरी जान.. क्या फिर नायर से चुदने का मन है क्या?’ मैं बस चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
तभी जेठ ने कहा- मैंने सब देख लिया है जब नायर तेरी बुर चोद रहा था.. नेहा यह ठीक नहीं कि घर की इज्जत बाहर वाले के हवाले कर दी जाए। वह क्या सोचता होगा हम लोगों के विषय में?
तभी मुझे बोलने का मौका मिल गया- सही कह रहे हैं आप.. कल रात मैं आई और बिस्तर पर गई आपसे चुदने.. और चोद नायर ने दिया.. मुझे जानकारी सुबह हुई जब आपने पूछा कि रात क्यों नहीं आई तो मेरे होश ही उड़ गए कि फिर रात में कौन ने मेरी बुर की चुदाई की.. पर मैंने आपसे यह बात छिपा ली लेकिन नायर यह जान चुका था कि मैं आपसे चुदती हूँ और वह मुझे बोला कि नेहा मैं आपके राज को राज रख सकता हूँ.. अगर तुम चाहो.. मैं उससे बोली कैसे तो नायर ने बोला कि जब मैं चाहूँ तुमको मेरे लण्ड के नीचे आना पड़ेगा.. नहीं तो मैं आप के पति से सब बता दूँगा.. मैं पहले तो डिसाईड नहीं कर पाई.. लेकिन वह अभी कुछ देर पहले मेरे कमरे में आकर पूछने लगा कि क्या सोचा है.. तो मैं कुछ नहीं बोली.. तो नायर को लगा कि मैं उसके लण्ड के नीचे चूत देने को तैयार हूँ..फिर नायर ने मेरी चुदाई की.. जिसमें ना चाहते हुए मैं भी साथ दे रही थी। अब आप ही बताओ अगर नायर से नहीं चुदती तो क्या होगा.. आपको पता ही है.. आपको यहाँ से जाना होगा सो अलग.. और अपने भाई से ऑख नहीं मिला पाते इसी लिए मैंने चूत देकर नायर का मुँह बंद कर दिया। अगर गलत है तो अब नहीं जाऊँगी।
मैंने जानबूझ कर बात को बढ़ाकर बताया ताकि मेरे और नायर के सेक्स सम्बन्ध को जानकर जेठ नायर को घर से निकाल देते। मैं जेठ की निगाह में मैं गिरना नहीं चाहती थी।
मेरी बातों का जेठ पर गहरा प्रभाव पड़ा, वे बोले- सॉरी नेहा.. मैं गलत समझा तुमको.. तुम्हारा कोई दोष नहीं है.. तुमको मैंने ही नायर के रहते बुलाया था जो कि नहीं बुलाना चाहिए था। तुम तो आई थी मुझे अपने बुर का सुख देने.. पर नायर ने तुम्हें चोदकर सुख ले लिया और मेरी तुम्हारी चुदाई की पोल भी जान गया।
मैं बोली- लेकिन आप यह बात नायर से मत करना कि तुमको भी जानकारी है, आप अनजान बने रहना.. ‘ओके मेरी डार्लिंग…’ और फिर मैं एक बार जेठ के आगोश में थी। जेठ मेरी योनि को कुचलकर अपनी वासना को शान्त करना चाहते थे। मैं भी एक बार फिर गरम हो कर पनियाई चूत को जेठ के लौड़े से रौंदवाने के लिए जेठ से लिपट कर अपनी छाती को जेठ के मुँह में देकर और हाथ से लण्ड को सहलाते हुए बोली- मैं आपकी हूँ.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चाहे इसके लिए कितने भी नायरों से क्यों ना चूत चुदानी पड़े।
तभी जेठ ने भी मेरी छाती की घुंडी को जोर से मसक दिया और मैं सीतकार उठी- आहह्ह्ह्… आहसीईई.. मैं भी खड़े-खड़े ही जेठ के लण्ड को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर चूत पर रगड़ते हुए फनफनाते लौड़े का आनन्द ले रही थी।
जेठ जी मेरी चूचियाँ और चूतड़ों को दबा सहला रहे थे, वे बोले- नायर से चूत चुदाने पर कैसा लगा?
मैं उनको सब बताना चाहती हूँ.. पर आप बताओ कि क्या करूँ?
कहानी जारी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000