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हैलो दोस्तो.. आपने मेरी कहानी पढ़ी कि कैसे मैंने अपनी बुआ की सील तोड़ी और उसके बाद मुझे कई ईमेल्स भी मिलीं। अब मैं उससे आगे का किस्सा बयान कर रहा हूँ।
उस दिन जो भी कुछ हुआ.. अगले दिन वो मुझसे आँखें नहीं मिला पा रही थी। फिर घर पर जब हम दोनों को कुछ एकांत मिला.. तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। कोमल कहने लगी- जो भी हमारे बीच हुआ.. वो सब गलत था। मैंने कहा- प्यार में कुछ गलत नहीं होता..
फिर बहुत समझाने के बाद कोमल मान गई, मैंने उसे ज़ोर से गले लगा लिया और उसके गाल को चूम लिया। इसके बाद हमारे बीच सब कुछ बदल गया था, हम आपस में बहुत खुल गए थे और कोमल की चुदास भी भड़क गई थी।
हमें कुछ दिन घर वालों की वजह से फिर से चुदाई का तो मौका नहीं मिला.. पर हम एक-दूसरे को छूने का.. चूमने का.. कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे। मुझे जब भी मौका मिलता.. कोमल के मम्मों को दबा देता था.. या चूत को ऊपर से ही रगड़ देता था.. या गांड पर हाथ फेर देता था। वो भी मेरे लंड पर आते-जाते सबसे नजर बचा कर हाथ फेर देती थी।
एक दिन सब घर वालों को किसी काम से मामा जी के घर जाना पड़ा, मैंने सिर दर्द का बहाना बना दिया और मैं नहीं गया।
मम्मी-पापा सुबह ही चले गए और अब घर पर मैं और कोमल ही रह गए थे। उसने खाना बनाया.. फिर हमने साथ में खाया.. पर मेरा ध्यान खाने में कम और कोमल में ज्यादा था.. जिसे वो भी समझ चुकी थी।
खाने के बाद जब वो बर्तन रखने रसोई में गई.. तो मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया और उसके मम्मों को दबाने लगा। वो कहने लगी- क्या कर रहा है.. कोई आ जाएगा.. मैंने कहा- अब कोई नहीं आएगा.. क्यूंकि मैं गेट बंद कर आया हूँ.. अगर कोई आया भी तो हमें पता लग जाएगा।
इससे उसकी घबराहट थोड़ी कम हुई और अब वो खुलकर मेरा साथ देने लगी। मैं कोमल को उठा कर बेडरूम में ले आया और बिस्तर पर लिटा दिया, फिर उसके कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और हम एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे। उसके निप्पलों पर भी मेरे चूमने से निशान पड़ गए थे। मैंने ऊपर से नीचे तक हर एक अंग को बड़े प्यार से चूसा, वो भी मेरा साथ खुल कर दे रही थी। फिर हम 69 पोजीशन में आ गए और वो ‘गूं.. गूं..’ करते हुए मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, मैं उसकी चूत चाट रहा था और उसके दाने को उंगली से मसल रहा था.. जिससे वो दो बार झड़ चुकी थी। मैं उसके झड़ने के साथ ही उसकी चूत का सारा नमकीन रस पी गया। चूत चाटते हुए मैंने उसकी गांड में उंगली डाल दी.. जिससे वो चिहुंक उठी।
फिर मैंने कोमल को घोड़ी बनने को कहा और जैसे ही वो घोड़ी बनी.. मैंने पीछे से लंड एक ही झटके से चूत में डाल दिया। कोमल की दर्द के मारे चीख निकल गई और वो ‘आआह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह… म्म्म्म हम्म्म…’ करने लगी।
हर झटके से कोमल की ‘आअह्हह.. आअह्ह्ह ह्ह्ह..’ चीख निकल जाती। पीछे से उसकी चूत भी चोद रहा था और साथ में उसकी गांड में उंगली भी कर रहा था। करीब आधा घंटा चुदाई के बाद मैंने कसके उसको पकड़ लिया और झड़ गया.. साथ में वो भी झड़ गई और बेड पर गिर गई.. मैं भी निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया। हम बहुत थक गए थे.. तो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ टाइम बाद फिर से हम एक-दूसरे को चूमने लगे और मैं उसकी गांड में उंगली करने लगा। कोमल की गांड बहुत टाइट थी.. तो मैंने तेल लिया और उसकी गांड में अच्छी तरह से लगा दिया.. जिससे उसकी गांड काफी चिकनी हो गई।
शायद वो भी समझ चुकी थी कि मेरा इरादा क्या है.. कोमल ने कहा- गांड नहीं.. बहुत दर्द होगा.. आगे ही कर लो प्लीज.. पर मैंने तेल लगाना चालू रखा.. जिससे उसे भी मज़ा आने लगा।
मैंने लंड पर भी अच्छे से तेल लगाया और कोमल की गांड पर रख दिया और ज़ोर लगाया.. पर लंड अन्दर नहीं गया। मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया तो चिकनाहट की वजह से एक इंच लंड अन्दर चला गया.. जिससे कोमल को दर्द हुआ और उसके मुँह से ‘आआअह्ह्ह्ह.. आआह्ह..’ की तेज चीख निकल गई।
गांड टाइट होने की वजह से लंड में भी थोड़ा दर्द हुआ, कोमल की आँखों से आंसू आ गए और कहने लगी- प्लीज निकाल लो… बहुत दर्द हो रहा है.. गांड फिर कभी मार लेना.. मैंने खुद को वहीं रोक लिया और उसके बदन को सहलाने और चूमने लगा.. जिससे उसको थोड़ा आराम मिला और मज़ा आने लगा।
जब वो थोड़ा सामान्य हुई.. तो मैंने धीरे से उसकी गांड पर दबाब बनाना शुरू किया.. जिससे उसकी आँखों से आंसू भी आ रहे थे और वो मज़े में सिसकारियाँ भी ले रही थी। जब लंड पूरा अन्दर चला गया.. तो मैं थोड़ा टाइम वैसे ही रुका रहा।
थोड़े टाइम बाद जब वो चूतड़ ऊपर को करने लगी.. तो मैं समझ गया कि कोमल को मज़ा आने लगा है.. तो मैंने धक्के देने स्टार्ट कर दिए। अब पूरा कमरा सिसकारियों और मज़े की चीखों से गूंज रहा था।
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा और उसके मुँह से ‘आआह.. आआअह.. आआह..’ की आवाजें आ रही थी। कुछ टाइम बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.. उसका भी पानी निकल गया था। मेरा लंड भी उसकी गांड से निकल कर बाहर आ गया.. लंड पर मेरा वीर्य लगा था.. जिसे उसने चाट कर साफ़ कर दिया।
फिर हम ऐसे ही नंगे एक-दूसरे से लिपट कर लेटे रहे और एक-दूजे का बदन सहलाते रहे। जब लगा कि मम्मी-पापा के आने का टाइम होने वाला है.. तो उठ कर साथ में शावर लिया। नहाते हुए भी लंड फिर से खड़ा हो गया और हमने एक राउंड चुदाई का और खेला।
घर वालों के आने से पहले हमने सब कुछ वैसा ही कर दिया था.. ताकि उनको कोई शक न हो। घर से मैं बाहर चला गया और उनके आने के बाद आकर बताया- सुबह से दोस्त के साथ था।
कोमल भी यह सुनकर मुस्कुराने लगी। ऐसे ही जब भी मौका मिलता.. हम एक-दूसरे में खो जाते थे, कभी छत पर.. कभी बेडरूम में.. अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीकों से हमने ये चूत चुदाई हसीन पल साथ में गुज़ारे।
आपको यह घटना कैसे लगी.. ईमेल करके जरूर बताएँ.. आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा। [email protected]
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