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हैलो दोस्तो.. मेरा नाम राहुल है। मैं उदयपुर (राजस्थान) में रहता हूँ। मेरी उम्र 21 साल है.. कद 5’10” है और मेरा रंग गोरा है। मुझे अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ना बहुत पसंद है। इस साइट बनाने वाला का शुक्रिया। मैं अन्तर्वासना की लगभग सभी कहानियाँ पढ़ता हूँ।
आज मैं आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची घटना रखने जा रहा हूँ, यह बात आज से 2 साल पुरानी है जब मेरे घर पर नए किराएदार का परिवार रहने के लिए आया था।
वे गुजराती थे। पहले कुछ दिन तक अंकल अकेले रहते थे.. अंकल शादी-शुदा थे और उनके 2 बच्चे भी थे। एक लड़का और एक लड़की थे। लड़के का नाम दीपक जोकि 5 साल का है। लड़की का नाम रानी था जोकि 7 साल की थी। वो अपने पूरे परिवार के साथ मेरे घर रहने के लिए आ गए।
उस दिन उनका पूरा परिवार सुबह 11 बजे तक आ गया होगा। मैं उस वक्त अपने कॉलेज गया था। शाम को जब मैं अपना घर पहुँचा.. तो दो बहुत सुंदर बच्चे मेरे घर के बगीचे में खेल रहे थे। मैं उनके पास गया और उन बच्चों को हैलो बोला और उनसे उनका नाम पूछा.. पर वो शर्म के कारण कुछ ना बोले।
फिर मैंने उनसे उनके नाम पूछे.. तभी मेरे पीछे से आवाज़ आई- दीपक और रानी.. वो आवाज़ इतनी मधुर थी मानो जैसे कोयल की आवाज़ हो।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा.. तो मानो जैसे मेरे पीछे कोई अप्सरा खड़ी हो.. उसने लाल रंग का सलवार-कुरता पहन रखा था। एकदम गोरी-चिट्टी.. उसे देख कर लग रहा था साली पानी भी पीती होगी तो आर-पार दिखता होगा। उसकी चुस्त कुरती में दबे उसके मम्मे.. आह्ह.. वो क्या माल थे.. मैं उसको पूरे ध्यान से देख रहा था।
उसका साइज़ 34-32-36 का रहा होगा और उसकी उम्र 25 साल लग रही थी। मैं अपने मन में सोच रहा था कि क्या हरा-भरा माल है.. उसको देख कर मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया.. मानो जैसे भोसड़ी का अभी पैन्ट फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
फिर उसने पूछा- आप कौन? मैंने अपने आपको सम्भाला और कहा- मैं राहुल.. यह घर मेरा है.. आप कौन हो? तो उसने कहा- मेरा नाम शालिनी है.. मैं मनीष जी की पत्नी हूँ.. ये मेरे बच्चे दीपक और रानी हैं।
मैं सोच में पड़ गया कि इसके दो बच्चे.. उसे देख कर लग रहा था कि इस मस्त परी के इतने बड़े बच्चे..!
मैं वहाँ से अपने कमरे में आ गया और कमरे में आ कर आंटी के बारे में सोचने लगा कि इस माल को कैसे चोदूँ, इस माल का एक-एक हिस्से को अपने मुँह से कैसे चूमूँ.. और यह सोचते-सोचते रात हो गई। रात को मैंने उनके नाम की 2 बार मुठ्ठ मारी और सो गया।
अगले दिन मैं कॉलेज नहीं गया। सुबह 11 बजे उठा.. और नहा कर तैयार हो गया। खाना खा कर मैं अपने गार्डन में जा कर बैठ गया। कुछ देर बाद आंटी वहाँ आई.. और मैंने उन्हें ‘हैलो’ कहा। हम बातें करने लगे और ये बातों का सिलसिला रोज चलने लगा।
उनके दोनों बच्चों का दाखिला एक निजी स्कूल में हो गया। इस बीच हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी। यह सब करते-करते 3 महीने गुजर गए.. इस बीच हमने बहुत बातें की.. पर उनको कैसे बोलूँ कि आप जैसी अप्सरा को चोदना है।
दिन गुजरते गए.. फिर एक दिन मेरे मेरे घर वालों को किसी काम से 3 दिन के लिए बाहर जाना पड़ रहा था.. तो मेरी माँ ने हमारे किराएदार को बोल दिया कि हम लोग तीन दिन के लिए बाहर जा रहे हैं तो आप राहुल के लिए खाना बना देना। आप हमारे रसोईघर में जाकर बना देना।
मेरे घर वाले चले गए। अब मैं रात में सोच-सोच कर पागल हो गया कि कल आंटी को चोदने का अच्छा मौका है। पूरी रात तरीका खोजने में और उनकी नाम की मुठ्ठ मारने में हो गई। कब मुझे नींद आ गई.. पता ही नहीं चला। सुबह 9 बजे मेरे घर की घंटी बजी.. मैंने दरवाजा खोला.. सामने काले रंग की नाईटी में आंटी खड़ी थी।
मैंने बोला- आंटी अन्दर आ जाओ। वो अन्दर आ कर बोली- अभी तक नींद निकाल रहे हो। मैंने कहा- रात को लेट सोया था। आंटी बोली- क्यों? मैंने कहा- पढ़ाई कर रहा था। आंटी- अच्छा पढ़ाई कर रहा था कि किसी लड़की से बात? मैंने कहा- कौन लड़की? आंटी ने कहा- तेरी गर्लफ्रेंड.. मैंने कहा- अरे आप भी ना..
वो हँसने लगी..
मैंने पूछा- अंकल और बच्चे चले गए? आंटी- हाँ गए.. अब वो शाम को ही लौटेंगे.. चल अब तो नहा ले.. मैं तेरे लिए चाय-नाश्ता बना देती हूँ।
मैं नहाने चला गया और नहा कर देखा कि मैं तौलिया और चड्डी लाना तो भूल ही गया था। मैंने सोचा कि यही सही वक्त है.. मैंने आंटी को आवाज़ दी- आंटी.. मेरे कमरे से मुझे तौलिया और चड्डी लाकर दे दो.. मैं ग़लती से लाना भूल गया हूँ। आंटी ने बोला- रुक.. मैं लाती हूँ..
कुछ देर बाद आंटी ने बाथरूम का दरवाजा बजाया.. मैंने दरवाजा पूरा खोल दिया और उस समये मैं ‘वी’ आकार वाली चड्डी में खड़ा था और मेरा लंड उस चड्डी में खड़ा हुआ था।
आंटी की नज़र मेरी चड्डी की तरफ़ ही थी। आंटी मेरी चड्डी को एकटक देख रही थीं और थोड़ी देर बाद आंटी वहाँ से हँसते हुए चली गईं और मैं कपड़े बदल कर रसोई में चला गया।
मैंने आंटी से पूछा- आप को हँसी क्यों आ गई थी। आंटी- बस यूँ ही.. ‘नहीं.. मुझे बताओ.. मुझे कितना गलत लगा।’ आंटी- सॉरी.. मैंने कहा- सॉरी कहने से काम थोड़ी चलता है। आंटी- तो क्या करूँ? मैंने कहा- अब आपको सज़ा मिलेगी। आंटी- अच्छा ठीक है.. जो भी सज़ा देना चाहो.. दे देना.. पर पहले नाश्ता तो कर ले।
मैं नाश्ते का लिए बैठ गया, हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया, फिर मैं अपने कमरे में आ गया और आंटी भी साथ आ गई।
अन्दर आकर बोली- अब बोल.. क्या सज़ा देना चाहता है। मैंने कहा- आप किसी को बोलना मत.. उन्होंने कहा- ठीक है.. मैं नहीं बोलूँगी। मैंने कहा- आप अपनी आँखें बंद कर लो।
उन्होंने अपनी आँखें बंद की.. और मैंने बड़ी हिम्मत के साथ उनके गाल पर एक चुम्बन किया.. उन्होंने अपनी आँखें एकदम से खोलीं.. मेरी गाण्ड फट गई कि अब ये मुझे बहुत डांटेगी.. पर उसने तो कहा- हो गई तुम्हारी ‘पूरी’ सज़ा? मैंने कहा- नहीं.. अभी बाकी है।
उन्होंने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली। अब मैं आंटी के कोमल होंठों पर चूमने लगा और आंटी भी मेरा साथ देने लगी। हम एक-दूसरे को पागलों के जैसे चुंबन कर रहे थे। एक हाथ मेरा उनके मम्मों पर था.. वाह.. क्या कसे हुए आम थे। मेरा लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया। कुछ पलों के बाद चुंबन पूरा हुआ तो आंटी ने मादक स्वर में बोला- राहुल आज मेरी प्यास बुझा दे.. मैं तुझे एक गिफ्ट दूँगी।
मैंने बिना कुछ कहे उनको अपने बिस्तर में लेटाया और उनकी गर्दन पर चूमने लगा। आंटी अपने मुँह से सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने धीरे-धीरे उनके सब कपड़े उतार फेंके और उसका हसीन मादक जिस्म मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में था। आज तक बहुत लड़कियां और औरतें चोदी थीं.. पर ऐसा गदर माल कहीं नहीं देखा था।
अब मैं आंटी के बड़े-बड़े मम्मों को दबा रहा था। मैंने उसकी ब्रा को उसके शरीर से अलग किया उसके मस्त मम्मों को पागलों की तरह नोंचने लगा था। उन मस्त चूचों पर किस कर रहा था.. उन्हें मुँह में भर कर चूस रहा था। आंटी ने भी मेरी टी-शर्ट उतार फेंकी।
अब आंटी मुझे मेरे शरीर पर किस कर रही थी। उन्होंने मेरा लोवर उतार फेंका। वो मेरी चड्डी पर चुंबन कर रही थी। उसने मेरी चड्डी को नीचे किया और मेरा लंड देख कर बोली- आह्ह.. इतना बड़ा और मोटा लंड.. आज तो मज़ा आ जाएगा। और वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुँह में ले कर चूसने लगी थी।
मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था। पूरी शिद्दत से चूसने के बाद वो बोली- अब तू भी मेरी फुद्दी को चाट.. दोस्तो, आज तक मैंने कभी भी चूत को नहीं चाटा था.. पर आज चाटना पड़ा।
मैंने उसकी पैन्टी निकाली और अपने मुँह को उसके पास लेकर गया। उसमें से एक मदहोश कर देने वाली महक आ रही थी। मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा। पहले तो थोड़ा अजीब लगा.. फिर मज़ा आने लगा। फिर मैंने उसे 69 की अवस्था में किया। हम एक-दूसरे को 10-15 मिनट तक चाटते रहे। उसने बोला- अब मत सता.. डाल दो इस लंड को मेरे अन्दर..
मैंने अपना लंड को उसकी चूत के ऊपर फिराया और एक झटके में अपना 7 इंच का लौड़ा आधा अन्दर डाल दिया.. वो हल्की सी चिल्लाई- ओह्ह.. धीरे करो..
मैं रुका और हल्के-हल्के झटके मारने लगा, वो ‘आह.. ऊहह.. आहह.. ऊहह..’ की सीत्कारें कर रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. मानो जैसे में जन्नत में हूँ। मैंने अपने झटके तेज किए और चुदाई के मज़े लेने लगा। कुछ ही मिनट की चुदाई के बाद आंटी का माल छूटने वाला था, आंटी ने मेरी कमर पर हाथ फेरना चालू किया और अपने नाख़ून चुभाने लगी। मुझे मज़ा आ रहा था।
कमरे में आंटी की ‘आह.. आह..’ की सिसकियों और पाजेब और चूड़ियों की आवाजें गूँज रही थीं। आंटी का दो बार माल छूट गया था, अब मैं भी अपना माल छोड़ने वाला था- आंटी कहाँ निकालूँ? आंटी ने कहा- अन्दर ही निकाल दे..
दो मिनट बाद मैं उनके अन्दर ही निकल गया। अब मैं आंटी के ऊपर ही लेट गया.. करीब 20 मिनट की चुदाई से मैं थोड़ा थक गया था।
अब हम दोनों बाथरूम में गए।
वो हँस कर बोलने लगी- दे दी मुझे सज़ा..। फिर मैंने उससे कहा- नहीं.. अभी तो आपकी गांड में देना बाकी है।
वो बोली- ठीक है.. उधर भी ले लूँगी.. पर बाकी काम कल करेंगे.. अभी बच्चे आने वाले हैं।
दोस्तो, यह थी मेरी किराएदारनी की चुदाई की कहानी.. आपको कैसी लगी.. मेरी कहानी.. ईमेल ज़रूर करना। आपका अपना राहुल [email protected]
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