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मेरे कामुक दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. मैं मजे ले कर बोली- आह्ह.. मेरी गाण्ड मार कर तो तूने मस्त कर दिया। तभी उसने दूसरा शॉट लगा कर अपना पूरा लिंग मेरे अन्दर डाल दिया। मेरे मुँह से ‘आआआह्ह्ह.. ऊहऊऊ ऊहह सी..आह..’ निकल गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर लगातार ‘गचागच..’ लण्ड पेलता रहा.. बड़ी बेदर्दी के साथ गाण्ड मारता रहा.. मैं मेरी गाण्ड मराती रही.. बिना कुछ कहे बिना सुने.. वो लण्ड पेलता रहा, उसके हर शॉट पर मेरी ‘आह’ निकल जाती। अनूप के हर शॉट पर.. मेरी चूत भी मस्त होकर पानी-पानी हो गई, उसने अपने धक्कों की स्पीड और भी तेज कर दी, मैं आनन्द के सागर में गोते लगाते हुए मजे से गाण्ड उचका-उचका कर मराती जा रही थी। तभी अनूप चीखते हुए, ‘आह्ह्ह्ह.. सीसी..आह.. मेरा गया तेरी गाण्ड में..’ और उसने ढेर सारा गरम-गरम पानी मेरी गुदा में छोड़ते हुए कस कर मेरी चूचियाँ पकड़ कर और लण्ड जड़ तक पेल कर हाँफते हुए झड़ने लगा।
अब आगे.. अनूप के लण्ड से चूत लड़ाने वाली हूँ आप लोग अपने लण्ड को पकड़ कर बैठ जाइए ताकि मेरी चूत को याद करके मुठ्ठ मार सको.. पर पानी छोड़ते समय मेरी बुर को याद करके ही पानी (वीर्य) निकालना और निकालते समय ऐसा सोचना कि मेरी चूत में ही अपना पानी डाला हो।
कुछ देर बाद अनूप मेरी गुदा से लण्ड निकाल कर बगल में लेट कर बातें करते हुए मेरी चूत सहलाने लगा, उसने कहा- रानी, तुम्हारी गाण्ड मारने में मजा आ गया.. बड़ी प्यारी और सुन्दर है तुम्हारी गाण्ड.. मैं बोली- मुझे भी तुमसे अपनी गान्ड मरा कर मजा आ गया.. तुम ने गाण्ड की प्यास तो बुझा दी पर मेरी चूत प्यासी है। अनूप बोला- जान, लण्ड तुम्हारी चूत की प्यास बुझाए बिना कहाँ भागा जा रहा है।
अनूप एक हाथ से चूत.. दूसरे हाथ से मेरी चूचियों की मालिश कर रहा था। मेरी बुर तो पहले से प्यासी थी.. उस पर अनूप का मेरे बदन और बुर पर हाथ लगाना.. आग में घी का काम कर रहा था। मैं भी अनूप का लण्ड हाथों में लेकर मुठियाने लगी और अनूप की छाती पर हाथ फिराते हुए चुदने के लिए यानी बुर मरवाने के लिए तड़फने लगी।
तभी मुझे एक आईडिया आया कि क्यूँ न अनूप का लण्ड मुँह लेकर चूसूँ.. और चाटूँ.. ताकि अनूप लण्ड जल्द से जल्द गरम होकर खड़ा हो जाए और मेरी चूत की चुदाई शुरू हो सके। मैं अनूप के ऊपर चढ़ गई और चूमते हुए नीचे लण्ड पर पहुँच कर लण्ड को सीधे मुँह में भर लिया, अनूप के लण्ड पर लगे अपनी गाण्ड के रस और वीर्य को चाटने लगी।
फिर मैं जीभ से उसके सुपारे को चाटते हुए कभी पूरा लण्ड मुँह में भर लेती.. कभी सुपारे को चाटती। मेरा ऐसा करना रंग लाया और अनूप का लण्ड पूरा टाइट हो कर एक डंडे के जैसा हो गया पर मैंने लौड़े को चाटना नहीं छोड़ा। इधर अनूप का हाथ मेरी चूतड़ और जांघ से होते हुए मेरी बुर को मसक रहा था। फिर अनूप मेरे मुँह से लण्ड निकाल कर मुझे अपने ऊपर खींच कर.. मेरे होंठ को मुँह में लेकर.. चूसते हुए मेरे पूरे नंगे बदन को सहलाते हुए.. मेरी चूचियाँ भींचता.. तो मेरे मुँह से सिसकारी फूट पड़ती।
मैं कस कर उससे लिपटकर चूत उसकी जाँघों पर रगड़ते हुए.. सिसकारियाँ लेने लगीं, ‘आईई ईईई.. और ज़ोर से.. दबा छातियाँ.. मेरे राजा मेरी चूत और गाण्ड के मालिक.. ले.. मैं मस्ती में सिसियाते हुए उसके होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगी। अनूप मेरे जीभ को मुँह में लेकर चूसते हुए एक उंगली मेरी चूत में पेल कर आगे-पीछे करने लगा..
तभी उसने एकाएक मुझे नीचे लेटाकर मुँह चूत पर रख कर मेरी बुर को चाटने लगा। जैसे एक कुत्ता एक कुतिया की चूत चाट कर उस कुतिया को गर्म कर देता है.. वैसे ही अनूप मेरी चूत चाट कर मेरी चूत को गर्म करने लगा था। मैं अनूप की बुर चटाई से जन्नत की सैर करने लगी, मैं पूरे तेज-तेज स्वर में सिसकारियाँ लेते हुए अपनी चूत चुसवाती जा रही थी। नीचे से अपने चूतड़ों को भी उठाए जा रही थी।
‘ज़ोर से और जोर से आईई.. ई हिस्स्स्स..’ करते हुए चूत चटाई की मस्ती में अपने दाँतों से अपने होंठों को भींच रही थी। एक हाथ से अनूप का सर और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए बोली- अब नहीं रहा जाता.. पेल दे.. चोद दे.. मेरी बुर को.. मेरी चूत में डाल दे लौड़ा.. और मेरी भोसड़ी को फाड़ दे..
इतना सुनते ही अनूप मेरे ऊपर चढ़ कर अपने मोटे लण्ड को मेरी चूत के मुँह पर रख कर अपने लण्ड का सुपारा रगड़ने लगा, उसके लण्ड की रगड़ाई से मैं मस्ती और मदहोशी की आवाज़ में सिसकियां लेकर बोली- आह्ह.. डार्लिंग जल्दी करो ना.. डाल दो ना.. मेरी चूत में अपना लौड़ा.. और बुझा दो मेरी चूत की आग..
तभी उसने एक जोरदार धक्के के साथ लण्ड को मेरी चूत में घुसेड़ दिया और जोरदार शॉट पर शॉट लगा कर मेरी चूत की जबरदस्त चुदाई चालू कर दी। मैं अनूप की चुदाई की गुलाम हो कर चूत उठा-उठा कर ठुकवाने लगी। हर धक्के हर शॉट.. पर मैं चूत उठाकर और सिसियाकर ‘ओह्ह.. आह्ह्ह.. इश्ह्हह्ह्ह.. कम आन.. यससस.. सी फ़क मी..’ कहते हुए अनूप के लण्ड का स्वागत करती।
तभी अनूप ने चुदाई का आसन बदलते हुए मुझे ऊपर ले लिया और मैं चुदाई के नशे में अनूप के लण्ड पर चूत रगड़ने लगी। मैं चुदाई का आनन्द उठाते हुए चरम सुख पाने के लिए ‘सटासट..’ लण्ड पर चूत पटकते हुए मुँह से बकने लगी- आअहह अहह.. अहहा.. सईईई.. आई.. मैं गइ सईईइईई.. आह्ह्ह मेरा निकलने वाला है..
तभी मेरी चूत का लावा फूट पड़ा और मैं चूत लण्ड पर दाबे हुए झड़ने लगी। मुझे झड़ता महसूस कर अनूप तुरन्त मुझे नीचे लिटाकर और जल्दी तेज़ी से चोदने लगा। मेरा काम हो गया और मैं अनूप की बाँहों में ढीली पड़ने लगी लेकिन अनूप तो जोश में मेरी चूत पर ताबड़तोड़ झटके लगाते रहे। अनूप मेरी चूत तब तक चोदते रहे.. जब तक उनका पानी निकलने को नहीं हुआ और कुछ ही पलों में अनूप ‘अह सस सईईइईई.. आह्ह्ह..’ करते हुए और कस कर मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी चूत में लण्ड अन्दर तक डालकर वीर्य चूत में गिराते हुए झड़ने लगे।
शादी में दिल खोल कर चुदी आज अंतिम भाग आप लोगों के सामने रखा है, इसके बाद मैं पुनः अपनी एक नई चुदाई की गाथा लेकर आपके लण्ड का पानी निकालने के लिए जल्द हाजिर होऊँगी.. तब तक मेरे प्यारे मित्रों और बहनों अपना ख्याल और अपने नीचे के सामानों का ख्याल रखना। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी प्यारी नेहा रानी। [email protected]
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