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यह बात है कुछ दिन पहले की.. हुआ यूं कि मैं सुबह सोया हुआ था और सपने में तीन हसीन लड़कियों के साथ धक्कमपेल में लगा हुआ था। दो लड़कियाँ मेरा लण्ड चूस रही थीं और एक मेरे मुँह पर बैठ कर चूत चटा रही थी। कुछ देर बाद मुझे लगा कि एक लड़की ने मेरे लण्ड पर जोर से काटा.. मैं चिल्लाया और एकदम से उठ कर बैठ गया.. मेरी नींद टूट चुकी थी।
देखा तो लण्ड पर काटने वाली लड़की कोई और नहीं.. बल्कि मेरी पत्नी थी, मुझ पर जोर-जोर से हँस रही थी। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और पकड़ कर अपने नीचे दबा लिया।
मैंने कहा- यह कौन सा तरीका है उठाने का? उसने शरारती लहजे में कहा- जनाब तो नींद में सपने देख कर इसे मसल रहे थे। यह कहते हुए उसने मेरा लण्ड पकड़ कर जोर से खींच दिया।
मैं फिर जोर से चिल्लाया.. मगर उसे उठने नहीं दिया। मुझे थोड़ी शरम भी आई.. मगर मैंने कहा- पता है, दो लड़कियाँ मेरा लण्ड चूस रही थीं, मुझे कितना मजा आ रहा था, तूने सब खराब कर दिया, इसकी सजा तो तुझे मिलेगी।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया। दोनों हाथों को पकड़ कर गाउन कमर के ऊपर तक चढ़ा दिया। चूंकि रात को सोते समय वह पैन्टी नहीं पहनती है.. तो उसकी झांटों वाली चूत उजागर हो गई। मैंने बिना किसी फ़ोरप्ले के सीधे लण्ड चूत पर रखा और अन्दर धकेल दिया। वो जोर से चिल्लाई.. दर्द तो मुझे भी हुआ.. मगर मैंने जाहिर नहीं होने दिया।
मेरी पत्नी के आँसू निकल गए.. पर मैंने अनदेखा करते हुए काम चालू कर दिया। चूत में लौड़े ने थोड़ी सी जगह बना ली और मैं धक्के मारने लगा, अब वह भी मेरा साथ देने लगी, मगर मैं तो वही गुस्से के अंदाज में ही चोद रहा था, दोनों हाथों से उसके बोबे जोर-जोर से मसल रहा था।
चूंकि हम रोज चुदाई करते हैं.. इसलिए मैं झड़ने में समय अधिक लेता हूँ।
मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था। थोड़ी देर में वह झड़ गई.. अब उसे दर्द हो रहा था। मैं समझ गया और मैंने अपना लण्ड चूत से बाहर निकाला और उसके गाउन से पूरा साफ किया और उसके गले पर जा कर बैठ गया एवं अपना लण्ड उसके होंठों पर रगड़ने लगा। ‘हट गंदे..’ कह कर उसने मुँह फेर लिया।
मैंने कहा- सजा तो मिलेगी.. जल्दी से मुँह लाओ.. उसने नखरे नहीं करते हुए मुँह मेरी तरफ करते हुए अपने होंठों पर मेरा लण्ड रखवा लिया, मैंने लण्ड मुँह में डाल दिया और धक्के मारने लगा।
कुछ देर में मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया और उसकी गाउन उतार दी और अपना पूरा वीर्य उसके पेट.. बोबे.. गर्दन एवं गाल पर निकाल दिया। वह बोली- छी:.. यह क्या किया! मैंने कहा- सजा पूरी हुई। मैं हँसते हुए अपने वीर्य से उसके बोबे मसलने लगा।
मैंने कहा- सॉरी.. यह कोई सजा नहीं थी। वह बोली- सॉरी किसलिए.. मुझे तो बहुत मजा आया.. हाँ.. थोड़ा दर्द जरूर हुआ। मगर आपने कुछ नया किया.. ऐसा लगा जैसे आपने मेरा जबरन चोदन कर दिया हो।
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया और शावर चालू करके उसके एक-एक अंग को साबुन से साफ किया। मैं जानता था कि उसकी चूत दु:ख रही होगी इसलिए मैंने उत्तेजित हो रहे लण्ड पर काबू रखा।
मगर मेरी पत्नी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- आपकी सजा से मेरे बदन में और चूत में दर्द हो रहा है, अब आप मेरे बदन की मालिश कर दो। मैं समझ गया कि वह उत्तेजित हो रही है, मैंने कहा- देख तेरी चूत में दर्द है, केवल मालिश करूँगा.. चोदूंगा नहीं.. वो बोली- ठीक है.. मगर चूत चाट तो सकते हो ना..
मैंने कहा- तेरे लिए तो जान हाजिर है.. रानी.. मालिश और चूत चाटना कौन सी बड़ी बात है। आपका हुक्म सर आँखों पर.. जानेमन अब मालिश यहीं पर कराएगी या बिस्तर पर? वह बोली- भाईसाहब, मुझे गोद में तुम्हारा साला उठा कए ले जाएगा क्या?
इस बार मैंने उसको अपने कंधे पर उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और मैं तेल की शीशी.. नैपकिन लेने बाथरूम में चला गया। जब वापस आया तो देखा नेहा ने अपनी दिशा बदल ली थी, पाँव दीवार की तरफ ओर सर बाहर की ओर।
अरे.. मैं अपने और मेरी पत्नी के बारे में बताना तो भूल ही गया। मैं अमित और मेरी पत्नी का नाम नेहा है। मैं 6’1″ का लम्बा.. साधारण काठी वाला अलमस्त स्वभाव का हूँ, वैसे तो लण्ड की साइज कोई मायने नहीं रखती.. पर करीब 6″ है।
नेहा 5’6″ लम्बी.. न दुबली.. न मोटी.. बड़े चूचों वाली.. रंग से एकदम गोरी.. चिकनी एवं गुलाबी चूत की मालकिन.. चिकनी जाँघें.. एकदम माल लगती है.. उसका फिगर 34-28-36 का है, चूचे दूध जैसे गोरे.. निप्पल भूरे.. छोटे और उभरे हुए हैं।
तेल की शीशी पलंग पर रख कर मैंने उसके होंठों पर किस किया और पूरे नंगे बदन पर हाथ फेरा। नेहा सिसकारियाँ ले रही थी। फिर मैं पलंग पर चढ़ गया और पैरों एवं जांघों पर तेल डालकर हल्के हाथों से मसलने लगा। नेहा ने पाँव फैला दिए.. जिससे उसकी गुलाबी चूत खुलकर सामने आ गई। मैंने अभी चूत को नहीं छेड़ा।
अब मैं पेट पर तेल डालकर मालिश करने लगा, उसने मेरा लण्ड हाथ में पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी, मैंने अपने लण्ड पर भी तेल डाल दिया।
इस तरह मैं नेहा के पेट कमर पर और वह मेरे लण्ड पर मालिश कर रही थी। कुछ देर बाद मैं पलंग से नीचे उतर गया और नेहा को पेट के बल उल्टा लिटा दिया। मैंने देखा वह थोड़ी ऊपर खिसक गई, सर उसने पलंग के बाहर कर लिया। मैं अपने काम में लग गया, नेहा की पीठ पर ढेर सारा तेल डाल दिया और मालिश करने लगा।
अब नेहा ने पास रखा नैपकिन उठाया और मेरे लण्ड पर जमा तेल पोंछने लगी। मैं समझ गया इसका इरादा क्या है। ढेर सारा थूक निकाल कर उसने लण्ड को एकदम साफ कर दिया। फिर वह लण्ड के छेद को अपनी जुबान से छेड़ने लगी। मैं अपना काम कर रहा था।
वह जानती थी कि ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आता है। कभी सुपाडा़ चूसती.. तो कभी पूरा लण्ड मुँह में भर लेती। ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गई हो। लगभग रोज ही नेहा मेरा लण्ड चूसती है। मगर ऐसा मजा पहली बार आ रहा था। पोजिशन चेंज करने का मन नहीं हो रहा था। मगर काम बहुत बाकी था।
इसलिए मैंने लण्ड उसके मुँह से बाहर निकाला और नीचे बैठ कर उसके होंठों को चूसने लगा। फिर उठकर उसे सीधा लिटा दिया। इससे नेहा के चूचे उठ कर सामने आ गए। पहले बारी-बारी से दोनों निप्पलों को चूसा। फिर दोनों बोबों पर तेल डालकर मालिश करने लगा।
पर यहाँ भी नेहा ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और सिर नीचे लटका कर लण्ड को मुँह में भरने की कोशिश करने लगी। शायद उसे कोई ब्लू-फिल्म याद रह गई। वो ठीक से तो नहीं कर पा रही थी.. मगर माहौल एकदम पोर्न फिल्म जैसा हो गया था। मैं उसके चूचों को तेल से मसल रहा था। वो मेरा लण्ड चूस रही थी, चूत अभी तक अनछुई थी, हाँ उत्तेजना में एक बार वह झड़ जरूर चुकी थी।
मैंने कुछ देर और चूचों की मसाज की। फिर अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और पलंग पर चढ़ गया। नेहा के दोनों पाँव फैला कर उनके बीच में बैठ गया। चूत की दोनों फांके खोलकर नैपकिन से पूरा साफ किया। तेल की शीशी से धार बनाकर उसकी चूत पर खूब सारा तेल डाल दिया, बाल तो उसने दो दिन पहले ही साफ किए थे इसलिए मेरे हाथ ठीक से चल रहे थे।
कभी मैं चूत के दाने पर मसाज करता तो कभी फाँकों पर तो कभी चूत को बंद कर ऊपर की फूली हुई जगह पर करता। वह मस्त हुई जा रही थी। अब मैंने धीरे से एक उंगली चूत के अन्दर डाल दी। उसकी सिसकारी निकल गई। कुछ देर बाद वह बोली- चाटने का क्या इरादा है या नहीं.. मैंने कहा- अभी लो स्वीटी.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने नैपकिन से चूत को फिर साफ किया और जुबान से चाटने लगा, कभी होंठ से कभी जुबान से चाटने का सिलसिला चलता रहा। वह भी अपनी गांड उठा-उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी। थोड़ी देर बाद उसका संयम जवाब दे गया और बोली- अब सहन नहीं हो रहा। प्लीज लण्ड को डालो अन्दर।
मैंने उसकी चुदास को समझा और उसके पाँव ऊपर उठा कर एक झटके में लण्ड पूरा चूत में डाल दिया। चूंकि तेल की वजह से चूत बहुत चिकनी हो गई थी इसलिए लण्ड बहुत आसानी से अन्दर चला गया।
धक्के चलते रहे.. जब मैं झड़ने को हुआ तो नेहा ने कहा- माल मेरे हाथों में गिराना। मैंने वैसा ही किया। उसने पूरा वीर्य हाथ में ऐसे लिया जैसे तेल ले रही हो। उसने किया भी वैसा ही वीर्य के दोनों हाथों में मसल कर मेरे लण्ड की मालिश करने लगी।
फिर हम बाथरूम में गए.. पर यहाँ भी उसकी फेंटेसी बाकी थी, उसने मुझे पॉटी सीट पर बैठने को कहा। मैं बैठ गया वह मेरे ऊपर आने लगी। मुझे लगा फिर से लण्ड चूत में डालना चाहती है.. पर लण्ड के पास आकर चूत को उसने रोक लिया, दोनों हाथों से मेरे कंधे पकड़े और पेशाब की धार मेरे लण्ड पर छोड़ दी और मुझे भी ऐसा ही करने को कहा। मैंने भी धार छोड़ दी उसकी चूत पर, दोनों की धारें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
गजब ढा दिया नेहा ने तो आज।
यह नजारा तो मैंने किसी भी पोर्न फिल्म में नहीं देखा था। फिर नेहा के दिमाग़ में कहाँ से आया। खैर जहाँ से भी आया हो अभी तो बहुत मजा आ रहा था। फिर साफ कर के हम बिस्तर पर आ कर लेट गए।
मैंने उसको चूमा और बोला- मुझे लगा आज नेहा नहीं.. कोई पोर्न स्टार को चोद रहा था। वह बोली- अगर ऐसे सपने देखोगे तो मुझे भी वैसा ही बनना पड़ेगा ना। चलो अब उठो तैयार हो जाओ दुकान नहीं जाना क्या? फिर मैं तैयार हो कर दुकान चला गया।
तो दोस्तो, यह मेरी अपनी सच्ची कहानी है। पहली बार लिख रहा हूँ तो कोई गलती हो तो माफ कर देना। [email protected]
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