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यह कोई कहानी नहीं, यह मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा है। मेरा नाम सनी है, मेरे पापा की कपड़े की फैक्ट्री है और मुझे किसी चीज की कोई कमी नहीं है.. सिवाए एक प्यारी गर्लफ्रेंड के..
मेरी पहले एक गर्लफ्रेंड थी.. उसका नाम साक्षी था, हमारा ब्रेकअप हो गया और मैं उदास रहने लगा। मेरी बाहरवीं की पढ़ाई पूरी हुई और मैंने पास ही बीटेक में एडमिशन ले लिया। सेमेस्टर खत्म होने को आ गया और मैंने अभी तक कोई दोस्त नहीं बनाया था। यह बात मेरे साथ साथ मेरी माँ को भी तंग कर रही थी कि उनका इकलौता बेटा सब कुछ होने के बाद भी खुश नहीं है।
अगला सेम शुरू होने से पहले एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा था, मम्मी ने आकर कहा- डॉली का सिलेक्शन तेरे कॉलेज में हो गया है और सेम्सेटर के शुरू होते ही उसकी जॉइनिंग है। मैंने तेरी मामी जी को कह दिया है कि वो हमारे यहाँ ही रहेगी बस.. सो सनी एक दो दिन में डॉली को लेने आ जाएगा।
डॉली मेरी मामी की भतीजी है। वो एम टेक है.. और यहाँ पर मेरे कॉलेज में लेक्चरर की जॉब पर लग गई है।
जैसा माँ ने कहा.. मैंने किया, डॉली दीदी को मैं यहाँ ले आया और मैं अपने इतने बड़े कमरे में अकेला ही था.. सो माँ ने डॉली दीदी को गेस्ट रूम की बजाए मेरे साथ एडजस्ट कर दिया। वैसे भी वो कोई एक-दो दिन के लिए थोड़े न आ रही थी।
डॉली दीदी के आने के बाद मैं खुश रहने लगा, मुझे एक अच्छा दोस्त मिल गया था, डॉली मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
कुछ दिनों में कॉलेज स्टार्ट हो गए और मैं और डॉली दीदी एक साथ कॉलेज जाते आते थे। कॉलेज में अब मेरी पहचान बनने लगी और दीदी की भी..
मम्मी और दीदी मेरे में आ रहे बदलाव की बातें करते रहते थे।
एक बार रात को जब मैं और दीदी सोने लगे.. तो दीदी ने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या.. कभी तुझे फ़ोन पर चेंप होते नहीं देखा? मैंने कहा- आपने सही सोचा.. मेरी कोई नहीं है। डॉली- कभी थी नहीं या बनाई नहीं या हिम्मत नहीं होती? मैं- मेरी गर्लफ्रेंड थी.. अब ब्रेकअप हो गया। डॉली- क्या हुआ था?
मैंने फिर डॉली को सारी अपनी पुरानी कहानी की बात बताई। फिर डॉली ने पूछा- कुछ किया भी था या ऐसे ही बस टाइम गवां दिया? मैं हैरान रह गया और अनजान बन कर पूछा- कुछ किया मतलब? डॉली बोली- अबे, रोमान्स किया था या नहीं? मैंने कहा- हाँ किया था।
डॉली ने फिर पूछा- कितनी बार और क्या क्या..?? मैंने सच बोल दिया 10-12 बार और सब कुछ किया था। डॉली बोली- कहाँ किया था? मैंने कहा- इसी बिस्तर पर.. जहाँ हम रोज सोते हैं। डॉली बोली- कोई नई लड़की पसंद आई? मैंने कहा- नहीं..
इसी तरह की बातें होती रहीं फिर हम दोनों सो गए। अगली सुबह जब मैं उठा तो दीदी पहले से ही तैयार थी और मैं थोड़ा लेट हो गया और कॉलेज पहुँचने में हम दोनों लेट हो गए। दीदी ने मुझे डांट लगाई- तभी तेरी गर्लफ्रेंड ने तुझे छोड़ दिया.. तू लेट होता होगा। मैंने कहा- नहीं मैं लड़की के लिए कभी लेट नहीं हुआ। डॉली बोली- तो फिर आज कैसे लेट हो गया.. मैं भी तो लड़की हूँ। मैंने कहा- आप लड़की हो.. पर मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो। डॉली बोली- तुम गर्लफ्रेंड ही समझ कर तैयार हुआ करो.. फिर हम लेट नहीं होंगे।
हम दोनों मुस्कुरा दिए और क्लास में चल दिए।
इस रात सोने से पहले हमने मूवी देखने का प्लान बनाया और मैंने लैपटॉप पर मूवी चला दी। डॉली बोली- कोई रोमाँटिक मूवी चला ले.. मूवी के रोमाँटिक सीन देखने के बाद दीदी का मूड रोमाँटिक हो गया और लाइट्स ऑफ करके हम सोने लगे। डॉली बोली- अगर मैं एक काम कहूँ तो करोगे? मैंने बोला- बताओ? डॉली बोली- मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लो और आज रात मुझे अपनी गर्लफ्रेंड समझ कर सारी रात प्यार करो।
मैं यह सुन कर हैरान था और सोच में पड़ गया कि क्या कहूँ। मैंने बिस्तर के लैम्प्स ऑन किए और कमरे में कुछ रोशनी कर दी। मैंने कहा- मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं.. पर मुझे ऐतराज़ नहीं।
डॉली मुझसे 5 साल उम्र में बड़ी थी.. पर दिखने में मेरे जितनी ही लगती थी। डॉली ने खुद को बहुत संभाला हुआ था और बहुत ही खूबसूरत दिखती थी।
मैंने कम्बल को साइड में कर दिया और पहली बार सेक्सी नजरों से डॉली को देखा। उसके मम्मे बहुत मोटे थे और मदमस्त जवानी गुलाबी.. सुनहरा चिकना शरीर.. गोरा रंग.. और बहुत ही जवान लगती थी। मैंने डॉली को अपनी बाँहों में भर लिया और चूमने लगा। उसके होंठों से होंठ लगते ही शरीर में प्यार भर गया, हम बहुत देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे।
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और डॉली के कुर्ते के बटन खोल दिए। डॉली घबराने लगी। मैंने पूछा- डॉली पहले कभी किया है? डॉली मीठी सी नशीली प्यार भरी आवाज़ में बोली- नहीं.. आज पहली बार है।
उसकी आवाज़ में ऐसा नशा मैंने पहले कभी नहीं सुना था। यह सुनते ही मैं खुश था और हैरान भी था कि 25 साल की लड़की और अभी तक वर्जिन..! सो मैंने प्यार और बढ़ा दिया और डॉली के साथ और प्यार से खेल करने लगा।
मैंने कहा- डॉली डार्लिंग.. आज की रात तुम्हारी ज़िन्दगी की यादगार रात होगी.. मुझे अपना पति समझो और खुद को मेरी बीवी और इस रात को सुहागरात समझो.. और भी अच्छा होगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसके बाद मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठों को जमा दिया और जीभ से जीभ लगा कर चूसने लगे। डॉली शर्मा भी रही थी और मजे भी ले रही थी.. वो अपनी टाँगें रगड़ रही थी।
फिर मैंने डॉली के चूचे दबाने शुरू किए डॉली के चूचे बहुत मोटे थे, उनको दबाने पर मेरा लंड कड़क से कड़क होता जा रहा था। फिर मैं उठ कर बैठ गया और डॉली को गोदी में बिठा लिया। अपने हाथ पेट पर जमा दिए और मसलने लगा और धीरे से मैंने डॉली का कुरता उतार दिया, उसके गाल.. गर्दन और कंधे.. पीछे से चूमने लगा, कंधे चूमते हुए ब्रा का स्टेप मैंने उतार दिया।
डॉली सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने हाथ उसके चूचों पर जमा कर फिर से दबाया और डॉली ने अपना मुँह पीछे कर लिया और फिर होंठ चूमने लगे।
चूमते-चूमते मैं अपने हाथ नीचे ले गया और डॉली के पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा ढीला कर दिया। जैसे ही मैंने चूत पर हाथ रखा.. डॉली शर्मा गई और मुँह फिरा लिया। मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और उसकी कमर चाटने लगा। हाय.. क्या चिकनी कमर थी.. एकदम गोरी.. और चिकनी मछली की जैसे..
मैंने अब उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और कमर चाटने लगा। मेरी हर चुम्मी के साथ डॉली की सिसकारियाँ निकल रही थीं, कमरा उसकी मदमस्त ‘आहों’ से गूँज रहा था, उसकी ‘आअह.. अआहह.. आहाहह.. अहहा..’ की आवाजों से गूँज उठा।
उसकी काली लम्बी घनी जुल्फें मुझे और भी नशा चढ़ा रही थी। मैंने हाथ डॉली की छाती पर डाले और ब्रा निकाल दी, अब चूचे नंगे मेरे हाथों में थे, निप्पल सख्त हो गए थे और गर्म भी मैं अब कमर गर्दन कंधे और गाल चूम चाट रहा था, मेरा तना हुआ लौड़ा डॉली के नरम गद्देदार चूतड़ों पर लगा हुआ था। चुदास इतनी अधिक चढ़ गई कि मेरा माल छूट गया लेकिन मैंने चूमना चाटना जारी रखा।
डॉली के शरीर की सुगंध बहुत नशीली थी, मुझे डॉली से और उसके बदन से प्यार हो गया था। अब मैं कमर के बीचों-बीच चूमता हुआ नीचे आया और अपना पजामा कच्छा उतार दिया। डॉली का पजामा भी उतारने लगा और उसकी टांगों को चूमते-चाटते मैंने उसका पजामा उतार दिया।
अब डॉली सिर्फ पैन्टी में थी और मैं पूरा नंगा था। अब मैं डॉली के ऊपर आया और उसके चूचों को चूसने लगा, चूचे बहुत मीठे और रसीले थे.. चूचों को मुँह में डालते ही मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया और डॉली ने सिसकना शुरू कर दिया।
मैंने बहुत देर तक चूचों को चूसा.. दबाया और हम इसमें दोनों को मजा आया। अब मैं डॉली के मुँह पर गया और साँसों में सांसें मिला दीं, डॉली ने अपनी आँखें खोलीं.. मैंने आँखों से आँखें मिलाईं।
उसकी नशीली आँखों को देखा तो मैं मुस्कुरा दिया और डॉली भी पहले थोड़ा मुस्कुराई.. फिर शर्मा के उसने आँखें बंद कर लीं।
दोस्तो, डॉली चुदने के लिए एकदम तैयार दिख रही थी मेरा मन भी उसकी सील तोड़ने को उतावला था। कहानी के अगले भाग में उसकी सील टूटने की दास्तान लिखूँगा.. आप सब मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए..
कहानी जारी है। [email protected]
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