This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
प्यारे दोस्तो, एक बार फिर आप सब के सामने आपका प्यारा शरद इलाहाबाद से एक नई कहानी के साथ हाजिर है। आप तैयार हैं न.. इस नई कहानी को पढ़ने के लिए। इस कहानी को लिखने से पहले मैं अपने उन सभी प्रशंसकों को बहुत-बहुत धन्यवाद दूँगा.. जो मेरी कहानी पढ़ कर मुझे अगली कहानी लिखने या मेरा एक्सपीरिएंस शेयर करने के लिए प्रेरित करते हैं। एक बार फिर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
लेकिन इस बार कहानी काल्पनिक है.. क्योंकि यह कहानी मेरे सपने से है, आपसे शेयर करना चाहता हूँ और जितना मैं सोच सकता हूँ.. उतना गंदा सोच कर.. मैं इस कहानी को लिख रहा हूँ, तो मेरे सपनों वाली कहानी का मजा लीजिए और अपना प्यार भरा संदेश मुझे दीजिए। हाँ दोस्तों इस कहानी में मैं किसी की चूची की नाप नहीं बताउँगा और न ही फिगर की साईज।
दोस्तो, मैं उस रात घर में बिल्कुल अकेला था। क्योंकि मेरे परिवार से सभी लोग मेरे ससुराल किसी फंक्शन में शिरकत करने गए थे। इस वक्त पूरे घर का बोझ मुझ नन्ही सी जान के कन्धे के भरोसे छोड़ गए। खैर.. मुझे भी शादी वाले दिन ही ससुराल पहुँचना था.. तो मैंने भी हामी भर दी।
सबके जाने के बाद दिन भर के काम को निपटा कर मैं सोने की तैयारी करने लगा।
दोस्तो, एक बात में यहाँ आप लोगों को बता दूँ कि जिस चीज का आप दिन भर विचार करते हो, वही विचार रात में आपको सपने में आने लगता है और उस दिन घर में अकेले रहने का फायदा उठाना चाहता था.. लेकिन मुझे कोई नहीं मिली। सपना आरम्भ..
अरे मैं यह कहाँ आ पहुँचा। एक कालेज, जिसमें खूबसूरत खूबसूरत लड़कियाँ चारों तरफ! मैं केमेस्ट्री लैब असिस्टेन्ट पद के लिए इन्टरव्यू देने पहुँचा था।
उधर एक 55-56 वर्षीय प्रोफेसर ने इन्टरव्यू लिया और मुझे अपने असिस्टेन्ट के लिए चुन लिया। वो किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। अब तो मेरे साथ ऐसा हो गया था कि सुबह कालेज में और बाकी बचा टाईम उन प्रोफेसर से साथ बिताओ। मुझे बड़ी गुस्सा आ रहा था कि मेरी जिन्दगी झाँट बराबर हो गई है। लेकिन मजा इस बात में था कि लैब में एक सी एक सुन्दरियाँ देखने को मिल जाती थीं.. मैं भी आँखें सेंक कर अपना काम चला रहा था इसलिए प्रोफेसर के साथ रहने में मुझे कोई आपत्ति नहीं थी।
क्योंकि प्रोफेसर नितान्त अकेला था, उसके लैब में चूहे, बिल्ली और छोटे-मोटे जानवर थे जिस पर वो प्रयोग करता रहता था। छ: महीने उसके साथ बीत गए.. लेकिन वो क्या करता.. क्या नहीं करता.. मुझे कुछ पता नहीं चलता और न तो प्रोफेसर ही कुछ बता रहा था।
हाँ.. सकून इतना था कि मुझे गर्ल्स हॉस्टल का वार्डन भी बना दिया गया था और खाली समय में हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को देख कर अपनी आँखें सेंकता और आहें भरता और अपने दिन व्यतीत कर रहा था।
कुछ लड़कियों पर मेरी नजर तो थी और मुझे लगता था कि वो भी मुझे लिफ्ट दे रही हैं.. पर स्कूल में नई जॉब के कारण में उन पर हाथ नहीं धर पा रहा था।
खैर.. इसी तरह 9 महीने बीत गए थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन मेरे नागराज को मुझसे शिकायत होती जा रही थी और शिकायत हो भी क्यों न? मेरी जिन्दगी तो झंड हो रही थी और मेरे नागराज की भी हो रही थी।
फिर एक दिन में प्रोफेसर के साथ उसके लैब में था, तभी एक अजीब सी घटना हुई। हुआ यूँ कि प्रोफेसर साहब ने 8-10 लिक्विड घोलों को आपस में मिक्स किया और रोज की तरह एक बूंद पिंजरे में बंद चूहे के आगे डाल दिया।
हालाँकि इससे पहले वो जब भी एक या दो बूँद अपने एक्सपेरीमेन्ट वाले घोल को चूहे को देते थे तो या तो चूहा मर जाता था या फिर उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता था। लेकिन उस दिन बहुत अजीब सा हुआ, चूहे का जिस्म अपने आकार का 30 प्रतिशत बढ़ गया और वो बहुत बलशाली भी हो गया। प्रोफेसर के चेहरे पर एक बच्चे जैसी मुस्कान थी और मेरी तरफ देखकर मुझसे लिपटते हुए बोले- सक्सेना, तुम मेरे लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुए।
तभी मेरी नजर पिंजरे पर पड़ी तो मैंने देखा..! देखा उधर से चूहा गायब था। मुझे नहीं समझ में आ रहा था कि जिस चूहे के आकार में इतनी बढ़ोत्तरी हो गई है, वो पिंजरे से जा कहाँ सकता है। मैं हैरानी से प्रोफेसर की ओर देख रहा था, प्रोफेसर मेरी ओर देखकर मुस्कुराए और बोले- सक्सेना, मैंने कहा था ना कि तुम मेरे लिए भाग्यशाली हो.. मेरे दो-दो एक्सपेरीमेन्ट एक साथ कामयाब हो गए हैं। एक तो किसी के जिस्म को मैं बलशाली बना सकता हूँ और दूसरा ये कि मैंने एक ऐसी दवा खोज ली है, जिससे कोई भी कभी भी गायब हो सकता है। गायब होने वाले को कोई नहीं देख सकता है।
मैं प्रोफेसर को हैरत भरी निगाहों से घूरे जा रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वाकयी में प्रोफेसर सच बोल रहा है। हाँ दोस्तो.. इन 9-10 महीने में मैं और प्रोफेसर बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे और कभी-कभी खुल कर बात कर लिया करते थे।
तभी प्रोफेसर मुझे झकझोरते हुए बोले- सक्सेना, क्या सोच रहे हो? ‘कुछ नहीं..’ मैंने बोला। ‘नहीं.. दिमाग में कुछ हो तो बताओ?’ ‘बलशाली का मतलब नहीं समझा?’ ‘अरे पगले.. बलशाली का मतलब कि जो मर्द किसी कारणवश अपनी मर्दानगी को साबित नहीं कर सकता, उसको यह दवा बहुत फायदा करेगी।’ मेरे मुँह से झट से निकला.. मतलब जो जल्दी झड़ जाता होगा.. उसके लिए ये दवा तैयार की है आपने?’ ‘हाँ..’ प्रोफेसर बोले।
प्रोफेसर से उसके एक्सपेरीमेन्ट के बारे में बात करते-करते तीन से चार घंटे बीत गए होंगे.. तभी चूहा अपने पिंजरे में वापस दिखा। लेकिन अब वो सुस्त था और थोड़ी देर बाद मर गया। उसका शरीर भी अपने आकार में आ गया।
अब प्रोफेसर के माथे पर सिकन आई.. वो चूहे को उलटने-पलटने लगे.. लेकिन बोले कुछ नहीं। मैंने पूछा- चूहा तो मर गया.. अब क्या होगा?
मेरी तरफ देखने के बाद बोले- सक्सेना.. बुरा न मानो.. तो कहीं से एक कुत्ता और एक कुतिया लेकर आ जाओ। पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैं बिना कोई ऐतराज किए बाहर गया और किसी तरह एक कुत्ते और एक कुतिया को पकड़ कर ले आया।
तब तक प्रोफेसर अपने लैब में अपनी बनाई हुई दवाई के साथ कुछ करते रहे। मैंने प्रोफेसर से कुत्ते लेकर आने की जानकारी दी, तो उन्होंने एक छोटे से कमरे में बन्द करने को कहा और उस कमरे की खिड़की खुली रखने को कहा।
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि प्रोफेसर उन कुत्तों के साथ करना क्या चाहता है। खैर.. जैसा प्रोफेसर ने कहा.. वैसा मैंने किया।
थोड़ी देर बाद प्रोफेसर ने दो बूँद दवा मेरी सहायता से केवल कुत्ते को पिलाईं और उसे वापस कमरे में छोड़ दिया और हम दोनों लोग बाहर से होने वाले रिएक्सन को देखने लगे।
दो मिनट बाद ही कुत्ता.. कुतिया को चूमने-चाटने लगा। कभी कुतिया को पीछे से चाटता.. तो कभी उसके मुँह को चाटता। ऐसा लगता कि चाट-चाट कर वो कुतिया को तैयार कर रहा हो और थोड़ी देर बाद ही कुत्ता कुतिया पर चढ़ गया। कुत्ता करीब आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक चढ़ा रहा, वो हाँफ रहा था, लेकिन कुतिया को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था। लगभग पैंतालिस मिनट के बाद उसने कुतिया को छोड़ा।
इसको देखकर प्रोफेसर के आँखों में खुशियाँ सी छा गईं। ‘प्रोफेसर..’ मैंने पूछा- आपकी आँखों में खुशियाँ देखकर लग रहा है कि सफलता मिल गई है।
मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोले- सक्सेना दो दिन की बात है। अगर इस कुत्ते को कुछ नहीं हुआ तो समझ लो कि इसके बाद हर मर्द अपने सुख को वापस पा लेगा।
खैर.. दो दिन जब कुत्ते को कुछ नहीं हुआ तो उसे छोड़ दिया गया। मैंने सकुचाते हुए प्रोफेसर से कहा- क्या मैं भी इसका यूज कर सकता हूँ।
‘क्यों नहीं.. लेकिन लड़की कहाँ मिलेगी और लड़की नहीं मिली तो मुठ्ठ मारने का क्या फायदा?’ ‘अच्छा.. तो प्रोफेसर वो गायब होने वाली दवा?’ ‘ओह.. अब मैं समझा?’ वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोले- मैं वही दवा बनाने की कोशिश कर रहा हूँ और सफल भी हो रहा हूँ। बस एक शर्त के साथ उसे तुम्हें दे भी दूँगा कि किसी लड़की को उसके मर्जी के बिना नहीं चोदोगे। ‘नहीं प्रोफेसर.. मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूँगा..’
मुझे ऐसा कुछ कहने में हर्ज नहीं था। मैं बाद में क्या करने वाला था, प्रोफेसर को कौन बताने वाला था.. इसलिए मैंने प्रोफेसर को बोला। ‘लेकिन प्रोफेसर किस लड़की के दिल में क्या है… उसको जानने के लिए तुम्हारी वो दवा बहुत हेल्प करेगी। दस महीने से चोदने के लिए कोई मिली नहीं है.. साला मेरा लण्ड भी अब मुझे गाली दे रहा है।’
तभी प्रोफेसर बोला- ठीक है 2-4 दिन रुक.. हो सकता है कि तेरी और मेरी दोनों की समस्या हल हो जाए। इतना कहकर वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराने लगा।
मित्रो, मेरी यह कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मैंने अपनी लेखनी से आप सभी के लिए एक ऐसा प्रसंग लिखना चाहा है.. जो मानव मात्र के लिए सम्भोग की चरम सीमा तक पहुँचने की सदा से ही लालसा रही है।
मुझे आशा है कि आपको ये कहानी पसंद आएगी। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में! कहानी जारी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000