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मेरा नाम संजय है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, उम्र 33 वर्ष है। मैं देखने में ठीक-ठाक हूँ और सामान्य शक्ल वाला तथा सामान्य कद-काठी का हूँ। मेरा लंड बहुत बड़ा तो नहीं है, बस 6” लम्बाई और 2” मोटाई के आस-पास का ही होगा। मैंने बहुतों को तो नहीं चोदा है, लेकिन आज तक जितनों को भी चोदा है.. उनको बहुत मजे भी दिए हैं और उनसे मज़े लिए भी हैं तथा वह सभी मुझ से बहुत ही संतुष्ट रही थीं।
बात लगभग 7-8 साल पहले की है जब मेरे घर के पास ही एक लड़की किराए पर रहने आई। वह किसी छोटे शहर से कानपुर में पढ़ने आई थी.. कुछ दिन तक तो कुछ नहीं हुआ.. फिर एक दिन की बात है कि हम शाम को बाहर बैठे थे, वो सामने से निकल रही थी.. हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा.. मुझे कुछ अजीब सा लगा.. वो देखते हुए चली गई।
अगले दिन वो फिर सामने से निकली मैं उसका इंतज़ार ही कर रहा था। उसने मुझे कंटीली अदा से देखा और मुस्करा कर चली गई। आज मैं भी उसके पीछे लग गया.. पर रास्ते में उसने मुझे नहीं देखा.. मगर घर के अन्दर जाते समय वो पलट कर मुस्कराई। थोड़ी दूर जाकर वापस आया.. तो देखा वो बालकनी में खड़ी थी और मुस्करा कर अन्दर चली गई। ऐसा पांच-छह दिनों तक चलता रहा।
एक दिन मैंने उसका पीछा किया.. तो उसने रुक कर हमसे पीछा करने का कारण पूछा.. तो मैं एकदम से घबरा गया। लेकिन जब वह मुस्कराई.. तभी मैं कुछ बोल पाया, मैंने उससे दोस्ती करने को कहा.. तो वह ‘सोचेंगे..’ कह कर चली गई।
अब मैं उसके वापस लौटने का इंतज़ार करने लगा.. जब वह आई.. तो उसने मेरी ओर देखा तक नहीं.. तो मैं डर गया कि कुछ गड़बड़ न हो जाए। इसके बाद मैं उसके घर की तरफ़ भी नहीं गया और अपने घर पर जा कर लेट गया।
थोड़ी देर बाद घंटी बजी.. मैंने दरवाज़ा खोला.. तो देखा वही आई थी। मैं तो डर गया कि पता नहीं क्या बवाल होने वाला है.. लेकिन वह कुछ बोले बिना ही अन्दर आ गई और मेरी मम्मी के पास चली गई।
मैं तो बुरी तरह डर गया कि आज गड़बड़ हुई.. पर वह मम्मी के पास बैठ कर बात करने लगी। तब मुझे मालूम पड़ा कि वह हम सब को पहले से जानती है और पहले भी घर आ चुकी है.. तो मुझे कुछ राहत मिली। अब मैं भी उनके पास बैठ कर बात करने लगा। कुछ ही देर बात करने के बाद हम दोनों घुलमिल गए।
जब मम्मी चाय बनाने लगीं.. तब भी हम दोनों काफी देर तक बात करते रहे। जब मैंने दोस्ती के लिए पूछा.. तो तो उसने ‘हाँ’ कर दिया। मैंने उसे दूसरे कमरे में चल कर उसको बाँहों में लेने का इशारा किया.. तो उसने शर्म से सिर झुका लिया और मुस्कुरा दी। कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा..
फिर एक दिन की बात है, मैं घर पर ही था, मम्मी मार्केट गई थीं.. और उसी वक्त वह मेरे घर आ गई। तब मैंने उसे गले लगाया और किस भी किया.. तो उसने मुझे दूर कर दिया।
जब मैंने गुस्सा होने का नाटक किया तो कुछ ही देर बाद खुद ही मेरे गले लगी और मुझे चुम्मी की, हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। जब वह हमें किस कर रही थी.. तब मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर लगा दिया.. तो पहले तो उसने हाथ हटा दिया.. लेकिन मैंने फिर से हाथ रखा और चूचा दबा दिया.. तो वह थोड़ा सा सिमट गई और मेरे सीने से चिपक गई।
मैंने अपना हाथ उसके टी-शर्ट में डाल के उसके मम्मों को खूब दबाया.. फिर उसकी लोवर में हाथ डाला तो पाया उसकी बुर गीली थी। मैंने बुर में उंगली डाली.. तो उसने अपनी जांघें चिपका लीं। तब मैंने उसे ऐसे ही दबाए रख कर उसे मनाने की कोशिश की, मैंने उससे आँख मारते हुए कहा- मैं भी भी कुंवारा हूँ और तू भी कुंवारी है.. आ जा..
मैंने उसे सिर्फ़ एक बार सेक्स करने पर जोर दिया.. तो वह सेक्स के लिए मान गई। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और साथ-साथ उसके भी.. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह आज मेरे साथ सेक्स कर रही है। मैंने उसके मम्मों को चूसा.. उसका न मन होने पर भी उसने मेरा लण्ड चूसा, मैंने उसकी लोवर को उतार दिया और उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो वो मदमस्त हो गई।
मुझे भी कुंवारी चूत को चाटने में काफी मजा आ रहा था.. उसका स्वाद मजेदार था। जब मैं उसकी चूत में जीभ फिराता था.. तब वो मेरे बाल पकड़ कर मुझे और जोर लगाने को उकसाती थी। वो पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी और मैं भी अब ज्यादा देर तक नहीं रुक सकता था क्योंकि उसकी चूत में से काफी रस निकल रहा था।
मैंने एक तकिया उसके चूतड़ों के नीचे लगा दिया और उसकी टांगों को चौड़ा कर दिया और अपने लंड को उसको चूत के मुँह पर लगा दिया, उसकी आँखों में देखते हुए मैंने चूत में लंड पेलना चालू किया और जोर से धक्का दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अभी सिर्फ आधा लंड अन्दर गया होगा और उसने तड़फ कर अपने पैर सिकोड़ने लगी। मैंने ज्यों ही आगे सरकाया.. मुझको भी जरा तकलीफ हुई.. लेकिन बहुत मजा भी आया.. इसलिए मैंने थोड़ा जोर और लगाया और फिर मैंने तरस न खाते हुए दूसरे धक्के में पूरा लंड अन्दर डाल दिया।
वह दर्द से कराह कर मुझसे चिपक गई.. अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ाने लगी। मैं वैसे ही धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता रहा और थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हो गया और वो भी मेरा अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उसको जम कर चोदा। वो भी चूत चुदाई का पूरा मजा ले रही थी और अपनी गांड उचका-उचका कर मेरा साथ दे रही थी।
सच में क्या कसी हुई चूत थी.. चूत में गर्मी काफी थी, मुझे लगा कि अब मेरा पानी निकलने वाला है, मैंने थोड़ा अपनी स्पीड को कम किया और उसको ही चूतड़ उचकाने दिए। फिर जब मेरा वीर्य छूटने वाला था.. तभी मुझको अपने लंड पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ और वो मुझसे चिपक गई। तब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और वीर्य बाहर गिरा दिया। वह भी ढीली हो गई थी…
मैंने देखा लंड पर थोड़ा खून लगा था। हम दोनों ने अपने अंग साफ किए.. लंड भी लाल हो गया था और दर्द भी हो रहा था। उसने लंड को किस किया और प्यार से उस पर हाथ फिराया। इसके बाद उसने अपने कपड़े सही किए और अपने घर चली गई।
सच में इस पहली चुदाई में वो मज़ा आ गया.. जो कभी सारी ज़िन्दगी में नहीं आया। अब भी जब भी मौका मिलता था.. हम सेक्स करते थे और ज़िन्दगी का मज़ा लेते थे अब तो उसे मनाना भी नहीं पड़ता था.. अब तो वो भी हम को चोद देती थी।
उसके कारण कई लड़कियां मिलीं.. पर उसे यह नहीं पता चल पाया था।
मेरी कहानी आप सब को कैसी लगी, मेरे मेल आई डी [email protected] पर ज़रूर बताएं।
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