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अब तक आपने पढ़ा.. मैं सोनी के चूचों को दबाए जा रहा था और अब सोनी मेरे काबू में आने लगी। उसकी कामपिपासा जाग उठी और उसके कंठ से चुदासी आवाजें आने लगीं ‘आआहह.. ऊऊऊहह..ऊओह.. ह्ह्ह्ह्ह्.. म्मम्म..’ फिर मैंने देखा कि अब य गरम हो गई है.. तो मैंने सोनी को अलग कर दिया और ‘सॉरी’ बोल कर खड़ा हो गया। सोनी- ओह्ह.. यश तुम ये क्या कर रहे हो.. ये ठीक नहीं है। अब आगे..
फिर मैंने कहा- सॉरी यार.. गलती हो गई। सोनी ने कहा- यार ये सब ठीक नहीं है। मैंने कहा- अब नहीं होगा यार..
फिर सोनी रिलैक्स होकर कहने लगी- यार मन तो मेरा भी है.. पर कहीं दीदी को पता चल गया तो? मैंने कहा- अगर तुम्हारी मर्जी है और तुमको कोई एतराज भी नहीं है.. तो मैं करने को तैयार हूँ और जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तुम्हारी दीदी को कुछ पता नहीं चलेगा.. यह मेरा वादा है।
सोनी ने खुल कर कहना शुरू कर दिया- इतने दिन से मैं देख रही हूँ कि तुम और दीदी सेक्स कर रहे हो और अब मेरा मूड भी हो गया है.. मैंने तुमको दीदी को चोदते हुए छत पर ही देख लिया था.. हाय.. क्या मस्ती से तुम दीदी को चोद रहे थे.. तो उस टाइम मेरा भी पानी निकल गया था.. तब से मैंने मन बना लिया था कि तुम से चुदाई तो जरूर से करवाऊँगी.. और हाँ.. कल जब तुम पनीर लेकर आए थे.. तो मैंने पहले ही तुमको आते देख लिया था और फिर मैंने सोचा कि कुछ तो करना ही होगा.. इसलिए मैंने तुमारा मोबाइल ले लिया.. मैंने देख लिया था कि इसमें ब्लू-फिल्म है.. इसीलिए मैंने अपनी जीन्स के अन्दर हाथ डाला था कि तुम भी मुझे उंगली करते देख लो.. यदि मुझे दिखाना न होता तो मैं दरवाजे बन्द करके ये सब न करती..
उसके इतना कहने की देर थी कि मैंने सोनी के होंठों पर होंठों रख कर 5 मिनट तक चूसा.. काटा.. और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया, साथ ही उसके दोनों चूचों को जोर-जोर से टॉप के बाहर से ही दबाना शुरू कर दिया।
वो मेरा खुल कर साथ देने लगी थी। मैंने उसके टॉप को उतार दिया, उसने सफ़ेद ब्रा पहनी हुई थी और देर ना करते हुए मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी और उसको बिस्तर पर उठा कर ले गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उसके पूरे जिस्म पर चुम्बन करने लगा और हाथ से उसकी नाभि को.. पेट को.. प्यार से सहलाने लगा। अब सोनी की सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गई थीं, मैं सोनी की ब्रा उतार कर उसके गोल-गोल चूचों को प्यार से चूसने लगा.. चाटने लगा। सोनी की सिसकारियाँ और भी बढ़ गईं- आआआहह.. ऊऊऊऊह्ह्ह.. बड़ी देर कर दी.. ईईईहह.. ऊऊह्ह्ह्ह्ह.. ओहो..
फिर मेरे दिमाग में कुछ सूझा.. कि कुछ नया करूँ। इसलिए मैंने पेस्ट्री ली.. और सोनी की पैंटी को भी उतार दिया। दोस्तो.. एकदम मस्त चूत थी.. एक बाल भी नहीं था और एकदम मस्त गुलाबी बेदाग़ चूत देख कर तो मेरा मन भड़क गया। मैंने कहा- सोनी.. मेरी जान.. मेरे लंड को चूसो न.. तो सोनी ने मना कर दिया।
मैंने सोचा कि कोई बात नहीं.. देखो साली अभी खुद ही लंड चूसेगी। फिर मैंने पेस्ट्री ली.. जो पेस्ट्री में चाकलेट लगी थी.. वो मैंने सारी की सारी सोनी के चूचों और चूत में लगा दी। अब मैं टूट पड़ा.. उसके चूचों पर.. जोर-जोर से चूसता.. चाटता.. तो सोनी की मधुर आवाज मेरे कान में आने लगीं।
मैं इसी तरह उसकी चूत को सहलाता रहा। काफी देर होने के बाद मैं बिस्तर के नीचे बैठ गया और सोनी की टाँगें भी नीचे और अलग-अलग करके.. उसकी टाँगों के बीच में आ गया। अब मैंने एकदम से चूत को चाटना शुरू कर दिया और मैं इस बार जोर-जोर से चूत को पूरा मुँह में भर कर चाट रहा था। उसका पानी और चाकलेट का टेस्ट बहुत मस्त लग रहा था। कभी-कभी तो मैं उसकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर खींच लेता.. तो उसकी आवाज और जोर-जोर से आने लग जाती।
अब मैंने सोनी की चूत में एक उंगली डाली.. बहुत ही ज्यादा टाइट चूत थी और गीली भी बहुत हो गई थी। अब सोनी से रहा नहीं जा रहा था.. तो सोनी बोलने लगी- अब डाल भी दो.. राजा.. मैंने मस्ती में कहा- क्या डाल दूँ.. सोनी- अपना हाथ भर का लौड़ा डाल दो मेरी चूत में.. क्यों तड़पा रहे हो.. मैंने कहा- एक शर्त पर.. पहले मेरा लंड चूसो.. अब उसके पास कोई रास्ता था ही नहीं.. सोनी- ठीक है..
मैंने सोनी को नीचे बिठा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया और उसके मुँह की चुदाई करना चालू कर दिया। करीब 10 मिनट बाद में मैंने उसके मुँह में ही सारा माल डाल दिया। फिर मैंने सरसों का तेल लेकर अपने लंड पर लगा कर सोनी को लेटा दिया और उसकी चूत पर तेल लगा कर दो उंगलियां अन्दर-बाहर करना चालू किया। सोनी भी अब मस्त होने लगी थी और मेरा लंड भी अब तैयार हो गया था।
मैंने सोचा अब देर करना अच्छा नहीं.. तो मैंने सोनी की चूत पर अपना लंड रखा, चूंकि उसकी चूत में चिकनाई लगी हुई थी.. तो जैसे ही एक जोर का धक्का मारा.. सोनी की गाण्ड फाड़ चीख निकल गई। कम से कम दो इंच लंड सोनी की चूत में घुसता चला गया और सोनी की चूत से खून आने लगा.. पर मैंने सोनी को दबाए रखा और सोनी को किस करने लगा।
मैं उसके दर्द को भुलाने के लिए उसके मम्मों को चूसने लगा.. जिससे उसको थोड़ा आराम मिला। अब मैंने फिर से एक जोर का धक्का मारा.. इस बार सोनी की चीख कुछ तेज निकली ‘ऊऊऊऊईई… ऊऊऊहह्ह… ऊऊईईईई… ईम्मम्म म्मम्म..’
मैंने देखा कि उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे.. और मारी सी आवाज में बोल रही थी- ऊन्न्ह्ह.. प्लीज बाहर निकाल लो.. अपना लंड.. मैं मर जाऊँगी.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैंने कुछ नहीं देखा और एक और जोर का धक्का पेल मारा और उसकी जोर की चीख निकल कर रह गई.. जैसे उसकी जान ही निकल गई हो।
मैंने उसके एक चूचे को मुँह में भर कर चूसना शुरू किया और दूसरे चूचे को दबाना शुरू किया। सोनी की धीमी-धीमी कराहने की आवाजें आ रही थीं। बस वो थोड़े से होश में थी.. और बोले जा रही थी- यश.. बाहर निकाल लो..
बस 5 मिनट हुए ही होंगे कि उसकी गांड आगे-पीछे होने लगी, मैं समझ गया कि अब मामला ठीक हो गया है।
फिर मैं चूचों को चूसता ही रहा.. कुछ देर बाद सोनी अपनी गांड को पूरी मस्ती में हिलाने लगी, मैं भी अपने हाथों से उसके दोनों चूचों को दबाता रहा.. मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब सोनी की आवाज और चीखें.. अब मादक सिसकारियों में बदल गई थीं।
मैंने सोनी की चुदाई करने की स्पीड बढ़ा दी और सोनी की सिस्कारियां पूरे कमरे में गूँजने लगीं, फिर मैंने फुल स्पीड से चुदाई की। अभी 5 मिनट ही हुए होंगे.. फिर मैंने सोनी को खड़ा करके.. उसे दीवार की तरफ उसकी पीठ करके.. उसके होंठों पर जोर-जोर से चूमा-चाटी करना शुरू किया।
अब मैंने सोनी की एक टांग उठा कर खड़े-खड़े ही अपने कंधे पर रखी और फिर लंड डाल कर सोनी की चुदाई करना शुरू कर दी। मेरा लंड इतनी तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था कि सोनी की तो पूछो ही मत.. इतनी तेज चीखें निकल रही थीं..
पर 3 मिनट ही हुए होंगे.. मुझसे भी ज्यादा देर ऐसे खड़े नहीं हुआ गया और अब मैंने उसे अपने पसंदीदा पोज़ में आने को बोला.. जो कि घोड़ी बना कर चोदने का था। सोनी को घोड़ी बना दिया और उसकी चिकनी मस्त कमर क पकड़ लिया.. और उसकी चूत में लंड डाल दिया। उसके लटकते आमों को जोर-जोर से मसलते हुए लौड़े को अन्दर-बाहर करते हुए मैंने सोनी की धकापेल चुदाई करना शुरू कर दी।
इस बार सोनी की सिसकारियाँ मेरे कानों में पड़तीं.. तो मैं और जोश में आ जाता। फिर सोनी की चुदास भरी कराहें- ऊऊऊ.. ओय्य्यय्य्यी.. ईईईस्सस्स.. यश ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.. कॉम ऑन बेबी.. फ़क मी.. आआ… आआआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊऊऊऊ.. ओब्ह्ह्ह्ह्ह.. और जोर से यश.. आज प्यास बुझा दो ऊऊऊह्ह..
मैं सोनी की जबरदस्त चुदाई कर रहा था अभी कुछ मिनट ही हुए और अब सोनी अकड़ गई और झड़ने लगी… पर मैं उसकी चुदाई करता ही जा रहा था। अब सोनी झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी पानी नहीं निकला था.. मैंने स्पीड को फुल करके उसकी चुदाई की.. उसके माल से लबालब चूत में ‘फचक..फ्छ..’ की आवाजें आने लगीं। कुछ मिनट बाद मैंने सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया।
हम दोनों एक साथ लेटे हुए थे.. ये सब करते हुए हम दोनों को 2 घंटे हो गए थे। फिर जब उठे.. बिस्तर पर देखा.. तो चादर खून से सनी हुई थी। मैंने चादर को पोलिथिन में डाल कर अपने बैग में रख दी कि अगर मैं गलती से भूल भी गया.. तो बैग में ही रहेगी।
अब बात थी सोनी की.. उससे चला भी नहीं जा रहा था। मैंने सोनी को 30 मिनट आराम करने को कहा.. फिर जब उसे लगा कि अब दर्द कम हो गया तब वो उठी। फिर जो खाना लाया था.. वो हम दोनों ने खाया।
उसने कहा- हॉटशॉट.. आज मजा आ गया और तुमने मेरी बैंड भी बजा दी.. मैं हँस पड़ा। फिर सोनी किस करके घर चली गई।
मैंने घड़ी में देखा तो 3:45 हो रहे थे। मैंने सोचा आज रात तो पिंकी की चुदाई पक्का करनी होगी। मैंने पूरे कमरे की सफाई की और अपने दोस्त से मिलने चला गया।
मैं करीब 6 बजे वापस आया और टीवी देखने लगा.. तभी दरवाजे की घंटी बजी। देखा.. तो पिंकी थी.. पर ये क्या.. फिर से पिंकी ने गुलाबी साड़ी पहनी हुई थी।
मैंने पिंकी को अपने पास खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया ‘क्या मस्त लग रही हो जान.. आज तो सुहागरात तो हो ही जाए’ तो पिंकी बोली- हाँ हाँ.. इसी लिए तो आई हूँ.. अभी मौका बचा है..
मैंने उसके होंठों को किस किया और ब्लाउज़ के ऊपर से ही मम्मों को दबा दिया। पिंकी बोली- अभी नहीं.. रात में तुमको कॉल कर दूँगी.. ओके.. तुम छत का दरवाजा खोल के रखना। मैंने कहा- रात में 11 बजे आ जाना ओके.. फिर वो खाना बना के घर चली गई।
आपको सोनी की कुंवारी चूत की पहली चुदाइ पढ़ कर कैसा लगा.. अब मेरे पास 2 रात और एक दिन थे। पर इन सब में मैंने पता नहीं कितनी बार दोनों बहनों की चुदाई की। दोस्तो, मेल भेजना न भूलें। [email protected]
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