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दोस्तो, मेरा नाम विक्की शर्मा है, मैं इंदौर में रहता हूँ। मेरे परिवार में माँ बाप और एक बड़ा भाई है जो दिल्ली में जॉब करता है। पिताजी का बिज़नेस है तो वो दिन भर दुकान पर होते हैं।
मेरे घर से 3-4 घर छोड़ कर एक परिवार रहता है, जिसमें पति पत्नी और उनकी बेटी मिलन रहते हैं। मिलन की उम्र 22 वर्ष रही होगी और वो M.Sc फाइनल ईयर की स्टूडेंट है, उसकी माँ और मेरी माँ सहेलियाँ हैं, तो हमारी भी थोड़ी बहुत जान पहचान थी, कभी आमना सामना होता तो मुस्कुराहट के साथ हाय हेलो हो जाती! उसकी मुस्कुराहट पर तो मैं फ़िदा था, लगता था जैसे मुझे निमन्त्रण दे रही हो! शायद वो मुझे पसन्द करती थी!
मिलन की हाइट करीब 5’3″ और उसका फिगर बहुत ही सेक्सी 36-30-34 तो रहा होगा। ऊपर से उसके सुन्दर चेहरे पर नर्म मुलायम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह उसके सुर्ख लाल होंठ उसकी कामुकता को कई गुना और बढ़ा देते हैं। जब भी मैं उसे देखता, मेरा लंड सलामी देने लगता और जी करता कि वहीं उसे चूम लूँ और उसके बूब्स चूसने लगूँ। मैं जब भी कोई सेक्सी सीन देखता तो मिलन को याद करके ही मुट्ठ मारता था, सपनों में तो उसे कई बार चोद चुका था पर अब इस फिराक में था कि उसे हकीकत में कैसे चोदूँ।
बहुत तड़पने के बाद एक दिन आखिर मुझे मौका मिल ही गया। उस दिन शाम के समय मैं अपने दोस्तों के साथ अपनी गली में क्रिकेट खेल रहा था, अँधेरा होने वाला था और मेरी बैटिंग सबसे आखिर में आई। तो मैंने एक ऐसा शॉट मारा की बॉल सीधे मिलन के घर की छत पर जा के गिरी, मैं आउट हो गया और खेल खत्म हो गया, सब अपने घर जाने लगे और मैं बॉल लेने के लिए मिलन के घर!
मैं गेट तक पहुँचा और मिलन की माँ को बहार आते देखा तो उनसे बॉल देने को कहा तो उन्होंने कहा- तुम ही जा कर ले आओ। और बोली- ऊपर जा ही रहे हो तो मिलन को जगा भी देना और कह देना कि मैं जोशी भाभी के घर जा रही हूँ और थोड़ी देर से ही आऊँगी। और हाँ, वो बहुत ही गहरी नींद सोती है तो यदि आवाज़ से न उठे तो उसे ज़ोर से हिला कर जगाना। उनका घर दो मंज़िला था जिसमें सीढ़िया अंदर से ही थी और मिलन का कमरा ऊपर था।
उनके जाते ही मैं फटाफट ऊपर भागा। मिलन के सोने की बात सुन के तो मेरे मन में लड्डू ही फूटने लगे। उसके कमरे का दरवाज़ा बंद था पर कुण्डी नहीं लगी थी।
मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला तो देखा कि मिलन सीधी चित्त सो रही थी। मैं बिना आहट किये उसके पास जा के बैठा। उसने टाइट टॉप और कैप्री पहनी हुई थी, टॉप में से उसके वक्ष का उभार बहुत ही उत्तेजक लग रहा था, मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो गया। मैंने धीरे से अपने दोनों हाथ उसके दोनों स्तनों पे रख दिए और उन्हें हल्के से दबाने लगा। मुझे महसूस हुआ कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
क्या बताऊँ दोस्तो, कितना मज़ा आ रहा था! मन कर रहा था कि टॉप फाड़ कर उन्हें चूसने लग जाऊँ! पर इस वक़्त मुझे संयम से काम लेना था, मैं उसे जगाने का रिस्क नहीं ले सकता था।
कुछ देर बोबे दबाने के बाद मैं धीरे से उसके होठों की तरफ बढ़ा, बहुत ही धीरे से उसके होठों से अपने होंठ मिलाए और हल्की सी चुम्मी लेकर पीछे हट गया। फिर मैंने एक हाथ उसकी चूत के ऊपर रखा और उसे टटोलने लगा। उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे और वो आराम से सो रही थी।
अब मेरी उत्तेजना हद पार करने लगी और मुझ पर चुदाई का भूत चढ़ने लगा। मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने बहुत ही धीरे धीरे उसकी कैप्री नीचे सरकाना शुरू की, फिर उसकी पैंटी भी उसी तरह नीचे खसका दी। झान्टों से भरी चूत देख कर मुझे यकीन हो गया कि यह अभी तक नहीं चुदी है। मैंने अपनी जीन्स और चड्डी निकाल दिए क्यूंकि मुझे यकीन था कि आज मैं उसकी सील खोल कर ही जाऊँगा।
फिर मैंने बहुत ही धीरे धीरे उसकी टाँगें फैलाना शुरू की और चूत को खोलने लगा। ये सब मैं बहुत धीरे धीरे कर रहा था ताकि उसकी नींद न खुले। टाँगें चौड़ी करने के बाद अपनी ऊँगली को थूक से गीला कर के उसकी चूत पे धीरे धीरे फेरते हुए उसके छेद में डालने की कोशिश करने लगा। बड़ी मुश्किल से ऊँगली अंदर गई। थोड़ी देर यूँ ही उसकी चूत में ऊँगली अंदर बाहर करने पर मुझे उसकी चूत में कुछ नमी सी महसूस हुई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो नींद में हल्का सा कराही और मैं थोड़ा डर गया, मुझे लगा कि यह जाग न जाये। कुछ सेकंड रुक कर मैंने फिर से अपना काम शुरू किया, उसकी चूत गीली होने लगी और अब मेरी दो उंगलियाँ अंदर जा पा रही थी। तो मैंने थोड़ी देर अपनी 2 उंगलियों से उसकी चूत को चोदा।
फिर मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसकी चूत पे टिका के अपने हाथ से ही उसे अंदर धकेलने लगा। चूत चिकनी हो चुकी थी और लंड आसानी से करीब दो इंच अंदर चला गया। मुझे पता था कि अब तक उसकी नींद कच्ची हो गई होगी और ये करते ही वो जाग जाएगी, इसलिए मैंने झट से उसके ऊपर लेटते हुए लंड पे ज़ोर का धक्का मारा और उसके होठों से अपने होंठ मिला दिए।
उसकी नींद तो खुल गई पर इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मेरा लंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस चुका था और मैं उसे जकड़ कर उसके होंठ चूस रहा था। वो दर्द से छटपटाने लगी पर मैंने उसे कस के जकड़ रखा था और उसे ज़ोरदार किस किये जा रहा था, उसके मुलायम बोबे मुझे अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे।
फिर मैंने कुछ झटके और मारे और पूरा लंड उसकी चूत में ठूस दिया।
वो तड़प रही थी और अपने हाथो से मुझे दूर धकेलने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके हाथ कस के पकड़ लिए और उन्हें उसके सर के ऊपर करते हुए धक्के जारी रखे। उसे इस तरह किस करते हुए चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था और कुछ देर बाद उसका विरोध भी कुछ कम होने लगा।
मैं उसके हाथ छोड़ कर उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर चुम्बन करने लगा। उसकी कमर भी चलने लगी और वो भी चुदाई का आनन्द लेने लगी। मैंने उसके होंठ अपने होंठों में जकड़ रखे थे और लगातार उनका रसपान भी कर रहा था। और जब उसका विरोध ना के बराबर हो गया तब ही उसके होंठ छोड़े। होंठ छोड़ने पर मुझे उसकी प्यारी सी आवाज़ में उसकी सीत्कारें सुनाई देने लगी और मैं पागल सा होने लगा।
उसकी करारी आहें और हमारी साँसें आपस में टकराने लगी जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गई और मैंने चुदाई की गति और बढ़ा दी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ के साथ हमारी सीत्कारें भी सुनाई दे रही थी। अब उसका दर्द भी मस्ती में बदल गया था और वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कारते हुए अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई के नशे में डूबी जा रही थी।
करीब 15 मिनट की इस ज़बरदस्त चुदाई में जहाँ उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी, मेरे लंड में एक सरसराहट सी हुई और मैं झड़ने लगा। तभी उसका बदन भी अकड़ गया और मुझे कस के जकड़ते हुए मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ाते हुए ज़ोरदार आहों के साथ वो भी झड़ती चली गई।
हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे और कुछ देर यूही उसपे पड़े रहने के बाद जब मैं उसे चूमने के लिए अपना चेहरा उसके चेहरे के पास लेकर गया तो उसने तपाक से मुझे एक चांटा मारा। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने दूसरे गाल पर भी एक तमाचा जड़ दिया। मैंने भी गुस्से में उसे चूम लिया, तो उसने फिर से मेरे गाल पर एक चांटा मारा, मैंने फिर उसे चूमा उसने फिर चांटा मारा।
इस तरह करीब 5-7 चुम्मे और चांटों में मेरा लंड फिर से अकड़ गया और मैं लंड को फिर से उसकी चूत में घुसाने लगा। वो ज़ोर से कराही ‘आआअह्हह्हह…’ और धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ रखे थे और हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। मेरा लंड उसकी चूत में था, उसके बोबे मेरे सीने से चिपके थे और हमारी गरम साँसें आपस में टकरा रही थी।
उसकी आँखों में मदहोशी छाने लगी, वो किस करने की कोशिश में मेरे होंठों की तरफ लपकी पर मैंने अपना सर पीछे कर लिया।वो फिर लपकी और मैंने फिर वही किया। इस तरह उसे 3-4 बार तड़पाने के बाद, मैं पीछे नहीं हटा और फिर हमारे बीच एक ज़बरदस्त स्मूच शुरू हुआ। हम दोनों बहुत ही जोश के साथ स्मूच का आनन्द ले रहे थे और मैंने धक्के लगाने भी शुरू कर दिए थे, जिनका जवाब वो भी करारे धक्कों के साथ दे रही थी, मतलब ऊपर होंठों की लड़ाई चल रही थी और नीचे चूत-लंड की।
इस जोशीली चुदाई में हम दोनों को बहुत ही मज़ा आ रहा था और हमारा चुम्बन भी लगातार चल रहा था। स्पीड धीमे हो गई थी पर न मैं उसके होंठों को छोड़ने को तैयार था न वो मेरे!
फिर मैंने करवट बदल कर उसको अपने ऊपर ले लिया और अब वो अपनी गांड उछाल उछाल के चुदने लगी। फिर मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसने मेरी टी-शर्ट, अब उसके नंगे चूचे मेरे सीने से चिपके हुए थे, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ से लगा के उसको जकड़ रखा था और उसके चूचे अपनी छाती पे घिसने लगा।
उसने अपने होंठ मेरे होंठों से 1 इंच ऊपर रख रखे थे और वो करारी आहें भर रही थी, उसकी गर्म साँसों और सीत्कारों से मेरी उत्तेजना और भी बढ़ने लगी, मैं भी उसकी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए कभी उसकी गर्दन पर अपनी गर्म साँसें छोड़ता, तो कभी उसके कान की नरम लौ को चूसता और फिर उसके होंठों को बड़े प्यार से चूमता।इस सबसे वो बहुत ही उत्तेजित हो गई और ज़ोर ज़ोर से ‘आह आह ऊऊह्ह्ह आह्ह्ह्ह…’ करते हुए ज़ोर ज़ोर से गांड हिला हिला करचुदने लगी।
अब हम दोनों की उत्तेजना चरम पर थे और 7-8 धक्कों के बाद उसकी चूत से झरना बह निकला, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा भी निकल जाएगा पर मैंने खुद को संभाला और उसे दोबारा नीचे लेकर थोड़ी देर ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और बड़े प्यार से उसके होंठों को चूमता रहा, वो भी अपने हाथ मेरे गाल पर रख कर प्यार भरा चुम्बन करने लगी। फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये, वो भी बड़ी प्यारी आहें भर रही थी और धीरे धीरे अपनी कमर चला रही थी।
चुदाई बड़े प्यार से चल रही थी और मैं उसकी मुलायम चूचियों को अपनी छाती पर महसूस कर रहा था और मैंने अपने होंठ उसके होंठों के करीब रख रखे थे, हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी और हमारी कामवासना को और भी बढ़ा रही थी। उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी की लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था और चुदाई में बड़ा मज़ा आ रहा था।
हर ज़रा सी देर में हम करवट बदल लेते जिससे कभी वो ऊपर आ जाती और मैं नीचे, तो कभी मैं ऊपर वो नीचे। इस तरह से एक दूसरे से लिपटते हुए और प्यार भरे चुम्बन करते हुए हम काफी देर तक चुदाई का मज़ा लेते रहे। फिर एक लम्बे चुम्बन के साथ हम दोबारा साथ में झड़ने लगे, मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और फिर उसकी छाती पर सर रख के पड़ा रहा। उसने अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ रखा था और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फिराने लगी।
फिर मैं साइड में लेटा और वो उठ कर बाथरूम में चली गई। मैंने समय देखा तो 8 बजने को थे, मतलब मुझे वहाँ डेढ़ घण्टा हो गया था और आंटी कभी भी आ सकती थी। मैंने झट से अपने कपड़े पहने, छत पर जा कर बॉल उठाई और अपने घर चला आया।
इतनी ज़बरदस्त चुदाई के बाद उससे बिना बात किये घर चले आना मुझे थोड़ा अजीब लगा। और मैं यह सोचने लगा कि दोबारा जब हमारा सामना होगा तो क्या परिस्थिति बनेगी।
वो दिन भी जल्द ही आया और उस दिन क्या हुआ यह जानने के लिए आपको मेरी अगली कहानी का इंतज़ार करना पड़ेगा। आशा करता हूँ आपको यह कहानी पसंद आई होगी। आपके इमेल्स का इंतज़ार रहेगा। आपका अपना विक्की शर्मा इंदौरी। [email protected]
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