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मैंने चूत की चुदाई का मजा लिया अपने पड़ोस की एक भाभी को चोद कर! वो भाभी अंधविश्वासी थी तो मैंने इसका फायदा उठा कर उसे अपने पाश में फंसाया.
आप सभी अन्तर्वासना की देसी हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने वालों को मेरा नमस्कार.
सही बताऊं तो ये चुदाई की हवस की आग बहुत ही जबरदस्त आग होती है. चाहे ये आग औरत की चुत में लगी हो या आदमी के लंड में लगी हो.
इसी आग के कारण से मैं हर वक्त बस चुत के बारे में ही सोचता रहता था. मुझे बस किसी भी तरह से चूत की चुदाई का मजा लेना था.
लेकिन मैं किसी कॉलगर्ल के पास जाना नहीं चाहता था. इसलिए मैं अपने आस-पास ही किसी चुत को ढूँढने में लगा था.
फिर मैंने एक जुगाड़ करके एक चूत की चुदाई का मजा ले ही लिया. आज उसी की चुदाई की कहानी आपके सामने लेकर हाजिर हुआ हूँ.
हुआ यूं कि उन दिनों गर्मी का मौसम था, तो मैं छत पर ही सोता था. अब मैं छत पर सोता था, तो अपनी चुदाई की चुल्ल को लेकर मैं हर सुबह उठकर अपने आस-पास की छतों और घरों में झांक लेता था कि कोई अच्छा माल दिख रहा है या नहीं.
अभी ऐसा चल ही रहा था कि एक दिन मेरी नज़र हमारे पीछे वाली छत पर गई. उधर एक लड़की अपनी छत पर कपड़े सुखा रही थी.
उसका फिगर ठीक था लेकिन दूध बहुत बड़े थे. मैंने सोचा यही माल हो सकता है, जो मुझे चुत दे सकती है.
अब मैं हर रोज उसके कपड़े सुखाने के टाइम पर उसको देखने लगा.
लेकिन एक दो दिन देखने के बाद मुझे लगा कि ये लौंडिया शायद उम्र में मुझसे काफी छोटी है.
मैंने पता किया तो वो सही में मुझसे छोटी ही थी. मैंने उसको चोदना रिस्क समझा और उसके ऊपर से ध्यान हटा दिया.
मगर मेरी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अब हुआ यूं कि कभी वो लड़की छत पर कपड़े सुखाने आती, तो कभी उसकी मां आती.
मैंने पहली बार उसकी मां को देखा तो देखता ही रह गया. उसकी मां का फिगर 38-32-40 का रहा होगा.
मैंने उन लोगों के बार में जानकारी की तो मालूम हुआ कि ये लोग गांव के लोग थे, जो काफी समय से यहां रह रहे थे.
फिर मैंने तय कर लिया कि उसकी या उसकी मां की तो मैं लेकर ही रहूंगा.
अब पहले मैंने उसकी मां के बारे में पता किया, तो मुझे पता चला कि वो अंधविश्वास, ज्योतिष, कर्मकांड को बहुत मानने वाली है. मैंने उसकी इसी बात का फायदा उठाकर उसे चोद कर चूत की चुदाई का मजा लेने का प्लान बनाया.
अब वो जब भी कपड़े सुखाने छत पर आती, तब मैं खाली पीली फ़ोन में ऐसे बात करता … जैसे उसको लगता कि मैं कोई ज्योतिषी हूँ. मैं जोर जोर से फोन पर कर्मकांड और ज्योतिष की बातें करता … ताकि उसे सुनाई दे जाए.
ऐसा करीब मैंने 6-7 बार किया. वो मेरी बातें सुनकर मेरी तरफ देखने लगती थी.
एक दिन वो भी छत पर थी और मैं भी, तब उसने पहली बार मुझसे बात की.
उसने पूछा- आप क्या करते हो? मैंने बताया- वैसे तो मैं जॉब करता हूँ … लेकिन साइड में ज्योतिष और कर्मकांड, वास्तुशास्त्र का भी काम करता हूँ. उसने उत्सुकता से पूछा- आप मेरा हाथ भी देख लेंगे? मुझे लगा कि मेरा प्लान सही दिशा में जा रहा है.
मैंने फट से कह दिया- हां मैं आपका हाथ देख सकता हूँ. उसने कहा- ठीक है, आपको जब टाइम मिले … तब बताना. मैंने कहा- कल देखता हूँ.
मैं मन ही मन खुश हो रहा था और सोच रहा था कि मैं तो आज भी रेडी हूँ मगर चुग्गा डाला है मेरी अनारकली को, तो इसे कल ही देखूंगा.
बस में दूसरे दिन का इंतज़ार करने लगा.
दूसरे दिन मैं जल्दी उठ गया और नहा धोकर एक धोती पहने हुए छत पर चला गया.
उस दिन मैंने धोती के नीचे कुछ नहीं पहना था. थोड़ी ही देर में वो भी आ गई.
मैं अपनी छत से कूद कर उसकी छत पर चला गया, जहां पर एक खटिया पड़ी थी. मैं उसी पर बैठ गया.
वो भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई. मैंने उसका हाथ पकड़ा और हाथ देखने की एक्टिंग करने लगा.
उसका हाथ देखते टाइम में अपनी कोहनी से उसके मम्मों को टच कर रहा था. लेकिन मैं ऐसे बर्ताव कर रहा था कि उसके मम्मों पर मेरा ध्यान है ही नहीं. उसके चूचे बहुत कड़क थे.
करीब चार पांच मिनट तक मैंने उसके हाथ को देखने की एक्टिंग की और कहा कि आपका हाथ तो बहुत सही है. आप हमेशा खुश रहने वाली महिला हैं. उसने बताया- नहीं, मेरे घर में आए दिन झगड़े होते रहते हैं. पैसा भी नहीं बच पाता है. इधर मेरी सास भी बीमार रहती है.
मैंने कहा- शायद आपके घर के वास्तु में कोई प्रॉब्लम होगी. उसने कहा- आप अगर इस वास्तु के बारे में कुछ जानते हो, तो बताइए. मैंने कहा- ठीक है, मैं कल आपके घर का अध्ययन करके बताऊंगा.
दूसरे दिन मैं उसके घर गया और झूठ-मूठ की ऐसी एक्टिंग की जैसे मैं वास्तु में बहुत निपुण व्यक्ति हूँ.
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- आपके घर में किसी प्रेत आत्मा का साया है, जो आपसे कुछ चाह रहा है.
ये सुनकर वो थोड़ा डर गई और बोली- अब कैसे पता चलेगा कि वो क्या चाहता है … और हम उसे दूर कैसे कर सकेंगे? मैंने कहा- आप चिंता मत करो, मैं हूँ न.
वो मेरी बात से काफी खुश हो गई और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ आशा भरी नजरों से देखने लगी.
मुझे उसका हाथ पकड़ते ही मस्ती छाने लगी और अपने प्लान की सफलता दिखने लगी. मैंने उसके हाथ को दबाते हुए कहा- आप परेशान मत हो, मैं आपसे कल बात करता हूँ.
ये कह कर मैं अपने घर वापस चला आया.
दूसरे दिन जब मैं छत पर पहुंचा, तो मैंने देखा कि वो मुझसे पहले ही आ गई थी. उसने मुझसे पूछा कि क्या हुआ … कुछ पता चला? मैंने उससे तुरंत ही कह दिया कि वो प्रेत आपका शरीर मांग रहा है.
हालांकि ये कहते हुए मेरी भी गांड फ़ट रही थी कि कहीं ये हल्ला ना कर दे … लेकिन रिस्क तो लेना ही था, तो कह दिया. वो मेरी बात सुनकर घबरा गई और बोली- इसका क्या मतलब हुआ? मैंने कहा- भाभी, आपका शरीर है ही ऐसा कि प्रेत तो क्या … इंसान भी मांगने लगेगा.
मेरे ऐसा कहने पर वो शर्मा गई.
उसने हंस कर कहा- तो पंडित जी, अब इसका कोई उपाय तो बताओ! मैंने भी हंसते हुए कहा- उपाय तो है … लेकिन आप बुरा मान जाएंगी.
उसने मुस्कान बिखेरते हुए कहा- बताओ तो सही. मैंने कहा- आपको एक छोटी सी विधि करनी पड़ेगी, जिसमें वो प्रेत आपके घर को छोड़ कर मेरे जिस्म में आ जाएगा और इधर मैं उसे अपने काबू में कर लूंगा. फिर वो आपके जिस्म को टच करेगा, जिससे आपको कोई खतरा नहीं रहेगा.
उसने मेरी बात समझते हुए कहा- ठीक है … लेकिन ये सब आप कब और कहा करेंगे? और पंडित जी इस बात का किसी को पता चल गया तो!
मैंने उसके मन को पढ़ लिया था कि भाभी जी पंडित जी से चुदने को रेडी हैं.
मैंने कहा- भाभी, वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैंने उसे दो दिन बाद मेरे घर पर विधि के लिए आने को कहा … क्योंकि दो दिन बाद मेरे घर पर कोई भी रहने वाला नहीं था.
दो दिन बाद वो दिन में करीब 12 बजे के आस-पास मेरे घर पर आ गई. उस दिन भी मैंने जानबूझकर धोती पहन ली थी, जिसके नीचे मैंने कुछ नहीं पहना था. भाभी ने साड़ी पहनी थी.
मैंने तुरंत वक्त ना गंवाते हुए भाभी को विधि करने बैठा दिया और झूठी विधि करने का ड्रामा चालू कर दिया.
वो मेरे सामने और मैं उसके सामने था. बीच में थोड़ा बहुत पूजा का सामान रखा था. मैंने दो तीन दिए जला रखे थे, जिससे उसे थोड़ा यकीन आ जाए.
करीब पंद्रह मिनट नाटक करने के बाद मैंने बुदबुदाते हुए कहा कि अब प्रेत मेरे शरीर में आ रहा है … लेकिन तुम डरना मत. वो तुम्हें ज़्यादा कुछ परेशान नहीं करेगा, बस थोड़ा तुम्हारे शरीर को टच करेगा. उसने कहा- ठीक है.
मैं इतना सुनते ही उठकर उसके बाजू में बैठ गया और एक दिया उसके हाथों में देकर कहा- आंखें बंद करके इसे पकड़े रखो … ताकि प्रेत तुम्हारे शरीर को ज़्यादा छुए नहीं.
उसने एक हाथ में दिया पकड़ा और मैंने उसकी बॉडी को टच करना चालू कर दिया.
सबसे पहले मैंने उसके सिर पर अपना हाथ रखा और धीरे धीरे करके उसके मुंह पर ले आया. उसके होंठों पर उंगलियां घुमाने लगा. फिर थोड़ा नीचे आते हुए उसकी छाती पर हाथ घुमाने लगा.
कसम से उसके मम्मे बहुत टाइट थे. पांच मिनट तक मैंने उसके दोनों बोबों के ऊपर सिर्फ हाथ घुमाया, लेकिन बोबे दबाये नहीं. इतना टाइम में मेरा लंड प्रीकम छोड़ चुका था, मगर दम साधे मैं लगा रहा.
अब मैं धीरे से उसके पेट को सहलाने लगा और वापिस अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिए. लेकिन इस बार मैंने धीरे से उसका एक दूध दबा दिया और देखा कि उसने कोई विरोध नहीं किया. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
अब मैंने उसके हाथ से दिया ले लिया और उसको सीधा आंखें बंद करके लेट जाने को कहा. मेरे कहने पर वो सीधा लेट गई.
उसके लेटने पर मैंने उसके पेट पर एक दिया रख दिया और कहा- सीधे लेटे रहना … ताकि दिया गिरे नहीं.
इतना करके वापिस मैंने अपने काम को चालू कर दिया.
अब मैं उसके एक बोबे को जोर जोर से दबाने लगा. मैंने उसकी साड़ी थोड़ी हटा दी और ब्लाउज के ऊपर से ही मम्मों को चूसने लगा.
ये करते हुए मैंने दिया बुझा दिया था और अपनी धोती निकाल दी. मैं पूरा नंगा हो गया था और मेरा लंड भी एकदम कड़क हो गया था.
इसके बाद मैं नीचे आ गया और उसकी साड़ी को जांघ तक ऊपर कर दिया. उसके पैरों पर मैं अपनी जीभ रगड़ते हुए उसकी जांघ तक ले गया.
अब तक वो भी शायद गर्म हो चुकी थी … लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी.
मैं उसकी जांघ पर अपनी जीभ रगड़ने लगा और ऐसा करते हुए उसकी साड़ी कमर तक ऊपर कर दी.
साड़ी ऊपर करते ही मैंने उसकी पैंटी देखी, जो ब्राउन कलर की थी और गीली हो चुकी थी.
मैं समझ गया कि भाभी चुदने के लिए मचल उठी हैं. मैं भाभी की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चुत को चाटने लगा और एक हाथ से मम्मों को दबाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा- अब तुम आंखें खोल कर मुझे देख सकती हो.
उसने आंखें खोलीं और मुझे नंगा देखकर थोड़ी विचलित हो गई. वो मेरे खड़े लंड को देखने लगी.
मैंने उससे कहा- मैं प्रेत हूँ … एक बार संभोग करना चाहता हूँ. इतना कहते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को मसलने लगा.
मैं इस तरह से चढ़ा था कि भाभी अपनी चुत पर मेरे लंड को महसूस कर रही थी.
मैंने होंठों को चूसने के बाद उसके ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा में से चुचे बाहर निकाल दिए.
अब मैं भाभी के चुचे चूस रहा था. कभी एक चूचा चूसता तो कभी दूसरा दबाता. इसी तरह से दूसरे के साथ करता.
ये करते करते मैंने पैंटी में हाथ डाल दिया और भाभी की चुत को उंगली से रगड़ने लगा.
अब तक भाभी काफी गर्म हो चुकी थी, तो वो भी साथ देने लगी.
मैंने धीरे धीरे करके भाभी के सारे कपड़े निकाल दिए. अब वो बिल्कुल नंगी लेटी थी. उसकी चुत पर थोड़े बाल थे.
मैं उसकी चुत में अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था.
थोड़ी देर चुत चाटने के बाद मैंने अपना लंड भाभी की चुत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा.
वो भी इस सबका आनन्द लेने लगी थी. मैंने उसे तीन चार अलग अलग आसान में चोदा.
इतना चोदने के बाद मैंने भाभी को एक कुर्सी में बिठाया और उसके मुँह के सामने अपना लंड रख के खड़ा हो गया. वो मेरा इशारा समझ गई और लंड मुँह में ले लेकर चूसने लगी.
मुझे तो बहुत मजा आ रहा था. शायद उसे भी लंड चुसाई में मजा आ रहा था इसलिए वो मेरी आंखों में झांकते हुए और मेरे आंडों को सहलाते हुए लंड चुसाई का मजा ले रही थी.
लंड चुसाई के बाद मैंने उसे कुर्सी के सहारे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड पेल कर उसकी लटकती चूचियां पकड़ कर दबादब चोदने लगा.
वो मस्त आवाजें करके चुदवा रही थी.
काफी देर चूत की चुदाई का मजा लेने के बाद हम दोनों स्खलित हो गए और एक दूसरे से अलग हो गए.
अलग होने के बाद हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए.
मैंने उससे कहा कि तुम ये मत समझना कि मैंने कुछ किया है, ये सब प्रेत ने किया है. तुम मुझे गलत मत समझना.
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और मुस्कुरा कर जाने लगी.
जाते जाते उसने पूछा- पंडित, ऐसा प्रेत बार बार भी करेगा तो भी कोई दिक्कत नहीं है. बस आप बता देना कि अगली बार प्रेत को कब शांत करना है, मैं आ जाऊंगी.
ये कह भाभी आंख दबा कर चली गई.
मैंने भी लंड सहलाया और भाभी से मिले चूत की चुदाई का मजा को याद करके एक सिगरेट फूंक कर ताजगी महसूस की. अब अगला टार्गेट भाभी की लौंडिया थी.
तो दोस्तो, ये थी मेरी सेक्स कहानी. आपको सच लगे या झूठ … वो आपके ऊपर है, लेकिन सेक्स कहानी मैंने एकदम सच्ची लिखी है. आशा करता हूँ आपको पसंद आई होगी. मेरी इस सेक्स कहानी पर आपके मेल का इंतजार रहेगा. [email protected]
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