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मेरे कामुक दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. मैं भी अरुण के लण्ड पर चूत उछाल कर चुदने लगी। धीरे-धीरे अरुण मेरी चूचियाँ मसकते हुए ‘गचा-गच..’ लण्ड मेरी चूत में पेलते जा रहे थे। मेरी चूत से ‘फच- फच’ की आवाजें आती रहीं। मेरी चूत लण्ड खाती जा रही थी ‘ऊऊहह.. उईई.. ओम्मम्मम्मा.. आआहह.. और पेलो.. चोदो मुझे.. मारो मेरी चूत.. आह.. सीउई.. मैं गईई..’ मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं कस कर लिपट गई और मेरे बदन और चूत की गरमी पाकर अरुण भी मेरी चूत में अपना पानी डाल कर शान्त हो गए।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और हम दोनों नंगे ही उछल कर बिस्तर से नीचे आ गए। पता नहीं कौन होगा? एक अंजान से भय से एक-दूसरे का मुँह देखते हुए बोले- अब क्या करें? अब आगे..
मैं नाईटसूट को नीचे करके अरुण जी को विन्डो पर लगे परदे के पीछे छिपने को बोल कर दरवाजा खोलने चली गई। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने वही लड़का था। मेरे तो होश ही उड़ गए.. अब क्या करूँ? अन्दर अरुण.. सामने यह खड़ा है..
मेरे मुँह से बोल ही नहीं फूट रहा था। एक तो मेरी चूत से अरुण का वीर्य बहकर मेरी जाँघों तक आ गया था और वीर्य की एक भीनी सी महक आ रही थी। मैं डर गई.. कहीं इसे भी यह महक ना मालूम चले.. नहीं तो क्या कहूँगी.. कि कौन चोद रहा था। एक और डर लग रहा था.. कि कहीं ये अरुण के सामने ही मेरे साथ कुछ करने ना लगे।
वह आगे बढ़ा.. तभी मुझे ख्याल आया कि यह तो मेरे और अरुण के सम्बन्ध को जानता है कि अरुण मुझे चोदते हैं। पर अरुण जी नहीं जानते हैं कि इससे भी मेरा कोई सम्बन्ध है। किसी तरह मैं इसे बता दूँ कि अरुण कमरे में ही हैं.. नहीं तो मैं अरुण की निगाहों में गिर जाऊँगी।
मैं तुरन्त बोली- आप कौन..? क्या काम है? यह कहते हुए उस लड़के से सट कर एक ही सांस में बोल गई कि अन्दर अरुण जी हैं.. कोई हरकत मत करना.. वो अभी-अभी मुझे चोद चुके हैं। इतना सुनते वह एक कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोला- पूजा दी ने आपको बुलाने भेजा था..
दोस्तो.. आप सोच रहे होंगे कि अब यह कौन है.. पूजा दुल्हन की सहेली थी जो मुझसे भी घुल-मिल गई थी। उसने बात पलटी कर जानबूझ कर पूजा का नाम लिया था। मैं बोली- चलो.. मैं अभी आती हूँ।
पर वह जानबूझ कर भी मुझे परेशान करने के मकसद से बोला- भाभी जी कुछ स्मेल सी आ रही है.. अजीब सी? यह कहते हुए वो कमरे में सूंघने की सी हरकत करते हुए इधर-उधर देखते हुए परदे की तरफ आगे बढ़ गया। वो बोला- भाभी.. क्या आपको नहीं आ रही है? मैं बोली- कैसी महक? मुझे तो नहीं आ रही..
मैं उसके करीब को गई.. कहीं वह सचमुच में वो परदा न हटा दे जिसके पीछे अरुण खड़े थे। शायद उसका मक्सद अरुण को डराना ही था.. वो परदे के पास जाकर पलटा और मेरे करीब आकर बड़ी धीमी आवाज में बोला- बड़ी भारी चुदक्कड़ हो.. साली थोड़ा मेरे साथ बाहर तक आ..
मैं उसके साथ तक दरवाजे के पास गई.. पर वह बाहर निकल कर मुझे इशारे से गलियारे में बुलाने लगा।
मैं एक बार कमरे में देख कर बाहर निकली.. तभी उस लड़के ने मुझे पकड़ कर अपनी बाँहों में भर कर.. एक हाथ को मेरी चूत पर रख कर.. एक उंगली मेरी चूत में पेल कर बाहर निकाला और अरुण के वीर्य और मेरे रज से सने हाथ को सूँघते हुए बोला- इस महक ने मुझे पागल कर दिया है.. मन हो रहा है कि अभी गिरा को तेरे को चोद दूँ।
मैं बोली- अभी जा.. बाद में आना.. नहीं तो अरुण जी क्या सोचेगें।
वह मुझे अपनी बाँहों में कसते हुए बोला- तुझे क्या सोचने की पड़ी है! अरुण भी तुझे चोदकर जान गए होंगे कि बहुत बड़ी छिनाल है। यह कहते हुए उसने कस कर मेरी चूचियों और चूत को दबा कर कहा- तू यहीं झुक जा.. मैं एक बार लण्ड तेरी चूत में पेल कर ही जाऊँगा.. नहीं तो मैं नहीं जाऊँगा।
मैं बोली- प्लीज कोई देख सकता है.. और अन्दर अरुण जी हैं.. वे क्या सोचेगें कि तुम्हारे साथ नाइट ड्रेस में कहाँ चली गई.. कहीं वे बाहर झांकने न आ जाएँ। यदि उन्होंने देख लिया तो? वह बोला- चाहे जो हो जाए.. मैं बिना तेरी चूत में लण्ड डाले नहीं जाऊँगा.. यह कहते हुए वो मुझे झुकाकर जबरिया मेरी प्यारी चूत में लण्ड पेलने लगा।
अरुण के पानी से भीगी चूत में अपना लण्ड लगा कर एक ही झटके से लण्ड मेरी चूत में पेल दिया, मैं सिसिया कर रह गई ‘आहआह..हसीसी..’
वह मेरी चूत का बाजा बजाते हुए लण्ड चूत में पेलता जा रहा था। फिर वो लण्ड को पूरा बाहर खींच कर मेरी चूत पर रगड़ने लगा.. तभी एकाएक अपने लंड को चूत पर रख एक झटके में अन्दर घुसेड़ दिया। ‘उई माँ..’ मैं चीख पड़ी, ‘उईइ माँ.. मर गई रे.. उई उई उईईई.. कितना मस्त लौड़ा है तेरा.. मेरी जान..’
वो एक हाथ से मेरी चूचियों को दबाए जा रहा था और एक हाथ से मेरी कमर पकड़ कर शॉट लगा रहा था। मेरी चूत पर उसने 7-8 शॉट मार कर लण्ड चूत से खींच कर पैंट में अन्दर करके चल दिया। वो जाते-जाते बोला- तैयार हो जा मुझसे चुदने के लिए..
मैं मन ही मन साले को गाली दे रही थी- हरामी को तड़पाने में जाने क्या मिलता है? फिर एक बार तड़पा कर चल दिया।
तभी मुझे अरुण का ध्यान आया और मैं जल्दी से अन्दर आकर दरवाजा बन्द करके पलटी, तभी अरुण जी परदे से बाहर निकल कर बोले- यार मुझे लगा कि हम पकड़े गए.. पर बच गए.. नहीं तो आज मेरी वजह से तुम्हारी इज्जत चली जाती।
मैं बोली- तो अब तो जल्दी करो.. कोई और आ जाए.. आप फ्रेश होकर यहाँ से निकलो। अरुण सीधे बाथरूम में जाकर बाहर फ्रेश होकर निकल गए। अरुण के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद करके बाथरूम में गई और अपनी मुनिया को रगड़ कर साफ करके और जांघ को साफ किया। चूत साफ करते मुझे करन्ट सा लगा.. साली फिर गरम हो गई थी।
अपने हाथ से चूत के लहसुन को रगड़कर मन मार कर बाहर चली आई इस आस में.. कि अभी फिर चुदेगी.. चुदाई से चूत फूल चुकी थी। आज सुबह से मेरे साथ क्या हो रहा था.. न चाहते मेरी चूत चुदना चाहती थी और मुझे कोई ना कोई चोद ही रहा था। अभी चुदाई बाकी है। आगे देखो कि मैं उस लड़के से चुदी कि नहीं.. या कोई और चोद गया।
कहानी जारी रहेगी। नमस्ते आपकी नेहा [email protected]
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